In a recent administrative review, a State Advisory Committee convened its 76th meeting to evaluate numerous applications from government personnel seeking special considerations based on medical or genuine personal hardships. These requests often involved pleas for specific postings or retention in certain regions. After thorough deliberation, the committee concluded that the appeals from the individuals detailed in its review could not be approved. This decision, subsequently endorsed by the Government of India, means that the personnel in question will be retained in their current assignments within Uttarakhand. The primary reasons for these rejections often stemmed from the applications not aligning with the specific criteria set forth in relevant government notifications, such as those issued by the U.P. Reorganisation Coordination Department, or because the reported medical conditions were not deemed severe enough to warrant an exception from standard administrative procedures.
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संख्या- 27/7/2010-एस.आर.एस.
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग
एस.आर. अनुभाग
तीसरा तल, लोकनायक भवन,
खान मार्केट, नई दिल्ली ।
दिनांक 29 जून, 2010
सेवा में,
मुख्य सचिव,
उत्तर प्रदेश सरकार,
लखनऊ ।
मुख्य सचिव,
उत्तरांचल सरकार,
देहरादून ।
विषय: चिकित्सकीय/वास्तविक व्यथा से आच्छादित प्रकरणों पर राज्य परामर्शी समिति की दिनांक 25 फरवरी 2010 को आयोजित 76 वीं बैठक में विचार
महोदय,
उपर्युक्त विषय में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि राज्य परामर्शी समिति की दिनांक 25 फरवरी 2010 को आयोजित 76 वीं बैठक में विचारोपरांत समिति ने संलग्नक में उल्लिखित कार्मिकों के अध्यावेदनों को चिकित्सकीय/वास्तविक व्यथा आधार पर अस्वीकृत करने की संस्तुति की है । विस्तृत ब्यौरा संलग्नक पर है ।
समिति द्वारा इन मामलों में जो संस्तुतियों की गई उन्हें भारत सरकार द्वारा वास्तविक/चिकित्सकीय व्यथा के अन्तर्गत मान लिया गया है। संलग्नक में उल्लिखित कार्मिकों को उत्तराखण्ड राज्य में बनाये रखे जाने का निर्णय लिया गया है ।
कृपया संबंधित अधिकारियों को इन निर्णयों से अवगत करा दिया जाए ।
भवदीय

प्रति:-
- श्री आर.एम. श्रीवास्तव, प्रधान सचिव, उत्तर प्रदेश पुनर्गठन समन्वय विभाग, लखनऊ ।
- श्री सुभाष कुमार, प्रधान सचिव, उत्तराखंड पुनर्गठन समन्वय विभाग देहरादून।
संलग्नक 6 कार्मिकों की सूची

चिकित्सकीय व्यथा के आधार पर राज्य परामर्शीय समिति की 76वीं बैठक दिनांक 25 फरवरी, 2010 की बैठक में अस्वीकृत प्रत्यावेदन (ख) माध्यमिक शिक्षा विभाग
| क्रमांक | कार्मिकों का नाम/ पदनाम/तैनाती | प्रत्यावेदन में अंकित बीमारी | नियुक्ति तिथि | अभ्युक्ति |
|---|---|---|---|---|
| 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
| 1 | श्री अखिल कुमार सिंह, सहायक अध्यापक सामान्य, राजकीय इण्टर कालेज, महादेव चट्टी, पौड़ी गढ़वाल | स्वयं हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, मानसिक रोग एवं गले की बीमारियों से पीड़ित। | 23.09.1996 | श्री अखिल कुमार सिंह की प्रश्नगत बीमारी उ.प्र. पुनर्गठन समन्वय विभाग द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 04 फरवरी, 2009 से आच्छादित न होने के कारण इनके प्रत्यावेदन को अस्वीकार करते हुये इन्हें उत्तराराखण्ड राज्य में बनाये रखे जाने का निर्णय लिया गया है । |
