Meeting of the State Advisory Committee on June 27, 2008

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This document details the proceedings of a meeting of the State Advisory Committee held on June 27, 2008. Key discussions included the finalization of tentative cadre allocations, consideration of court orders regarding employee placements, and the implementation of new guidelines for the allocation of fourth-grade employees. The committee reviewed numerous individual cases and made decisions on their final allocation to Bihar or Jharkhand based on various criteria, including court directives, departmental recommendations, and existing government policies on spouse allocation. Specific departments and cadre categories, such as those under the Human Resource Development Department, Health Department, and Law Department, were extensively discussed with a focus on resolving pending allocation issues and adhering to revised guidelines.

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दिनांक 27.06.2008 को अध्यक्ष, राज्य परामर्शदातृ समिति की अध्यक्षता आवास, बेली रोड, पटना-23 अवस्थित उनके कार्यालय-कक्ष में सम्पन की बैठक की कार्यवाही :-

उपस्थितिः-

  1. श्री चन्द्रमोहन झा, अध्यक्ष।
  2. श्री गिरीश शंकर, सदस्य-सचिव।
  3. श्री भी० पेदन्ना, उप सचिव (एस० आर०) कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली।
  4. श्री आमिर सुबहानी, सचिव, कार्मिक एवं प्र० सु० विभाग, बिहार, पटना।
  5. श्री पी० एन० राय, विशेष सचिव, गृह विभाग, बिहार, पटना।

कार्यवाही:-

दिनांक 23.05.2008 को सम्पन्न समिति की बैठक की कार्यवाही पूरक कार्यवाही सा कार्यालय के ज्ञापांक क्रमशः 303 दिनांक 17.06 .2008 तथा 324 दिनांक 25.06 .2008 से परिध सर्वसम्मति से संपुष्ट किया गया।
2. जिन संवर्गो का शून्य अभ्यावेदन प्राप्त होने की संपुष्टि प्रशासी विभाग ने कर दी टेन्टेटिव आवंटन को ही अनुशंसित अंतिम आवंटन करने पर विचार :-
2.1 अंतिम आवंटन हेतु प्रस्ताव अभ्यावेदनों के निष्पादन के उपरान्त तैयार की जाती है। छोटे-छोटे संवर्ग हैं जिसमें या तो सभी को इच्छानुकूल राज्य मिल गया है या उन सं अभ्यावेदन टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध समिति को विहित माध्यम से नहीं मिला है। ऐ बारे में उसी शीर्षक के पदसमूहों के अभ्यावेदन की जाँच पड़ताल के कम में प्रशारं पृथ्वा की गई कि वे शून्य अभ्यावेदन की संपुष्टि कर दें।
2.2 इस तरह के मामले 17 विभिन्न विभागों से प्रतिवेदित हुए। कुल कर्मियों की संख्या आवंटन 121, झारखंड आवंटन 56 का अंतिम आवंटन, टेन्टेटिव आवंटन के आधार पर । करने का निर्णय लिया गया।

3. वैसे न्यायालीय आदेश जिसमें माननीय उच्च न्यायालय द्वारा राज्य 1 समिति को अनुपालन का आदेश दिया गया है, किन्तु अनुपालन हेतु समिति है, पर विचार।

3.1 समिति को जानकारी दी गई कि स्वास्थ्य विभाग, बिहार के अंतर्गत ए० एन० एम० कर्मियों द्वारा मा० पटना उच्च न्यायालय में अलग-अलग याचिकाएँ दायर की गई थी(क) सी० डब्लू० जे० सी० संख्या-5439/2008 वादी श्रीमती माग्रीता खालको
(ख) सी० डब्लू० जे० सी० संख्या-7310/2008 वादी श्रीमती नीलू कुमारी
(ग) सी० डब्लू० जे० सी० संख्या-1760/2008 वादी श्रीमती मानती कुमारी

तीनों याचिकाओं के वादीगण की नियुक्ति बिहार राज्य द्वारा राज्य पुनगठन की 15.11.2000 के बाद ए० एन० एम० के पद पर हुई हैं तथा तीनों बिहार राज्य क्षेत्र में वादीगण की उक्त याचिकाओं में एक ही प्रकार की प्रार्थना थी कि उनके पति झारखंड सरकारी सेवा में कार्यरत हैं। अतः इस आधार पर उन्हें झारखंड राज्य आवंटित किया ज
उक्त तीनों याचिकाओं का निष्पादन मा० न्यायालय द्वारा क्रमशः 15.04.2008, 06.05.20 02.2008 को करते हुए उनके मामले राज्य परामर्शदातृ समिति को विचार करने का गया।


3.3 उक्त वादीगण के प्रशासी विभाग से समिति को पूर्व से ही सूचना प्राप्त है कि उनके द्वारा निर्देश ए० एन० एम०, क्षेत्रीय स्तर का जिला संवर्गीय पद है।
3.4 समिति ने यह धारित किया कि कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार व स० पत्रांक-28/1/2000 एस० आर० (एस०) दि०-21/22.12.2000 द्वारा राज्य परामर्शदातृ का गठन किया गया है, जिसे नियत तिथि अर्थात् 15.11.2000 के ठीक पूर्व अविभाजित बिहार में कार्यरत अखिल भारतीय सेवाओं के कर्मियों को छोड़कर अन्य राज्य स्तरीय कर्मियों के विभाजन में भारत सरकार को सहयोग करने का दायित्व दिया गया है। जिला संवर्गीय पर का मामला राज्य परामर्शदातृ समिति के कार्यक्षेत्र में नही आता है।
3.5 पूर्ण विचारोपरान्त समिति ने निर्णय लिया कि वादीगण का मामला राज्य परामर्शदातृ सा कार्यक्षेत्र के अंतर्गत नही आने के कारण इन्हें यथोचित निर्णय हेतु केन्द्र सरकार को भे जायें।

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4. सी० डब्लू० जे० सी० संख्या- 10424/2007 डॉ० अरविन्द कुमार बनाम बिहार अन्य में पारित न्यायादेश दिनांक 11.12 .2007 के अनुपालन पर विचार :-

4.1 इस मामले पर समिति की विगत बैठक दि०-23.05.2008 में विचार किया गया था। विचारोप निर्णय हुआ था कि डॉ० नवजीवन के अभ्यावेदन पर प्रशासी विभाग से मंतव्य प्राप्त होने व मामले को समिति की अगली बैठक में विचारार्थ रखा जाय।
4.2 समिति कार्यालय के पत्रांक-183 दि०-10.05.2008 द्वारा प्रशासी विभाग से डॉ० नव अभ्यावेदन पर मंतव्य मांगा जा चुका था। समिति के निर्णय के आलोक में पुनः पत्रांक-244 दिनांक-30.05.2008 द्वारा प्रशासी विभाग से मंतव्य भेजने का अनुरोध किया ग
4.3 स्वास्थ्य विभाग ने अपने पत्रांक-885 (5) दिनांक-11.06.2008 द्वारा पूर्व में भेजे गये अपं अर्थात् पत्रांक-879 (5) दिनांक-06.06.2008 द्वारा भेजे गये वरीयता संशोधन संबंधी प्रस्ता ठहराया है, अर्थात् डॉ० अरविन्द कुमार को डॉ० नवजीवन से वरीय होने की सम्पुष्टि की
4.4 यह उल्लेखनीय है कि वादी निबंधक (शिशु) संवर्ग के कर्मी हैं तथा भारत सरकार द्वारा से झारखंड राज्य हेतु आवंटित हैं। प्रशासी विभाग से प्राप्त संशोधित प्रस्ताव के आधा तथा अन्य कर्मी डॉ० नवजीवन का राज्य आवंटन प्रभावित होता है। डॉ० नवजीवन ऑ बिहार राज्य हेतु आवंटित हैं।
4.5 उपर्युक्त तथ्यों के आलोक में समिति ने विचारोपरान्त यह निर्णय लिया कि वरीयता वं डॉ० अरविन्द कुमार को बिहार के लिए अनुशंसित किया जाय। समिति ने यह भी निर्ण यूँकि डॉ० नवजीवन अंतिम रूप से भारत सरकार द्वारा बिहार के लिए आवंटित हैं अतः सरकार द्वारा किये गये अंतिम आवंटन को अगर बिहार में रिक्ति हो तो समिति की 07.12.2007 की कार्यवाही की कंडिका-9(ड) में निहित निर्णय के आलोक में बबम जाय।

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  1. सी० डब्लू० जे० सी० संख्या- 4937 / 2008 अशोक कुमार बनाम बिहार राज पारित निर्णय दिनांक 19.03 .2008 के अनुपालन पर विचार :-
    5.1 इस वर्णित याचिका के वादी नवादा जिला बल के आखी संवर्ग के कर्मी हैं। ये बोव में कार्यरत श्री पंकज कुमार, आखी के साथ पारस्परिक आवंटन चाहते है। उन दो संयुक्त अभ्यावेदन वर्ष 2006 में गृह विभाग, झारखंड द्वारा गृह (आखी) विभाग, बिहार किया गया था। याचिका की प्रति में उस पत्र की प्रति अनुलग्नक के रूप में संलग्न

