This document details the minutes of a meeting of the State Advisory Committee concerning the allocation of personnel to different cadres following the reorganization of states. The meeting discussed numerous cases of individual employee allocations, their objections, and the final decisions made based on established principles and government directives. Key discussions included the allocation of personnel in departments like Law, Rural Development, Health, and Environment. The committee reviewed various court orders and their implications on the allocation process, ensuring adherence to judicial pronouncements and government policies. Several cases of disputed allocations and requests for re-evaluation were addressed, with decisions made on a case-by-case basis, often referencing previous government decisions and the legal framework. The minutes also highlight the challenges faced in the allocation process, such as discrepancies in provided data, delays in receiving responses from concerned departments, and the need for clear guidelines on specific cadre divisions. Ultimately, the committee aimed to finalize the allocation of remaining employees to ensure a smooth transition and operational continuity in the respective departments.
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13/29/2011 02:14:10 9/4/10
पत्रांक-का.को.-38/2001 (खंड-1).43
राज्य परामर्शदात् समिति का कार्यालय
सिंचाई आवास, बेली रोड, पटना-23
प्रेषक,
अफजल अमानुल्लाह,
प्रधान सचिव-सह-सदस्य सचिव ।
सेवा में,
श्री भी0 पेदन्ना,
उप सचिव एस0 आर0 (एस0),
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय,
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार,
तृतीय तल, लोक नायक भवन, खान मार्केट, नई दिल्ली-110003
पटना – 23, दिनांक- 31/03/2010
विषय:- दिनांक-11.03.2010 को राज्य परामर्शदात् समिति की सम्पन्न बैठक की कार्यवाही के अनुमोदन के संबंध में ।
महाशय,
उपर्युक्त विषय से संबंधित कार्यवाही संलग्न करते हुए अनुरोध है कि इस पर अध्यक्ष महोदय का अनुमोदन तथा निर्धारित स्थान पर हस्ताक्षर प्राप्त करने की कृपा की जाय ।
- कार्यवाही की कंडिका-16.5 में उक्त बैठक में टेन्टेटिव रूप से आंवटित हो रहे कर्मियों को उनके टेन्टेटिव अन्तिम आवंटन के विरूद्ध अभ्यावेदन देने की तिथि के संबंध में अध्यक्ष महोदय द्वारा निर्णय लिया जाना है । कृपया निर्धारित तिथि का अंकन संबंधित स्तम्भ के रिक्त स्थान पर करना चाहेंगे ।
-
सुलभ हेतु कार्यवाही की सी0डी0 भी संलग्न है ।
अनुलग्नक-यथा उपर्युक्त ।
विश्वासभाजन
प्रधान सचिव
सह
सदस्य सचिव
of
Letter G03_31.03.20
And
Copy to Mr. Rajiv Kapori, Jr.
DSSAS
Please process on file.
A.F.Ar Amman, in.
4/4/10 14:01:48
11/11/10 00017
दिनांक 11.03.2010 को कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली के 190 नॉर्थ ब्लॉक, अवस्थित सभा-कक्ष में सम्पन्न राज्य परामर्शदातृ समिति की बैठक की कार्यवाही :-
उपस्थिति:-
- श्री राजीव कपूर, संयुक्त सचिव, कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली
- श्री अफजल अमानुल्लाह, प्रधान सचिव, मंत्रिमंडल सचिवालय, बिहार, पटना।
- श्री भी० पेद्दन्ना, उप सचिव, एस० आर० (एस०), कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली।
- श्री ऐ० के० चौधरी, उप सचिव, कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग, बिहार, पटना ।
कार्यवाही:-
दिनांक 30.08.2009 को सम्पन्न समिति की बैठक की कार्यवाही को सर्वसम्मति से संपुष्ट किया गया।
2. विधि (न्याय) विभाग के नियंत्रणाधीन महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों के अंतिम आवंटन पर विचार
2.1 विधि (न्याय) विभाग, बिहार के पत्रांक दिनांक 13.03.2001 एवं पत्रांक 3560 दिनांक 13.10.2001 द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों के लिए स्वीकृत पद एवं कर्मियों की सूची आवंटन हेतु समिति कार्यालय को भेजी गयी थी।
2.2 प्रशासी विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये पदों की विवरणी एवं कर्मियों की सूची के आधार पर पदों का विभाजन एवं कर्मियों का टेन्टेटिव अंतिम आवंटन 2:1 के अनुपात में समिति की बैठक में अनुमोदन के पश्चात् प्रभारित किया गया था।
2.3 कर्मियों के टेन्टेटिव आवंटन प्रभारित किये जाने के पश्चात विद्धान महाधिवक्ता, बिहार द्वारा अध्यक्ष, राज परामर्शदातृ समिति को चार पृष्ठ का एक पत्र पत्रांक-1854 दिनांक 13.03.2003 द्वारा भेजा गया। उक्त पत्र में समिति द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों के आवंटन पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए कार्यरत बल को आवश्यकता से कम बताते हुए पुनर्विचार का अनुरोध किया गया।
2.4 महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों द्वारा टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध कोई अभ्यावेदन प्राप्त हुआ है या नहीं सूचना भी अप्राप्त है। इस हेतु विभाग को कई स्मार पत्र भी दिये गये।
2.5 महाधिवक्ता बिहार ने अपने पत्रांक 3609 दिनांक 24.06.2008 द्वारा अपने सुझाव में कहा है कि जे. कर्मी महाधिवक्ता झारखंड के कार्यालय में कार्यरत है उन्हें पद सहित झारखंड में आवंटित कर दिया जत् और जो महाधिवक्ता बिहार के कार्यालय में कार्यरत है उन्हें बिहार राज्य में पद सहित आवंटित किया जाए। इस प्रकार यह विचारणीय है कि वर्तमान स्थापना में और परिवर्तन (touch) नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह न तो न्यायालय के कार्यहित में होगा और न राज्य के ही कार्यहित में होगा।
2.6 दिनांक 27.06.2008 को समिति के बैठक में निर्णय लिया गया की माधिवक्ता, बिहार के पत्र की प्रतिलिपि झारखंड सरकार को भेज कर महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों के आवंटन के संबंध में उनका मंतव्य प्राप्त कर लिया जाय ।
2.7 दिनांक 27.06.2008 को समिति के निर्णय के आलोक में महाधिवक्ता, बिहार के पत्रांक 3609 दिनांक 24. 06.2008 की छायाप्रति तथा समिति के निर्णय से संबंधित अंश का उद्धरण संलग्न करते हुए मुख्य सचिव, झारखंड, रांची से पत्रांक 457 दिनांक 24.11.2008 द्वारा मंतव्य की मांग की गई । पत्रांक 35 दिनांक 9 .
03.2009 एवं पत्रांक 108 दिनांक 27.05 .2009 द्वारा स्मारित भी किया गया है । पंरतु झारखंड का मंतव्य अप्राप्त रहा ।
- दिनांक 30.06 .2009 को समिति की बैठक में भारत सरकार के प्रतिनिधि ने बताया कि बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अन्तर्गत दिनांक 15.11 .2000 को कार्यरत सभी राज्य स्तरीय कर्मियों का संवर्ग विभाजन किया जाना है । अतः समिति ने विचारोपरांत निर्णय लिया कि महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों से उनके टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों को शीघ्र समिति कार्यालय को उपलब्ध कराने हेतु प्रशासी विभाग से अनुरोध किया जाय तथा उन पर समिति द्वारा निर्धारित सिद्धांतो के अन्तर्गत कार्रवाई करते हुए भारत सरकार को अनुशंसा भेजी जाय, साथ ही महाधिवक्ता, बिहार के पत्र पर झारखंड सरकार का मंतव्य भी प्राप्त किया जाय ।
2.9 समिति के उपरोक्त निर्णय को समिति के पत्रांक 202 दिनांक 26.08 .2009 द्वारा झारखंड सरकार को एवं पत्रांक 201 दिनांक 26.08 .2009 बिहार सरकार को संसूचित करते हुए वांछित मंतव्य/प्रतिवेदन भेजने का अनुरोध किया गया । झारखंड सरकार का मंतव्य अब तक अप्राप्त है ।
2.10 बिहार सरकार (विधि विभाग) ने अपने पत्रांक 3789 दिनांक 17.09 .2009 द्वारा महाधिवक्ता, बिहार के पूर्व में दिये गए मंतव्य में सहमति व्यक्त करते हुए टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध कर्मियों द्वारा दिये गये अभ्यावेदन की छाया प्रति भेजी है। उक्त अभ्यावेदन की छाया प्रति के साथ प्रपत्र-9 भी नही है । प्रशासी विभाग द्वारा प्रेषित अभ्यावेदन की छाया प्रति निम्नवत है –
| 1. टंकक | – | 2 अभ्यावेदन (सभी झारखंड टेन्टेटिव आवंटित) |
|---|---|---|
| 2. दिनचर्या लिपिक | – | 1 अभ्यावेदन (झारखंड टेन्टेटिव आवंटित) |
| 3. आदेशपाल | – | 5 अभ्यावेदन (सभी झारखंड टेन्टेटिव आवंटित) |
2.11 उल्लेखनीय है कि समिति के निर्णयानुसार सभी 35 चतुर्थवर्गीय कर्मियों एवं प्रधान पुस्तकाध्यक्ष तथा भ्रालक के एक-एक कर्मी कुल 37 कर्मियों को समिति की 27.06 .2008 की बैठक में अनुमोदनोपरांत उनके
में किसी भी पदधारक (माली-4 पद, स्वीपर-2 पद को छोर कर) की सेवा झारखंड राज्य को सुपुर्द करना उचित नहीं होगा ।”
3.2
विभाग द्वारा प्रेषित उपर्युक्त प्रतिवेदन के आलोक में दिनांक 30.11 .2002 को समिति की बैठक में लिये गये निर्णय के आलोक में समिति की दिनांक 05.02 .2003 की बैठक में सचिव, सिविल विमानन् विभाग, बिहार को आमंत्रित किया गया । उक्त बैठक में उन्होंने उपस्थित होकर बताया कि राजकीय विमान संगठन को सुचारू रूप से कार्यरत रखने के लिये जो न्यूनतम आवश्यकता कुशल श्रेणी के कर्मचारी / पदधारक की है वे यहाँ रखे गये हैं । इसके अतिरिक्त उनके पास दो-चार तृतीय/चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों को छोड़कर और किन्हीं की सेवा उत्तरवर्ती राज्यों के विभाजन के लिये उपलब्ध नहीं । बैठक में वायुयानों के बटवारा का भी बिन्दु उठा लेकिन अन्त में समिति ने अनुभव किया कि सम्पत्ति का बटवारा समिति के कार्य क्षेत्र के बाहर है, इसलिए इस पर कोई निष्कर्ष नहीं दिया जा “ाका । अर्थात इस विभाग के कर्मचारियों/पदाधिकारीयों के विभाजन पर कोई सहमति नहीं बन सकी ।
3.3
माननीय झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा डब्ल्यूए पीए (एसए) संख्या-1135/2005, राम चन्द्र साहू बनाम् झारखंड राज्य एवं अन्य में दिनांक 28.07 .2005 को दिये गये न्याय निर्णय के आलोक में समिति के विचारार्थ दिनांक 12.09 .2005 की बैठक में पूरे मामले को प्रस्तुत किया गया । समिति ने विचारोपरान्त श्री साहू द्वारा उठाये गये बिन्दुओं पर बिहार एवं झारखंड सरकारों से मतंब्य सहित प्रतिवेदन प्राप्त करने का निर्णय लिया । समिति के निर्णय के आलोक में समिति कार्यालय के पत्रांक 743 दिनांक 26.10 .2005 द्वारा वादी (श्री साहू) द्वारा उठाये गये बिन्दुओं पर अपने मंतब्य से शीघ्र अवगत कराने हेतु दोनों राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया । समिति कार्यालय के उक्त पत्र के आलोक में नागर विमानन विभाग, झारखंड रांची के पत्रांक 22 दिनांक जनवरी 2006 द्वारा प्रेषित प्रतिवेदन में कहा गया है कि :-
(क) सिविल विमानन् विभाग, बिहार के पत्रांक 706 दिनांक 28.05 .2005 जो महालेखाकार को सम्बोधित है द्वारा गलाईडर प्रशिक्षक के तीन स्वीकृत पदों का स्थानान्तरण झारखंड राज्य को किया जा चुका है एवं वर्त्तमान में गलाईडर शाखा से संबंधीत कोई भी स्थापना बिहार राज्य में अवस्थित नहीं है ।
(ख) दिनांक 05.02 .2003 को समिति की बैठक में सचिव, सिविल विमानन विभाग बिहार द्वारा स्पष्ट किया गया है कि तृतीय/चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को छोड़ कर और दि ही की सेवा उत्तरवर्ती राज्यों में आवंटन करने के लिये उपलब्ध नहीं है । इस विषय पर राज्य परामर्शदातृ समिति को ही निर्णय लेना है ।
(ग) गलाईडिंग अनुभाग संबंधी कोई स्थापना बिहार राज्य में नहीं है और पूर्ववर्ती राज्य द्वारा गलाईडिंग अनुभाग को सभी परिसम्पत्ति के अधिन ही उपलब्ध है ।
3.4
नागर विमानन विभाग, झारखंड के पत्रांक 22 दिनांक जनवरी 2006 के आलोक में गलाईडर प्रशिक्षक के पद को झारखंड के लिये समिति की अनुमोदन की प्रत्याशा में आवंटित करते हुए समिति कार्यालय के पत्रांक 52 दिनांक 06.02 .2006 द्वारा निम्नांकित बिन्दुओं पर दोनों राज्यों से प्रतिवेदन देने का अनुरोध किया गया :-
(क) सिविल विमानन विभाग बिहार के पत्रांक 578 दिनांक 17.09 .2001 के साथ प्रपत्र-1 में पदों के संबंध में दी गयी विवरणी के प्रत्येक पद समूह में कितनी संख्या झारखंड के लिये अनुमान्य होगी ।
(ख) किस संवर्ग के कितने कर्मियों की सेवा झारखंड राज्य को सौपी जा चुकी है उनके नाम एवं प्रपत्र-2 के कमांक सहित प्रतिवेदित करने की कृपा की जाय । अब जिन कर्मियों की सेवा झारखंड राज्य को पुनः देने का विचार विभाग को है उनके नाम एवं कमांक भी प्रतिवेदित करने की कृपा की जाय ।
3.5
