This office memorandum outlines the procedures for the local purchase of stationery and other items by central government departments, their attached and subordinate offices, and organizations financed by the government. Initially, all purchases were to be made from the Central Government Employees Welfare Cooperative Society Ltd. (Central Warehouses). Following the introduction of the General Financial Rules, 2005, this arrangement was revoked. The memorandum re-establishes a system allowing purchases from Central Warehouses/N.C.C.F. or other multi-state cooperative societies, prioritizing them in limited tender purchases up to ₹25 lakhs, provided they meet price and quality standards. It also details procedures for purchases up to ₹1 lakh and between ₹1 lakh and ₹25 lakhs, and specifies that the arrangement is valid until March 31, 2010. The memorandum emphasizes adherence to these instructions by all concerned departments and organizations.
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सं. 14/12/94-कल्याण(खण्ड-II)
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग
(कल्याण अनुभाग)
कमरा सं०-361, तृतीय मंजिल, लोक नायक भवन, नई दिल्ली दिनांक 05.7.2007.
कार्यालय ज्ञापन
विषय : शेयर धारण में केन्द्र सरकार की अधिक हिस्सेदारी वाले केन्द्रीय भण्डार, एन.सी.सी.एफ. और अन्य बहु-राज्यीय सहकारी समितियों से लेखन सामग्री और अन्य मदों की स्थानीय खरीद ।
कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग के दिनांक 14.7.1981 के काज्ञा० सं. 14/14/80-कल्याण की शर्तों के अनुसार दिल्ली/नई दिल्ली स्थित केन्द्र सरकार के सभी विभागों,उनके सम्बद्ध और अधीनस्थ कार्यालयों और सरकार द्वारा वित्त पोषित और/अथवा नियंत्रित अन्य संगठनों के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया था कि वे उनके द्वारा अपेक्षित सभी लेखन सामग्री और अन्य मदों की स्थानीय खरीद, केवल केन्द्रीय सरकारी कर्मचारी उपभोक्ता सहकारी सोसायटी लि. (केन्द्रीय भण्डार) नई दिल्ली से करें । यदि यह सोसाइटी किसी मद विशेष की आपूर्ति करने में समर्थ नहीं होती थी तो केवल तभी, वे उसकी अन्य स्रोतों से स्थानीय खरीद कर सकते थे । तदुपरांत सुपर बाजार और एन.सी.सी.एफ. (राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ) को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के दिनांक 14.7.1981 के कार्यालय ज्ञापन के दायरे में लाते हुए वर्ष 1987 और 1994 में अनुदेश जारी किए गए ।
2. नई सामान्य वित्तीय नियमावली, 2005, के जारी किए जाने के बाद, उपर्युक्त व्यवस्था दिनांक 1.7.2005 से वापस ले ली गई ।
3. चूँकि, इस मामले की व्यय विभाग से परामर्श करके पुनरीक्षा की गई है । केन्द्रीय भण्डार, एन.सी.सी.एफ. अथवा अन्य किसी बहु-राज्यीय सहकारी समिति को सुनिश्चित उपभोक्ता मुहैय्या करवाने की अवधारणा, अर्थव्यवस्था के उदारीकरण और खुली प्रतियोगिता के माध्यम से सरकारी संगठनों को प्रतियोगी और स्वावलंबी बनाने की अवधारणा के अनुरूप नहीं है । तथापि, उपभोक्ताओं को वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति, अति किफायती और प्रतियोगी कीमतों पर सुनिश्चित करने और विपणन की बदली हुई अवधारणा को ध्यान में रखते हुए, सहकारी आंदोलन
के स्वीकृत उद्देश्यों के मद्देनजर, अब केन्द्र सरकार के विभागों, उनके सम्बद्ध और अधीनस्थ कार्यालयों और उनके द्वारा वित्त पोषित और/अथवा नियंत्रित अन्य संगठनों के सम्बन्ध में केन्द्रीय भण्डार/एन.सी.सी.एफ.सी. से लेखन सामग्री की स्थानीय खरीद करते समय निम्नलिखित व्यवस्था अपनाने का निर्णय लिया गया है:-