5.2 न्यायादेश दिनांक-19.03.2008 में गृह सचिव, बिहार को यह निदेश है कि वे वादी के पारस आवंटन संबंधी अभ्यावेदन राज्य परामर्शदातृ समिति को अवसारित कर दे तथा समिति को निदेश है कि उक्त आवेदन पर अधिकतम दो माह के अन्दर निर्णय ले लें।
5.3 न्यायादेश की प्रति सहित वादी ने एक आवेदन समिति को देते हुए न्यायादेश के आलो कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। गृह (विशेष) विभाग, बिहार ने अपने पत्रांक-4458 दिनांक 04.2008 द्वारा गृह (आरक्षी) विभाग, बिहार से यह अनुरोध किया है कि वादियों का पारस आवंटन से संबंधित अभ्यावेदन राज्य परामर्शदातृ समिति को उपलब्ध कराया जाय। गृह (अ विभाग, बिहार से तत्संबंधी अभ्यावेदन समिति को अबतक अप्राप्त है।
5.4 यह उल्लेखनीय है कि आरक्षी संवर्ग की सूची दोनों उत्तरवर्ती राज्यों में आवंटन हेतु प्रशासी । द्वारा समिति को नहीं उपलब्ध करायी गयी है। संभवतः उसे क्षेत्रीय/जिला स्तरीय संवर्ग का गया है। दूसरी बात है कि पारस्परिक आवंटन से संबंधित भारत सरकार द्वारा निर्गत मार्ग दर समिति को कोई भूमिका निर्धारित नहीं है। किन्तु माननीय उच्च न्यायालय का निदेश है कि र अधिकतम दो माह के अन्दर निर्णय लें। अतः मामला समिति के विचारार्थ प्रस्तुत है।
5.5 समिति की विगत बैठक दिनांक-23.05.2008 में इसी प्रकार के मामले विचारार्थ प्रस्तुत किये गए समिति ने विचारोपरान्त इस प्रकार का निर्णय लिया था- ” आरक्षी संवर्ग राज्य स्तरीय न क्षेत्र स्तरीय है, इस कारण इसकी सूची उत्तरवर्ती राज्यों में आवंटन हेतु प्रशासी विभाग द्वारा र को उपलब्ध नहीं करायी गयी है। पारस्परिक आवंटन का विषय भी समिति से संबंधित न राज्य सरकारों से ही संबंधित है। अतः समिति ने विचारोपरान्त सर्वसम्मति से यह निर्णय लिय राज्य सरकार विचार कर इस मामले का समुचित निष्पादन करेगी। ”
5.6 समिति ने विचारोपरान्त सर्वसम्मति से पूर्व में समरूप मामलों में लिए गये निर्णय के अनुरु निर्णय लिया कि राज्य सरकार विचार कर इस मामलें का समुचित निष्पादन करेगी।
6. श्री रामाधार सिंह, आदेशपाल, राजभाषा विभाग द्वारा मा० पटना उच्च न्यायालय में रिट याचिका सी० डब्लू० जे० सी० संख्या- 2332/2006 में पारित निर्णय दिनांक 1 2007 के अनुपालन पर विचार :-
6.1 इस वर्णित न्यायादेश के द्वारा मा० उच्च न्यायालय ने राजभाषा विभाग के मुख्याल आदेशपाल-पटना सचिवालय के 17 तथा शाखा सचिवालय, राँची के 02 कूल 19 कर्मियों की आवंटन सूची को वापस लेकर वर्ष 2006 में विभाग द्वारा समिति को समर्पित संयुक्त वरीयता के आधार पर पुर्नआवंटन किये जाने का निदेश दिया है।
6.2 इस मामले पर समिति की बैठक दि०-22.02.2008 में विचार करते हुए यह निर्णय लिया गए कि भारत सरकार से अंतिम आवंटन आदेश के वापस लेने की सूचना आते ही न्यायादेश में निदेशित विभाग से चपरासी की प्राप्त संयुक्त वरीयता सूची के आधार पर आवंटन की अ तैयार कर भारत सरकार को भेजी जाय, जिसमें भारत सरकार द्वारा चतुर्थवर्गीय कर्मियों के उ के संबंध में निर्गत नया मार्गदर्शन में वर्णित प्रावधानों का भी अनुपालन किया जाय।
6.3 समिति इस बात से अवगत हुई कि समिति के उक्त निर्णय के आलोक में भारत सरक न्यायादेश तथा समिति के निर्णय के आलोक में वादी से संबंधित् संवर्ग के कर्मियों के अंतिम उ संबंधी आदेश को वापस लेने हेतु समिति पत्रांक-116 दिनांक-26.03.2008 पर कृत कार्रवा सूचना अप्राप्त है। फलस्वरूप यह मामला समिति द्वारा अनिष्पादित है।
6.4 यह उल्लेखनीय है कि चतुर्थवर्गीय कर्मियों के आवंटन के संबंध में भारत सरकार के अf मार्गदर्शन पत्रांक-14 (सी)/03/2006 एस० आर० एस० दि०-02.11.2007 तथा स्पष्ट पत्रांक-28 (सी)/10/2008 एस० आर० एस० दि०-30.05.2008 को समिति में अवशेष चतुर्थ


6.5 समिति ने अनुभव किया कि उसके आलोक में इस प्रकरण में शामिल 19 आदेशपाल समिति के स्तर से निष्पादन कर दिया जाना समीचीन है।
6.6 अतः उक्त कोंडिका 6.4 में वर्णित प्रावधानों का अनुसरण करते हुए राजभाषा विभाग के कर्मियों के संबंध में तैयार अनुशंसित आवंटन सूची को अनुमोदित करते हुए यह भी नि भारत सरकार से यह भी अनुरोध किया जाय कि न्यायादेश के अनुपालन में इनके आवंटन आदेश को वापस लेकर तब इस अनुशंसित आवंटन सूची को अधिसूचित किया

๑ ๑

7. सी० डब्लू० जे० सी० संख्या- 3635/2008 अखिलेश कुमार मेहता ब राज्य व अन्य में पारित निर्णय दिनांक 21.04 .2008 के कार्यान्वयन पर विचार

7.1 वादी राजस्व पर्षद, बिहार, पटना के नियंत्रणाधीन समाहरणालय लिपिक संवर्ग के क डब्लू० जे० सी० संख्या-3635/2008 के वादी श्री अखिलेश कुमार मेहता द्वारा दि० को एक अभ्यावेदन के साथ पारित न्याय प्रति की प्रति देते हुए यह अनुरोध किया थ स्थानान्तरण पटना समाहरणालय में करने की कृपा की जाय।
7.2 इस वाद में प्रतिशपथ पत्र दायर करने हेतु तथ्य विवरणी समिति पत्रांक 185 दिनांक द्वारा भेजा गया था, जिसे न्याय निर्णय पारित हो जाने के फलस्वरूप दायर नहीं किय पारित न्याय निर्णय के अनुसार परिवादी सं०-1 (सचिव, राजस्व पर्षद, बिहार) की प्रतिशपथ पत्र दायर क़िया गया कि वादी के मामले को राज्य पुनगर्तन के पश्चात् राज्य समिति को संदर्भित (Reffered) कर दिया गया था, अतः सक्षम प्राधिकार ही आवश्या सकते है। इसके आलोक में मा० न्यायालय द्वारा इस Observation के साथ निष्पादित किया गया कि राज्य परामर्शदातृ समिति इस मामले में नियमानुसार न्यायादेश तिथि के अधिकतम तीन माह की अवधि में अंतिम निर्णय ले लें।
7.3 समिति कार्यालय में उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार प्रशासी विभाग द्वारा वादी का नाम : उपलब्ध नहीं पाये जाने पर समिति पत्रांक-234 दि०-27.05.2008 द्वारा सचिव, राजस्व ५ से उनके द्वारा दायर किये गये प्रतिशपथ पत्र की प्रति सहित वादी से संबंधित कागजात न्यायादेश की प्रति भेजते हुए की गयी।
7.4 प्रशासी विभाग, राजस्व पर्षद, बिहार ने अपने पत्रांक-665 (प) अनु० दिनांक-10.06.200 प्रतिशपथ पत्र के बदले तथ्य विवरणी की प्रति भेजते हुए यह मंतव्य उपलब्ध कराया कि क्षेत्रीय कर्मचारी है तथा राज्य बटवारा के तहत् उनके प्रभाजन का मामला राज्य परामर्शद के क्षेत्राधिकार मे नहीं आना चाहिए।
7.5 उल्लेखनीय है कि तथ्य विवरणी के साथ राज्य परामर्शदातृ समिति को सन्दर्भित किये ज जिस पत्र सं०- 3/7-6/96-38 दि०-29.03.2001 की प्रति संलग्न है, वह वस्तुतः गु विभाग को प्रेषित है। राज्य परामर्शदातृ समिति को यह पत्र भेजा ही नहीं गया है एवं न्यायालय ने इसी सूचना को आधार बनाकर राज्य परामर्शदातृ समिति को मामले कं निध यह न्याय निर्णय पारित किया है।
7.6 प्रशासी विभाग के उपरवर्णित मंतव्य के आलोक में समिति पत्रांक 312 दि०- 19.06.2008 3 को उपलब्ध पते पर यह सूचना प्रेषित कर दी गयी कि भारत सरकार के मार्गदर्शन के समिति का गठन मात्र राज्य स्तरीय कर्मियों के उत्तरवर्त्ती राज्यों में आवंटन के निमित दि है। क्षेत्रीय कर्मियों का बंटवारा समिति के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है ।
7.7 समिति कार्यालय के पत्रांक 312 दिनांक-19.06.2008 द्वारा वादी को प्रेषित सूचना पर र सर्वसम्मति से अपनी सहमति प्रदान की।


