This document details a decision by the Indian government to remove the age restriction of 18 years for granting child care leave to government employees whose children are mentally or physically disabled. The leave can be granted for a maximum period of two years (730 days) until the child reaches 22 years of age, subject to certain conditions. It clarifies that the leave is not an entitlement and requires prior approval. The document also references a notification from the Ministry of Social Justice and Empowerment detailing the minimum 40% disability requirement and the documentation needed to prove dependency. It also includes a list of ministries and departments to whom this circular is being sent.
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सं.-13018/6/2009-स्था (छुट्टी)
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय
(कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग)
3rd
नई दिल्ली, मार्च, 2010
कार्यालय ज्ञापन
विषय : छठे केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों पर सरकार के निर्णय का कार्यान्वयन – ऐसे सरकारी कर्मचारी जिसके बच्चे मानसिक रूप से विक्षिप्त/अशक्तता से ग्रस्त हैं, के लिए शिशु देखभाल छुट्टी के संबंध में 18 वर्ष की आयु के प्रतिबंध को हटाया जाना ।
अघोहस्ताक्षरी को उपर्युक्त विषय पर कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के दिनांक 11.9.2008 के का.जा. सं. 13018/2/2008-स्था (छुट्टी) का हवाला देने और यह कहने का निर्देश हुआ है कि इस विभाग को, महिला कर्मचारियों को शिशु देखभाल छुट्टी प्रदान करने के संबंध में अशक्तता से ग्रस्त/मानसिक रूप से विक्षप्त बच्चों के संबंध में 18 वर्ष की आयु के प्रतिबंध के बारे में विभिन्न संदर्भ प्राप्त हुए हैं । मामले पर वित्त मंत्रालय के परामर्श से विचार किया गया है और यह निर्णय लिया गया है कि अशक्तता से ग्रस्त बच्चों वाली महिला कर्मचारियों को समय-समय पर इस संबंध में सरकार द्वारा अनुबद्ध अल्प शर्तों के अध्यधीन अधिकतम 2 वर्ष (अर्थात 730 दिन) की अवधि के लिए 22 वर्ष की आयु तक शिशु देखभाल छुट्टी की अनुमति दी जाए । तथापि, इस बात पर बल दिया जाता है कि शिशु देखभाल छुट्टी एक अधिकार के रूप में नहीं मांगी जा सकती है और कोई कर्मचारी किसी भी स्थिति में बिना छुट्टी स्वीकृत कर्ता प्राधिकारी के पूर्व अनुमोदन के शिशु देखभाल छुट्टी पर नहीं जा सकता है । 40% की न्यूनतम अशक्तता से ग्रस्त बच्चे, के संबंध में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की अधिसूचना सं. 16-18/97-एन 1.1 दिनांक 1.6.2001 (प्रति संलग्न) में विस्तार से बताया गया है । अधिसूचना में यथा विनिर्दिष्ट विकलांगता के संबंध में दस्तावेज और सरकारी कर्मचारी पर बच्चे की निर्भरता के संबंध में सरकारी कर्मचारी से प्रमाण-पत्र कर्मचारी द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा । शिशु देखभाल छुट्टी की अनुमति तब ही दी जाएगी यदि बच्चा सरकारी कर्मचारी पर आश्रित है ।
(सिम्मी आर.नाकरा)
निर्देशक (पी.एंड.ए.)
सेवा में,
भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग इत्यादि ।
(मानक डाक सूची के अनुसार)
प्रति निम्नलिखित को भी अग्रेषित :-
(1) भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक
(2) महालेखा नियंत्रक, वित्त मंत्रालय का कार्यालय
(3) संघ लोक सेवा आयोग/भारत का उच्चतम न्यायालय/निर्वाचन आयोग/लोक सभा सचिवालय/राज्य सभा सचिवालय/मंत्रिमंडल सचिवालय/केन्द्रीय सतर्कता आयोग/राइपति सचिवालय/उप राइपति सचिवालय/प्रधान मंत्री कार्यालय/योजना आयोग के सचिव ।
(4) सभी राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र
(5) सभी राज्यों के राज्यपाल/संघ राज्य क्षेत्र के उपराज्यपाल
(6) सचिव, जे.सी.एम. का राष्ट्रीय परिषद् (कर्मचारी पक्ष), 13-सी, फिरोजशाह रोड, नई दिल्ली ।
(7) जे.सी.एम. का राष्ट्रीय परिषद्/विभागीय परिषद् के कर्मचारी पक्ष के सभी सदस्य
(8) कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग/प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत/पैशन और पैशनभोगी कल्याण विभाग/लोक उधम चयन बोर्ड के सभी अधिकारी/अनुभाग
