Order on Final Allocation of Personnel to Uttarakhand following Uttar Pradesh Reorganisation Act, 2000

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The government has issued a crucial directive clarifying the final allocation of personnel affected by the Uttar Pradesh Reorganisation Act of 2000. This order specifically addresses employees who were serving in the undivided Uttar Pradesh state before November 9, 2000, and their subsequent assignment to either the successor state of Uttar Pradesh or Uttarakhand. A key aspect of this directive is the definitive assignment of personnel who had been provisionally serving since the reorganisation date. It outlines specific conditions, particularly for individuals who had obtained interim stay orders from courts; their final allocation will only become effective once these orders are vacated or as directed by the judiciary. Similarly, those with court-granted stays against allocation will not be considered allocated until the court’s orders cease to be effective. The directive also clarifies the status of remaining staff whose final allocation to the successor state of Uttarakhand had not yet been finalized under previous orders. These individuals will now be considered finally allocated to Uttar Pradesh unless a different decision is made as per regulations. The entire allocation process is grounded in the recommendations made by an Advisory Committee during its meeting on June 15, 2011. As an example, the order includes an annexure detailing the final allocation of three personnel from the Library Cadre within the Secondary Education Department to Uttarakhand, with specific reasons provided for each case.

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संख्या 27/11/2011-एस0 आर0 (एस0)
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय,
(कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग)

लोक नायक भवन, तीसरा तल,
खान मार्किट, नई दिल्ली. 110003
दिनांक 2 सितम्बर, 2011

आदेश 01/04/2011

उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 की धारा 73 की उपधारा (1) के अधीन, प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने के लिए इस विभाग के पचांक संख्या 27/16/2010/एस आर एस द्वारा जारी आदेश 01/2011 दिनांक 18/3/2011 के अनुक्रम में, केन्द्रीय सरकार, एतद्व द्वारा यह निर्देश देती है कि इस आदेश के संलग्नक में निर्दिष्ट प्रत्येक व्यक्ति, जो 09.11.2000 के ठीक पहले विद्यमान उत्तर प्रदेश राज्य के क्रियाकलापों के सम्बन्ध में सेवा कर रहा हो, एवं उपर्युक्त अधिनियम की धारा 73 की उपधारा (1) के अधीन, उत्तरवर्ती उत्तर प्रदेश राज्य या उत्तरांचल राज्य के क्रियाकलापों के सम्बन्ध में यथास्थिति, 09.11.2000 से ही अनंतिम रुप से सेवा कर रहा हो, को, उत्तरवर्ती उत्तराखण्ड राज्य यथास्थिति, 09.11.2000 से सेवा के लिए अन्तिम रूप से आबन्दित समझा जायेगा ।

परन्तु ऐसा प्रत्येक व्यक्ति, जिसने न्यायालय से अंतरिम स्थान आदेश प्राप्त किया हो, उसका अंतिम आबंटन, न्यायालय के स्थान आदेश के रद्द होने के बाद ही प्रभावी होगा अथवा जहाँ न्यायालय के द्वारा, इस सम्बन्ध में कोई निर्देश दिया गया हो, ऐसे प्रत्येक व्यक्ति का आबंटन न्यायालय के अन्तिम आदेश के अधीन होगा ।

परन्तु ऐसा प्रत्येक व्यक्ति, जिसने न्यायालय से आबंटन से मुक्त रहने का स्थान आदेश प्राप्त किया हो, को न्यायालय के आदेश प्रभावी रहने तक आबन्दित नहीं समझा जायेगा ।

परन्तु संबंधित सेवा/पद के शेष बचे हुए कार्मिक जिनका अंतिम आबंटन उत्तरवर्ती उत्तरांचल राज्य के लिए नहीं किया गया है तथा जो आदेश संख्या 27/9/2001-एस आर एस दिनांक 11.09.2001 के द्वारा उत्तराखंड राज्य को आबंटित नहीं किए गए हैं, उत्तरवर्ती उत्तर प्रदेश को अंतिम रूप से आबंटित समझे जायेंगे जब तक कि नियमानुसार अन्यथा निर्णय नहीं लिया जाता ।

संलग्नक में निर्दिष्ट कार्मिकों का अंतिम आबंटन परामर्शी समिति की दिनांक 15.06.2011 को हुई बैठक की संस्तुतियों पर आधारित है ।

संलग्नक:

(के. पी. के. नंबीशन)
उप सचिव, भारत सरकार

संलग्नक:

  1. अनुबंध (1 पृष्ठ में) उत्तराखंड राज्य में अन्तिम रूप से माध्यमिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत पुस्तकालय संवर्ग के 3 कार्मिकों की सूची ।

प्रतिलिपिः

  1. मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ ।
  2. मुख्य सचिव, उत्तराखंड सरकार, देहरादून ।
  3. श्री राजेन्द्र मोहन श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव, उत्तर प्रदेश पुनर्गठन समन्वय विभाग, 8-ए, नवीन भवन, लखनऊ ।
  4. प्रमुख सचिव, उत्तराखंड पुनर्गठन समन्वय विभाग देहरादून ।

विभाग माध्यमिक शिक्षा विभाग

संवर्ग पुस्तकालय संवर्ग

आवंटित राज्य उत्तराखंड

क.स. कार्मिक का नाम अभ्युक्ति/समिति का निर्णय
1. श्रीमती अलका जैन इनके द्वारा 16-06-2010 को प्रथम बार विकल्प पत्र दिया गया। नियत तिथि 15.06.2001 के पश्चात प्राप्त हुये विकल्प पर विचार किया जाना संभव नही है । अतः उन्हें उत्तराखण्ड राज्य आवंटित किये जाने की संस्तुति की गई।
2. श्री चन्द्रकान्त शर्मा कई बार अवसर दिये जाने पर भी श्री शर्मा द्वारा अपने पुत्र की बीमारी की राज्य चिकित्सा परिषद की आख्या उपलब्ध नही कराई गई । अतः उन्हें उत्तराखण्ड राज्य आवंटित किये जाने की संस्तुति की गई।
3. श्री संजय कुमार शाह श्री शाह की माता चूंकि उनके साथ नही रहती है और उ.प्र. पुनर्गठन समन्वय विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में स्पष्ट है कि कार्मिक के ऊपर माता-पिता के आश्रित होने की दशा में ही राज्य परिवर्तन की सुविधा अनुमन्य होगी । अतः उन्हें उत्तराखण्ड राज्य आवंटित किये जाने की संस्तुति की गई।

गुप्तगतबोड्डा

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