(क) सामान्य वित्तीय नियमावली, 2005 के नियम 145 के अंतर्गत मंत्रालय/विभाग, भाव (क्वोटेशन) अथवा बोली आमंत्रित किए बिना ही 15000/- रूपये तक की वस्तुओं की खरीद कर सकते हैं । इसके अलावा, सामान्य वित्तीय नियमावली, 2005 के नियम 146 के अन्तर्गत, सम्बन्धित मंत्रालय/विभाग द्वारा गठित स्थानीय खरीद समिति, दर, गुणवत्ता इत्यादि के उचित होने का पता लगवाने के लिए बाजार सर्वेक्षण के आधार पर और इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने के आधार पर एक लाख रूपये तक की वस्तुओं की खरीद कर सकती है । इस नियम में आंशिक संशोधन करते हुए, मंत्रालयों/विभागों को अनुमति है कि वे कार्यालय प्रयोग के लिए अपेक्षित सभी मदों के सम्बन्ध में अपने विवेकानुसार, भाव (क्वोटेशन) आमंत्रित किए बिना सीधे केन्द्रीय भण्डार/एन.सी.सी.एफ. से हर बार एक लाख रूपये तक की खरीद कर सकते हैं । दर, गुणवत्ता, विशिष्टता इत्यादि की उपयुक्तता सुनिश्चित करने की जिम्मेवारी, खरीददार मंत्रालय/विभाग के साथ-साथ केन्द्रीय भण्डार/एन.सी.सी.एफ. की भी उतनी ही होगी । इसके अलावा, दर, गुणवत्ता, विशिष्टता इत्यादि की उपयुक्तता, स्थानीय खरीद समिति द्वारा प्रमाणित की जानी चाहिए जैसा कि सामान्य वित्तीय नियमावली, 2005 के नियम 146 में बताया गया है । यह भी सुनिश्चित करना होगा कि एक लाख की सीमा के भीतर रखने के उद्देश्य से आपूर्ति आदेशों को किसी भी हालात् में अलग-अलग करके न भेजा जाए ।
(ख) एक लाख रूपये से 25 लाख रूपये तक की कार्यालय प्रयोग की सभी मदों की खरीद के लिए, जहाँ सामान्य वित्त नियमावली, 2005 के नियम, 151 के अनुसार सीमित निविदाएँ आमंत्रित की जानी होती हैं, तो इन सीमित निविदाओं में भाग लेने के लिए अन्य के साथ-साथ केन्द्रीय भण्डार और एन.सी.सी.एफ. को भी आमंत्रित किया जाएगा यदि ये सहकारी संस्थाएँ उस स्टेशन पर कार्य कर रही हों । अन्य बातों के एक समान होने की स्थिति में, खरीद में प्राथमिकता केन्द्रीय भण्डार/एन.सी.सी.एफ. को दी जाएगी, यदि सहकारी संस्थाओं द्वारा कोट की गई कीमत, एल-1 कीमत के $10 %$ के भीतर हो और ये संस्थाएँ, एल-1 कीमत के बराबर आने की इच्छुक हों । इन सहकारी संस्थाओं को एल-1 कीमत के ऊपर या इससे अधिक, कोई कीमत वरीयता नहीं दी जाएगी । तथापि, केन्द्रीय भण्डार/एन.सी.सी.एफ. को बोली प्रभूति (बयाना जमा राशि) जमा करवाने से छूट होगी ।
(ग) डी.जी.एस. एण्ड डी. दर संविदा के अंतर्गत आने वाले कार्यालय उपकरणों के सम्बन्ध में 25 लाख रूपये तक की आपूर्ति के आदेश भी केन्द्रीय भण्डार और एन.सी.सी.एफ. से प्राप्त
किए जा सकते हैं बशर्ते केन्द्रीय भण्डार/एन.सी.सी.एफ., डी.जी.एस.एण्ड डी. दर संविदा कीमतों पर मदें देने की पेशकश करते हैं और संविदा के उन दायित्वों को भी पूरा करते हैं जिन्हें ऐसे उत्पादों के निर्माताओं/आपूर्तिकर्ताओं से डी.जी.एस. एंड डी. दर संविदा के अंतर्गत पूरा किए जाने की अपेक्षा की जाती है । जहाँ कहीं अपेक्षित हो, मंत्रालय/विभाग ऐसी वस्तुओं का निरीक्षण और जाँच करने के लिए अपनी व्यवस्था स्वयं करेंगे ।
(घ) उपर्युक्त व्यवस्था केवल 31-03-2010 तक ही लागू होगी ।
(ड) केवल वे बहु-राज्यीय सहकारी समितियों, जो इस कार्यालय ज्ञापन के जारी होने से पूर्व पंजीकृत हैं और जिनमें अधिकांश शेयर केन्द्र सरकार के हैं, को भी 25 लाख रूपये तक सीमित निविदा खरीद के सम्बन्ध में, खरीद वरीयता की सुविधा का लाभ उठाने की अनुमति है ।
(4) यह अनुरोध किया जाता है कि इस कार्यालय ज्ञापन में निहित अनुदेशों को ध्यानपूर्वक नोट कर लिया जाए और इसके पश्चात् सरकारी विभागों आदि द्वारा की जाने वाली स्थानीय खरीद के सम्बन्ध में इनका अनुपालन किया जाए । मंत्रालयों/विभागों से यह भी अनुरोध है कि वे अपने सम्बद्ध और अधीनस्थ कार्यालयों और उनके द्वारा वित्त पोषित और/अथवा नियंत्रित अन्य संगठनों को, बहु-राज्यीय सहकारी समितियों से अपनी जरूरत की लेखन सामग्री और अन्य मदें प्राप्त करने के सम्बन्ध में इसी प्रक्रिया का पालन करने के अनुदेश दें ।
5. यह वित्त मंत्रालय, व्यय विभाग के दिनांक 12 जून, 2007 के का.ज्ञा. संख्या 1(12)/ई.-II(क)/94 के तहत प्राप्त सहमति से जारी किया जाता है ।
सेवा में,
भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग, उनके सम्बद्ध और अधीनस्थ कार्यालय और उनके द्वारा वित्त पोषित और/अथवा नियंत्रित अन्य संगठन ।
(मानक सूची के अनुसार)
प्रतिलिपि सूचनार्थ प्रेषितः- वित्त मंत्रालय, व्यय विभाग (सुश्री रूबिना अली, अवर सचिव), ई-11(ए.) शाखा, नार्थ ब्लाक, नई दिल्ली को उनके दिनांक 12.6.2007 के का. ज्ञा. संख्या 1(12)ई.11(ए.)/94 के सन्दर्भ में ।
प्रतिलिपि सूचना और आवश्यक कार्रवाई के लिए निम्नलिखित को प्रेषितः-
- प्रबंध निदेशक,
केन्द्रीय सरकारी कर्मचारी उपभोक्ता,
सहकारी समिति लि.,
(केन्द्रीय भण्डार), पुष्प भवन,
प्रथम मंजिल,
मदनगीर रोड, नई दिल्ली-110062.
2. प्रबंध निदेशक,
राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ,
पाँचवी मंजिल, दीपाली भवन,
92, नहेरू प्लेस, नई दिल्ली ।