This document outlines the establishment of a mechanism to receive and investigate complaints of corruption and misuse of office by public servants. The Central Vigilance Commission (CVC) is designated as the nodal agency to handle such complaints. The process includes verifying the identity of the complainant, protecting their identity, conducting investigations, and recommending appropriate action, including punitive measures and preventive steps. The mechanism is to be operational until Parliament enacts specific legislation on the matter. Certain cases, such as those already under formal investigation or judicial inquiry, will not be entertained by this mechanism. The document also addresses the consequences of revealing the identity of the complainant against directives.
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REGD. NO. D. L.-13004/99
प्रारंभ के दस्तावेज़
The Gazette of India
असाधारण
EXTRAORDINARY
भाग I—खण्ड I
PART I—Section 1
प्राधिकार से प्रकाशित
PUBLISHED BY AUTHORITY
सं. 89] | नई दिल्ली, बुधवार, अप्रैल 21, 2004/वैशाख 1, 1926 |
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No. 89] | NEW DELHI, WEDNESDAY, APRIL 21, 2004/VAISHAKHA 1, 1926 |
कार्मिक, लोक-शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग)
संकल्प
नई दिल्ली, 21 अप्रैल, 2004
सं. -371/12/2002 – ए.वी.डी.-III. – जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने श्री सत्येन्द्र दुबे की हत्या के संबंध में रिट याचिका (सी.) संख्या-539/2003 को सुनवाई करते समय यह इच्छा व्यक्त की कि उपयुक्त विधान के बनाए जाने तक “पर्दाफाशों या भण्डाफोड़ों (विसल ब्लोअर्स)” से प्राप्त शिकायतों पर कार्रवाई किए जाने के लिए उपयुक्त तंत्र व्यवस्था तैयार की जाए।
और जबकि विधि आयोग द्वारा “यार किए गए लोकप्रिय प्रकटीकरण और मुखबिर संरक्षण विधेयक, 2002 की जांच-पड़ताल चल रही है।
अतः अब, केन्द्र सरकार एतद्द्वारा निम्नलिखित संकल्प लेती है :-
- केन्द्रीय सतर्कता आयोग को केन्द्रीय सरकार अथवा किसी केन्द्रीय अधिनियम के द्वारा अथवा इसके अंतर्गत स्थापित किश्तों, केन्द्र सरकार के स्वामित्व वाली अथवा इसके द्वारा निर्गठित सरकारी कम्पनियों, सोसाइटियों अथवा स्थानीय प्राधिकरणों के किसी कर्मचारी पर भ्रष्टाचार के किसी आरोप अथवा पद के दुरुपयोग के सम्बन्ध में लिखित शिकायतें प्राप्त करने अथवा प्रकटीकरण सम्बन्धी दस्तावेज प्राप्त करने के लिए एतद्द्वारा मनोनीत अभिकरण के रूप में प्राधिकृत किया जाता है। प्रकटीकरण अथवा शिकायत में यथासंभव सभी विवरण होंगे और इसमें समर्थक दस्तावेज अथवा अन्य सामग्री शामिल होगी।
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मनोनीत अभिकरण यदि ऐसा उचित समझे तो वह प्रकटीकरण करने वाले व्यक्तियों से और जानकारी अथवा विवरण मंगवा सकता है। यदि शिकायत बेनामी है तो मनोनीत अभिकरण इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
- शासकीय गुप्त अधिनियम, 1923 में विहित किसी बात के बावजूद भी संविधान के अनुच्छेद 33 के खण्ड (क) से (घ) में संदर्भित व्यक्तियों से भिन्न कोई लोक सेवक अथवा किसी गैर-सरकारी संगठन सहित कोई अन्य व्यक्ति मनोनीत अभिकरण की लिखित प्रकटीकरण भेज सकता है।
- यदि शिकायत में शिकायतकर्त्ता का ब्यौरा भी दिया गया है तो मनोनीत अभिकरण निम्नलिखित कदम उठाएगा :-
(i) मनोनीत अभिकरण शिकायतकर्त्ता से यह पता लगाएगा कि क्या यह वही व्यक्ति है अथवा नहीं है जिसने शिकायत की है।
(ii) शिकायतकर्त्ता की पहचान उद्घाटित नहीं की जाएगी जब तक कि शिकायतकर्त्ता ने स्व-गं शिकायत का ब्यौरा सार्वजनिक न कर दिया हो अथवा किसी अन्य कार्यालय अथवा प्राधिकारी को अपनी पहचान नहीं बता दी हो।
(iii) शिकायतकर्त्ता की पहचान गुप्त रखने के पश्चात् मनोनीत अभिकरण प्रथमतः यह पता लगाने के लिए विवेकपूर्ण जांच-पड़ताल करेगा कि क्या इस शिकायत पर आगे कार्रवाई करने का कोई आधार बनता है। इस प्रयोजन हेतु मनोनीत अभिकरण एक समुचित तंत्र बनाएगा।