(9) व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय
(10) राजभाषा स्कंध (विधायी विभाग), भगवान दास रोड, नई दिल्ली
(11) रेलवे बोर्ड, नई दिल्ली
(12) एन.आई.सी., कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को इस अनुरोध के साथ कि इस कार्यालय जापन को वेबसाइट पर अपलोड करें ।
(13) 100 अतिरिक्त प्रतियाँ ।
अधिसूचना के उद्धरण
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय
अधिसूचना
नई दिल्ली, दिनांक: 01 जून, 2001
विषय : विभिन्न अशक्तताओं और प्रमाणीकरण की प्रक्रिया के मूल्यांकन हेतु मार्गदर्शी सिद्धान्त ।
संख्या-16-18/97-एन.आई.आई. । कल्याण मंत्रालय के दिनांक 06 अगस्त, 1986 के कार्यालय ज्ञापन संख्या-4-2/83-एच.डब्ल्यू.III में दिए अनुसार विभिन्न अशक्तताओं और प्रमाणीकरण की प्रक्रिया के मूल्यांकन संबंधी मार्गदर्शी सिद्धांतों की समीक्षा करने तथा अशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति (समान व्यवहार, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण सहभागिता) अधिनियम, 1995 को ध्यान में रखते हुए उचित आशोधन/प्रत्यावर्तन की सिफारिश करने के क्रम में, भारत सरकार, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने दिनांक 28.8 .98 के आदेश सं. 16-18/97-एन.आई.l द्वारा मानसिक व्याघात, चलने-फिरने की अशक्तता/अस्थि विक्लांगता, दृष्टि विक्लांगता और बोलने व सुनने की अशक्तता प्रत्येक क्षेत्र के लिए महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवाएँ की अध्यक्षता में एक-एक अर्थात् चार समितियाँ गठित की गईं हैं । इसके पश्चात्, दिनांक 21.07 .1999 को, बहुविध अशक्तता का मूल्यांकन, निर्धारण तथा वर्गीकरण और अक्षमता की सीमा की प्रमाणीकरण की प्रक्रिया हेतु एक और समिति भी गठित की गई ।
- इन समितियों की रिपोर्टों पर विचार करने के पश्चात् मुझे, निम्नलिखित अक्षमताओं के मूल्यांकन और प्रमाणीकरण की प्रक्रिया के मार्गदर्शी सिद्धांतों को अधिसूचित किए जाने हेतु राष्ट्रपति का अनुमोदन संप्रेषित करने का निदेश हुआ है :-
दृष्टि विक्लांगता
चलने-फिरने की अशक्तता/अस्थि विक्लांगता
बोलने व सुनने की अशक्तता
मस्तिष्क व्याघात
रिपोर्ट की प्रति अनुबंध” के रूप में संलग्न है ।
- किसी रियायत/लाभ की पात्रता के लिए, अक्षमता की न्यूनतम प्रतिशतता 40 % होनी चाहिए ।
- अशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण सहभागिता) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) की धारा 73 की उप-धारा (1) और (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित अशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण सहभागिता) नियमावली, 1996 के अनुसार अशक्तता प्रमाण-पत्र प्रदान करने वाला प्राधिकरण, केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा विधिवत् रूप से गठित एक चिकित्सा-बोर्ड होगा । राज्य सरकार चिकित्सा-बोर्ड गठित करते समय न्यूनतम तीन-सदस्यीय बोर्ड गठित करे जिनमें से कम-से-कम एक सदस्य, चलने-फिरने में अक्षम/कम दृष्टि सहित दृष्टि विक्लांगता बोलने-सुनने की विक्लांगता सहित दृष्टि विक्लांगता, मस्तिष्क व्याघात और इंलाज किए हुए कोढ, जैसा भी मामला हो, का मूल्यांकन करने के क्षेत्र में विशेषज्ञता वाला हो ।
- चिकित्सा बोर्ड अनुबंध* में दर्शाए अनुसार विशिष्ट परीक्षण करे और प्रमाण-पत्र जारी करने से पूर्व उसे रिकॉर्ड करे ।
- 18 वर्ष से कम आयु वाले तथा अस्थाई अशक्तता के मामले में प्रमाण-पत्र की वैधता अवधि 5 वर्ष की होगी । स्थाई अशक्तता के मामले में प्रमाण-पत्र की वैधता ‘स्थायी’ दर्शाई जा सकती है ।
- राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों ने यदि अब तक चिकित्सा बोर्ड गठित नहीं किए हैं वे उपर्युक्त पैरा-4 में दर्शाए अनुसार तुरंत चिकित्सा बोर्ड गठित करे ।
- परिभाषा/वर्गीकरण/मूल्यांकन परीक्षण की व्याख्या के संबंध में उत्पन्न होने वाले किसी विवाद/शंका की स्थिति में, महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवाएँ, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय अंतिम प्राधिकारी होंगे ।
(गौरी चटर्जी)
सयुक्त सचिव, भारत सरकार
टिप्पणी :
- ऊपर उल्लिखित अनुबंध को कृपया सामाजिक, न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की अधिसूचना से देखें ।