This document provides instructions to all Public Authorities regarding the proactive disclosure of information on their respective websites. It emphasizes the importance of uploading replies to Right to Information (RTI) applications and appeals. The directive clarifies that personal details of the applicant, such as name, designation, address, email ID, and phone number, should not be disclosed unless it serves a larger public interest. This is in line with the Right to Information Act, 2005, and specific court directions, ensuring that sensitive personal information is protected while promoting transparency.
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फा.सं.1/1/2013- आईआर
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय
(कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग)
नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली
दिनांक 7 अक्तूबर, 2016
कार्यालय-ज्ञापन
विषयः मंत्रालयों/विभागों की संबंधित बेवसाइटों पर आरटीआई के उत्तरों को अपलोड करने के संबंध में।
इस विभाग के दिनांक 15.04 .2013 के का.ज्ञा.सं. 1/6/2011-आईआर के पैरा 1.4.1 की ओर ध्यान आकृष्ट किया जाता है जो सूचना का अधिकार अधिनियम (आर.टी.आई), 2005 के अनुच्छेद 4 के अंतर्गत स्वप्रेरणा से प्रकटन के कार्यान्वयन से संबंधित है और जिसमें निम्नानुसार उल्लेख किया गया है:-
“सभी लोक प्राधिकारी प्राप्त हुए आरटीआई आवेदनों तथा अपीलों और इनके उत्तरों को लोक प्राधिकरणों दवारा रख-रखाव की जा रही वेबसाइटों पर अग्र सक्रिय रूप से प्रकट करेंगे और जिसमें मुख्य शब्द के आधार पर इन्हें खोजने की सुविधा मौजूद होगी। किसी व्यक्ति की निजी सूचना के संबंध में प्राप्त आरटीआई आवेदनों और अपीलों तथा इनके उत्तरों को प्रकट नहीं किया जाएगा क्योंकि इससे किसी लोक हित का उद्देश्य पूरा नहीं होता है।”
2. इसके अतिरिक्त, मंत्रालयों/विभागों की संबंधित बेवसाइटों पर आरटीआई उत्तरों को अपलोड करने संबंधी विषय पर दिनांक 21.10 .2014 के का.ज्ञा.सं. 1/1/2013-आईआर के अंतर्गत कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने यह अनुरोध किया था कि:-
“किसी व्यक्ति की निजी सूचना के संबंध में प्राप्त आरटीआई आवेदनों और अपीलों तथा इनके उत्तरों को प्रकट नहीं किया जाए यदि इससे किसी लोक हित का उद्देश्य पूरा नहीं होता हो।”
3. अब, आरटीआई आवेदनों में निजी ब्यौरों से संबंधित श्री अभिषेक गोयंका बनाम भारत संघ के मामले में रिट याचिका संख्या 33290/2013 में माननीय उच्च न्यायालय कोलकाता के दिनांक 20/11/2013 के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट किया जाता है कि प्राप्त आरटीआई आवेदनों तथा अपीलों और उनके उत्तरों को अपनी वेबसाइटों पर अग्र-सक्रिय रूप से प्रकट करते समय, आरटीआई आवेदक/अपीलकर्ता के निजी ब्यौरे प्रकट नहीं किये जाने चाहिए क्योंकि इससे किसी लोक हित का उद्देश्य पूरा नहीं होता है। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि निजी ब्यौरों में आवेदक का नाम, पदनाम, पता, ई-मेल आईडी और मोबाइल नम्बर सहित टेलीफोन नम्बर शामिल है।
(गायत्री मिश्रा)
निदेशक (आईआर)
फोन: 23092755
सेवा में,
सभी लोक प्राधिकारी