  1. भारत सरकार द्वारा चतुर्थवर्गीय कर्मियों के आवंटन तथा दम्पत्ति नीति पर रा सरकारों को निर्गत दिशा-निर्देश दि० 02.11.2007 पर समिति के विचारोपरान्त व् बिन्दुओं पर माँगे गए मार्गदर्शन पर भारत सरकार के मिरी संख्या-28(सी)/10/2008-एस० आर० एस० दि० 30.05.2008 द्वारा प्राप्त स्पष्टीक के आलोक में अवशेष चतुर्थवर्गीय कर्मियों के अंतिम आवंटन के सम्बंध में विचार।
    8.1 चतुर्थवर्गीय कर्मियों के आवंटन के सम्बंध में दोनों राज्य सरकारों को निर्गत भारत सरकार के नि: दि० 02.11.2007 के आलोक में समिति की बैठक दिनांक-22.02.2008 में विचारोपरान्त कुछ बिन्दु पर भारत सरकार से मार्गदर्शन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया था। इस संबंध में भा सरकार का स्पष्टीकरण दि० 30.05 .2008 के पत्र द्वारा प्राप्त हुआ है।
    8.2 भारत सरकार के उपरोक्त मार्गदर्शन/स्पष्टीकरण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि स्वी: बल से अधिक आवंटित कर्मियों के लिए उत्तरवर्ती राज्यों के मध्य पदों का पुनर्नियतन करकें आ: अधिसंख्य पद (Supernumerary Post) निर्मित करकें विकल्प के आधार पर राज्य आवंि किये जाये।
    8.3 इस संदर्भ में यह स्पष्ट किया जाना आवश्यक है कि पदों का नियतन अथवा अधिसंख्य पद स्वी: करने की शक्ति राज्य परामर्शदात् समिति को नहीं है। यह शक्ति उत्तरवर्ती राज्यों को ही है। 3 जिस किसी उत्तरवर्ती राज्य में उक्त मार्गदर्शन के अनुसार स्वीकृत बल से अधिक कर्मी का आवं हो जाता है, तो वैसी स्थिति में संदर्भित उत्तरवर्ती राज्य (Concerned Successor Stat आवश्यकतानुसार पदों का पुनर्नियतन अथवा अधिसंख्य पद को निर्मित कर ले सकता है।
    8.4 यह उल्लेखनीय है कि कर्मियों के आवंटन हेतु विभिन्न विभागों से कर्मियों के प्राप्त बायोडाटा में उ: पदनाम एवं वेतनमान अंकित हैं। किन्तु उनका ग्रेड यथा श्रेणी/वर्ग-1,2,3 या 4 अंकित नहीं समिति द्वारा भी बायोडाटा के लिए जो विहित प्रपत्र-2 परिचालित किये गये थे उसमें इस प्रव की सूचना का अंकन करने हेतु कोई कॉलम नहीं था। अतः कर्मियों के ग्रेड की सूचना समि कार्यालय को उपलब्ध नहीं है।
    8.5 कार्मिक एवं प्र० सु० विभाग के संकल्प संख्या 9849 दिनांक 10.11 .2004 में राज्य के सरक सेवाओं/पदों का वर्गीकरण किया गया है। कोई ऐसा पद, जिसका वेतन अथवा जिसकें वेतनम का अधिकतम 4000 रूपये अथवा उससे कम हो समूह ‘घ’ के अंतर्गत वर्गीकृत है। अवशेष कर्मि में से उक्त परिधि में आनेवाले कर्मियों का आवंटन चतुर्थवर्गीय कर्मियों के आवंटन हेतु निर्गत : मार्गदर्शन के आलोक में किया जाना अपेक्षित है।
    8.6 दम्पति मामले- (i) केन्द्र सरकार के उक्त वर्णित मार्गदर्शन में दम्पत्ति मामलों के आवंटन संबंधी : सिद्धांतों मे भी परिवर्तन किया गया है। वर्तमान सिद्धांत के अनुसार कनीय दम्पति का आवंटन वर् दम्पति को आवंटित राज्य में किया जाता है। अब इस नियम में तरलता लाते हुए यह निर्णय लि गया है कि ऐसा कोई रोक नहीं होगा कि हमेशा कनीय दम्पति ही वरीय दम्पति के अनुरु आवंटित होगें। यहाँ तक कि वरीय दम्पति भी कनीय दम्पति के अनुरूप आवंटित होगें (Eve the senior spouse may follow the junior spouse).
    (ii) वर्तमान में समिति द्वारा पति-पत्नी दोनों के राज्य स्तरीय सेवा या उनमें से किसी एक गैर-स्थानान्तरणीय पद या सरकार द्वारा वित्तपोषित संस्थान में पदस्थापित होने की स्थिति में : दोनों को एक ही राज्य मे आवंटित किया जाता है। दोनों दम्पत्ति में से एक के गैर-स्थानान्तरणी पद पर रहने की स्थिति में राज्य स्तरीय कर्मियों को गैर-स्थाः वाले कर्मी के राज्य में आवंटि किया जाता है तथा दोनों के राज्य स्तरीय संवर्ग में रहने पर वरीय दम्पति को आवंटित राज्य कनीय दम्पति का आवंटन किया जाता है। अगर कनीय दम्पति वाले संवर्ग के आवंटन की प्रकि: पहले सम्पन्न हो जाती है तो उस समय कनीय दम्पति का आवंटन लंबित/अनिर्णीत रखा जा

है। वरीय दम्पति वाले संवर्ग की आवंटन प्रक्रिया सम्पन्न हो जाने पर लंबित/द दम्पति का आवंटन वरीय दम्पति को आवंटित राज्य में किया जाता है।
(iii) समिति में आवंटन हेतु अवशेष मामले जिनकें अंतिम आवंटन की अनुशंस को अबतक नहीं भेजी गई हैं, में उक्त संशोधित मार्ग दर्शन एवं स्पष्टीकरण को निर्णय लिया गया।
$\otimes \otimes \otimes$
9. श्री उमेश कुमार, सहायक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा नियुक्ति की आवंटन किये जाने संबंधी प्राप्त आवेदन पर विचार :-
9.1 कार्मिक एवं प्र० सु० विभाग, बिहार के पत्रांक 3959 दिनांक-20.06.2008 द्वारा f का आवेदन दिनांक-05.06.2008 तथा 08.01.2007 की प्रति उपलब्ध कराते हुए क उनके द्वारा पिछडे वर्गो के लिए राज्य आयोग में शिकायत दर्ज करायी गयी नियुक्ति सामान्य कोटि में हुई है जबकि इनका राज्य आवंटन पिछड़ा वर्ग में गणना है। पत्र में यह भी कहा गया है कि दिनांक 03.06.2008 को मामले की सुनवाई लिए राज्य आयोग द्वारा करते हुए विभाग एवं राज्य परामर्शदातृ समिति के उपस्थित समक्ष प्रश्नगत विषय पर एक अभ्यावेदन कार्मिक एवं प्र० सु० विभाग के समक्ष सर औपचारिक निदेश दिया गया था। उक्त निदेश के अनुपालन स्वरूप विषयांकित आवेदन दिनांक 05.06.2008 विभाग में दिनांक 06.06.2008 को प्राप्त कराया गया।
9.2 उक्त आवेदन पर समीक्षापरान्त विभाग ने निम्नांकित मंतव्य दिया है।
(i) भारत सरकार के कार्मिक एवं पेंशन मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण f उमेश कुमार सहित अधिकांश सहायकों के अंतिम राज्यावंटन का कार्य निष्पादित है। यह आवंटन राज्य परामर्शदातृ समिति द्वारा पूर्व में निर्धारित मापदंड के अनुरूप अनुशंसा के आलोक में किया गया है।
(ii) राज्य परामर्शदातृ समिति एवं भारत सरकार द्वारा अधिकांश संवर्गो के कार्य निष्पादित किया जा चुका है। अतः अब समिति द्वारा राज्यावंटन के लिए निर्धारित करना उचित नहीं होगा।
9.3 उक्त मंतव्य सहित आवेदक का राज्यावंटन पिछड़ी जाति के ऐसे कर्मी जिनकी f कोटि में हुई तथा इनका राज्यावंटन जिस सिद्धान्त के अनुरूप किया गया है, उ अनुरूप करने की अनुशंसा की गई है।
9.4 यह उल्लेखनीय है कि उक्त वर्णित मामले में सुनवाई हेतु राज्य परामर्शदातृ समिति के रूप में उपसचिव श्री राम ईकबाल शर्मा भी आयोग के समक्ष दिनांक 03.06 .2008 हुए थे। आयोग की मांग पर उसके पूर्व समिति पत्रांक 256 दिनांक 02.06 .2008 भारत सरकार द्वारा निर्गत मार्गदर्शन तथा समिति द्वारा कर्मियों के आवंटन हेतु सिद्घान्त एवं मार्गदर्शन संबंधित कार्यवाहियों की प्रतियों उपलब्ध करा दी गई थी।
9.5 आवेदक के राज्य आवंटन का मामला समिति के दिनांक 30.11 .2002 की कार्यवा 17 के अंतर्गत आता है। आवेदक का राज्य आवंटन झारखंड राज्य में समिति व अनुरूप केन्द्र सरकार के आदेश दिनांक 02.06 .2008 द्वारा किया जा चुका है।
9.6 समिति ने विषयवस्तु का अवलोकन करने के बाद इससे भारत सरकार को भी अ का निर्णय लिया।


  1. सी० डब्लू० जे० सी० संख्या- 14256/2007 संतोष कुमार बनाम भारतीय संघ व पारित न्यायादेश दिनांक 05.02.2008 के अनुपालन पर विचार :-
    10.1 इस वर्णित याचिका के वादी स्वास्थ्य विभाग के नियंत्रणाधीन नेत्र-सहायक पद के र इनका विकल्प अप्राप्त था। ये अंतिम रूप से झारखंड आवंटित हैं। वादी द्वारा न्याय आलोक में समर्पित अभ्यावदेन में नया तथ्य यह दिया गया है कि उनकी पत्नी मासिक अ: आधार पर बिहार राज्य में पंचायत शिक्षा मित्र के पद पर दिनांक 01.06.2005 से नियुक्त कार्यरत हैं। पत्नी के बिहार में उक्त पद पर नियुक्त होकर कार्यरत रहने के आधार पर आवंटित राज्य झारखंड राज्य के बदले बिहार राज्य में आवंटित किये जाने का अनुरोध कि
    10.2 स्पष्ट है कि वादी की पत्नी नियमित सरकारी सेवक नहीं हैं। समिति द्वारा दिनांक 07, 2001 की बैठक की कार्यवाही में लिये गये निर्णयानुसार वैसे कर्मी जिनके दम्पत्ति राज्य के क्षेत्रीय पद पर पदस्थापित है अथवा केन्द्र/राज्य सरकार द्वारा लगभग पूर्णतः वित्त संस्था यथा बोर्ड, निगम, प्राधिकार, विश्वविद्यालय के वैसे क्षेत्रीय/राज्य स्तरीय पदों पर हैं तो उनकें मामले दम्पत्ति नीति के अंतर्गत विचारित होंगें।
    10.3 वादी का मामला समिति द्वारा बनाये गये दम्पत्ति नीति के अंतर्गत नहीं आता है, अ: अस्वीकृत करने का निर्णय लिया गया।
    $\odot \odot \odot$

11. सिविल विमानन् विभाग के कर्मियों को दोंगो उत्तरवर्ती राज्यों के बीच आवंटन पर विचार