(iv) शिकायत की विवेकपूर्ण जांच-पड़ताल करने के परिणामस्वरूप अथवा बिना जांच-पड़ताल के केवल शिकायत के आधार पर ही यदि मनोनीत अभिकरण का यह मत होता है कि मामले की और जांच-पड़ताल करवाई जानी अपेक्षित है तो मनोनीत अभिकरण सम्बन्धित संगठन अथवा कार्यालय के विभागाध्यक्ष से सरकारी तौर पर उनकी टिप्पणियां/अथवा उनके स्पष्टीकरण मांगेगा। ऐसा करते समय मनोनीत अभिकरण मुखबिर की पहचान प्रकट नहीं करेगा और सम्बन्धित संगठन के अध्यक्ष को यह भी अनुरोध करेगा कि यदि उन्हें किसी कारणवश मुखबिर की पहचान का पता चल जाता है तो वे मुखबिर की पहचान गुप्त रखेंगे।
(v) सम्बन्धित संगठन का उत्तर प्राप्त होने के बाद यदि मनोनीत अभिकरण का यह मत होता है कि अन्वेषण से पद के दुरुपयोग अथवा भ्रष्टाचार के पुख्ता आरोपों का पता चलता है तो मनोनीत अभिकरण सम्बन्धित सरकारी विभाग अथवा संगठन को उपयुक्त कार्रवाई करने की संस्तुति करेगा। इनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल होगा :-
(क) सम्बन्धित सरकारी कर्मचारी के विरुद्ध उपयुक्त कार्यवाहियां शुरू किया जाना।
(ख) भ्रष्टकृत्य अथवा पद के दुरुपयोग जैसी भी स्थिति हो, के परिणामस्वरूप सरकार को हुई हानि की पूर्ति के लिए उपयुक्त प्रशासनिक कदम उठाना।
(ग) मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए यदि ऐसा न्यायसंगत हो तो उपयुक्त मामलों में आपराधिक कार्यवाहियां शुरू किए जाने के बारे में उपयुक्त प्राधिकारी/अभि:परण को सिफारिश करना।
(घ) भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सुधारात्मक उपाय किए जाने की सिफारिश करना।
5. पूर्ण जांच-पड़ताल करने अथवा सम्बन्धित संगठन से जानकारी प्राप्त करने के प्रयोजन से मनोनीत अभिकरण को प्राप्त शिकायत के अनुक्रम में जांच-पड़ताल को पूरी करने में सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए यथावश्यक समझे जाने पर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो अथवा पुलिस अधिकारियों को सहायता देने के लिए प्राधिकृत किया जाएगा।
6. यदि कोई व्यक्ति किसी कार्रवाई से इस आधार पर व्यथित होता है कि उसे इस तथ्य के आधार पर पीड़ित किया जा रहा है कि उसने शिकायत दायर की है अथवा प्रकटीकरण किया है तो वह इस मामले के निवारण की प्रार्थना करते हुए मनोनीत अभिकरण के समक्ष एक आवेदन दायर कर सकता है जो यथावश्यक उपयुक्त समझे जाने वाली कार्रवाई करेगा। मनोनीत अभिकरण सम्बन्धित सरकारी सेवक अथवा सरकारी प्राधिकारी को जैसी भी स्थिति हो, उपयुक्त निर्देश दे दे।
7. शिकायतकर्त्ता के आवेदन पर अथवा एकत्रित की गई जानकारी के आधार पर यदि मनोनीत अभिकरण का यह मत होता है कि शिकायतकर्त्ता अथवा गवाहों को संरक्षण दिए जाने की आवश्यकता है तो मनोनीत अभिकरण सम्बन्धित सरकारी प्राधिकारियों को उपयुक्त निर्देश जारी करेगा।
8. इस कार्य में प्रयुक्त तंत्र, मौजूदा कार्य तंत्र के अतिरिक्त होगा। तथापि, यदि शिकायत इस तंत्र के अन्तर्गत प्राप्त होती है तो पहचान को गुप्त रखा जाएगा।
9. यदि मनोनीत अभिकरण शिकायत को अभिप्रेरित अथवा कष्टप्रद स्वरूप की पाता है तो मनोनीत अभिकरण उपयुक्त कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है।
10. मनोनीत अभिकरण निम्नलिखित स्वरूप के प्रकटीकरण पर कार्रवाई अथवा उसकी जांच-पड़ताल नहीं करेगा :-
(क) ऐसे किसी मामले जिसमें लोक सेवक जांच अधिनियम, 1850 के अन्तर्गत एक औपचारिक और सार्वजनिक जांच का आदेश दे दिया गया हो; अथवा
(ख) ऐसा कोई मामला जिसे जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत जांच के लिए भेजा गया है।
11. मनोनीत अभिकरण के निर्देशों के विपरीत मुखबिर की पहचान उद्पाटित हो जाने पर मनोनीत अभिकरण ऐसा प्रकटीकरण करने वाले किसी व्यक्ति अथवा अभिकरण के विरुद्ध मौजूदा विनियमों के अनुसार उपयुक्त कार्रवाई शुरू किए जाने के लिए प्राधिकृत है।
12. इस कार्य हेतु सृजित तंत्र, संसद द्वारा इस विषय में कानून बनाए जाने तक लागू रहेगा।