समिति कार्यालय के पत्रांक 52 दिनांक 06.02 .2006 के आलोक में नागर विमानन विभाग झारखंड रांची द्वारा अपने पत्रांक 192 दिनांक 07.03 .2006 से दिये गये प्रतिवेदन में कहा गया है कि :-
(क) उड्डयन संस्थान के गलाईडिंग अनुभाग संबंधी कोई स्थापना बिहार राज्य में उपलब्ध नहीं है तथा पूर्ववर्ती राज्य द्वारा गलाईडिंक अनुभाग के सभी परिसम्पत्ति के साथ उपलब्ध सभी स्वीकृत झारखंड राज्य को उपलब्ध कराये गये है । वर्त्तमान में गलाईडिंग अनुभाग के संगठनात्मक ढांचा
के अन्तर्गत गलाईडर प्रशिक्षक को छोर कर अन्य सभी तृतीय तथा चतुर्थ वर्गीय पद अधिक एकल ही हैं ।
(ख) बिहार राज्य से एक बैरन बी-55 विमान के साथ मात्र एक विमान चालक तथा एक माली की सेवा झारखंड राज्य को प्राप्त हुई है । राजकीय विमानन संगठन हेतु मात्र दो ही पद झारखंड राज्य को प्राप्त है । इस संगठन हेतु अन्य तकनीकि पदों का भी अंतिम आवंटन झारखंड राज्य को उपलब्ध कराने की कृपा की जाय ।
(ग) बिहार का कोई प्रतिवेदन प्राप्त नहीं है ।
3.6 स्मार पत्रों के बाद भी बिहार सरकार का कोई प्रतिवेदन प्राप्त नहीं होने पर अध्यक्ष महोदय के अध्यक्षता में विभागीय सचिव को बैठक हेतु आमंत्रित किया गया जिसमें विभागीय प्रतिनिधि द्वारा शीघ्र प्रतिवेदन देने का आश्वासन दिया गया । परन्तु कई स्मार पत्र के बाद भी अप्राप्त रहा ।
3.7 दिनांक 18.04.2007 की बैठक में पूरी स्थिति को समिति के समक्ष रखा गया । समिति द्वारा विचारोपरान्त बिहार सरकार का वांछित मंतव्य प्राप्त कर समिति के विचारार्थ रखने का निर्णय लिया गया । समिति के निर्णय के आलोक में समिति कार्यालय का पत्रांक 238 दिनांक 12.06.2007 द्वारा पुनः वांछित प्रतिवेदन शीघ्र भेजने का अनुरोध किया गया ।
3.8 सिविल विमानन निदेशालय के पत्रांक 576 दिनांक 27.06 .2007 द्वारा पत्रांक 578 दिनांक 17.09.2001 एवं उसके साथ संलग्न प्रपत्र-1 एवं 2 की छाया प्रति संलग्न कर भेजा गया है । समिति द्वारा किये गये पृच्छा के संबंध में कुछ भी नही कहा गया है । प्रपत्र-1 एवं प्रपत्र-2 पूर्व से ही समिति कार्यालय को प्राप्त था परन्तु अग्रसारण पत्र में माली के चार एवं स्वीपर के दो पद को छोड़ कर झारखंड को सुपूर्व करने में असमर्थता व्यक्त की गयी थी ।
3.9 इस मामले को समिति के विचारार्थ दिनांक-22.02.2008 एवं 23.05.2008 की बैठक में उपस्थापित किया गया, परन्तु झारखंड सरकार के प्रतिनिधि के उपस्थित नहीं होने के कारण कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।
3.10 विभागीय पत्रांक 459 दिनांक 25.06 .2008 के साथ सिविल विमानन विभाग के कर्मियों की सूची पुनः भेजी गयी एवं पत्र में कहा गया कि-
” पूर्व में ग्लाईडिंग शाखा का रौंची में अवस्थित होने के कारण उसमें कार्यरत कर्मियों को झारखंड राज्य के लिए पूर्व में ही विरमित कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त सिविल विमानन विभाग, बिहार में तीन संगठन यथा वायुयान संगठन, हेलिकॉप्टर संगठन एवं बिहार उड्डयन संस्थान अवस्थित है और तीनों के वायुयानो/हेलिकॉप्टर आदि के रख-रखाव हेतु तीन हैंगर भी है और प्रत्येक हैंगर की मान्यता के लिए D.G.C.A के (Civil Aviation Rules) नियमानुसार वांछित संख्या में वहाँ तकनीकी एवं गैरतकनीकी पदाधिकारी/कर्मचारियो का रहना आवश्यक है। बंटवारा की स्थिति में हैंगर की मान्यता रद्द भी हो सकती है, जबकि इसमें पूर्व से ही कर्मियों की संख्या काफी कम है। इस कारण ऐसे हैंगर से जुड़े कर्मियों का बंटवारा राज्यहीत/संस्थान के हीत मे नहीं होगा । अतः ऐसे कर्मी जिन्हें पूर्व में ही झारखंड राज्य के लिए विरमित कर दिया गया है, को छोड़कर शेष कर्मियों को बिहार राज्य में ही रहने दिया जाय।”
3.11 दिनांक 27.06 .2008 की बैठक में उपरोक्त पूर्ण तथ्यों को समिति के विचारार्थ रखा गया । समिति : रा पूर्ण विचारोपरान्त सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया िकइस विभाग के सिर्फ चतुर्थवर्गीय कर्मियों का पद विभाजन करते हुए उनका अनुशंसित आवंटन सूची तैयार कर भारत सरकार से निर्गत ३ तिरिटत मार्गदर्शन एवं स्पष्टीकरण के आलोक में अध्यक्ष महोदय के अनुमोदन प्राप्त कर अंतिम निर्णय हेतु भारत सरकार को भेज दी जाय । शेष कर्मियों के आवंटन पर विचार करने हेतु प्रस्ताद अगली बैठक में रखा जाय ।
3.12 इस बीच नागर विमानन विभाग, झारखंड, रांची के पत्रांक-265 दिनांक-01.07.2008 में कहा गया है कि नागर विमानन विभाग, झारखंड को कर्मियों के आवंटन के संबंध में किसी प्रकार की जानकारी अप्राप्त है । उन्होंने अनुरोध किया है कि पूर्ववर्ती बिहार में कुल स्वीकृत पद, कार्यरत बल, रिक्त पदों एवं उसमें से झारखंड राज्य हेतु आवंटित स्वीकृत पदों, पदों के विरूद्ध बलों की संख्या एवं झारखंड राज्य में कार्यरत पद के विरूद्ध बलों की संख्या विस्तृत (वायुयान संगठन एवं ग्लाइडर अनुभाग हेतु) जानकारी उपलब्ध करायी जाय ।
उल्लेखनीय है कि राज्य परामर्शदात् समिति का गठन प्रशासी विभाग द्वारा दी गयी सूचन नुसार पदों एवं कर्मियों के अंतिम आवंटन के उद्देश्य से किया गया है । अभी तक इस विभाग 1544 एवं कर्मियों (चतुर्थवर्गीय को छोड़कर) का आवंटन नहीं किया जा सका है । 3.13 पुन: नागर विमानन विभाग, रांची के पत्रांक-359 दिनांक . 04.08 .2009 द्वारा कहा गया है कि राज्य विभाजन के बाद झारखंड राज्य को नगर विमानन. विभाग के किसी राजपत्रित एवं अराजपत्रित पदाधिकारीयों के पद को हस्तांतरित नहीं किया गया है । जबकि अन्य विभागों की भाँति कुल पदों का एक तिहाई पद झारखंड राज्य को दिया जाना है । झारखंड राज्य को केवल बिहार उड्डयन संस्थान, पटना के ग्लाइडिंग अनुभाग के 9 पदों के अलावा कोई पद हस्तांतरित नहीं किया गया है । राजकीय वायुयान संगठन एवं बिहार उड्डयन संस्थान में कुल क्रमशः 87 एवं 50 पद स्वीकृत हैं, जिसमें क्रमशः 29 एवं 11 पद अभी झारखंड उड्डयन संस्थान को हस्तांतरित किया जाना है । 3.14 सिविल विमानन विभाग (चतुर्थ वर्गीय कर्मियों को छोड़कर) के कर्मियों के अन्तिम आवंटन पर दिनांक-20. 11.2008 की बैठक में निर्णय लिया गया कि पद विभाजन का प्रारूप दोनों उत्तरवर्ती राज्यों को भेजकर उनका मंतब्य प्राप्त कर अग्रेतर कारवाई की जाय । निर्णय के आलोक में पद विभाजन का प्रारूप दोनों उत्तरवर्ती राज्यों को समिति के पत्रांक-31 दिनांक-09.03.09 के द्वारा भेजते हुए मंतब्य की मांग की गयी । मंतब्य अप्राप्त है । 3.15 समिति की बैठक दिनांक 30.06 .2009 में इस मामले को पुन: विचारार्थ उपस्थापित किया गया । i). बैठक में बिहार सरकार की ओर से बताया गया कि गुप्त रोगाएँ – यथा ग्लाईडिंग रांची ं स्थित है, अतः वैसी सेवाओं के पदों का विभाजन होने से उनकी उपयुक्तता बिहार में नहीं होगी । ii). झारखंड के प्रतिनिधि श्री एन.एन.पाण्डेय ने आश्वासन दिया कि पूरे मामले पर झारखंड सरकार का मंतब्य शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा ।
विचारोपरान्त समिति ने निर्णय लिया कि दोनों राज्य सरकारों से पद विभाजन प्रारूप पर शीघ्र मंतब्य उपलब्ध कराने हेतु समिति कार्यालय द्वारा कार्रवाई की जाय । समिति के निर्णय को दोनों राज्यों को संसूचित कराो हुए सरकार के मंतव्य से समिति को अप्रगत कराने का अनुरोध समिति कार्यालय के पत्रांक 200 दिनांक 26.08 .09 को किया गया । दोनों राज्यों का मंतव्य अभी तक अप्राप्त है । 3.16 सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि बिहार सरकार के प्रशासी विभाग द्वारा झारखंड सरकार के संबंधित विभाग से विमर्श कर सिविल विमानन के कर्मियों के पद विभाजन एवं कर्मियों के विभाजन के संबंध में स्पष्ट मंतब्य समिति को उपलब्ध कराया जायेगा । 4. माध्यमिक शिक्षा विभाग के नियंत्रणाधीन माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के पदों एवं कर्मियों के आवंटन के संबंध में विचार । 4.1 माध्यमिक शिक्षा विभाग के पत्रांक-2551 दिनांक-05.07.2001 एव 4646 दिनांक 07.12 .2001 द्वारा निम्नांकित कार्यालय/योर्ज/संस्थान के पदों की विवरणी (प्रपत्र-1 में) एवं कर्मियों की सूची (प्रपत्र-2 में) २५२२० हेतु कार्यालयवार अलग-अलग भेजी गयी थी :-
(i) प्रशासी विभाग द्वारा प्रेषित कार्यालयवार स्वीकृत बल की विवरणी:-
| कार्यालय/बोर्ड
/
संस्थान का नाम | अंकेक्षक | लिपिक | आशु
लिपिक | टंकक | आदेशपाल | चलक | माली | दफ्तरी | स्वीपर |
| — | — | — | — | — | — | — | — | — | — |
| माध्यमिक शिक्षा
कार्यालय | 2 | 52 | 9 | 8 | 18 | 3 | 1 | 2 | 1 |
| राज्य शिक्षा शोध
एवं प्रशिक्षण
परिषद | | 14 | | | 22 | | | | |
| संस्कृत शिक्षा
बोर्ड | | 8 | | | 3 | | | | |
| विद्यालय
निरीक्षक
कार्यालय | | 14 | | | 4 | | | | |
| पुरातात्व | | 9 | | | 4 | | | | |
| अपेक्षक कार्यालय | |||||||||
|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
| सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा कार्यालय | 2 | 3 | |||||||
| मदरसा शिक्षा बोर्ड | 1 | 2 | |||||||
| मदरसा इस्लामिया शमशूल होदा | 1 | 1 | 1 | 1 | 4 |
(ii) प्रशासी विभाग द्वारा प्रेषित कार्यालयवार कार्यरत कर्मियों की सूची की विवरणी:-
| कार्यालय/बोर्ड
/
संस्थान का नाम | अकक्षक | लिपिक | आशु लिपिक | टंकक | आदेशपाल
/दरबान
/ पानीवाहक | चाल
क | माली | दफ्तरी | स्वीपर | कुल |
| — | — | — | — | — | — | — | — | — | — | — |
| माध्यमिक शिक्षा कार्यालय | | | | | | | | | | |
| दोर्ड द्वारा नियुक्त | 1 | 21 | 3 | 6 | 2 | 1 | 1 | | | 35 |
| सरकार द्वारा नियुक्त | | 27 | 4 | 1 | 13 | 1 | | | | 46 |
| राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद | | 9 | | | 22 | 2 | 2 | | | 35 |
| संस्कृत शिक्षा बोर्ड | | 6 | | | 3 | | | | | 0 |
| विद्यालय
निरीक्षका
कार्यालय | | 8 | | | 3 | | | 1 | | 12 |
| पुस्तकालय अपेक्षक कार्यालय | | 9 | 1 | | 4 | | | 1 | | 15 |
| सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा कार्यालय | | 2 | 1 | | 2 | | | | | 5 |
| मदरसा शिक्षा बोर्ड | | | | | 2 | | | | | 2 |
| मदरसा इस्लामिया शमशूल होदा | | 1 | | | 6 | | 1 | 1 | 4 | 13 |
| राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद में मैकेनिक 1, प्रयोगशालापाल 1, हेल्पर 1, सटर-सह-प्रोजेक्टनिष्ट 2, शोध पद10 4, सांख्यिकी सहायक 2, फिल्म लाईब्रेरियन 1 एवं छायाकार 1 | | | | | | | | | | 13 |
| | | | | | | | | कुल योग | | 195 |
(क). विभाग ने उक्त पत्र में उल्लेख किया है कि माध्यमिक शिक्षा के कार्यालय के कर्मियों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में दायर सी0 डब्ल्यू0 जे0 सी0 संख्या-3051/88 में माननीय उच्च न्यायालय ने कर्मियों के से , शर्त का निर्धारण बिहार अराजकीय माध्यमिक विद्यालय, (प्रबंधन एवं नियंत्रण ग्रहण) विधेयक, 1981 के अन्तर्गत नियमावली बनाने का निदेश दिया गया है । माननीय उच्च न्यायालय के उक्त आदेश के आलोक में सेवा शर्त /संवर्ग नहीं होने के कारण कर्मियों की वरीयता सूची नहीं तैयार की जा सकी है । माध्यमिक शिक्षा कार्यालय में दो तरह के कर्मी कार्यरत हैं । (i)-माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा नियुक्त कर्मी सरकार के आदेश संख्या-181 दिनांक 28.01.1981 द्वारा जब माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को माध्यमिक शिक्षा कार्यालय का दर्जा दिया गया और उसकं कर्मी भी बिहार माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मी हो गये । (ii)-माध्यमिक शिक्षा कार्यालय द्वारा नियुक्त कर्मी इनकी नियुक्ति सरकार द्वारा माध्यमिक शिक्षा कार्यालय बनने के पश्चात की गई ।
(ख). विभाग ने उक्त पत्र में यह भी उल्लेख किया कि माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मियों को बिना संवर्ग निर्धारण के झारखंड एवं बिहार राज्य में अंतिम विभाजन में कठिनाई है ।
(ग). उपरोक्त माध्यमिक शिक्षा कार्यालय को छोड़ कर अन्य 7 के बोर्ड / कार्यालयों में केन्द्रीय संवर्ग के कार्यरत कर्मियों की वरीयता सूची नहीं रहने के कारण उनके योगदान के तिथि के अनुसार कार्यालयवार सूची तैयार कर भेजी जा रही है ।
4.2 विभागीय पत्रांक 4646 दिनांक 07.12 .2001 द्वारा सूचित किया गया कि राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद में आदेशपाल, मेकेनिक, टेल्पर, स्वीपर का स्वीकृत बल 28, शटर-सह-पॉजैक्टनिष्ट का ‘यीकृत बल 2, शोध पदाधिकारी का 4, सांख्यिकी सहायक का 2, फिल्म लाईब्रेरियन का 1 एवं छायाकार ${ }^{4}$ या 1 पद स्वीकृत है ।