11.1 सिविल विमानन् विभाग, बिहार के पत्रांक-578 दिनांक 17.09.2001 की कोंडिका-5 में कह कि :-
“सिविल विमानन् विभाग में अब जो भी पद उपलब्ध है वे सभी राजकीय वायुयान र एवं बिहार उड्डयन संस्थान के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के निमित ही है । राज्य र: के उच्च स्तर पर भी इस बिन्दु पर पूर्व में विचार किया गया है कि सिविल विमानन् विभ: कार्यहीत में वर्त्तमान में किसी भी पदधारक (भाली-4 पद, स्वीपर-2 पद को छोर कर) की झारखंड राज्य को सुपुर्द करना उचित नहीं होगा ।”
11.2 विभाग द्वारा प्रेषित उपर्युक्त प्रतिवेदन के आलोक में दिनांक 30.11 .2002 को समिति की बैठ लिये गये निर्णय के आलोक में समिति की दिनांक 05.02 .2003 की बैठक में सचिव, सि विमानन् विभाग, बिहार को आमंत्रित किया गया । उक्त बैठक में उन्होंने उपस्थित होकर ब कि राजकीय विमान संगठन को सुचारू रूप से कार्यरत रखने के लिये जो न्यूनतम आवश्य कुशल श्रेणी के कर्मचारी/पदधारक की है वे यहाँ रखे गये हैं । इसकें अतिरिक्त उनके दो-चार तृतीय/चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों को छोड़कर और किन्हीं की सेवा उत्तरवर्ती राज्यों विभाजन के लिये उपलब्ध नहीं है । बैठक में वायुयानों के बटवारा का भी बिन्दु उठा लेकिन : में समिति ने अनुभव किया कि सम्पत्ति का बटवारा समिति के कार्य क्षेत्र के बाहर है, इसलिए पर कोई निष्कर्ष नहीं दिया जा सका । अर्थात इस विभाग के कर्मचारियों/पदाधिकारीयों विभाजन पर कोई सहमति नहीं बन सकी ।
11.3 माननीय झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा डब्ल्यू० पी० (एस०) संख्या-1135/2005, राम चन्द्र र बनाम् झारखंड राज्य एवं अन्य में दिनांक 28.07 .2005 को दिये गये न्याय निर्णय के आलोक समिति के विचारार्थ दिनांक 12.09 .2005 की बैठक में पूरे मामले को प्रस्तुत किया गया । समि ने विचारोपरान्त श्री साहू द्वारा उठाये गये बिन्दुओं पर बिहार एवं झारखंड सरकारों से मत सहित प्रतिवेदन प्राप्त करने का निर्णय लिया । समिति के निर्णय के आलोक में समिति कार्यात् के पत्रांक 743 दिनांक 28.10 .2005 द्वारा वादी (श्री साहू) द्वारा उठाये गये बिन्दुओं पर रा


के उक्त पत्र के आलोक में नागर विमानन विभाग, झारखंड रांची के पत्रांक 22126 2006 द्वारा प्रेषित प्रतिवेदन में कहा गया है कि :-
(क) सिविल विमानन् विभाग, बिहार के पत्रांक 706 दिनांक 28.05 .2005 को सम्बोधित है द्वारा ग्लाईडर प्रशिक्षक के तीन स्वीकृत पदों का स्थानान्तरण झ किया जा चुका है एवं वर्तमान में ग्लाईडर शाखा से संबंधीत कोई भी स्थापना अवस्थित नहीं है ।
(ख) दिनांक 05.02 .2003 को समिति की बैठक में सचिव, सिविल विमान द्वारा स्पष्ट किया गया है कि तृतीय/चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को छोड़ कर सेवा उत्तरवर्ती राज्यों में आवंटन करने के लिये उपलब्ध नहीं है । इस परामर्शदातृ समिति को ही निर्णय लेना है ।
(ग) ग्लाईडिंग अनुभाग संबंधी कोई स्थापना बिहार राज्य में नहीं है औ द्वारा ग्लाईडिंग अनुभाग को सभी परिसम्पत्ति के अधिन ही उपलब्ध है ।
11.4 नागर विमानन विभाग, झारखंड के पत्रांक 22 दिनांक जनवरी 2006 के आलं प्रशिक्षक के पद को झारखंड के लिये समिति की अनुमोदन की प्रत्याशा में आ समिति कार्यालय के पत्रांक 52 दिनांक 06.02 .2006 द्वारा निम्नांकित बिन्दुओं पर प्रतिवेदन देने का अनुरोध किया गया :-
(क) सिविल विमानन विभाग बिहार के पत्रांक 578 दिनांक 17.09 .2001 में पदों के संबंध में दी गयी विवरणी के प्रत्येक पद समूह में कितनी संख्या $S$ अनुमान्य होगी ।
(ख) किस संवर्ग के कितने कर्मियों की सेवा झारखंड राज्य को सौपी ज नाम एवं प्रपत्र-2 के कमांक सहित प्रतिवेदित करने की कृपा की जाय । अब । सेवा झारखंड राज्य को पुन: देने का विचार विभाग को है उनकं नाम एवं कमां करने की कृपा की जाय ।
11.5 समिति कार्यालय के पत्रांक 52 दिनांक 06.02 .2006 के आलोक में नागर विमानन रांची द्वारा अपने पत्रांक 192 दिनांक 07.03 .2006 से दिये गये प्रतिवेदन में कहा ग:
(क) उड्डयन संस्थान के ग्लाईडिंग अनुभाग संबंधी कोई स्थापना बिहार । नहीं है तथा पूर्ववर्ती राज्य द्वारा ग्लाईडिंक अनुभाग के सभी परिसम्पत्ति के साथ स्वीकृत झारखंड राज्य को उपलब्ध कराये गये है । वर्तमान में ग्लाईडिंग अनुभाग ढांचा के अन्तर्गत ग्लाईडर प्रशिक्षक को छोर कर अन्य सभी तृतीय तथा च अधिकांशतः एकल ही हैं ।
(ख) बिहार राज्य से एक बैरन बी-55 विमान के साथ मात्र एक विमान 1 नाली की सेवा झारखंड राज्य को प्राप्त हुई है । राजकीय विमानन संगठन हेतु झारखंड राज्य को प्राप्त है । इस संगठन हेतु अन्य तकनीकि पदों का भी अंतिम : राज्य को उपलब्ध कराने की कृपा की जाय ।
(ग) बिहार का कोई प्रतिवेदन प्राप्त नहीं है ।
11.6 स्मार पत्रों के बाद भी बिहार सरकार का कोई प्रतिवेदन प्राप्त नहीं होने पर अद अध्यक्षता नें विभागीय सचिव को बैठक हेतु आमंत्रित किया गया जिसमें विभागीय शीघ्र प्रतिवेदन देने का आश्वासन दिया गया । परन्तु कई स्मार पत्र के बाद भी अ
11.7 दिनांक 18.04 .2007 की बैठक में पूरी स्थिति को समिति के समक्ष रखा गया विचारोपरान्त बिहार सरकार का वांछित मंतब्य प्राप्त कर समिति के विचारार्थ र लिया गया । समिति के निर्णय के आलोक में समिति कार्यालय का पत्रांक 238 2007 द्वारा पुनः वांछित प्रतिवेदन शीघ्र भेजने का अनुरोध किया गया ।


11.8 सिविल विमानन निदेशालय के पत्रांक 576 दिनांक 27.06.2007 द्वारा पत्रांक 578 दिनांक 17.09. 2001 एवं उसकें साथ संलग्न प्रपत्र-1 एवं 2 की छाया प्रति संलग्न कर भेजा गया है । समिति द्वारा किये गये पृच्छा के संबंध में कुछ भी नही कहा गया है । प्रपत्र-1 एवं प्रपत्र-2 पूर्व से ही समिति कार्यालय को प्राप्त था परन्तु अग्रसारण पत्र में माली के चार एवं स्वीपर के दो पद को छोड़ कर झारखंड को सुपूर्द करने में असमर्थता व्यक्त की गयी थी ।
11.9 इस मामले को समिति के विचारार्थ दिनांक-22.02.2008 एवं 23.05.2008 की बैठक में उपस्थापित किया गया, परन्तु झारखंड सरकार के प्रतिनिधि के उपस्थित नही होने के कारण कोई निर्णय नही लिया जा सका। दिनांक 23.05.2008 की बैठक में समिति ने अनुभव किया था कि इसमें शामिल तकनीकि पद एवं तकनीकी पदकर्मियों का विभाजन नहीं किया जा सकता है फिर भी बिहार तथा झारखंड राज्य से वांछित पूर्ण उत्तर आने पर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी।
11.10 विभागीय पत्रांक 459 दिनांक 25.06.2008 के साथ सिविल विमानन विभाग के कर्मियों की सूची पुनः भेजी गयी है एवं पत्र में कहा गया है कि-
“पूर्व में ग्लाईडिंग शाखा का रौंची में अवस्थित होने के कारण उसमें कार्यरत कर्मियों को झारखंड राज्य के लिए पूर्व में ही विरमित कर दिया गया है। इसकें अतिरिक्त सिविल विमानन विभाग, बिहार में तीन संगठन यथा वायुयान संगठन, हेलिकॉप्टर संगठन एवं बिहार उड्डयन संस्थान अवस्थित है और तीनों के वायुयागो/हेलिकॉप्टर आदि के रख-रखाव हेतु तीन हैंगर भी है और प्रत्येक हैंगर की मान्यता के लिए D.G.C.A के (Civil Aviation Rules) नियमानुसार वांछित संख्या में वहाँ तकनीकी एवं गैरतकनीकी पदाधिकारी/कर्मचारियो का रहना आवश्यक है। बंटवारा की स्थिति में हैंगर की मान्यता रद्द भी हो सकती है, जबकि इसमें पूर्व से ही कर्मियों की संख्या काफी कम है। इस कारण ऐसे हैंगर से जूड़े कर्मियों का बंटवारा राज्यहीत/संस्थान के हित मे नहीं होगा । अतः ऐसे कर्मी जिन्हें पूर्व में ही झारखंड राज्य के लिए विरमित कर दिया गया है, को छोड़कर शेष कर्मियों को बिहार राज्य में ही रहने दिया जाय।”
11.11 उक्त तथ्यों पर पूर्ण विचारोपरान्त समिति ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि इस विभाग के सिर्फ चतुर्थवर्गीय कर्मियों का पद विभाजन करते हुए उनका अनुशंसित अंतिम आवंटन सूची तैयार कर भारत सरकार से निर्गत अतिरिक्त मार्गदर्शन एवं स्पष्टीकरण के आलोक में अध्यक्ष महोदय के अनुमोदन प्राप्त कर अंतिम निर्णय हेतु भारत सरकार को भेज दी जाय। शेष कर्मियों के आवंटन पर विचार करने हेतु प्रस्ताव तैयार कर अगली बैठक में रखा जाय ।
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12. विभिन्न विभागों के अवशेष चतुर्थवर्गीय कर्मियों का नये मार्गदर्शन के आधार पर आवंटन ।