| 2 | श्री चरण सिंह, सहायक अध्यापक-जीव विज्ञान, राजकीय इण्टर कालेज, नागराजाधार टिहरी | पत्नी श्रीमती रविन्दी देवी गुर्दा रोग से पीड़ित। | 23.09.1995 | श्री चरण सिंह की पत्नी श्रीमती रविन्दी देवी को राज्य चिकित्सा परिषद्, लखनऊ द्वारा सम्परिंग काम सीएक्वेडीए ग्रेड-2 विद आपस टैक्शन का रोगी बताया गया। समिति की बैठक में उपस्थित चिकित्सक के अनुसार राज्य चिकित्सा परिषद की आख्या से प्रतीत होता है कि बीमारी की प्रकृति गम्भीर नही है। अतः सही मायने में उ.प्र. पुनर्गठन समन्वय विभाग द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 04 फरवरी, 2009 से आच्छादित न होने के कारण इनके प्रत्यावेदन को अस्वीकार करते हुये इन्हें उत्तराखण्ड राज्य में बनाये रखे जाने का निर्णय लिया गया है । |
| 3 | श्री हरि बाबू निरंजन, प्रवक्ता, राजकीय इण्टर कालेज, हमीरावाल, जसपुर, ऊधम सिंह नगर | स्वयं विकलांगता से पीड़ित। | 23.09.1990 | श्री हरि बाबू निरंजन की नियुक्ति विकलांगता कोर्ट के अन्तर्गत ही की गई थी एव उत्तर प्रदेश पुनर्गठन समन्वय विभाग द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 04-02-2009 सप्रतित दिनांक 06-03-2009 एवं दिनांक 06-07-2009 द्वारा पर्वतीय उपसंवर्ग में नियुक्त विकलांगों को राज्य परिवर्तन की सुविधा अनुमन्य नही है। अतः श्री निरंजन के प्रत्यावेदन को अस्वीकार करते हुये इन्हें उत्तराखण्ड राज्य में ही बनाये रखे जाने का निर्णय लिया गया है । |
| 4 | श्री तारा चन्द्र राजकीय इण्टर कालेज गौरसाली, उतरकाशी | पिता जी बुद्ध एवं असक्त तथा पर्वतीय क्षेत्र में रह पाने में असमर्थ। पत्नी गुर्दा रोग से पीड़ित | 01-04-1997 | श्री तारा चन्द्र की पत्नी गुर्दा के साधारण रोग से पीड़ित है। समिति की बैठक में उपस्थित चिकित्सक के अनुसार राज्य चिकित्सा परिषद की आख्या से प्रतीत होता है कि इनका रोग गम्भीर बीमारी की श्रेणी में नही आता है। अतः सही मायने में उ.प्र. पुनर्गठन समन्वय विभाग द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 04 फरवरी, 2009 से आच्छादित न होने के कारण इनके प्रत्यावेदन को अस्वीकार करते हुये इन्हें उत्तराखण्ड राज्य में बनाये रखे जाने का निर्णय लिया गया है । |
| 5 | श्री विनोद कुमार पाल, सहायक अध्यापक राजकीय इण्टर कालेज चमकोट, रूढप्रयाग | पिता जी हृदय एवं गुर्दा रोग से ग्रस्त | 16-09-1995 | श्री विनोद कुमार पाल के पिता श्री देवी दयाल पाल हृदय एवं गुर्दा के साधारण रोग से पीड़ित है। समिति की बैठक में उपस्थित चिकित्सक के अनुसार राज्य चिकित्सा परिषद की आख्या से प्रतीत होता है यह रोग गम्भीर बीमारी की श्रेणी में नही आता है। अतः सही मायने में उ.प्र. पुनर्गठन समन्वय विभाग द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 04 फरवरी, 2009 से आच्छादित न होने के कारण इनके प्रत्यावेदन को अस्वीकार करते हुये इन्हें उत्तराखण्ड राज्य में बनाये रखे जाने का निर्णय लिया गया है । |
| 6 | श्री अशफाक हुसैन, सहायक अध्यापक, राजकीय इण्टर कालेज, सोमेश्वर, अल्मोड़ा। | स्वयं हृदय रोग एवं आर्थराईटिस से पीड़ित। | 22-04-1995 | श्री अशफाक हुसैन स्वयं हृदय एवं गठिया रोग से पीड़ित है। समिति की बैठक में उपस्थित चिकित्सक के अनुसार राज्य चिकित्सा परिषद की आख्या से प्रतीत होता है कि इनका रोग गम्भीर बीमारी की श्रेणी में नही आता है। अतः सही मायने में उ.प्र. पुनर्गठन समन्वय विभाग द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 04 फरवरी, 2009 से आच्छादित न होने के कारण इनके प्रत्यावेदन को अस्वीकार करते हुये इन्हें उत्तराखण्ड राज्य में बनाये रखे जाने का निर्णय लिया गया है । |