4.3 इसी बीच माध्यमिक शिक्षा विभाग के कर्मियों द्वारा अपने विभाजन पर आपत्ति व्यक्त करते हुए तत्कालिन अध्यक्ष, राज्य परामर्शदातृ समिति को संयुक्त रूप से अभ्यावेदन दिया गया । विभागीय पत्र में अंकित बिन्दुओं, पदों एवं कर्मियों की सूची तथा प्राप्त अभ्यावेदन पर विचारोपरान्त अंतिम आवंटन के क्रम में संभावित कठिनाईयों की ओर निम्नांकित बिन्दुओं पर विभाग को ध्यान आकृष्ट करते हुए समिति कार्यालय के पत्रांक-68 दिनांक 19.03.2002 द्वारा अनुरोध किया गया कि-
(क). माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मियों को बिना संवर्ग निर्धारण के झारखंड/बिहार के बीच आवंटन में कठिनाई का बिन्दु स्पष्ट नहीं हो रहा है । कृपया सुरगष्ट किया जाय ।
(ख). इस कार्यालय के कर्मियों द्वारा दिये गये अभ्यावेदन में कहा गया है कि यह कार्यालय पूर्ण रूप से क्षेत्रीय स्तर का है । इस संबंध 4 स्थिति स्पष्ट की जाय ।
(ग). बोर्ड एवं सरकार द्वारा नियुक्त चालक का वेतनमान क्रमशः 3050-3900/- एवं 3050-4500 अंकित है ।
(घ). बिहार विद्यालय निरीक्षिका कार्यालय, पुस्तकालय अधीक्षक कार्यालय एवं सहायक निदेशक, संस्कृत शिक्षा कार्यालय के सभी कर्मियों का कोटि क्रमांक अप्राप्त है । पुस्तकालय अधीक्षक कार्यालट के ${ }^{6}$ पिकों के 9 कर्मियों की सूची में क्रमांक-4 के कर्मी का पदनाम आशुलिपिक है, जबकि दोनों संवर्ग डडा०-अलग है ।
(ड). संस्कृत शिक्षा बोर्ड, बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड, राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद तथा मदरसा इस्लामियों शमशुल होदा के पदों एवं कर्मियों के विभाजन के बिन्दु पर विभागीय मतथ्य से अवगत कराया जाय ।
4.4 समिति कार्यालय के उक्त पत्र के आलोक में विभागीय पत्रांक-1169 दिनांक 09.04.2002 द्वारा दिये गये प्रतिवेदन में कहा गया कि-
(क). माननीय उच्च न्यायालय द्वारा बिहार अराजकीय माध्यमिक विद्यालय (प्रबंध एवं नियंत्रण) विधेयक 1981 के अन्तर्गत कर्मियों की सेवा शर्त निर्धारण हेतु नियमावली बनाने का निदेश दिया गया, परन्तु न्यायादेश के आलोक में कर्मियों का संवर्ग का निर्धारण नहीं होने के कारण उनकी वरीयता सूची तैयार नहीं हो सकी है । इस कार्यालय में दो तरह के कर्मी कार्यरत हैं – 1). माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा नियुक्त, जो बोर्ड के विघटन के पश्चात् माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मी हो गये, 2). वैसे कर्मी, जो अन्य कार्यालयों से केन्द्रीय संवर्ग में स्थानान्तरित होकर आये, या क्षेत्रीय कार्यालयों से वरीयता खो कर इस कार्यालय में योगदान किये और कुछ सरकार द्वारा अनुकम्पा के आधार पर नियुक्त होकर कार्यरत हैं । संवर्ग के निर्धारण नहीं होने के कारण सभी कर्मियों को पूर्व से ही क्षेत्रीय कार्यालय के समान वेतन प्राप्त हो रहे हैं । बिना संवर्ग निर्धारण के इन कर्मियों का अगर अंतिम आवंटन उत्तरवर्ती राज्यों में होता है तो माननीय न्यायालय के आदेश के अनुरूप नहीं होगा ।
(ख). इस कार्यालय के कर्मियों द्वारा माननीय अध्यक्ष, राज्य परामर्शदातृ समिति को दिये गये अभ्य. ‘दन में माध्यमिक शिक्षा कार्यालय को पूर्णतः क्षेत्रीय कार्यालय कहना उचित नहीं है । माध्यमिक शिक्षा कार्यालय का कार्यक्षेत्र संम्पूर्ण अविभाजित बिहार राज्य है और राज्य संनीय कार्यालय के रूप में संचालित है । यद्यपि कर्मियों का संवर्ग निर्धारण नहीं हुआ है और वेतनमान क्षेत्रीय कार्यालयों के अनुरूप है, कि? भी इस कार्यालय का कार्यक्षेत्र और कर्मियों की नियुक्ति पदाधिकारी राज्य स्तर का होने के कारण तथा विभागाध्यक्ष के संलग्न कार्यालय के सूची में रहने के कारण विकास आयुक्त की अध्यक्षता में दिनांक 04.04 .2001 को हुई बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार अंतिम बटवारे के लिये राज्य परामर्शदातृ समिति को सूची भेजी गयी ।
(ग). बिहार विद्यालय निरीक्षिका कार्यालय, पुस्तकालय अधीक्षक कार्यालय और सहायक निदेशक, संस्कृत शिक्षा कार्यालय के कर्मी केन्द्रीय संवर्ग के हैं, जिनकी वरीयता सूची अध्यतन नहीं रहने के कारण कोटि क्रमांक अंकित नहीं है ।
(घ). संस्कृत शिक्षा बोर्ड, बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड, राज्य शिक्षा शोध प्रशिक्षण परिषद और राजकीय मदरसा इस्लामियों शमशुल होदा अविभाजित बिहार की एकल संस्था है
मदरसा शिक्षा बोर्ड एवं संस्कृत शिक्षा बोर्ड में एड्रू कर्मी केन्द्रीय संवर्ग के हैं और कुछ बोर्ड के हैं । केवल वैसे पदों एवं कर्मियों की विवरणी भेजी गयी है जिनपर केन्द्रीय संवर्ग के कर्मी कार्यरत हैं ।
(ह). राज्य शिक्षा शोध प्रशिक्षण परिषद, बिहार की स्थापना विद्यालय शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में गुण विकास के उद्देश्य से की गयी है । परिषद में केन्द्रीय संवर्ग के कार्यरत कर्मियों की सूची और उनके पद की विवरणी राज्य परामर्शदत् समिति को भेजी गयी है ।
राज्य परामर्शदात् समिति में निर्णय लेने की आवश्यकता है कि झारखंड राज्य में “P” की स्थापना की जायेगी और उसमें केन्द्रीय संवर्ग के एक तीहाई कर्मियों को लिया जायेगा । (घ). राजकीय मदरसा इस्लामिया शमशुल होदा बिहार राज्य का एक मात्र मदरसा है । इसमे कार्यरत केन्द्रीय संवर्ग के कर्मियों के विभाजन पर राज्य परामर्शदात् समिति में निर्णय लिया जा सकता है कि इस तरह के मदरसा की स्थापना झारखंड सरकार करते हुए कार्यरत कर्मियों के एक तिहाई लेना चाहेगी । संस्थान में कर्मी की आवश्यकतानुसार ही पदों की स्वीकृति होती है और उस पर कर्मचारी नियुक्त होते हैं । 4.5 इस प्रकार केन्द्रीय संवर्ग के विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत कर्मियों की सूची अलग अलग भेजने और पदों की विवरणी भी अलग अलग भेजे जाने पर संतोषजनक उत्तर प्राप्त नहीं होने पर दिनांक 10.04 .2002 को अध्यक्ष, राज्य परामर्शदात् समिति के कार्यालय में विभाग के साथ बैठक आहुत की गयी एवं इस ओर विभाग का ध्यान आकृष्ट किया गया । तत्पश्चात् विभागीय पत्रांक-2621 दिनांक 17.07 .2002 द्वारा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा नियुक्त कर्मियों का नाम सूची से हटाते हुए केन्द्रीय संवर्ग के नाम से कर्मियों की एक समेकित सूची भेजी गई जो निम्नवत है:-
प्रशासी विभाग द्वारा केन्द्रीय संवर्ग के नाम से भेजी गई कर्मियों की समेकित सूची, जिनका पदस्थापन निम्नांकित कार्यालयों में हैँ, की विवरणी :-
| कार्यालय/बोर्ड
/
संस्थान का नाम | प्रधान
लिपिक | लिपिक | आशु
लिपिक | टंकक | आदेशपाल | चाल
क | माली | दफ्तरी | स्वीपर | कुल |
| — | — | — | — | — | — | — | — | — | — | — |
| माध्यमिक शिक्षा कार्यालय | | | | | | | | | | |
| बोर्ड द्वारा नियुक्त | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
| सरकार द्वारा नियुक्त | | 27 | 4 | 1 | 13 | 1 | | | | 46 |
| राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद | 1 | 8 | | | 16 | 2 | 2 | | 2 | 31 |
| संस्कृत शिक्षा बोर्ड | | 0 | | | 0 | | | | | 0 |
| विद्यालय
निरीक्षका
कार्यालय | | 8 | | | 2 | | | 1 | | 11 |
| पुस्तकालय
अधीक्षक
कार्यालय | | 9 | 1 | | 4 | | | 1 | | 15 |
| सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा कार्यालय | | 2 | 1 | | 2 | | | | | 5 |
| मदरसा शिक्षा बोर्ड | | | | | 2 | | | | | 2 |
| मदरसा इस्लामिया शमशूल होदा | | 1 | | | 1 | | 1 | 1 | | 8 |
| 46 इ0 श0 होदा में दरबान 3, रात्रि प्रहरी 1, हेल्पर 1 एवं पानी वाहक 2 तथा विद्यालय निरीक्षिका कार्यालय में दरवान 1 | | | | | | | | | | 8 |
| | | | | | | | | कुल योग | | 126 |
4.6 विभागीय प्रतिवेदन एवं कर्मियों की दी गयी समेकित सूची. पर समिक्षोपरान्त समिति कार्यालय के पत्रांक-326 दिनांक 12.12 .2002 द्वारा विभाग से निम्नांकित बिन्दुओं पर स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया गया :- (क). सी० डब्ल्यू० जे० सी० संख्या-3051/88 में माननीय उच्च न्यायालय का क्या आदेश है और उस आदेश का संबंध सभी किस्म के कर्मियों से है या खास संवर्गों से या खास संस्थानों से ।
(ख) जिस तरह से कार्यरत कर्मियों की समेकित सूची भेजी गयी है, उसी प्रकार पदों की संख्या एक पदनाम वाले संवर्ग के लिये एक जगह समेकित रूप से विभाग के पास उपलब्ध है या देना संनव है तो यह जानकारी दी जाय । यदि ऐसा संभव नहीं हो तो कारण सहित आवगत करायी जाये ।
4.7 विभाग ने समिति कार्यालय के उक्त पत्र के आलोक में पत्रांक-450 दिनांक 07.03 .2003 द्वारा दिये गये प्रतिवेदन में कहा गया कि :-
(क). कर्मियों ने क्षेत्रीय अपर शिक्षा निदेशक के कार्यालय में संमजित किये जाने के प्रस्ताव के विरुद्ध सी0 डब्ल्यू0 जेठ सीठ संख्या-3051/88 दायर की थी । माननीय न्यायालय ने अपने न्यायादेश में आवेदकों के संवा शर्त का निर्धारण बिहार अराजकीय माध्यमिक विद्यालय (प्रबंध एवं नियंत्रण) अधिनियम-1981 के प्राक्यान के तहत करने का निदेश दिया है । न्यायादेश से यह भी कहा गया है कि जबतक सेवा शर्त का निर्धारण नहीं होता है इनकी सेवा शर्त दिनांक-11.08.1980 को जो थी वही रहेगी । अगर इनकी सेवा स्थानान्तरणीय नहीं है तो इन्हें स्थानांतरित नहीं किया जाय । याचिका मूलतः बोर्ड द्वारा नियुक्त वर्ग-3 के कर्मियों द्वारा दायर किया गया था, जो उन्हीं पर प्रभावी है ।
(ख). राज्य मुख्यालय में अवस्थित राज्यस्तरीय कार्यालयों में पदों की स्वीकृति कार्यालयवार रहने के कारण पदों का एक जगह समेकित रूप में देना संभव नहीं है । कर्मियों की सूची एक साथ राज्यस्तरीय कार्यालय के कर्मियों की योगदान कमानुसार उपलब्ध करायी गयी है ।
4.8 दिनांक 04.05 .2006 को समिति की बैठक में उपर्युक्त बिन्दुओं को उपस्थापित किया गया । समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि माननीय उच्च न्यायालय का सेवा शर्त निर्धारण का आदेश है और यह “ताका व्यक्त की गयी कि बिना सेवाशर्त निर्धारण के संवर्ग दिमाजन से वैधानिक जटिलता उत्पन्न हो सकती है । विभाग से अध्यतन स्थिति की सूचना प्राप्त कर समिति की बैठक में रखा जाय ।
(क). समिति की बैठक में लिये गये निर्णय को संसूचित करते हुए अध्यतन स्थिति से अवगत कराने का अनुरोध समिति कार्यालय का पत्रांक-381 दिनांक 01.07 .2006 द्वारा विभाग से किया गया ।
(ख). विभाग ने अपने पत्रांक-2366 दिनांक 31.07 .2006 द्वारा सूचित किया कि पूर्व में दी गयी सूचना में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है । विभाग द्वारा दी गयी पूर्व सूचना के आलोक में ही अग्रेतर कार्रवाई की जाय ।
4.9 इस बिन्दु पर विमर्श हेतु अध्यक्ष राज्य परामर्शदातृ समिति द्वारा दिनांक 05.09 .06 को अपने कार्यालय के कक्ष में विभाग के साथ बैठक आयोजित की गयी उक्त बैठक में भाग लेने आये विभागीय प्रतिनिधि उप निदेशक ने 15 दिनों में प्रतिवेदन भेजने का आश्वासन दिया । निर्धारित अवधि में प्रतिवेदन प्राप्त नहीं होने पर समिति कार्यालय का पत्रांक-626 दिनांक 11.11 .2006 द्वारा स्मार पत्र दिया गया । तत्पश्शात् निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) बिहार द्वारा 129 लिपिकों की वरीयता सूची भेजी गयी जो समिति द्वारा निर्धारित प्रपत्र में नहीं है, जिसमें कर्मियों के विकल्प आदि की सूचना नहीं दी गयी है । इतना ही नहीं उक्त सूची में दिनांक 15.11 .2000 से पूर्व सेवा निवृत या मृत 64 कर्मियों का नाम भी सम्मिलित है । इस सूची पर आवं” की कार्रवाई संभव नहीं है साथ ही पदों का समेकित सूचना भी नहीं दी गयी है ।
4.10 प्रशासी विभाग के पत्रांक 8777 दिनांक 18.08 .2009 द्वारा पुनः केन्द्रीय संवर्ग के नाम से कर्मियों की सूची एवं कार्यालयवार वर्ग 3 एवं 4 के पदों की विवरणी भेजी गई है, जिसमें माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के एक भी कर्मी का नाम सम्मिलित नही है, जिसकी विवरणी निम्नवत है:-
| स्वीकृत बल | कार्यालय/ब जे/ संस्थान का नाम |
प्रधान लिपि क |
लिपि क |
आशु लिपि क |
टंकक | आदेशपा ल |
चाल क |
माली | दफ तरी |
स्वीपर | कुल | |
|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
| वर्ग 3 | वर्ग 4 | माध्यमिक शिक्षा कार्यालय |
||||||||||
| बोर्ड द्वारा नियुक्त |
0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | ||
| सरकाह द्वारा नियुक्त |
0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | ||
| 14 | 32 | राज्य/शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण |
1 | 8 | 15 | 2 | 2 | 2 | 30 |
| | | परिषद | | | | | | | | | | |
| — | — | — | — | — | — | — | — | — | — | — | — | — |
| 8 | 3 | संस्कृत
शिक्षा बोर्ड | | 0 | | | 0 | | | | | 0 |
| 14 | 4 | विद्यालय
निरीक्षका
कार्यालय | | 8 | | | 2 | | | 1 | | 11 |