इस कार्यवाही की कडिका 8 में लिये गये निर्णय के आलोक में समिति कार्यालय में विभिन्न विभागों के अवशेष चतुर्थवर्गीय कर्मियों के आवंटन के संबंध में तैयार अनुशंसित अंतिम आवंटन सूची (R.F.A.L) पर विचारोपरान्त समिति ने सर्वसम्मति से अनुमोदन किया।

कुल कर्मी 723, बिहार आवंटन 646 झारखंड आवंटन 77
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13. स्वीकृत पदों का विभाजन :-
13.1 सेकेण्ड्री, प्राथमिक एवं व्यस्क शिक्षा विभाग के मुख्यालय के विभिन्न 7 प्रकार के स्वीकृत पदों का विभाजन किया गया। कुल स्वीकृत पद 176, बिहार 118 तथा झारखंड 58


13.2 कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के अवर शिक्षा सेवा के स्वीकृत पदों का विभाजन किया गया कुल पद 55, बिहार 35 तथा झारखंड 20
13.3 स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के चिकित्सा-शिक्षा के अंतर्गत आवासीय चिकित्सक (रेडियोलॉजी) कुल 6 पदों में उत्तरवर्त्ती बिहार को ही आवंटित किया गया।
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14. मानव संसाधन विकास विभाग के नियंत्रणाधीन मुख्यालय के विभिन्न पदकर्मियों का टेन्टेटिव अंतिम आवंटन :-
14.1 (i) पूर्व में सेकेण्ड्री, प्राथमिक एवं व्यस्क शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा विभाग तथा कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा अपने अधीनस्थ मुख्यालय के पदों एवं कर्मियों की सूची अलग-अलग भेजी गयी थी। विभागीय सूचनानुसार तीनों विभागों के पदों एवं कर्मियों का टेन्टेटिव आवंटन अलग-अलग किया गया। चालक के 07 कर्मियों की सूची भेजी गयी थी परन्तु 06 पद की सूचना प्रपत्र-1 में रहने के कारण उनका टेऽ आवंटन नहीं किया जा सका था।
(ii) उच्च शिक्षा विभाग, बिहार द्वारा अपने नियंत्रणाधीन कर्मियों से टेऽ आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों को प्रपत्र-9 के साथ अंतिम आवंटन पर विचार हेतु भेजा गया। इस विभाग से टेऽ अंतिम आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों पर समिति की दिनांक 09.08 .2004 की बैठक में विचार किया गया गया एवं समिति के निर्णयानुसार अनुशंसित अंतिम आवंटन सूची समिति कार्यालय के पत्रांक 623 दिनांक 12.10 .2004 द्वारा भारत सरकार को भेजी गयी। भारत सरकार के आदेश सं०-10 (बि०)/2005 एवं आदेश सं०-10(झा०)/2005 दिनांक 02.03.2005 द्वारा अंतिम आवंटन से संबंधित आदेश भी निर्गत किया जा चुका है।
(iii) टेन्टेटिव आवंटन के पश्चात् कुछ कर्मियों द्वारा यह दावा किया गया कि विभाग को विभक्त किये जाने के बावजूद कर्मियों का विभाजन नहीं किया गया है अर्थात् विभाजित विभाग के कर्मियों का एक ही संवर्ग बना हुआ है। ऐसी स्थिति में अलग-अलग सूची के आधार पर राज्य आवंटन करना उचित नहीं होगा। सेकेण्ड्री, प्राथमिक एवं व्यस्क शिक्षा की सूची के एक टंकक श्री मनोरंजन कुमार एवं दिनचर्या लिपिक श्री भरत भूषण गुप्ता द्वारा पटना उच्च न्यायालय में क्रमशः सी० डब्लू० जे० सी० संख्या- 14037/03 एवं सी० डब्लू० जे० सी० संख्या- 14457/03 भी दायर किया गया, जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा क्रमशः दिनांक 02.11 .2004 एवं दिनांक 15.04 . 2005 के पारित आदेश में वादी के दावों पर विभागीय मंतव्य प्राप्त होने के पश्चात् ही अंतिम आवंटन का निर्णय लेने का र्निदेश समिति को दिया गया तथा टेन्टेटिव अंतिम आवंटन के कार्यान्वयन को स्थगित कर दिया गया।
(iv) कई पत्राचार के पश्चात् मानव संसाधन विभाग, बिहार के पत्रांक-954 दिनांक 27.04.2006 द्वारा तीनों विभागों में कार्यरत प्रधान टंकक, टंकक, दिनचर्या लिपिक, लेखा लिपिक/विपत्र लिपिक, चालक, पानी मजदूर, आदेशपाल, फरास, एवं स्वीपर के पद पर कार्यरत 144 कर्मियों की सूची समेकित रूप से भेजी गयी। पूर्व में सेकेण्ड्री, प्राथमिक एवं व्यस्क शिक्षा विभाग द्वारा लेखा लिपिक/विपत्र लिपिक की सूची नहीं भेजी गयी थी। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 01 लेखा लिपिक एवं कला, संस्कृति एवं युवा कार्य विभाग द्वारा 01 विपत्र लिपिक की सूची भेजी गयी थी। अर्थात् समेकित सूची में 02 नाम नया है।
(क) मानव संसाधन विभाग द्वारा भेजी गयी सूची एवं तीनों विभाग द्वारा अलग-अलग भेजी गयी सूची की जाँच किये जाने पर पैमाने पर बायोडाटा में भिन्नता पायी गयी। इस भिन्नता की ओर विभाग का ध्यान आकृष्ट कर सही स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया गया, क्योकि बायोडाटा में अशुद्धि से आवंटन भी प्रभावित होने की संभावना बनी रहती है, जिससे न्यायालीय मामले भी बन जाते है और समिति के अतिरिक्त दोनों उत्तरवर्त्ती राज्यों एवं केन्द्र सरकार को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए समिति कार्यालय के पत्रांक-699


दिनांक- 08.12.2006 द्वारा पायी गयी भिन्नता की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए सही स्थिति से अवगत करने का अनुरोध किया गया।
(ख) समिति कार्यालय के पत्रांक-699 दिनांक-08.12.2006 के प्रसंग में मानव संसाधन विकास विभाग, बिहार के पत्रांक-1783 दिनांक-03.07.2007 द्वारा एक प्रतिवेदन भेजा गया, जिसमें अनेकों कर्मियों के संबंध में कोई सूचना नही दी गयी, अनेकों के संबंध में पहले दी गयी दोनों सूचनाओं से भिन्न सूचना दी गयी, जबकि अनेकों के संबंध में अभिलेख/सेवापुस्त अप्राप्त एवं सेवानिवृत बताया गया।
(ग) समिति कार्यालय के पत्रांक-463 दिनांक-08.11.2007 द्वारा शेष भिन्नताओं की ओर पुनः विभाग का ध्यान आकृष्ट करते हुए स्थिति करने का अनुरोध किया गया। उत्तर अप्राप्त रहने पर सदस्य सचिव, राज्य परामर्शदातृ समिति के अर्द्ध स० प० सं०-82 दिनांक-10.03.2008 एवं 210 दिनांक-13.05.2008 द्वारा विभाग को स्मारित किया गया। विभागीय पत्रांक-957 दिनांक-22. 05.2008 द्वारा एक प्रतिवेदन भेजा गया है, जिसकी प्रविष्टि विभागीय समेकित सूची में कर दी गयी है।
(V) समेकित सूची के आधार पर आवंटन किये जाने पर अनेकों कर्मियों का राज्य आवंटन प्रभावित होता है। माननीय न्यायालय द्वारा अपने न्यायादेश में टे० आवंटन को स्थगित कर दिया गया है। प्राथमिक एवं व्यस्क शिक्षा विभाग के मुख्यालय में कार्यरत कर्मियों में से किन्हीं का भी विकल्प प्रपत्र नहीं भेजा गया है। इस हेतु अनेकों स्मार पत्र दिये गये है।
(vi) उपरोक्त तथ्यों पर विचार करते हुए समिति ने निम्नांकित निर्णय लिया –
(क) इसमें शामिल चतुर्थवर्गीय कर्मियों का आवंटन प्रस्तुत कार्यवाही की कडिका-8 में लिये गये निर्णय के आलोक में अंतिम आवंटन किया जाय। इसके लिए तैयार अनुशंसित आवंटन सूची को अनुमोदित किया। कुल कर्मी 94, बिहार आवंटन 85 झारखंड आवंटन 09
(ख) टंकक संवर्ग, दिनचर्या लिपिक, लेखा लिपिक/विपत्र लिपिक एवं चालक जिनकी समेकित सूची विभाग द्वारा भेजी गई है, को पुन: टेन्टेटिव अंतिम आवंटन किया जाय। इसके लिए तैयार टेन्टेटिव अंतिम आवंटन सूची को अनुमोदित किया गया। कुल कर्मी 64, बिहार आवंटन 43 तथा झारखंड आवंटन 21

14.2 कल्याण विभाग के अंतर्गत विभिन्न विशिष्ट संस्थानों के कर्मियों का पूर्व में “जो जहाँ हैं वहाँ” के आधार पर आवंटन करने का निर्णय लिया गया था। इसके कर्मियों की कुल संख्या 127 थी। उनमें से 22 कर्मियों के पदस्थापन स्थल/राज्य की सूचना नहीं रहने के कारण उनका आवंटन लंबित था। प्रशासी विभाग से उक्त सूचना उपलब्ध करा दिये जाने के फलस्वरूप उन लंबित 22 कर्मियों के टेन्टेटिव अंतिम आवंटन करने का निर्णय लिया गया। कुल कर्मी 22, बिहार आवंटन 12 तथा झारखंड आवंटन 10
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15. टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन एवं अंतिम आवंटन