| 9 | 4 | पुस्तकालय
अधीक्षक
कार्यालय | | 9 | 1 | | 4 | | | 1 | | 15 |
| 2 | 3 | सहायक
निदेशक
संस्कृत
शिक्षा
कार्यालय | | 2 | 1 | | 2 | | | | | 5 |
| 0 | 3 | मदरसा
शिक्षा बोर्ड | | | | | 2 | | | | | 2 |
| 01 | 12 | मदरसा
इस्लामिया
शमशूल होदा | | 1 | | | 1 | | 1 | 1 | 4 | 8 |
| | | म. इ. श. हा.दा दरबान 3, पानी वाहक 2, वि.निरीक्षिका का. दरबान 1, मदरसा बोर्ड
रात्री प्रहरी 1 एवं रा.शि.शोध एवं प्र. परिषद हेल्पर 1 | | | | | | | | | | 8 |
| | | | | | | | | | | | | 79 |
प्रशासी विभाग द्वारा उक्त पंत्र में यह उल्लेख किया गया है कि जो कर्मी स्थानान्तरण से योगदान किये हैं अथवा अनुकंपा के आधार सीधे नियुक्त हुए हैं, वे माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मी माने जायेंगे, परंतु केन्द्रीय संवर्ग के साथ शामिल कर इनका संवर्ग विभाजन किया जाना उचित नहीं होगा । माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मियों के लिए अलग से संवर्ग नियमावली तैयार किया गया है, जिसपर स्वीकृति हेतु समुचित कार्रवाई की जा रही है । 4.11 पुन: विभागीय पत्रांक-4189 दिनांक-09.12.09 द्वारा दिये गये प्रतिवेदन में कहा गया है कि – “विभागीय पत्रांक-8777 दिनांक-18.08.09 द्वारा प्रेषित सूची में अंकित कार्यालय/बोर्ड/संस्थान के कर्मियों को विभाजित किये जाने के बाद उनके झारखंड राज्य में योगदान होने के संबंध में दूध्भाष पर निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, मानव संसाधन विकास विभाग, झारखंड, रांची द्वारा केन्द्रीय संवर्ग के कर्मियों के संवर्ग विभाजन के उपरान्त झारखंड राज्य में सेवा आवंटित किये जाने पर संबंधित कर्मियों की सेवा सामंजन/योगदान स्वीकृति में कठिनाई होगी, क्योंकि संबंधित कार्यालय झारखंड राज्य में स्थापित नहीं है ।”
पूर्व में भी प्रशासी विभाग द्वारा उपरोक्त काँडिका-4 (घ) से (घ) में कहा गया है के संस्कृत शिक्षा बोर्ड, मदरसा शिक्षा बोर्ड, राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद तथा मदरसा इस्लामिया शमशूल होदा अविभाजित बिहार राज्य की एकल संस्था है । संस्थान में कर्मी की आवश्यकता अनुसार ही पदों की स्वीकृति होती है और उस पर कर्मचारी नियुक्त होते हैं । समिति को निर्णय लेने की आवश्यकता है कि इस तरह की संस्थाओं की स्थापना झारखंड सरकार करेगी और उसमें कार्यरत कर्मियों के एक तिहाई लेना चाहेगी । 4.12 उल्लेखनीय है कि राज्य परामर्शदातृ समिति का गठन बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा-72 के अनुसार अविभाजित बिहार राज्य के राज्य स्तरीय कर्मियों के अन्तिम आवंटन में भारत सरकार के सहयोग के लिये किया गया है । बोर्ड, निगम एवं संस्थानों का विभाजन तथा इसकें पदों एवं कर्मियों को दोनों राज्यों के बीच आवंटन का मामला राज्य परामर्शदातृ समिति के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है । माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मियों के संवर्ग निर्धारण नहीं होने के कारण उनके नाम की सूची भेजने में प्रशासी विभाग अभी तक असमर्थ रहा है ।
इसे प्रकार माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा सी.डब्ल्यू.जे.सी. संख्या-3051/88 मे कर्मियों के सेवा संवर्ग निर्धारण हेतु नियमावली बनाने का निदेश दिया गया है, जिसका अनुपालन अभी तक नए, किया जा सका है । प्रशासी विभाग द्वारा पूर्व मे सूचित किया गया है कि बिना सवर्ग निर्धारण के माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मियों का अगर अन्तिम आवंटन उत्तरवर्ती राज्यों में होता है तो माननीय न्यायालय के आदेश के अनुरूप नहीं होगा । आवंटन योग्य सूची प्रशासी विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण अभी तक इनका टेन्टेटिव आवंटन भी नहीं किया जा सका है । यह मामला लगभग 9 वर्षो से लंबित है ।
प्रशासी विभाग द्वारा कमी 185 कर्मियों की, कमी 126 कर्मियों की, तो कमी 79 कर्मियों की सूची भेजी जाती रही है । ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासी विभाग यह भी निश्चित नहीं कर पा रहा है कि कितने कर्मियों का आवंटन किया जाना है । ऐसी स्थिति में माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मियों के आवंटन का कार्य समिति कार्यालय में लंबित माना जाना उचित प्रतीत नहीं होता है ।
सर्वसम्मति से विचारोपरान्त निर्णय लिया गया कि माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मियों के आवंटन हेतु प्रशासी विभाग से वरीयता सूची तथा वैसे संस्थान जो झारखंड राज्य में स्थापित नहीं हैं, के कर्मियों के बटवारा के संबंध में स्पष्ट मंतव्य की मांग की जाय ।
CWJC संख्या-5381/2007-सुमन गुप्ता बनाम बिहार राज्य व अन्य में पटना उच्च न्याय ला द्वारा पारित निर्णय दिनांक 16.01.2009 एवं इससे उत्पन्न एल.पी.ए. संख्या 889/2009-बिहार राज्य १५. सुमन गुप्ता एवं अन्य में दिनांक 04.08 .2009 को पारित निर्णय के अनुपालन के संबंध में विचार-
5.1 याचिकाकर्ता श्री सुमन गुप्ता कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग के अन्तर्गत सहायक संवर्ग के कर्मी है। प्रशासी विभाग से प्राप्त प्रतिवेदन एवं कागजातों के आलोक में सामान्य कोटि में इनका टेन्टेटिव आवंटन बिहार विकल्प के आधार पर बिहार राज्य हेतु किया गया था । पुनः अभ्यावेदन स्टेज में प्रशासी विभाग द्वारा इनका आख्शण कोटि पिछड़ा वर्ग प्रतिवेदित किए जाने पर इनका द्वितीय टेन्टेटिव झारखंड राज्य हेतु अनुमान्य हुआ एवं तत्पश्चात् अंतिम रूप से ये झारखंड राज्य हेतु आवंटित हुए ।
5.2 झारखंड राज्य आवंटन से असंतुष्ट वादी गुप्ता द्वारा स्थि संख्या-5381/2007 दायर किया गया। दिनांक 16.01.2009 को सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रशासी विभाग के आदेश दिनांक 21.12. 2005, 04.05.2006 तथा 03.12 .2006 को रद्द कर मामला राज्य सरकार को वापस करते हुए आदेश दिया गया कि कट-ऑफ-डेट को बिहार राज्य की सेवावधि में वादी सामान्य कोटि के कर्मी माे जायेंगे अथवा पिछड़ा वर्ग आख्शण कोटि के । इसका निर्धारण आठ सप्ताह में कर अपेक्षित प्रस्ताव (प्रपोजल) राज्य परामर्शदात् समिति/केन्द्र सरकार को भेजेंगे । राज्य परामर्शदात् समिति/केन्द्र सरकार आवश्यकतानुसार यदि समुचित कार्रवाई अपेक्षित हो, तो वे इसका निष्पादन 8 सप्ताह में करेंगे
5.3 उक्त आदेश के विरुद्ध बिहार सरकार द्वारा एल.पी.ए. संख्या-889/2009 दायर किया १।। जिसमें माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 04.08 .2009 को खारिज करते हुए आदेश दिया गया कि पर्वचारियों के कँडर आवंटन करते समय सेवा दस्तावेजों के अतिरिक्त किसी अन्य सूचना पर ध्यान नहीं दिया जाय। आदेश के आलोक में श्री गुप्ता द्वारा दिनांक 14.08 .2009 को एक अभ्यावेदन बिहार राज्य आवंटन हेतु दिया गया ।
5.4 राज्य सरकार द्वारा उपर्युक्त एल.पी.ए. के विरुद्ध भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक एस.एल.पी. (सिविल), संख्या-(एस.)32657/09 दायर किया गया, जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 11. 12.2009 को खारिज कर दिया गया ।
5.5 आवेदनकर्ता की मुख्य शिकायत यह है कि उनकी नियुक्ति मेरिट पर सामान्य रिक्तियों के विरुद्ध हुई है । उनका राज्य आवंटन पिछड़ा वर्ग के आधार पर हुआ है, जो गलत है । उनका राज्य आवंटन सामान्य वर्ग को मानकर किया जाना उचित है ।
5.6 कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग से अभ्यावेदन पर मंतव्य तथा आख्शण कोटि (साङ्य सहित) के .केन्द्र पर प्रतिवेदन की मांग समिति पत्रांक 73 दिनांक 30.04 .2009 तथा पत्र सं0-196 दिनांक.21.08.2011 द्वारा किया गया, जिसके आलोक में विभागीय पत्र संख्या-6141 दिनांक 23.12 .2009 द्वारा श्री गुप्ता का आख्शण कोटि सामान्य वर्ग के रूप में प्रतिवेदित करते हुए प्रपत्र-9 उपलब्ध कराया गया, किे समिति पत्रांक-04 दिनांक-12.01.2010 द्वारा भारत सरकार को अपेक्षित कार्रवाई हेतु भेज दिया गया है ।
5.7 श्री गुप्ता द्वारा एक अवमाननावाद दायर किया गया है जो एल.पी.ए. सं0 889/2009 में दिनांक 04.08 . 2009 को पारित आदेश से आच्छादित है ।
5.8 उक्त अपील वाद में पारित आदेश के आलोक में श्री उमेश चन्द्र वर्मा, सहायक, खान एवं भूतत्व विभाग, पटना, श्री उदय प्रकाश सिंह, सहायक, मंत्रिमंडल निगरानी विभाग, झारखंड, श्री देवेन्द्र कुमार रिन्ता एवं श्री संजय कुमार, सहायक, नगर विकास विभाग, झारखंड का अभ्यावेदन संबंधित विभागों से तथा श्री
ब्रह्मदेव सिंह एवं श्री अमेरिका सिंह दोनों गृह विभाग के टंकक का अभ्यावेदन भारत सरकार से हुआ है । श्री उमेश कुमार एवं श्री ओम प्रकाश सिन्हा, सहायक, स्वास्थ्य विभाग, पटना का मामला पिछड़े वर्गो के लिए राज्य आयेगा से ब्बध संख्या-5381/2007 एवं एल.पी.ए. सं0-889/2009 में पारित आदेश के आलोक में निर्णय हेतु प्राप्त हुआ है ।
5.9 उक्त न्यायादेश के परिपेक्ष्य में इस तरह के अन्य मामले उठ सकते हैं ।
5.10 भारत सरकार द्वारा अन्तिम आवंटन आदेश निर्गत हो जाने के बाद प्रशासी विभाग द्वारा कर्मि वों के बायो-डाटा में परिवर्तन किये जाने के फलस्वरूप उत्पन्न समस्या पर दिनांक 7.12 .2007 को मा . वे की बैठक में विचार किया गया । भारत सरकार के प्रतिनिधि ने कहा कि भारत सरकार द्वारा अदिम रूप से आवंटित कर्मियों के आवंटन में संशोधन नही किया जाय अर्थात मामले को ल्म.व्यमद नही हिं ग जाय । समिति इस विचार से सहमत हुई । तद्नुसार यह निर्णय लिया गया कि प्रशासी विभाग द्वारा किसी कर्मी के पूर्व प्रेषित वायो-डाटा में संशोधन के फलस्वरूप परिणामी रूप में प्रभावित कर्मी अगर अंतिम रूप से किसी उत्तरवर्ती राज्य में आवंटित हैं तो उनके अंतिम आवंटन में परिवर्तन की आवश्यकता नही है ।
5.11 माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुपालन हेतु श्री गुप्ता तथा इससे उत्पन्न अन्य सदृश्य मामलो पर भी समिति का निर्णय अपेक्षित है ।
5.12 भारत सरकार के प्रतिनिधि द्वारा यह जानकारी दी गयी कि माननीय न्यायालय के आदेश के आलोक में श्री सुमन गुप्ता का पुनरीक्षित आवंटन आदेश पत्रांक-28(सी.) 05/2009 – एस. आर. एस. दिनांक-05. 02.2010 द्वारा निर्गत कर दिया गया है ।
6. सी0 डब्ल्यू0 जे० सी० संख्या-9427/2009, हरि नारायण बनाग् बिहार राज्य एव अन्य में पालना उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक-07.08.2009 को पारित न्याय निर्णय के अनुपालन के संबंध में विचार
6.1 श्री हरि नारायण, पुलिस प्रयोगशाला, बिहार, पटना में राजकीय संदिग्ध लेख्य परीक्षक संवर्ग ७ २५ है । संदिग्ध लेख्य परीक्षक संवर्ग में प्रशासी विभाग ने ही जो सूचना भेजी थी, उसके अनुसार दिन 15.11 . 2000 के ठीक पूर्व की स्थिति पर दो कर्मी सर्वश्री राज वल्लभ तिवारी एवं श्री हरि नाराय1, के नाम प्रतिवेदित थे । श्री तिवारी की जन्म तिथि 10.01.43 थी, एवं तद्नुसार वे दिनांक-31.01.2001 को सेवा निवृत थे । नियत तिथि के दो वर्ष के अन्दर सेवानिवृति के विशेष मामलान्तर्गत विकल्प के अभाव में श्री तिवारी की सेवानिवृति की तिथि को जिस राज्य में वे कार्यरत थे, उसी राज्य में आवंटन अनुगान्य होता था । तदनुसार इन्हें बिहार आवंटित किया गया । शेष दूसरे कर्मी को विकल्प के विरुद्ध झारखंड आवंटित किया (या । यह टेन्टेटिव आवंटन की स्थिति थी ।
6.2 टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध श्री हरि नारायण का अभ्यावेदन प्राप्त हुआ । अन्य बातों के अलावा यह दावा किया गया कि श्री तिवारी को राजकीय संदिग्ध लेख्य परीक्षक के पद पर दिखाया गया है, जबकि उन्हें निदेशक-सह-गुख्य राजकीय संदिग्ध लेख्य परीक्षक के पद पर दिखाया जाना चाहिए था । ऐसी स्थिति में आवेदक श्री हरि नारायण एकल कर्मी हो जाते और उन्हें बिहार अनुमान्य हो जाता । उनका यह भी कथन था कि यदि उन्हें बिहार के बाहर भेज दिया गया तो प्रयोगशाला बन्द हो जायेगी । राज्य सरकार ने भी उनके बिहार आवंटन की अनुशंसा लोकहित एवं कार्यहित में की ।
6.3 उपरोक्त आघारों पर श्री हरि नारायण के अभ्यावेदन पर अनुकूल विचार नहीं हो सका । सनिक की बैठक दिनांक 12.09 .2005 में इन्हें अन्तिम रूप से झारखंड आवंटित करने की अनुशंसा की गया :
6.4 समिति की बैठक के पश्चात् प्रशासी विभाग ने पत्रांक-12312 दिनांक-21.12.05 के द्वारा लेजा कि राजकीय संदिग्ध लेख्य परीक्षक संवर्ग के कुल दो कर्मियों में से एक कर्मी के पद नाम में त्रुटिमार्जन किया जाय । कहा गया कि श्री राज बल्लभ तिवारी का नाम इस संवर्ग में त्रुटिवश अंकित हो गया था । श्री तिवारी दिनांक-01.08.96 के प्रभाव से निदेशक-सह-राजकीय संदिग्ध लेख्य परीक्षक के पद पर कार्यरत थे । विभागीय पत्र द्वारा अभी जो स्थिति बतायी जा रही है इसके लिये पूर्व में कई अवसर थे । टेन्टेटिव आवंटन पर अग्रसारित अभ्यावेदन के कग में वाछित संशोधन प्रस्तावित किया जा सकता था । विभाग से ही प्राप्त सूचनानुसार निदेशक का वेतनमान 10000-15200 है जबकि राजकीय संदिग्ध लेख्य परीक्षक का 6b20-10500 रूपया है । विभाग ने ही निदेशक का कार्यरत बल शून्य बताया है । श्री तिवारी का वेतनमान भी 6500-10500 बताया गया था, जो कि निदेशक के वेतनमान के अनुरूप नहीं है । अत: अभी भी विभाग जो सूचना दे रहा है उससे यह निर्णायक रूप से प्रमाणित नहीं है कि
दिनांक-14.11.2000 को श्री तिवारी, श्री हरि नारायण से उच्चतर वेतनमान के पदाधिकारी ए. फलतः राज्य आवंटन हेतु भिन्न पदसमूह में थे । विभाग से इस संबंध में पुनः जिज्ञासा की गयी ।
6.5 गृह विभाग, बिहार ने पत्रांक-1133 दिनांक 28.01 .06 द्वारा फिर यह सूचित किया कि अपराध अनुसंधान विभाग से जो सूचनाएँ प्राप्त हुई थी, उसी के आधार पर विभाग ने समिति को प्रतिवेदन भेजा था । अपराध अनुसंधान विभाग ने नवम्बर 2005 में ही त्रुटि की सूचना विभाग को दी । इसलिये य: “धना पूर्व में समिति को नहीं भेजी जा सकी ।
6.6 समिति ने दिनांक 04.05 .2006 की बैठक में विभाग के प्रस्ताव पर विचार किया । यह निष्कर्ष हुआ कि विभाग ने प्राप्त बायोडाटा में परिवर्तन के लिये जो कारण बताया है, वह पर्याप्त नहीं है । श्री हरि नारायण के आवंटन के संबंध में जो अनुशंसा की गयी है, उसमें कोई त्रुटि नहीं है । अतएव विभाग के प्रस्ताव को स्वीकार करने योग्य नहीं पाया गया ।
6.7 समिति के इस निर्णय की जानकारी समिति पत्रांक-392 दिनांक-05.07.06 द्वारा प्रशासी विभाग को कार्यवाही के अवतरण के साथ भेज दी गयी ।
6.8 इसके पूर्व वादी के आवंटन के संबंध में एक विस्तृत तथ्यात्मक प्रतिवेदन भारत सरकार को समिति पत्रांक-191 दिनांक-22.04.2006 द्वारा भी भेजी गयी थी, जिसमें आवंटन के संबंध में पूर्ण स्थिति दर्शाते हुए कहा गया है कि इनके आवंटन में कोई त्रुटि नहीं है ।
6.9 भारत सरकार को संबोधित गृह (दिशेष) विभाग के पत्रांक-8250/सी. दिनांक-16.10.2009 में पद स्पष्ट किया गया है कि बिहार बटवारे की तिथि (15.11.2000) को राजकीय संदिग्ध लेख्य परीक्षक के पद पर एकल रूप में कार्यरत रहने संबंधी श्री हरि नारायण के दावे को गलत बताते हुए कहा गया है कि उक्त तिथि को श्री राज बल्लभ तिवारी, प्रभारी निदेशक सह राजकीय संदिग्ध लेख्य परीक्षक के पद (र र जेस प्रयोगशाला, बिहार में पदस्थापित थे तथा उसी रूप में वे दिनांक-31.01.2001 को सेवा नि:र:। हुए थे । उन्हें निदेशक पद पर प्रोन्नति नहीं दी गयी थी । अर्थात 15.11 .2000 को विधि विज्ञान 1 कगशाला, बिहार, पटना में श्री राज वल्लभ तिवारी एवं श्री हरि नारायण दोनों राजकीय संदिग्ध लेख्य, रीक्षक के पद पर ही पदस्थापित थे (पत्र की प्रति संलग्न) ।
6.10 सी० डब्ल्यू० जे० सी० संख्या-9427/2009 में दिनांक-07.08.2009 को पारित आदेश में श्री हरि नारायण को तत्काल झारखंड राज्य में योगदान करने तथा उचित माध्यम से अपना आवेदन विचार हेतु भारत सरकार को भेजने का आदेश दिया है ।
6.11 वादी के अभ्यावेदन पर भारत सरकार द्वारा मंतब्य मांगे जाने पर समिति पत्रांक-288 दिनांक-12.11.2009 द्वारा भारत सरकार को मंतब्य भेजा जा चुका है ।
6.12 समिति द्वारा यह निर्णय लिया गया कि श्री हरिनारायण का आवंटन में कोई त्रुटि नहीं हुई है । अतः इनके अभ्यावेदन पर कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है ।
7. सी० डब्लू० जे० सी० संख्या-11827/2009-प्रवीण कुमार बनाम बिहार राज्य एवं अन्य में दिनांक 10.09.2009 को पारित न्यायादेश के अनुपालन के संबंध में विचार
7.1 वादी प्रवीण कुमार, गन्ना विकास विभाग के दैनिक लिपिक संवर्ग के कर्मी हैं । सं डब्लू.जे.सी. सं०-11827/2009 में दिनांक 10.09 .2009 को आदेश पारित किया गया है जिसकी कार्यक: 5. कडिका निम्नवत है “Let the petitioner represent through its department before the State Advisory Committee and the Committee should consider his request and submit appropriate recommendation to the Department of Personnel and Training of the Union to the reconsider the order dated 10-07-2009, Annexure-1/A. In the representation petitioner is at liberty to request the Cane Development Department, the State Advisory Committee as also the department of Personnel and Training, Union of India to allow him payment of salary until the consideration of his representation is made. Necessary exercise in terms of this order be made as early as possible, in any case within two months from the date of receipt of the representation along with a copy of this order.”
7.2 वादी का अभ्यावेदन प्रशासी विभाग (गन्ना उद्योग) के पत्र सं०-स्मा०-01/2007-1660 दिनांक 19.10. 2009 के साथ प्राप्त हुआ, जिसे भारत सरकार को समिति पत्रांक 308 दिनांक 14.12 .2009 द्वारा पूर्व
पत्रांक 267 दिनांक 23.10.2009 के आलोक में समुचित निर्णय हेतु भेजा गया है । भारत २५ पत्रांक 28(सौ) / 20 / 2009 एस0आय0(एस0) दिनांक 20.11.2009 द्वारा वादी के अभ्यावेदन को समिति के समक्ष रखे जाने का निर्देश दिया गया है ।
7.3 वादी ने अभ्यावेदन में मुख्य रूप से दो बिन्दुओं को उठाया है । पहला बिन्दु यह है कि श्री कृष्णा सिंह के सेवानिवृत्ति की तिथि (28.02.2001) के बाद एकल कर्मी होने के कारण उनका राज्य विभाजन नही किया जा सकता है । दूसरा बिन्दु यह है कि झारखंड राज्य में गन्ना विकास विभाग नही है ।
7.4 श्री प्रवीण कुमार, गन्ना एवं विकास विभाग में दैनिक लिपिक संवर्ग के कर्मी है । इस संवर्ग में कुल स्वीकृत/कार्यस्त बल-2 विभाग द्वारा प्रतिवेदित किया गया था। एक कर्मी (श्री कृष्णा सिंह) की विशेष मामलान्तर्गत सेवानिवृत्ति में विकल्प के आधार पर बिहार आवंटन किया गया तथा दूसरे कर्मी श्री प्रवीण कुमार को बायो-डाटा विभागीय सूची क्रमांक-10, जन्म तिथि-01.01.1977, गृह जिला भागलपुर, नियुक्ति/योगदान की तिथि 06.09.1996, कोटि क्रमांक -2, आरक्षण कोटि-समान्य (अनारक्षित), पदनाम-दैनिक लिपिक, पदस्थापन स्थान-पटना, वेतनमान-4000-6000 एवं विकल्प बिहार प्रतिपादित था, का टेन्टेटिव आवंटन झारखंड किया गया था ।
7.5 इनके द्वारा टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध अभ्यावेदन बिहार राज्य आवंटन हेतु दिया गया था ; वी कुमार सहित अन्य संवर्गो के ग्यारह कर्मियों का अभ्योदन विभागीय पत्र संख्या-799 दिनांक 26.05.2013 .तया प्रति संलग्न) के द्वारा समिति कार्यालय को उपलब्ध कराते हुए प्रतिवेदित किया गया कि झारखंड राज्य में गन्ना विकास विभाग नही रहने के काण विकल्प के आधार पर औपबंधिक रूप से आवंटित ‘र’र्मियों को कृषि विभाग एवं वन एवं पर्यावरण विभाग में रखा गया है । ऐसी स्थिति में कर्मियों का अंतः आवंटन बिहार राज्य में ही करने का अनुरोध किया गया ।
7.6 उक्त पत्र के आलोक में गन्ना विकास विभाग के कर्मियों का आवंटन बिहार राज्य में किये जाने के प्रस्ताव पर समिति की बैठक दिनांक 18.04.2007 में इस मामले पर आगामी बैठक में विचार करने तथा झारखंड राज्य से मंतव्य प्राप्त करने का निर्णय लिया गया । पुनः दिनांक 13.08.2007, 07.12.2007 एवं 23.05.2008 की बैठक में इस पर विचार हेतु रखा गया, किन्तु झारखंड राज्य के प्रतिनिधि के अनुपस्थिति के कारण विचार नही हो सका । समिति की बैठक दिनांक 27.06.2007 को गन्ना विकास विभाग के ग्यारह प्रकार के पद कर्मियों के टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए 12 (बारह) बिहार तथा 3 (तीन) झारखंड आवंटन के लिए समिति द्वारा अनुशंसा की गई तथा भारत सरकार के आदेश दिनांक 10.07.2009 के द्वारा अन्तिम आदेश निर्गत किया गया, जिसमें श्री कुमार का नाम झारखंड सूची में शामिल है । इससे स्पष्ट होता है कि समिति द्वारा यथोचित निर्णय के उपवांत ही श्री कुमार का अंतिम आवंटन झारखंड राज्य में किया गया है ।
7.8 वादी, प्रवीण कुमार का यह कथन कि गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्गत पत्र, दिनांक-06. 10000 जिसमे यह कहा गया है कि अविभाजित बिहार के 19 विभाग एवं 40 निदेशालय के ही ‘रर्मिवा का उत्तरवर्ती’ राज्यों में आवंटन किया जाना है, जिसमें न तो गन्ना विकास विभाग एवं न हीं गन्ना द्दिदेशालय शामिल है । समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष रखे गये वादी के उक्त कथन की सम्पूष्टि करने के पश्चात् इस मामले को समिति के समक्ष पुनः उपस्थापित किया जाय ।
8. पथ निर्माण विभाग के नियंत्रणाधीन तदर्थ सहायक अभियंता (असैनिक) संवर्ग के कर्मियों के संवर्ग विभाजन के संबंध में विचार
8.1 पथ निर्माण विभाग ने विभागीय पत्रांक-3821(5)पर दिनांक-07.04.2006 द्वारा तदर्थ सहायक अभियंता (असैनिक) संवर्ग के कुल 160 कर्मियों की सूची उनके योगदान की तिथि अनुसार वरीयता कम में संवर्ग विभाजन हेतु समिति कार्यालय को उपलब्ध करायी । निर्धारित सिद्धान्तों के अन्तर्गत इस संवर्ग के कर्मियों का टेन्टेटिव अन्तिम आवंटन (टी0 एफ0 ए0 एल0) दिनांक-23.12.2006 को समिति की बैठक में अनुमोदित हुआ । अनुमोदित टी0 एफ0 ए0 एल0 दोनों उत्तरवर्ती राज्य सरकारों को संबंधित कर्मियों के बीच प्रश्ररित करने तथा उनसे इसके विरुद्ध अभ्यावेदन प्राप्त करने हेतु जब भेजा गया तो कुछ कर्मियों ने टी0 एफ0 ए0 एल0 के विरुद्ध समर्पित अभ्यावेदनों में अपने वरीयता कम में त्रुटि बताते हुए ‘।वर्ति जतायी । ऐसे मामलों को विभागीय मंतव्य हेतु प्रश्रसी विभाग को भेजा गया ।
8.2. अनेकों पत्राचार के पश्चात् प्रशासी विभाग ने अन्ततः अपने पत्रांक-13751(5) दिनांक-27.11.9 द्वारा सूचित किया कि तदर्थ रूप से नियुक्त सहायक अभियंता की नियमित रूप से नियुक्ति नहीं हुई है । अतः इनके संवर्ग विभाजन का प्रश्न नहीं उठता है, क्योंकि ये नियमित राज्य कर्मी नहीं हैं ।
8.3. विभाग से प्राप्त प्रतिवेदन के पश्चात् तदर्थ सहायक अभियंताओं की टेन्टेटिव अंतिम आवंटन सूची जो दिनांक-23.12.2006 की समिति की बैठक में अनुमोदित की गयी थी उसे बनाये रखने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है ।
8.4 समिति द्वारा यह निर्णय लिया गया कि विभागीय पत्रांक-13751(5) दिनांक-27.11.09 जिसके द्वारा यह बताया गया है कि तदर्थ रूप से नियुक्त सहायक अभियंता नियमित रूप से नियुक्त नहीं है, की सम्पुष्टि प्रशासी विभाग से प्राप्त कर पुनः समिति के समक्ष उपस्थितिी किया जाय ।
8.5/2019/20
की सुधाकर सिंह, सहायक प्राध्यापक (रेडियोथेरापी), के संवर्ग विभाजन के संबंध में विधा:-
9.1 स्वास्थ्य, चित् शि0 एवं प0 क0 विभाग ने सहायक प्राध्यापक (रेडियोथेरापी) संवर्ग में कुल छ कर्मियों की सूची संवर्ग विभाजन हेतु समिति कार्यालय को उपलब्ध कराई । इस संवर्ग में कुल स्वीकृ 7 ल 5 प्रतिवेदित किया गया जिनमें से 4 पद बिहार प्रक्षेत्र तथा 1 पद झारखंड प्रक्षेत्र में स्वीकृत बताया गया । स्वीकृत बल से कार्यरत बल के ज्यादा होने के संबंध में जब प्रशासी विभाग से पृच्छा की गईं तो विभाग ने अपने पत्रांक 518 (17) दिनांक 30.04 .2003 के साथ संलग्न अनुलग्नक में प्रतिवेदित किया कि कार्यरत कर्मियों में से एक कर्मी डा0 सुधाकर सिंह (बिहार में) सुपरनुमरेरी पद के विरूद्ध कार्यरत थे जो (बिहार में) डा0 जितेन्द्र कुमार सिंह की सेवानिवृति के फलस्वरूप समायोजित हो गए हैं ।
9.2. समिति द्वारा अपनाये गये सिद्धांत के अनुसार कर्मियों का आवंटन दिनांक-15.11.2000 के ठीक पूर्व स्वीकृत बल की सीमा के अन्दर ही दिनांक 15.11 .2000 के ठीक पूर्व को कार्यरत बल का किया जाना है । बीच में किन्हीं के सेवानिवृत होने से कार्यरत बल स्वीकृत बल के अन्तर्गत आ जाने की बात लागू नहीं होती है। समिति द्वारा याचित पृच्छा का विहित आवंटन के उद्देश्य से संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने के कारण इनका आवंटन लंबित रखा गया । लंबित आवंटन संबंधी अनुमोदित टेन्टेटिव आवंटन की सूची संलग्न है ।
9.3 प्रशासी विभाग से पुनः समिति कार्यालय के पत्रांक 388 दिनांक 20.09 .2007 द्वारा पृच्छा की गईं ,कि-
(i) डा0 सुधाकर सिंह को जिस सुपरनुमरेरी पद के विरूद्ध कार्यरत बताया जा रहा है वह सुपरनुमररी पद दिनांक 15.11 .2000 को अस्तित्व में था अथवा नहीं ।
(ii) अगर डा0 सुधाकर सिंह दिनांक 15.11 .2000 को सुपरनुमरेरी पद पर कार्यरत थे तो ‘विभाग द्वारा उक्त पद को स्वीकृत पदों की संख्या में नहीं शामिल किये जाने का कारण क्या है?