15.1 विभिन्न विभागों से विभिन्न सेवा-संवर्गो के टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध समर्पित अभ्यावेदनों में किये गये दावों/प्रशासी विभागों द्वारा स्वमेव कर्मियों के बायोडाटा में किये गये संशोधनों के फलस्वरूप कुछ कर्मियों के नया टेन्टेटिव अंतिम आवंटन का प्रकाशन किया गया था अथवा उनके मामले कतिपय कारणों से अनिर्णीत/लंबित रखे गये थे। आज की बैठक में अधिकांश मामले इसी प्रकार के थे। कुछ मामले कोर्ट-कंस के कारण लंबित थे यथा- कार्मिक एवं प्र० सु० विभाग एवं वित्त विभाग के दिनचर्या लिपिक तथा वित्त विभाग के विपत्र लिपिक के मामले। मानव संसाधन विकास विभाग के मुख्यालय कर्मियों के मामले प्रशासी विभाग द्वारा पूर्व प्रेषित अलग-अलग


विभागवार सूचियों के स्थान पर संशोधित समेकित सूची के मामले भी आज की बैठक में विचारित हुए। सम्यक् विचारोपरान्त निम्नवत् अनुशंसा की गई –
15.2 निगरानी विभाग- अवर निरीक्षक तथा आख्ती के क्रमशः 01-01 कर्मी के विरूद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई अवर निरीक्षक कुल कर्मी 01, बिहार आवंटन 01 झारखंड आवंटन 0 । आख्ती कुल कर्मी 01, बिहार आवंटन 0 झारखंड आवंटन 01 ।
15.3 गृह विभाग- (क) परिवारी प्रवर के 02 कर्मियों के विरूद्ध प्राप्त अभ्यावेदन का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई- कुल कर्मी 02, बिहार आवंटन 01 तथा झारखंड आवंटन 01 ।
(ख) अवर निरीक्षक (एम०) – (i) इस संवर्ग के कुल कार्यरत बल 52 में बिहार तथा झारखंड आवंटन अनुमान्य क्रमशः 35 तथा 17 है। अबतक इनमें से 48 का विभाजन बिहार तथा झारखंड में क्रमशः 33 तथा 15 किया जा चुका है। समिति की विगत बैठक दि०-23.05.2008 में अनु० जनजाति के दो कर्मियों की अनुशंसा इस प्रकार की गई है- श्रीमती अदोरा लकड़ा को विकल्प के राज्य झारखंड में तथा श्री एबरतुस बाड़ा को विकल्प एवं अभ्यावेदन के विरूद्ध बिहार राज्य में। यह देखा गया कि श्री बाड़ा की पत्नी श्रीमती प्रभा सरोज तिर्की, निदेशक, प्रशिक्षण, श्रम विभाग, बिहार में लिपिक के राज्य स्तरीय पद पर कार्यरत हैं जिनका विकल्प झारखंड है। पति वरीय के आधार पर पति को आवंटित राज्य में उनका आवंटन अनुमान्य होने तथा पति का आवंटन नहीं होने के कारण श्रीमती तिर्की का आवंटन लंबित था। दम्पति के आवंटन हेतु वर्त्तमान सिद्धान्त के आलोक में कनीय दम्पति को आवंटन वरीय दम्पति को आवंटित राज्य में किया जाना है। इसी सिद्धान्त पर श्री बाड़ा का आवंटन अपने मेरिट पर उनके विकल्प एवं अभ्यावेदन के विरूद्ध बिहार राज्य में अनुमोदित हुआ है तथा तदनुसार उनकी अनुशंसित अंतिम आवंटन सूची भी अनुमोदित है। पूर्व बैठक में अनुमोदित मामले अबतक भारत सरकार को नहीं भेजी गई है।
(ii) भारत सरकार से दम्पति के आवंटन संबंधी संशोधित मार्गदर्शन में यह व्यवस्था है कि कनीय दम्पति का आवंटन वरीय दम्पति को आवंटित राज्य में किये जाने की बक्यता नहीं है। प्रस्तुत मामले में दोनो दम्पति राज्य स्तरीय हैं। दोनो का विकल्प झारखंड है। आख्तण कोटि अनु० जनजाति है। गृह राज्य झारखंड है तथा वरीय दम्पति (श्री बाड़ा) का अभ्यावेदन झारखड राज्य आवंटन हेतु है। भारत सरकार के उक्त मार्गदर्शन को अवशेष मामलों में लागू करने का निर्णय आज की बैठक में कंडिका-8 में लिया गया है। अतः उक्त आलोक में श्री एबरतुस बाड़ा के संबंध में समिति की विगत बैठक में आवंटन संबंधी लिये गये निर्णय को संशोधित कर झारखंड राज्य में आवंटित करने का निर्णय लिया गया। तदनुसार कुल कर्मी 02, बिहार आवंटन 0 तथा झारखंड आवंटन 02
(ग) गृह (विशेष) विभाग के मुख्यालय कर्मियों के अंतर्गत टेलीव्रिंटर ऑपरेटर, दिनचर्या लिपिक तथा टंकक के क्रमशः 01, 01 तथा 02 कर्मियों के विरूद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई। कुल कर्मी 04, बिहार आवंटन 0 तथा झारखंड आवंटन 04
(घ) गृह (आख्ती) विभाग- आख्ती अवर निरीक्षक के कर्मियों के बारे में निम्नवत् अनुशंसा की गई। कुल कर्मी 04, बिहार आवंटन 02 तथा झारखंड आवंटन 02
(ड़) गृह (आख्ती) विभाग के लिपिक संवर्ग के बारे में निम्नवत् अनुशंसा की गई- कुल कर्मी 10, बिहार 04, नया टै० आ० 04, अनिर्णीत 02
15.4 ग्राम्य अनियंत्रण संगठन के लिपिक सह टंकक के एकमात्र कर्मी के टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध प्राप्त अभ्यावेदन का निष्पादन करते हुए उन्हें बिहार राज्यों में अंतिम आवंटन की अनुशंसा की गई। एकमात्र कर्मी होने के कारण उनका आवंटन बिहार राज्य में ही अनुमान्य होता है।
15.5 नगर विकास विभाग के लिपिक संवर्ग के विरूद्ध अभ्यावेदन का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई- कुल कर्मी 03, बिहार आवंटन 01 झारखंड आवंटन 02
15.6 राजभाषा विभाग के हिन्दी टंकक के अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई-


कुल कर्मी 05, बिहार आवंटन 01 तथा झारखंड आवंटन 04
15.7 योजना एवं विकास विभाग के चालक, कनीय अनुसंधान पदाधिकारी तथा कनीय सांख्यिकी सहायक के अवशेष कर्मियों के नया टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई- कुल कर्मी 05, बिहार आवंटन 01 तथा झारखंड आवंटन 04
15.8 वित्त विभाग के विपत्र लिपिक तथा दिनचर्या लिपिक के क्रमशः 30 तथा 38 कर्मियों के टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई-
कुल कर्मी 68, बिहार आवंटन 45 तथा झारखंड आवंटन 22, नया टे़ आवंटन 01
15.9 प्राथमिक एवं व्यस्क शिक्षा मुख्यालय के बिहार शिक्षा सेवा, वेतनमान- 3000-4500, बिहार शिक्षा सेवा, वेतनमान- 6500-10500, सांख्यिकी पर्यवेक्षक, टंकण अधीक्षक तथा परीक्ष्यमान लिपिक के टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई-
कुल कर्मी 31, बिहार आवंटन 21 तथा झारखंड आवंटन 10
15.10 उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के अवर निरीक्षक एवं सहायक अवर निरीक्षक संवर्ग के क्रमशः 03 एवं 02 कर्मियों के टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए अंतिम आवंटन के संबंध में निम्नवत् अनुशंसा की गई –
कुल कर्मी 05, बिहार आवंटन 02 तथा झारखंड आवंटन 03
15.11 सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के लिपिक तथा अपर जिला जन संपर्क पदाधिकारी संवर्ग के क्रमशः 01 तथा 02 कर्मियों के टे़ आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए अंतिम आवंटन के संबंध में निम्नवत् अनुशंसा की गई-
कुल कर्मी 03, बिहार आवंटन 02 तथा झारखंड आवंटन 01
15.12 पशुपालन एवं मत्स्य विभाग के दिनचर्या लिपिक के तीन कर्मियों के टे़ आवंटन के संबंध में निम्नवत् अनुशंसा की गई-
कुल कर्मी 03, बिहार आवंटन 02 नया टे़ आवंटन 01
15.13 राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सहायक बन्दोबस्त पदाधिकारी के 01 तथा सहायक सांख्यिकी पदा० के 01 कर्मियों के टे़ आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई-
कुल कर्मी 02, बिहार आवंटन 01 झारखंड आवंटन 01
15.14 (i) कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सहायक निदेशक (कला) के एकमात्र कर्मी के टे़ आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदन को निष्पादित करते हुए उन्हें बिहार राज्य में आवंटन की अनुशंसा की गई।
[क] कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार के पत्रांक-49 दिनांक- 27.02.2001 द्वारा प्रपत्र-1 में सहायक निदेशक (कला) एवं सहायक निदेशक (संस्कृति) के एक-एक मुख्यालय में स्वीकृत रहने की सूचना की टंकित प्रति एवं कम्प्यूटराइज्ड प्रति पत्रांक- 197 दिनांक-26.03. 2001 द्वारा दी गयी। साथ ही विभागीय पत्रांक-238 दिनांक-16.04.2001 द्वारा प्रपत्र-4 में सहायक निदेशक (संस्कृति) के 02 क्षेत्रीय पद झारखंड के लिए स्वीकृत रहने की सूचना दी गयी।
[ख] विभाग द्वारा कर्मियों की सूची (प्रपत्र-2) में सहायक निदेशक (कला) के 01 कर्मी डॉ० हरेन्द्र प्रसाद सिन्हा एवं सहायक निदेशक (संस्कृति) के 02 कर्मी का नाम आवंटन हेतु भेजा गया।
[ग] विभाग द्वारा दी गयी सूचनानुसार सहायक निदेशक (कला) के एकल पद को समिति के अनुमोदन के पश्चात् बिहार के लिए आवंटित करते हुए इस पद के विरुद्ध कार्यरत एकल कर्मी डॉ० हरेन्द्र प्रसाद सिन्हा को बिहार के लिए टेन्टेटिव आवंटन किया गया एवं इसे प्रचारित करते हुए अभ्यावेदन आमंत्रित किया गया। साथ ही सहायक निदेशक (संस्कृति) के 03 पदों में 01