(iii) क्या डा0 सुधाकर सिंह दिनांक 15.11 .2000 को किसी अन्य पद पर कार्यरत थे ?
9.4. प्रशासी विभाग ने उपर्युक्त पृच्छा का विभागीय पत्रांक 76(5) दिनांक 24.02 .2009 द्वारा जो उत्तर भेजा है वह स्पष्ट नही है । प्रशासी विभाग द्वारा प्रेषित उत्तर निम्न प्रकार है:-
“डा0 सुधाकर सिंह दिनांक 14.11 .2000 के स्थिति में सहायक प्राध्यापक (रेडियोथेरापी) के पद पर पी0 एम0 सी0, पटना में कार्यरत थे । इनका सहायक प्राध्यापक (रेडियोथेरापी) में आवंटन सुनिश्चित किया जाय । सुपरन्यूमरेरी पद अलग से स्वीकृत नहीं है । डा0 सिंह वर्तमान में डी0एम0सी0, दरमंगा में सह-प्रध्यापक के स्वीकृत पद पर पदस्थापित है ।”
9.5. उपर्युक्त वर्णित तथ्यों से निम्नलिखित बातें स्पष्ट होती है:-
(i) डा0 सुधाकर सिंह दिनांक 15.11 .2000 को राज्य स्तरीय पद पर सेवा में थे तथा भारत सरकार के मार्गदर्शन के आलोक में दिनांक 15.11 .2000 को राज्य स्तरीय पद पर कार्यरत सभी कर्मियों का किसी भी उत्तरवर्ती राज्य (बिहार अथवा झारखंड) में संवर्ग आवंटन किया जाना है ।
(ii) प्रशासी विभाग द्वारा दिनांक 15.11 .2000 को स्वीकृत बलों की संख्या में प्रश्नगत सुपरनु रेरी पद को शामिल नहीं किये जाने के संबंध में स्पष्ट उत्तर नहीं दिया गया है । ज्ञातव्य हो कि कार्यरर कर्मियों को स्वीकृत बल के अनुपात में ही संवर्ग आवंटन किया जाना है ।
(iii) प्रशासी विभाग प्रारंभ से ही डा0 सुधाकर सिंह को दिनांक 15.11 .2000 को बिहार में सहायक प्राध्यापक (रेडियोथेरापी) के पद पर कार्यरत प्रतिवेदित कर रहा है ।
9.6 समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि सुपद तमरेडी पद का विभाजन नियमानुसार नहीं होना है । उक्त पद पर कार्यरत् कर्गी का आवंटन/उसी राज्य में करने की अनुशंसा की ज्ञाती है, जहाँ वे पदस्थापित हैं 475 । 10. गृह विभाग के नियंत्रणाधीन टकक संवर्ग के संशोधित पद विभाजन पर विचार
समिति द्वारा यह निर्णय लिया गया कि इस मामले को समिति की आगामी बैठक में विचारार्थ रखा जाय ।
11. जल संसाधन विभाग के नियंत्रणाधीन उप कनीय अभियंता संवर्ग के संशोधित पद विभाजन के संबंध में विचार
11.1 प्रशासी विभाग द्वारा पूर्व में उप कनीय अभियंता संवर्ग में कुल स्वीकृत बल-04 होने की सूचना दी गयी थी । इस आधार पर इस संवर्ग का पद विभाजन प्रस्ताव समिति में अनुमोदित हुआ जिसे समिति कार्यालय के ज्ञापांक-160 दिनांक-20.06.2002 द्वारा उत्तरवर्ती राज्य सरकारों को संसूचित किया गया । टेन्टेटिव आवंटन के पश्चात् स्वीकृत बल से कार्यरत बल ज्यादा होने की सूचना जब समिति को प्राप्त हुई तो विभाग से पृथ्र्रा की गयी । विभाग ने तब अपने पत्रांक-8086 दिनांक-10.12.2008 द्वारा कार्यरत बल को ही स्वीकृत बल मानने की अनुशंसा की । इस प्रकार पूर्व में निर्गत पद विभाजन की स्वीकृति को संशोधित करना पड़ा क्योंकि कुल कार्यरत 6 कर्मियों के संवर्ग विभाजन के संबंध में समिति को अनुशंसा निर्धारित करनी थी । अतएव उप कनीय अभियंता सवर्ग के पद विभाजन का संशोधित प्रारूप बनाया गया तथा इसके अनुरूप ही कर्मियों का संवर्ग विभाजन प्रस्ताव बनाया गया । कर्मियों का संवर्ग विभाजन प्रस्ताव समिति की दिनांक-30.06.2009 की बैठक में अनुमोदित किया गया परन्तु पद विभाजन का प्रारूप समिति की बैठक में ऊपस्थापित करना छूट गया । फलस्वरूप इसमें समिति का अनुमोदन नहीं हो सका । समिति द्वारा यह प्रक्रिया अपनायी गयी है कि कर्मियों के विभाजन के पूर्व पद का विभाजन उत्तरवर्ती राज्य सरकारों को भेजा जाय । अतः पद विभाजन के प्रारूप को समिति कार्यालय द्वारा दोनों उत्तरवर्ती राज्य सरकारों को भेज दिया गया है । कर्मियों के संवर्ग विभाजन का प्रस्ताव जो समिति की दिनांक-30.06.09 की बैठक में अनुमोदित है तथा पद विभाजन के आधार पर ही निर्मित है इसके पश्चात् भेजी गयी । अतएव पद विभाजन की सूचना जो दोनों उत्तरवर्ती राज्य सरकारों को समिति कार्यालय के ज्ञापांक-208 दिनांक-31.08.2009 द्वारा संसूचित है पर समिति का घटनोत्तर अनुमोदन अपेक्षित है ।
11.2 समिति द्वारा जल संसाधन विभाग के नियंत्रणाधीन उप कनीय अभियंता संवर्ग के संशोधित पद विभाजन के प्रस्ताव पर घटनोत्तर स्वीकृति दी गयी ।
12. सीएडब्ल्यूएजेएसीए सं0-175/2008-अरबिन्द कुमार पाण्डेय बनाम् बिहार राज्य तथा अन्य समरूप याचिकाओं में पटना उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 18.08.2008 को पारित न्यायादेश के अनुपालन हेतु गृह विभाग के वितंतु संगठन के साक्षर आख्शी संवर्ग के कर्मियों के दिनांक 15.11 .2000 की स्थिति के आधार पर स्वीकृत पदों/कार्यरत बलों के बिहार एवं ज्ञारखंड राज्यों के बीच विभाजन हेतु प्राप्त विभागीय प्रस्ताव पर विचार
12.1 दिनांक 20.11 .2008 को सम्पन्न राज्य परामर्शदात् समिति की कार्यवाही सं0-4 में गृह विभाग के वितं संगठन के साक्षर आख्शी संवर्ग के विभिन्न कर्मियों द्वारा आवंटन हेतु दायर विभिन्न याचिकाओं में माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा पारित न्यायादेश दिनांक 18.08.2008 के अनुपालन पर विचार करते हुए समिति द्वारा यह निर्णय लिया गया था कि वादियों के पैतृक (गृह) विभाग से मंतव्य प्राप्त कर लिया जाय कि वादीगण राज्य स्तरीय संवर्ग के कर्मी हैं अथवा क्षेत्रीय (अर्थात गैर आवंटनीय) संवर्ग के कर्मी है।
माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा यह निर्णय संसूचित है कि संबंधित परिवादी, याचिकाकर्त्ता के आवेदन पर नियमों के आलोक में न्यायादेश की प्राप्ति के अधिकतम 8 सप्ताह की अवधि में समुचित निर्णय ले लें ।
12.2 उपरोक्त कंडिका-1 में वर्णित कार्यवाही एवं भारत सरकार के पत्र की प्रति, गृह विभाग को समिति पत्रांक 43 दिनांक 18.03 .2008 द्वारा भेजते हुए विस्तृत विभागीय सूचना एवं मंतव्य उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है तथा स्मार सं0-232 दिनांक 16.09 .2009 एवं 22 दिनांक 02.02 .2010 द्वारा स्मारित किये जाने के पश्चात् विभागीय पत्रांक 06/डब्लू-54/2004/गृ0आ0 1219 दिनांक 15.02 .2010 द्वारा बिहार
पुलिस रेडियो के वितंतु संगठन के साक्षर आखी को राज्य स्तरीय संवर्ग बताते हुए स्वतन्त्र पर्दा एवं अन्य कार्यरत बलों के बिहार एवं झारखंड राज्य में बटवारा हेतु कागजात उपलब्ध कराया गया है। पत्र में या भी कहा गया है कि इस संबंध में माननीय उच्च न्यायालय में एक अवमानना वाद थे। एम्एकेतरीत सं0-2869/2009-अरबिन्द कुमार पाण्डेय बनाम राज्य सरकार दायर की गई है । अतः राज्य आचंटन के संबंध में शीघ्र निर्णय लेने की कृपा की जाय । इस अवमानना वाद में समिति के अध्यक्ष क र्न (नाम से) पाँचवादी बनाया गया है ।
12.3 उग्सोका वर्णित स्थिति में 10 वर्षो के पश्चात् साक्षर आखी संवर्ग के 3 कोटि के स्वीकृत रदो सहित दो कोटि के 496 कर्मियों की सूची बैटवारा हेतु प्राप्त हुआ है जिसमें विकल्प प्रपत्र (दिनांक 31.22001 तक निर्धारित तिथि) अप्राप्त है एवं अन्य सूचनाएँ भी अपेक्षित है ।
12.4 समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि गृह विभाग के वितंतु संगठन के साक्षर आखी संवर्ग के तीन कोटि के कर्मियों के आचंटन हेतु प्राप्त विभागीय प्रस्ताव पर समिति द्वारा निर्धारित प्रक्रिया एवं सिद्धान्तों के अनुसार आचंटन एवं पद विभाजन की कार्रवाई किया जाय । पृकि यह मामला अवमाननाबाद से आच्छादित है । (2) इसलिए अध्यक्ष का अनुमोदक प्राप्त करने के पश्चात टेन्डेटिव आचंटन-सूची-प्रपारित कर, घटनोत्तर स्वीकृति हेतु समिति की आगामी बैठक में खुल जाय । 13. सीत बबहुत जेल सीत संख्या-18990 ऑफ 2009 अनिल कुमार बनाम् भारतीय संघ एवं अन्य में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 21.12 .2009 को पारित आदेश के अनुपालन के संबंध में विचार ।
समिति कार्यालय को पथ निर्माण विभाग, बिहार के पचांक 755(b)भर दिनांक-14.01.2010 द्वारा याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन, जिसके साथ माननीय उच्च न्यायालय द्वारा वर्णित मामले में दिनांक 21.02 . 2009 को पारित आदेश की प्रतिलिपि संलग्न थी, प्रेषित किया गया जो समिति कार्यालय में दिनांक 18. 01.010 को प्राप्त हुआ ।
मार्ग गीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा वर्णित मामले में दिनांक 21.12 .2009 को पारित आदेश में दहा गया है कि यदि याचिकाकर्ता द्वारा संबंधित वाद में उठाये गये तथ्यों से अलग नये तथ्यों पर 38.01 .10 अपना अभ्यावेदन सचिव, पथ निर्माण विभाग, को समर्पित किया जाता है, जिसमें आरक्षित वर्ग में एथनी वरीयता, वरीयता में नीचे आने वाले कनीय कर्मियों के नाम तथा संवर्ग विभाजन में कनीय कर्मियों 4 सापेक्ष उनके संवर्ग विभाजन में विसंगति इंगित हो, तो पथ निर्माण विभाग उक्त अभ्यावेदन को राज्य परामर्शदात् समिति को अग्रसारित करेगा जो उसपर नियमों के अन्तर्गत त्वरित कार्रवाई करेगी।
13.3. माननीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा पारित आदेश को संलग्न करते हुए याचिकाकर्ता द्वारा जो अभ्यावेदन दिया गया है उसमें उनके द्वारा मूल रूप से इस बिन्दु पर प्रकाश डाला गया है कि अपने झारखंड टेन्डेटिव आचंटन के विरुद्ध दिनांक 26.10 .2007 को समर्पित अंतिम विकल्प (Final Option) में उन्होंने बिहार राज्य आचंटन का अनुरोध किया था परंतु उन्हें बिहार राज्य आवंटित नहीं किया गया जबकि उनसे कनीय कई कर्मियों को बिहार राज्य आवंटित किया गया है । ऐसे कुछ कर्मियों के नाम भी उन्होंने अपने अभ्यावेदन में अंकित किया है तथा साक्ष्य संलग्न किया है।
13.4. (i) श्री अनिल कुमार, सहायक अभियंता (अरीनिक), पथ निर्माण विभाग का नाम प्रशासी विभाग द्वारा कर्मियों की सूची के क्रमांक 1016 पर संवर्ग विभाजन हेतु समिति को उपलब्ध कराया गया । श्री कुमार का बायोडाटा विहित-प्रपत्र में अंकित करते हुए उनके द्वारा समर्पित विकल्प ‘झारखंड’ (दोवेदित किया गया । इनके द्वारा समर्पित विकल्प-प्रपत्र (Option form) की एक प्रति भी समिति को उपलब्ध कराई गई जिसमें भी संबंधित कर्मी ने अपना विकल्प ‘झारखंड’ दिया है। समिति द्वारा निर्धारित दांतों के अठारोक में दिनांक 04.05 .2006 की समिति की बैठक में अवशेष बचे 21 सहायक अभियंता (अरीनिक) का टेन्डेटिव अंतिम अनुमोदित हुआ जिसमे श्री कुमार को उनके विकल्प के अनुरूप टेन्डेटिव पथ से झारखंड आवंटित किया गया । श्री कुमार संहित 21 कर्मियों की टेन्डेटिव अंतिम आचंटन सूची संमर्थ कार्यालय के पचांक 438 दिनांक 22.07 .2006 द्वारा दोनों उत्तरवर्त्ती राज्य सरकारों को संबंधित कर्मियों के बीच प्रचारित करने हेतु भेजी गई तथा दोनों उत्तरवर्त्ती राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया कि उक्त टेन्डेटिव अंतिम आचंटन सूची के विरुद्ध यदि संबंधित कर्मी अभ्यावेदन देना चाहें तो उसे निर्धारित प्रक्रिया के अन्तर्गत प्राप्त कर समिति के विचारार्थ अग्रसारित किया जाय। श्री कुमार द्वारा टेन्डेटिव अंतिम आचंटन सूची के विरुद्ध समर्पित अपने अभ्यावेन को ही अंतिम विकल्प (Final Option) बताया जा रहा है जबकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है । यह मात्र संबंधित कर्मी का अभ्यावेदन होता है जिसपर समिति निर्धारित सिद्धांतों के अनुरूप कार्रवाई करती है ।
(ii) दिनांक 04.05.2006 को समिति की बैठक में अनुमोदित 21 सहायक अभियंता (असैनिक) . टेन्टेटिव अंतिम आवंटन सूची के विरुद्ध प्राप्त अभ्योवेदनों को प्रशासी विभाग के पत्रांक 2603(5)we दिनांक 25.02. 2008 द्वारा समिति को विचारार्थ उपलब्ध कराया गया । इस पत्र द्वारा मात्र दो कर्मियों श्री सत्येन्द्र प्रसाद तथा श्री राजकृष्ण प्रसाद का अभ्यावेदन उपलब्ध कराया गया । श्री अनिल कुमार का कोई अभ्यावेदन समिति को नहीं भेजा गया । दोनों संबंधित कर्मी (श्री सत्येन्द्र प्रसाद एवं श्री राधाकृष्ण प्रसाद) सामान्य वर्ग के अन्तर्गत टेन्टेटिव रूप से आवंटित थे जबकि श्री अनिल कुमार अनुसूचित जाति के अन्तर्गत टेन्टेटिव रूप से आवंटित थे । टेन्टेटिव अंतिम आवंटन के विरुद्ध एक ही आख्तण कोटि में रूदि बिहार तथा झारखंड राज्य के लिए अभ्यावेदन देने वाले अलग-अलग कर्मी उपलब्ध हो तो उन्हें मूल रूप से वरीयताक्रमानुसार एक-के-बदले-एक बदलाव (One to one exchage) के सिद्धांत के अनुसार टेन्टेटिव रूप से आवंटित राज्य में परिवर्तन अनुमान्य किये जाने के संबंध में समिति द्वारा निर्णय लिया गया है । यदि श्री अनिल कुमार का झारखंड टेन्टेटिव अंतिम आवंटन के विरुद्ध बिहार राज्य आवंटन अनुमान्य किये जाने संबंधी अभ्यावेदन समिति को प्राप्त हुआ होता तो भी श्री कुमार को बिहार राज्य आवंटन अनुमान्य करना संभव नहीं होता क्योंकि बिहार के बदले झारखंड राज्य आवंटन का अभ्यावेदन देने वाला कोर् कर्मी उनके आख्तण कोटि (अनुसूचित जाति) में उपलब्ध नहीं था ।
13.5. इस प्रकार स्पष्ट है कि याचिकाकर्त्ता श्री अनिल कुमार के संवर्ग विभाजन के संबंध में समिति द्वारा भारत सरकार को भेजी गई अनुशंसा में कोई त्रुटि नहीं है तथा वे अपने विकल्प के अनुरूप झारखंड राज्य आवंटन हेतु भारत सरकार को अनुशंसित किये गये हैं जिसपर सम्यक विचारीपरान्त भारत सरकार ने अंतिम आदेश पारित किया है ।
13.6. समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि प्रशासी विभाग के माध्यम से प्राप्त वादी, अनिल कुमार के अभ्यावेदन पर निर्णय का संसूचन मुखर आदेश द्वारा किया जाय ।
विभागीय प्रतिवेदन के आधार पर किसी कर्मी को दो अलग-अलग संवर्गों में किये गये अंतिम आवंटन के पश्चात् विभाग द्वारा किसी एक संवर्ग में किये गये आवंटन को विलोपित करने हेतु प्राप्त विभागीय प्रस्ताव पर विचार
14.1 गृह (आख्ती) विभाग, बिहार ने विभागीय पत्रांक 04/वि०-1-10173/2006 गूआ.-9436 दिनांक 22.12. 2009 द्वारा पुलिस अवर निरीक्षक श्री लाल मोहन सिंह एवं श्री विरेश कुमार के संबंध में प्रतिवेदित किया है कि ये दोनों कर्मी दिनांक 01.10 .1997 की तिथि से आशु अवर निरीक्षक से सामान्य पुलिस अवर निरीक्षक की कोटि में प्रत्यावर्तित हैं तथा सामान्य पुलिस अवर निरीक्षक की कोटि में इन दोनों ही बिहार राज्य आवंटित है । अतः आशु अवर निरीक्षक के रूप में श्री लाल मोहन सिंह एवं श्री विरेश कुमार को किये गये झारखंड राज्य आवंटन को रद्द किया जाय ।
14.2 श्री लाल मोहन सिंह (जन्म तिथि 05.06.61) तथा श्री विरेश कुमार (जन्म तिथि 04.03.67) अवर निरीक्षक संवर्ग (वेतनमान 5500-9000) में भारत सरकार के आदेश सं0-11(बी.)/04 दिनांक 06.08.2004 द्वारा क्रमशः सूची क्रमांक 3601 एवं 1698 पर बिहार हेतु अंतिम रूप से आवंटित है। एवं आशु अवर निरीक्षक संवर्ग (वेतनमान 5000-8000) में समिति की बैठक दिनांक 23.05 .2008 द्वारा अंतिम रूप से अनुशंसित एवं आवंटित है।
14.3 श्री लाल मोहन सिंह एवं श्री विरेश कुमार जिनका आवंटन आशु अवर निरीक्षक के रूप में झारखंड राज्य किया गया है, को रद्द करने की अनुशंसा समिति द्वारा ली जाती है ।
15. भारत सरकार के निदेश के आलोक में सचिवालय भोजशाला के तीन कर्मियों के पुनर्जांद्टन के संबंध में विचार
15.1 कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार के पत्रांक 28/3/2008-एस.ड.म.स.) दिनांक 15.01 .2010 के साथ अपर सचिव, श्रम संसाधन विभाग, बिहार के अग्रसारण पत्र 212 दिनांक 30.10 .2009 एवं सचिवालय भोजशाला के तीन कर्मियों यथा श्री सूर्यदेव राम, पेट्री रे. पिक, श्री धर्मपाल काकुर, सहायक लेखापाल तथा श्री हरिश्चन्द्र मिश्र, विपत्र लिपिक के संयुक्त अभ्यादेवन को भेजते हुए इन कर्मियों के झारखंड आवंटन पर पुनर्विचार हेतु समिति की बैठक में प्रस्तुत करने का निदेश दिया गया है ।
15.2 अपर सचिव, श्रम संसाधन विभाग, बिहार ने पत्र में उल्लेख किया है कि इन कर्मियों द्वारा अपना विकल्प बिहार हेतु दिया गया था, परन्तु इनका आवंटन झारखंड राज्य में किया गया है । श्रम संसाधन विभाग, बिहार के पत्रांक 1349 दिनांक 17.04.2007 द्वारा बिहार सचिवालय भोजशाला, पटना के लिए स्वीकृत पदों एवं उसके विरुद्ध कार्यरत कर्मियों को बिहार राज्य में ही अंतिम आवंटन का अनुरोध किया गया था, जिससे कि बिहार सचिवालय भोजशाला का कार्यक्षमित न हो ।
15.3 उल्लेखनीय है कि श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग, बिहार द्वारा शाखा सचिवालय, राँची भोजशाला के लिए 7 तरह के 9 पद एवं पटना सचिवालय के लिए 24 तरह के 195 पद कुल 204 पदों की विवरणी समिति द्वारा निर्धारित प्रपत्र-1 में भेजी गयी । इन विभिन्न पदों के विरुद्ध शाखा सचिवालय, राँची में कार्यरत 8 एवं पटना सचिवालय में कार्यरत 154 कुल 162 कर्मियों की सूची भेजी गयी । इन 162 कर्मियों में 149 अनुधं वर्ग के एवं 13 तृतीय वर्ग के थे । शाखा सचिवालय के कर्मी एवं पटना सचिवालय के सभी कर्मियों का कोटि क्रमांक अंकित था एवं अपने-अपने संवर्ग/पद समूह के वरीयता, क्रम में था । निर्णयानुसार शाखा सचिवालय, राँची एवं पटना सचिवालय के कर्मियों को कोटि क्रमांक के रूप-पर समेकित रूप से सूची तैयार कर 162 कर्मियों में 104 को बिहार एवं 58 को झारखंड हेतु 24 ट्वे आवंटन किया गया ।
15.4 (i) टेंटेटिव आवंटन के विरुद्ध भोजशाला के कर्मियों द्वारा सामुद्रिक रूप से अध्यक्ष, राज्य परंपरागत समिति को अभ्यावेदन दिया गया, जिसमें मुख्य रूप से कहा गया कि झारखंड राज्य में भोजशाला के कर्मियों से भोजशाला का कार्य नहीं लिया जा रहा है, क्योंकि झारखंड सरकार द्वारा सचिवालय/विधानमंडल भोजशाला को निजी ठेकेदार को दे कर कँटिन का संचालन कराया जा रहा है । झारखंड गये भोजशाला के कर्मी इधर-उधर भटक रहे हैं ।
(ii) श्रम संसाधन विभाग, बिहार के पत्रांक 1349 दिनांक 17.04.2007 को अध्यक्ष राज्य परामर्शदातृ समिति को भेजा गया । उक्त पत्र में उल्लेख किया गया कि विभाग द्वारा शाखा सचिवालय एवं पटना सचिवालय के पदों एवं कर्मियों को अलग-अलग आवंटन हेतु भेजा गया था, परन्तु उसे समेकित रूप टेन्टेटिव रूप से आवंटित कर दिया गया है, जिससे बिहार भोजशाला के कार्य प्रभावित होंगे ।
साथ ही, विभागीय पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि बिहार सरकार के कार्यालय कार्य दिवस में परिवर्तन होने के फलस्वरूप कर्मचारियों/पदाधिकारियों के कल्याणार्थ दोपर के भोजन की उपलब्धता सचिवालय भोजशालाओं द्वारा की जानी है । फलतः बिहार सचिवालय भोजशालाओं के सुचारू रूप से संचालन हेतु स्वीकृत पद एवं कर्मियों की सेवा बिहार राज्य के लिये आवश्यक है ।
(iii) कर्मियों के संयुक्त अभ्यावेदन एवं प्रशासी विभाग से प्राप्त पत्रों को समिति की बैठक दिनांक 18.04.2007 में विचारार्थ उपस्थापित किया गया । उक्त बैठक में झारखंड सरकार के कोई प्रतिनिधि के उपस्थित नहीं होने के कारण यह निर्णय लिया गया कि बिहार सरकार के प्रशासी विभाग से प्राप्त 24 ट्वे की कर्मियों के अभ्यावेदन को झारखंड राज्य का मतव्य प्राप्त करने हेतु भेज दिया जाय । समिति के निर्णयानुसार पत्रांक 234 दिनांक 12.06.2007 द्वारा संबंधित कागजातों को संलग्न करते हुए वहीं पर मतव्य हेतु झारखंड सरकार से अनुरोध किया गया ।
15.5 श्रम संसाधन विभाग, झारखंड के पत्रांक 17 दिनांक 04.01.2008 में कहा गया कि बिहार पुनर्गठन अधिनियम के अन्तर्गत तदर्थ रूप से 13 कर्मियों को झारखंड राज्य में भेजा गया है । इन 13 कर्मियों से 4 स्थानों यथा 1. नेपाल हाउस सचिवालय, 2. विधान सभा सचिवालय, 3. प्रोजेक्ट भवन सचिवालय एवं 4. मुख्य भंत्री के आवासीय सचिवालय भोजशाला को चलाने में कठिनाईयों को देखते हुए तत्कालीक व्यवस्था के तहत मुख्य भंत्री आवासीय सचिवालय को छोड़कर शेष को बाध्य होकर बन्द करना पड़ा तथा मात्र एक भोजशाला प्रोजेक्ट भवन सचिवालय निजी कँटरर को सौंपा गया है । बिहार राज्य में कार्यरत कर्मचारी, जिनका टेन्टेटिव आवंटन झारखंड राज्य में हुआ है, को झारखंड राज्य में योगदान करने के फलस्वरूप भोजशाला संचालन में सहायक सिद्ध होंगे ।
दिनांक 23.05.2008 को समिति की बैठक में बिहार सरकार के पत्र, कर्मियों के अभ्यावेदन एवं झारखंड सरकार के मतव्य को यथारार्थ प्रस्तुत किया गया । समिति द्वारा विचारोपरांत निर्णय लिया गया कि निर्धारित सिद्धांत एवं प्रक्रियानागत भोजशाला के कर्मियों के अंतिम आवंटन का प्रस्ताव तैरुं किया जाय ।
15.6 इसी बीच भारत सरकार के दिनांक 02.11.2007 के पत्र एवं दिनांक 30.05.2008 के स्पष्टीकरण द्वारा चतुर्थ यग्रीय कर्मियों को इच्छित राज्य में आवंटन का निर्देश दिया गया । उक्त निर्देश के आलंय में भोजशाला के 149 चतुर्थयगीय कर्मियों में 138 को बिहार एवं 11 को झारखंड अंतिम आवंटन हेतु मिलि के दिनांक 27.06.2008 की बैठक में अनुमोदन के पश्चात् भारत सरकार को अनुशंसा भेजी गई । भारत सरकार के पत्रांक- 28/5/2009-एस.आर.(एस.) दिनांक 18.12.2009 द्वारा इन कर्मियों का अंतिम आवंटन का आदेश निर्गत कर दिया गया है ।
15.7 अन्य तृतीय वर्ग के 13 कर्मियों को निर्धारित सिद्धांत के अनुसार उनके अभ्यावेदन पर दिनांक-30.06.2009 की बैठक में समिति द्वारा विचारोपरान्त 9 को बिहार एवं 4 को झारखंड हेतु अनुशंसा की गयी । झारखंड आवंटित 4 में से 1 को विकल्प के आधार पर एवं 3 (सभी आवेदक) को विकल्प के विरुद्ध झारखंड आवंटन की अनुशंसा की गयी । भारत सरकार के माध्यम से प्राप्त तीनों आवेदकों के संवर्ग आवंटन की स्थिति निम्नवत है—
| क्र० | पद समूह/संवर्ग का नाम | कुल स्वीकृत पद | बिहार आवंटि | झारखंड आवंटित | कुल
कर्मी | बिहार आवंटित | झारखंड आवंटित |
| — | — | — | — | — | — | — | — |
| 1 | पैट्री निपिक | 6 | 4 | 2 | 2 | 1 | 1 |
| 2 | सहायक लेखापाल | 2 | 1 | 1 | 2 | 1 | 1 |
| 3 | विपत्र लिपिक | 3 | 2 | 1 | 2 | 1 | |
भारत सरकार के आदेश सं०-10(बि/झा)/मिश्रित/2009 दिनांक 18.12.2009 द्वारा इन कर्मियों के अंतिम आवंटन का आदेश भी निर्गत कर दिया गया है । 15.8 समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि कर्मियों के आवंटन में कोई त्रुटि नहीं हुई है । अतः अभावेदन पर कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है । 16. कुछ विभागों के संवर्ग के अवशेष कर्मियों के टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध प्राप्त अभावेदनों /शून्य अभावेदनों के निष्पादन एवं अंतिम आवंटन पर विचार
16.1 योजना एवं विकास विभाग के साख आयोजक-सह-ग्रामीण विशेषज्ञ के एक अनिर्गीत कर्मी श्री अरुण कुमार द्विवेदी द्वारा अपनी पत्नी को महारानी उषा रानी बालिका मध्य विद्यालय, वूणरौद, बक्स; में नगर निकाय शिक्षक में पदस्थापन के आधार पर किये गये दम्पति दावा को समिति द्वारा इस आधार पर अमान्य किया गया कि मानव संसाधन विकास विभाग, बिहार, के पत्रांक-1290 दिनांक-10.08.2009 द्वारा पंचायत शिक्षा (1/प्रखंड शिक्षा एवं नगर शिक्षक को सरकारी सेवक की श्रेणी में नहीं बताद् गया है । तदनुसार इनः) टेन्टेटिव आवंटन के अनुरूप ही अन्तिम आवंटन की अनुशंसा की गयी । 16.2 मानव संसाधन विकास विभाग (मुख्यालय) के विभिन्न संवर्गों के कर्मियों के अभावेदन पर ऐधार कर निम्नांकित निर्णय लिया गया –