बिहार एवं 02 झारखंड को आवंटित करते हुए 02 कर्मियों में 01 को बिहार एवं 01 को झारखंड के लिए टेन्टेटिव आवंटन किया गया एवं इसे प्रचारित करते हुए अभ्यावेदन आमंत्रित किया गया।

(घ) विभागीय पत्रांक-247 दिनांक-06.05.2003 द्वारा डॉ० हरेन्द्र प्रसाद सिन्हा के अभ्यावेदन को प्रपत्र-9 में मंतव्य के साथ अग्रसारित किया गया। प्रपत्र-9 में विभाग ने अपने मंतव्य में कहा कि –

“बिहार में सहायक निदेशक के 04 पद संस्कृतिक निदेशालय में है, जिसके विरूद्ध डॉ० सिन्हा को झारखंड में आवंटित किया जा सकता है।”

(ड) समिति कार्यालय के पत्रांक-367 दिनांक-07.07.2004 द्वारा विभाग से पूर्व में प्रपत्र-1 एवं प्रपत्र-4 में दी गयी सूचना से भिन्न प्रपत्र-9 में नये रूप में दिये गये प्रस्ताव के समर्थन में यथेष्ट तथ्य देने का अनुरोध किया गया। समिति कार्यालय के उक्त पत्र के उत्तर में कोई स्पष्ट मंतव्य न देकर केवल यह कहा गया कि सहायक निदेशक, कला एवं संस्कृति के 04 पद को प्रपत्र-1 एवं 4 में एक ही मानकर विभाजन किया जा सकता है।

(च) विभाग द्वारा दी गयी पूरी सूचना को समिति के दिनांक-04.05.2006 की बैठक में विचारार्थ प्रस्तुत किया गया। समिति ने विचारोपरान्त निर्णय लिया कि सहायक निदेशक (कला) एवं सहायक निदेशक (संस्कृति) के कर्मियों को टेन्टेटिव आवंटन के अनुरूप अलग-अलग अंतिम आवंटन किया जाय। समिति के निर्णय के अनुसार अनुशंसित अंतिम आवंटन सूची भारत सरकार को भेजे जाने की कार्रवाई की जा रही थी। इसी बीच कला, संस्कृति, खेल-कूद एवं युवा कार्य विभाग, झारखंड के पत्रांक-1575 दिनांक-16.08.2006 द्वारा श्री सिन्हा एवं उनकी पत्नी श्रीमती नूतन सिन्हा, अवर शिक्षा सेवा (संग्रहालय शाखा) के अभ्यावेदन को अग्रसारित करते हुए उस पर विचार करने का अनुरोध किया गया। उक्त पत्र के आलोक में सहायक निदेशक (कला) एवं (संस्कृति) का अंतिम आवंटन स्थगित रखते हुए समिति के पत्रांक-583 दिनांक-10.10.2006 द्वारा प्रशासी विभाग, बिहार से मंतव्य देने का अनुरोध किया गया।

(छ) प्रशासी विभाग के पत्रांक-592 दिनांक-18.06.2007 के साथ प्रपत्र-1 में सहायक निदेशक, कला एवं संस्कृति के 04 पद मुख्यालय के लिए समेकित रूप से रहने की सूचना दी गयी। प्रशासी विभाग द्वारा विभिन्न समय में भिन्न-भिन्न प्रकार की दी गयी सूचनाओं से उत्पन्न हुए संशय की स्थिति के निराकरण हेतु दिनांक-03.10.2007 को अध्यक्ष, राज्य परामर्शदातृ समिति के कार्यालय कक्ष में विभाग के साथ बैठक आयोजित की गयी, जिसमें विभाग द्वारा दिये गये एक अन्तरिम प्रतिवेदन में सहायक निदेशक (कला) एवं सहायक निदेशक (संस्कृति) के लिए अलग-अलग पद सृजित रहने एवं उस पर अलग-अलग कर्मियों के नियुक्त रहने की सूचना दी गयी। पुनः विभागीय पत्रांक-970 दिनांक-16.10.2007 अंतरिम प्रतिवेदन को सम्पुष्ट करते हुए विभागीय पत्रांक-247 दिनांक-06.05.2003, पत्रांक-592 दिनांक-26.07.2004 एवं पत्रांक-592 दिनांक-18.06.2007 द्वारा दी गयी सूचनाओं को विलोपित करते हुए प्रारम्भ में विभागीय पत्रांक-49 दिनांक-27.02.2001 तथा 238 दिनांक-06.04.2001 द्वारा प्रपत्र-1 एवं प्रपत्र-4 में भेजे गये पदों की सूचना के अनुसार अंतिम संवर्ग विभाजन की कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया। पुनः विभागीय पत्रांक-356 दिनांक-19.05.2008 द्वारा सम्पुष्ट किया गया कि विभागीय पत्रांक-970 दिनांक-16.10.2007 द्वारा प्रेषित प्रतिवेदन में किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं है। उक्त प्रतिवेदन के आधार पर ही संवर्ग बँटवारे का निर्णय लिया जाय।

(ज) उपरोक्त तथ्यों पर समिति द्वारा पूर्ण विचारोपरान्त यह निर्णय लिया गया कि प्रशासी विभाग द्वारा अंतिम रूप से भेजी गयी सूचना विभागीय पत्रांक-970 दिनांक-16.10.2007 के आधार पर सहायक निदेशक (कला) एवं सहायक निदेशक (संस्कृति) को अलग-अलग संवर्ग में आवंटन किया जाय तदनुरूप समिति ने सर्वसम्मति से सहायक निदेशक (कला) के एक मात्र कर्मी के टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध प्राप्त अभ्यावेदन को निष्पादित करते हुए बिहार राज्य में आवंटन की अनुशंसा की गयी।


(ii) क्रीड़ा प्रशिक्षक (अवर शिक्षा सेवा) के 14 कर्मियों के टै० आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई। बिहार आवंटन 07 झारखंड आवंटन 03 तथा अनिर्णीत 04
15.15 कार्मिक एवं प्र० सु० विभाग के दिनचर्या लिपिक के टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई-
कुल कर्मी 38, बिहार आवंटन 24 झारखंड आवंटन 12 तथा अनिर्णीत 02
15.16 श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के 13 विभिन्न प्रकार के अनुदेशकों के नया टै० आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई-
कुल कर्मी 23, बिहार आवंटन 09, झारखंड आवंटन 13 तथा नया टै० आवंटन 01
15.17 (क) माध्यमिक शिक्षा विभाग के 04 प्रकार के +2 अनुदेशकों के नया टै० आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों को निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई-
कुल कर्मी 13, बिहार आवंटन 08, झारखंड आवंटन 02, नया टै० आवंटन 01, अनिर्णीत 02
(ख) इसी विभाग के 12 अन्य यथा अवर शिक्षा सेवा (महिला संवर्ग), (पुरूष संवर्ग), प्रधानाध्यापक, +2 प्रयोगशाला एवं निम्न अवर शिक्षा सेवा (सहायक शिक्षिका एवं काफ्ट शिक्षिका) विभिन्न प्रकार के संवर्ग/पदकर्मियों के टै० आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई-
कुल कर्मी 104, बिहार 63, झारखंड 22, नया टै० आवंटन 15, अनिर्णीत 04
15.18 (क) स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय स्थित चालक के एकमात्र कर्मी के नया टै० आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदन का निष्पादन करते हुए उन्हें झारखंड में ही आवंटन की अनुशंसा की गई।
(ख) खाद्य निरीक्षक के एकमात्र कर्मी के नया टै० आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदन का निष्पादन करते हुए उन्हें बिहार राज्य में आवंटन की अनुशंसा की गई।
(ग) इस विभाग के नियंत्रणाधीन विभिन्न अराजपत्रित संवर्गो के टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई-
कुल कर्मी 181, बिहार 65, झारखंड 70, नया टै० आवंटन 32, अनिर्णित 14
(घ) इस विभाग के नियंत्रणाधीन चिकित्सा शिक्षा के अंतर्गत विभिन्न संवर्गो के कर्मियों के टै० आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई –
कुल कर्मी 72, बिहार 43, झारखंड 24, नया टै० आवंटन 05, अनिर्णित 0
(ड़) बिहार स्वास्थ्य सेवा-मूल कोटि, 20 प्रतिशत तथा 12.5 प्रतिशत वाले पद कर्मियों के नया टै० आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई-
कुल कर्मी 39, बिहार आवंटन 14, झारखंड आवंटन 12, अनिर्णीत 13
(घ) स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत अराजपत्रित श्रेणी/चिकित्सा शिक्षा के विभिन्न संवर्गो एवं बिहार स्वास्थ्य सेवा के लिये अंकित कुल मामलों में ऐसे मामले भी शामिल हैं जिनमें टै० अंतिम आवंटन के विरुद्ध अभ्यावेदन प्राप्त नहीं थे। सभी मामलों में अनुशंसित अंतिम आवंटन सूची पर समिति द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया।
15.19 निबंधन विभाग के अस्थायी लिपिक के नया टै० आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई-
कुल कर्मी 21, बिहार आवंटन 02, झारखंड आवंटन 17, झारखंड् टै० आवंटन 02
15.20 लघु जल संसाधन विभाग के मुख्यालय के तीन प्रकार के पद-कर्मियों के टै० आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनो का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई-
कुल कर्मी 19, बिहार आवंटन 11, झारखंड आवंटन 05, टै० आवंटन 01, अनिर्णीत 02
15.21 गन्ना विकास विभाग (मुख्यालय) के 11 प्रकार के पदकर्मियों के टै० आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों का निष्पादन करते हुए निम्नवत् अनुशंसा की गई-


कुल कर्मों 15, बिहार आवंटन 12, झारखंड आवंटन 03,

16. विधि (न्याय) विभाग के नियंत्रणाधीन महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों के अंतिम आवंटन पर विचार