प्रधान टंकक :- श्री विनोद प्रसाद, प्रधान टंकक के अभावेदन पर विचार किया गया । श्री प्रंक्षाद 1 वर्ष के अन्दर सेवा निवृत होंगे । अतः उन्हें पदस्थापन के राज्य में आवंटन करने का निर्णय समिति द्वारा लिया गया । इसी तरह श्री राजलीला राय भी 1 वर्ष के अन्दर सेवा निवृत होंगे । अतः उनका अन्तिम आवंटन भी पदस्थापन के राज्य में करने का निर्णय लिया गया । टंकक :- इस संवर्ग में टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध प्राप्त छ: अभावेदनों पर समिति द्वारा विचार किया गया । श्री रामेश्वर दास का सेवा निवृति के कारण इनके पदस्थापन के राज्य झारखंड तथा इससे उत्पन्न रिक्ति के विरूद्ध श्री अभय कुमार सिन्हा का आवंटन बिहार राज्य करने की अनुशंसा समिति द्वारा की गयी । शेष अभावेदनों पर कार्रवाई की आवश्यकता नहीं समझी गयी । दिनचर्या लिपिक :- इस संवर्ग में टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध 5 कर्मियों का अभावेदन विभागीय माध्यम से प्राप्त हुआ है । अनु० जनजाति के झारखंड आवंटित कर्मी श्री लेविन मलसन हेरो ने मात्र शुद्ध नाम श्री नेलिम मरसलन योहन होरो करने का अनुरोध किया है । प्रपत्र-9 में प्रशासी विभाग ने सर्गेता शुद्ध नाम अंकित किया है । तदनुसार अनुशंसित आवंटन सूची में याचित शुद्ध नाम अंकित किया गया है । पि० वर्ग:1 कर्मी श्री भरत भूषण मेहता द्वारा शुद्ध नाम भारत भूषण गुप्ता रहने एवं आख्वण कोटि, पि० वर्ग के बदले अनरक्षित वर्ग के रहने का दावा किया है । प्रपत्र-9 में शुद्ध नाम भारत भूषण गुप्ता सगुप्ता किया गया एन आख्वण कोटि के संबंध में कहा गया है कि सामान्य वर्ग में योग्यता के आधार पर गु:वृक्ष है । समिति कार्यालय के पत्रांक-199 दिनांक-25.08.09 द्वारा श्री गुप्ता के आख्वण कोटि ले : द में सेवा अभिलेख के आधार पर स्पष्ट प्रतिवेदन देने का टानुरोध किया गया, जिसके उत्तर में प्र4.सी विभाग के पत्रांक-1974 दिनांक-11.11.09 में कहा गया कि श्री गुप्ता पिछड़ा वर्ग-2 में आते हैं पर इनकी नियुक्ति अनारक्षित कोटि में किया गया है । पुनः समिति कार्यालय के पत्रांक-311 दिनांक-14.12.09 द्वारा प्रशंसा विभाग से अनुरोध किया गया कि सेवा अभिलेख के आधार पर श्री गुप्ता का आख्वण कोटि क्या है । इसके उत्तर में विभागीय पत्रांक-23 दिनांक-05.01.2010 के साथ श्री गुप्ता के सेवा पुस्त की छाया प्रति संलग्न कर भेजी गयी है एवं कहा गया है कि आख्वण कोटि के संबंध में पूर्व में स्थिति स्पष्ट कर दी गयी है । माननीय घटना उच्च न्यायालय द्वारा सी.डब्ल्यू.जे.सी. संख्या-5381/07 सुमन गुप्ता बनाम बिहार राज्य एवं अन्य में कर्मियों का आख्वण कोटि उनकं सेवा अभिलेख के अनुसार भानने का निदेश दिया गया है जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी घटना उच्च न्यायालय के निर्णय में सहमति दी है । अतः श्री गुप्ता को सेवा पुस्त के आधार पर सामान्य कोटि में मानते हुए आवंटन की कार्रवाई का प्रस्ताव है । सामान्य वर्ग के बिहार आवंटित 1 कर्मी श्री सुरेन्द्र कुमार अंम्बष्ट, जो झारखंड राज्य से सेवानिवृत हुए हैं को झारखंड आवंटन के फलस्वरूप बिहार की रिक्ति के विरूद्ध श्री गुप्ता का आवंटन बिहार राज्य में अनुमान्य होता है । अनारक्षित वर्ग के बिहार टेन्टेटिव आवंटित महिला कर्मी श्रीमती नोवू शाला श्रीवास्तव झारखंड आवंटन हेतु एवं इसी कोटि के झारखंड टेन्टेटिव आवंटित 1 कर्मी मनोज खुमार बिहार आवंटन हेतु अभावेदन दिया है । इन दोनों को उसी आख्वण कोटि में एक हे बदले एक सिद्धांत के अनुसार आवंटन का प्रस्ताव है। जिसे विचारोपरान्त समिति द्वारा अनुमोदित किया गया ।
सप्तक :- इस संवर्ग के 10 कर्मियों में 7 को बिहार एवं 3 को झारखंड हेतु टेन्टेटिव आवंटन किया गया है । 10 कर्मियों में अनु6 जाति 1 बिहार 1, अ0पि0वर्ग 2 बिहार -1, झारखंड-1, पि0 वर्ग 5 बिहार 3 झारखंड 2 एवं अनारक्षित 2 बिहार 2 झारखंड 0 का टेन्टेटिव आवंटन किया गया है । इस टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध दो कर्मियों का अभ्यावेदन प्राप्त हुआ है इनमें 1 अ0वि0 वर्ग एवं 1 पि0 वर्ग के है। अ0वि0 वर्ग कर्मी श्री घनश0म शर्मा के अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई संभव नही हुआ । क्योंकि 1 बदले 1 कर्मी उपलब्ध नही है । पि0 वर्ग के कर्मी श्री राज कुमार प्रसाद ने बिहार आवंटित श्री श्याम नारायण यादव से वरीय रहने का दावा किया है । प्रपत्र-9 में विभाग ने उनके दावा को सम्पुष्ट किया है । साथ ही श्री यादव झारखंड से सेवानिवृत हो गये है । श्री यादव के झारखंड आवंटन के फलस्वरूप रिक्ति के दि ज्द्ध श्री प्रसाद को बिहार आवंटन का प्रस्ताव है, जिसे समिति द्वारा अनुमोदित किया गया ।
6.3
सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के कलाकार वर्ग-2 संवर्ग के एक कर्मी श्रीमती झुमरी सोरेन का अपना अभ्यावेदन में कहना है कि उनके पति श्री मटकु किस्कु, आख्वी का अन्तिम कँडर विभाजन भागलपुर बिहार से झारखंड हो गया है जिसपर विभागीय सम्पुष्टि अप्राप्त है । इसके अतिरिक्त विभागीय पत्रांक-387 दिनांक-28.11.2005 द्वारा सूचित किया गया कि नायक, कलाकार वर्ग-2 एवं संगठन कर्त्ता सवर्गों के कर्मियों की उपयोगिता जिस राज्य में पदस्थापित हैं, उसी राज्य में है तथा यह भी सूसीत किया कि कलाकार वर्ग-2 के कर्मियों की उपयोगिता आवंटित बिहार राज्य में नही बल्कि वर्तमान में पदस्थापित राज्य में ही है । विभाग के इस मंतव्य को दृष्टिगत रखते हुए कलाकार वर्ग-2 के अनिर्णीत कर्मी श्रीमती झुमरी सोरेन के अन्तिम आवंटन की अनुशंसा उनके पदस्थापन के राज्य/वाचित राज्य में करने संबंधी प्रस्ताव को समिति द्वारा अनुमोदित किया गया ।
4 गृह विभाग के टंकक संवर्ग का संशोधित पद विभाजन आगामी बैठक में रखे जाने का निर्णय लिये जाने के कारण इस संवर्ग के टंकक एवं प्रधान टंकक के 39 कर्मियों के अन्तिम आवंटन की कार्रार्ई भी आगामी बैठक में करने का निर्णय लिया गया ।
5 अभ्यावेदनों पर विचारोपरान्त 16 विभागों के कुल 326 कर्मियों का, बिहार-139 एवं झारखंड 122 का अन्तिम आवंटन तथा नया टेन्टेटिव/टेन्टेटिव 61 एवं अनिर्णीत 6 का अनुमोदन किया गया । विभागवार अनुमोदित कर्मियों की संख्या परिशिष्ट-1 के रूप में संलग्न है ।
3 अज की बैठक में जिन संवर्ग/पदकर्मियों का टेन्टेटिव आवंटन/नया टेन्टेटिव आवंटन किया गया है, उसके लिए अभ्यावेदन देने की अंतिम तिथि टेन्टेटिव/टेन्टेटिव/टेन्टेटिव के लिए निर्धारित की गईं।
1 पूर्व प्रक्रिया के अनुसार समिति कार्यालय द्वारा तैयार अनुशंसित अंतिम आवंटन से संबंधित कागजात यथा प्रपत्र-10, 11 एवं अनुशंसित सूची यथा विपर्शित संशोधन के उपरान्त कार्यावाही के अनुमोदन के पश्चात् भारत सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया ।
बैठक सधन्यवाद सनाप्त हुई।
आख्य
राज्य पराक्र्सदात् समिति,
बेली.शैड, पटना-23

| दिनचर्या लिपिक (मुख्यालय) | 23 | 15 | 8 | – | – | ||
|---|---|---|---|---|---|---|---|
| लेखा लिपिक / विपत्र लिपिक (मुख्यालय) | 04 | 03 | 01 | – | – | ||
| चालक (मुख्यालय) | 10 | 07 | 03 | – | – | ||
| 7. | कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार | प्रशाखा पदाधिकारी | 02 | 01 | 01 | – | – |
| 8. | कल्याण विभाग | सहायक शिक्षक (अंग्रेज़ी) | 02 | 0 | 02 | – | – |
| सहायक शिक्षक (विज्ञान) | 01 | 0 | 01 | – | – | ||
| सहायक शिक्षक (विषय रहित) | 01 | 0 | 01 | – | – | ||
| 9. | गृह विभाग | संयुक्त अधिनायक (गृह रक्षा वाहिनी) | 02 | 0 | 0 | 02 | – |
| लिपिक (सैनिक कल्याण निदेशालय) | 02 | 01 | 01 | – | – | ||
| सहायक (सैनिक कल्याण निदेशालय) | 02 | 02 | 0 | – | – | ||
| आशु सहायक अवर निरीक्षक | 02 | 01 | 01 | – | – | ||
| सहायक लोक अभियोजक (अभियोजन निदेशालय) | 02 | 01 | 01 | – | – | ||
| लिपिक सह टंकक (अभियोजन निदेशालय) | 01 | 0 | 01 | – | – | ||
| टंकक सह अ० नि० (वितन्तु संगठन) | 04 | 02 | 01 | 1 | – | ||
| सहायक कारापाल (कारा) | 03 | 02 | 01 | – | – | ||
| प्रोवेशन पदाधिकारी (कारा) | 02 | 01 | 01 | – | – | ||
| करा लिपिक (कारा) | 01 | 01 | 0 | – | – | ||
| परिचारी | 02 | 01 | 01 | – | – | ||
| लिपिक | 06 | 0 | 04 | 02 | – | ||
| टंकक (कारा मुख्यालय) | 07 | 05 | 02 | – | – | ||
| प्रधान टंकक (कारा मुख्यालय) | 01 | 0 | 0 | 01 | – | ||
| आखी निरीक्षक | 06 | 02 | 03 | 01 | – | ||
| आशु अवर निरीक्षक | 02 | 0 | 02 | – | – | ||
| 10. | लघु ज्ञात संसाधन | चालक | 02 | 01 | 01 | – | – |
| टंकक | 01 | 0 | 01 | – | – | ||
| 11. | पथ निर्माण | सहायक अभियंता (असैनिक) | 02 | 0 | 0 | 02 | – |
| | टंकक | 02 | 01 | 01 | – | – |
| — | — | — | — | — | — | — |
| 12. सूचना एवं
जनसम्पर्क | कलाकार वर्ग-2 | 01 | 0 | 01 | – | – |
| 13. पशुपालन एवं
मत्स्य | भ्रषणशील पशु
चिकित्सा पदाधि0 | 16 | 05 | 05 | 02 | 04 |
| | मत्स्य निरीक्षक | 01 | 0 | 01 | – | – |
| 14. कृषि विभाग | प्रखंड कृषि पदा0 | 20 | 10 | 08 | 02 | – |
| | बिहार कृषि सेवा
कोटि-2
(अभियंत्रण) | 01 | 01 | 0 | – | – |
| | बिहार कृषि सेवा
कोटि-2
(शष्य) | 01 | 01 | 0 | – | – |
| | बिहार कृषि सेवा
कोटि-3
(रसायन) | 01 | 01 | 0 | – | – |
| | स0 प्र0 कार्यकर्त्ता | 05 | 02 | 01 | 02 | – |
| | क्षेत्र परिचालक | 03 | 02 | 01 | – | – |
| | पौधा सं0
परिचालक | 02 | 01 | 01 | – | – |
| | क्षेत्र सहायक | 01 | 0 | 01 | – | – |
| | सांख्यिकी संगणक | 02 | 01 | 01 | – | – |
| | कृषि सेवा
(शष्य कोटि-1) | 02 | 0 | 02 | – | – |
| 15. स्वास्थ्य चिकित्सा –
शिक्षा एवं परिवार
कल्याण | बिहार स्वास्थ्य
सेवा | 14 | 04 | 02 | 08 | – |
| | सह प्राध्यापक
(चर्म एवं रति रोग) | 02 | 01 | 01 | – | – |
| | सहायक प्राध्यापक
(स्त्री एवं प्रसव
रोग) | 02 | 01 | 01 | – | – |
| | सहायक प्राध्यापक
(टी.बी. एवं चेस्ट ) | 07 | 05 | 01 | 01 | – |
| | ट्यूटर
(पैथोलॉजी) | 02 | 0 | 0 | 02 | – |
| | ट्यूटर
(बायोकेमिस्ट्री) | 02 | 0 | 0 | 02 | – |
| | कनीय शिक्षा बहन | 01 | 0 | 01 | – | – |
| | पी0 एच0 एन0 | 07 | 0 | 01 | 06 | – |
| | एल0 एच0 पी0 | 16 | 0 | 06 | 10 | – |
| | परिचारिका
श्रेणी-ए | 17 | 02 | 09 | 06 | – |
| | एक्सरे टेक्निशियन | 08 | 0 | 04 | 04 | – |
| | स्वच्छता निरीक्षक | 04 | 01 | 01 | 02 | – |
| | दीन स्मिथ
(फाईलेरिया) | 03 | 02 | 01 | – | – |
| लिपिक (खाना) |
02 | 01 | 0 | 01 | – | |
|---|---|---|---|---|---|---|
| मलेरिया निरीक्षक | 02 | 0 | 01 | 01 | – | |
| 16. पर्यावरण एवं वन विभाग | दिनचर्या लिपिक | 02 | 01 | 01 | – | – |
| प्रधान टंकक | 02 | 0 | 02 | – | – | |
| टंकक | 06 | 04 | 02 | – | – | |
| कुल :- | $\mathbf{3 2 8}$ | $\mathbf{1 3 9}$ | $\mathbf{1 2 2}$ | $\mathbf{6 1}$ | $\boldsymbol{\epsilon}$ |