  • 16.1 विधि (न्याय) विभाग, बिहार के पत्रांक दिनांक 13.03.2001 एवं पत्रांक 3560 दिनांक 13.10.2001 द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों के लिए स्वीकृत पद एवं कर्मियों की सूची आवंटन हेतु समिति कार्यालय को भेजी गयी थी।
  • 16.2 प्रशासी विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये पदों की विवरणी एवं कर्मियों की सूची के आधार पर पदों का विभाजन एवं कर्मियों का टेन्टेटिव अंतिम आवंटन 2:1 के अनुपात में समिति की बैठक में अनुमोदन के पश्चात् प्रचारित किया गया था।
  • 16.3 कर्मियों के टेन्टेटिव आवंटन प्रचारित किये जाने के पश्चात विद्वान महाधिवक्ता, बिहार द्वारा अध्यक्ष, राज परामर्शदात् समिति को चार पृष्ठ का एक पत्र पत्रांक-1854 दिनांक 13.03.2003 द्वारा भेजा गया। उक्त पत्र में समिति द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों के आवंटन पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए कार्यरत बल को आवश्यकता से कम बताते हुए पुनर्विचार का अनुरोध किया गया।
  • 16.4 महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों द्वारा टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध कोई अभ्यावेदन प्राप्त हुआ है या नहीं सूचना भी अप्राप्त है। इस हेतु विभाग को कई स्मार पत्र भी दिये गये हैं।
  • 16.5 महाधिवक्ता बिहार ने अपने पत्रांक 3609 दिनांक 24.06.2008 द्वारा अपने सुझाव में कहा है कि जो कर्मी महाधिवक्ता झारखंड के कार्यालय में कार्यरत है उन्हें पद सहित झारखंड में आवंटित कर दिया जाए और जो महाधिवक्ता बिहार के कार्यालय में कार्यरत है उन्हें बिहार राज्य में पद सहित आवंटित किया जाए। इस प्रकार यह विचारणीय है कि वर्तमान स्थापना में और परिवर्तन (जवनबौद्ध नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह न तो न्यायालय के कार्यहित में होगा और न राज्य के ही कार्यहित में होगा।
  • 16.6 समिति ने विश्वसंपरान्त निर्णय लिया कि महाधिवक्ता, बिहार के पत्र की प्रतिलिपि झारखंड सरकार को भेजकर महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों के आवंटन के संबंध में उनका मंतव्य प्राप्त कर लिया जाय एवं चतुर्थवर्गीय कर्मियों के आवंटन के संबंध में आज की बैठक में लिये गये नीतिगत निर्णय (कडिका-9) के आलोक में अनुमोदित अनुशंसित अंतिम आवंटन सूची को भारत सरकार को भेज दी जाय। फलस्वरूप 35 चतुर्थवर्गीय कर्मियों का अंतिम आवंटन सूची अनुमोदित किया गया। यह संख्या कडिका-12 में उल्लेखित मामलों में शामिल है। साथ ही पुस्तकाध्यक्ष एवं चालक के एकल कर्मियों जिनका आवंटन बिहार अनुमान्य होता है, को अंतिम आवंटन सूची अनुमोदित किया गया। पुस्तकाध्यक्ष एवं चालक के मामले कडिका-2.2 में शामिल है।
  • 17. आज की बैठक में जिन संवर्ग/पदकर्मियों का टेन्टेटिव आवंटन/नया टेन्टेटिव आवंटन किया गया है, उसके लिए अभ्यावेदन देने की अंतिम तिथि 31.10.2008 निर्धारित की गई।

बैठक सघन्यवाद समाप्त हुई।

(गिरीश शंकर)
सदस्य सचिव
राज्य परामर्शदात् समिति
बिहार, पटना ।


राज्य परामर्शदातृ समिति का कार्यालय
सिंचाई आवास, बेली रोड, पटना-23
ज्ञापांक- काठकोट-38/2001 – 385 पटना, दिनांक- 03/10/2008 प्रतिलिपि, अध्यक्ष, राज्य परामर्शदातृ समिति / मुख्य सचिव, बिहार, पटना / मुख्य सचिव, ज्ञारखंड, रांची / राधिव, कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग, बिहार, पटना / सचिव, कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग, ज्ञारखंड, रांची / गृह सचिव, बिहार, पटना / श्री भो० पेददुन्ना, उप सचिव, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेशन मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली को सूचनार्थ प्रेषित ।
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उन संवर्गों के अंतिम अनुशंसित आवंटन जिनमें कार्यरत कर्मियों से टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध कोई अम्यावेदन प्राप्त नहीं होने की सम्पुष्टि प्रशासी विभाग द्वारा कर दी गयी है अथवा एक/एकल कर्मी के मामले हैं ।

क्रमांक विभाग का नाम संवर्ग/पद का नाम कुल बल बिहार झारखंड अभ्युक्ति
1. संसदीय कार्ब विभाग मुख्यालय चालक 01 01 0
2. वित्त (वाणिज्य कर) सांख्यिकी लिपिक 01 01 0
3. राजभाषा विभाग प्रमंडलीय अनुदेशक
(आशु०)
01 01 0
उर्दू अनुवादक 02 0 02
सहा० उर्दू अनुवादक 02 02 0
4. गृह विभाग, अग्निशाम लिपिक 02 01 01
5. योजना विभाग विपत्र लिपिक 03 02 01
जिला योजना पदा० 01 01 0
6. कल्याण विभाग अनु० कल्याण पदा० 01 01 0
विशिष्ट संस्थान 105 78 27
7. स्वास्थ्य विभाग दन्त संवर्ग (टयूटर) 01 0 01
सहा० प्राध्यापक (दन्त) 01 01 0
आ० चि० प० 01 0 01
हो० चि० प० 01 0 01
8. पंचायत राज विभाग द्वितीय अनुदेशक 01 0 01
ग्रा० पं० पर्यवेक्षक 02 02 0
आशुटंकक 01 0 01
लिपिक 01 0 01
9. गृह (वितंतु) अपर आख्ती अधिक्षक
(वितंतु)/वरीय आख्ती
उपाधीक्षक (अप०)/वरीय
आख्ती उपाधीक्षक (तक०)
01 0 01
आख्ती निरीक्षक (टी०) 01 0 01
अवर निरीक्षक (तक०) 01 0 01
10. उत्पाद एवं मद्य निषेध उत्पाद लिपिक 01 01 0
11. कृषि विभाग विपत्र सहायक 01 01 0
कारपेन्टर 01 01 0
टंकक सह लिपिक 01 01 0
जीप चालक 01 01 0
12. खाद्य आपूर्ति एवं वाणिज्य विभाग आपूर्ति निरीक्षक 01 01 0
13. श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण प्रचार सहायक श्रम पक्ष 01 01 0
लिपिक, श्रम पक्ष 03 01 02

स्टेनो अनुदेशक 01 01 0
ड्राईंग अनुदेशक 01 0 01
मशीनिष्ट अनुदेशक 02 0 02
14. कला, संस्कृति एवं सहायक निदेशक(संस्कृति) 02 01 01
युवा
अवर शिक्षा सेवा
(संग्रहालय शाखा)
02 01 01
प्रारूपक सह सर्वेक्षक 02 01 01
चालक 02 01 01
15. विधि (न्याय) पुस्तकाध्यक्ष 01 01 0
चालक 01 01 0
16. प्रार्धनिक एवं व्यस्क
शिक्षा
टंकक अधिक्षक 01 01 0
परीक्षमाण लिपिक 01 01 0
अवर शिक्षा सेवा (प्रा.शा.) 17 10 07
17. लघु जल संसाधन टंकक अधिक्षक 01 01 0
विपत्र लिपिक 01 01 0
रोकड़पाल 01 01 0
कुल योग :- $\mathbf{1 7 7}$ $\mathbf{1 2 1}$ $\mathbf{5 6}$

चतुर्थवर्गीय कर्मियों के आवंटन के संबंध में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार, राज्य पुनर्गठन अनुभाग के द्वारा निर्गत अतिरिक्त मार्गदर्शन पत्रांक-14 (सी)/03/2006 एस० आर० (एस) दि०-02.11.2007 तथा स्पष्टीकरण पत्रांक-28 (सी)/10/2008 एस० आर० (एस) दि०-30.05.2008 के आलोक मे समिति में अवशेष चतुर्थवर्गीय कर्मियों के आवंटन किये जाने के संबंध में समिति की विगत बैठक दि०-23.05.2008 में निर्णय लिया गया था।
2. कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग, बिहार के संकल्प सं०-9849 दि०-10.11.2004 में किये गये परिभाषा के अनुसार कोई ऐसा पद, जिसका वेतन अथवा जिसके वेतनमान का अधिकतम 4000 रूपये अथवा उससे कम हो, समूह “घ” के अंतर्गत वगीकृत है।
3. उक्त आलोक में समिति कार्यालय में समिति कार्यालय में अवशेष चतुर्थवर्गीय कर्मियों के आवंटन का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसकी विवरणी निम्नवत् है-

$\begin{aligned} & \text { क० } \ & \text { सं० } \end{aligned}$ विभाग का नाम कुल कर्मी बिहार झारखंड अभ्युक्ति
1 2 3 4 5 6
1. ग्रामीण विकास 05 05 0
2. मं० म० सचिवालय
(i) निर्वाचन 01 01 0
(ii) मंत्रिमंडल 05 05 0
3. कल्याण विभाग 02 01 01
4. वित्त विभाग 05 05 0
5. राजभाषा 19 17 02
6. योजना विभाग 11 07 04
7. स्वास्थ्य विभाग 12 12 0
8. कार्मिक विभाग 07 06 01
9. गृह विभाग 14 12 02
10. संसदीय कार्य 05 04 01
11. विज्ञान एवं प्रावै० 05 05 0
12. उद्योग विभाग 25 23 02
13. उत्पाद विभाग 03 03 0
14. श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण 191 171 20
15. विधि (न्याय) 39 30 09
16. सांख्यिक वित्त 05 05 0
17. निबंधन विभाग 01 01 0
18. सेकंण्ड्री, प्राथमिक एवं व्यस्क 94 85 09
19. कला, संस्कृति एवं युवा विभाग 03 01 02
20. उर्जा विभाग 01 01 0
21. लोक स्वा० अभि० 07 06 01
22. कृषि विभाग 98 93 05
23. सूचना एवं जनसर्म्यक 02 02 0
24. सहकारिता विभाग 12 08 04
25. पशुपालन एवं मत्स्य 25 21 04
26. पथ निर्माण विभाग 04 04 0
27. लघु जल संसाधन 33 31 * 02
28. गन्ना विकास 23 20 03
29. सिविल विमानन 65 60 05
30. राज्स्व एवं भूमि सुधार 01 01 0
कुल योग – 723 646 77