Guidelines on Disclosure of Third-Party Information under the RTI Act, 2005

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This document clarifies the procedure for disclosing information received from a “third party” under the Right to Information Act, 2005. It emphasizes that if a public authority shares confidential documents with another public authority, the receiving authority cannot disclose this information without following the procedure outlined in Section 11 of the Act. This involves inviting the third party to present their views before making a decision on disclosure. The third party has the right to appeal the decision to the departmental appellate authority and subsequently to the Information Commission. Failure to adhere to this process can lead to action against the Public Information Officer. The definition of a “third party” includes other public authorities, meaning information obtained from another public body that was considered confidential cannot be disclosed without consultation and following the prescribed procedure.

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संख्या -8/2/2010- आई.आर.
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय
(कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग)

नार्थ ब्लाक, नई दिल्ली – 110001
दिनांक: 27 अप्रैल, 2010.

कार्यालय ज्ञापन

विषय :- सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत तीसरे पक्ष की सूचना का प्रकटन ।
अधोहस्ताक्षरी को यह कहने का निदेश हुआ है कि सरकार कई मामलों में अंतर्विभागीय परामर्श करती है । इस प्रक्रिया में, एक लोक प्राधिकरण दूसरे लोक प्राधिकरण को कुछ गोपनीय कागजात भेज सकता है । यह प्रश्न उठा है कि क्या प्राप्तकर्त्ता लोक प्राधिकरण सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत ऐसे गोपनीय कागजातों का प्रकटन कर सकता है । यदि हां तो ऐसा करने के लिए क्या क्रियाविधि अपनाई जानी आवश्यक है ।
2. अधिनियम की धारा 11 में ‘तीसरे पक्ष’ की सूचना के प्रकटन की क्रिया विधि दी गई है । इसके अनुसार, यदि कोई लोक सूचना अधिकारी किसी तीसरे पक्ष द्वारा दी गई ऐसी सूचना का प्रकटन करना चाहता है जिसे तीसरे पक्ष ने गोपनीय माना है, तो लोक सूचना अधिकारी सूचना का प्रकटन करने से पहले तीसरे पक्ष को इस विषय में अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित करेगा । तीसरे पक्ष को लोक सूचना अधिकारी के निर्णय के विरुद्ध विभागीय अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील करने का और यदि वह विभागीय अपीलीय प्राधिकारी के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो संबंधित सूचना आयोग के पास दूसरी अपील करने का अधिकार है । जब तक धारा 11 में निर्धारित क्रियाविधि पूरी नहीं कर ली जाती लोक सूचना अधिकारी ऐसी सूचना का प्रकटन नहीं कर सकता ।
3. अधिनियम की धारा 2 के खण्ड (ध) के अनुसार, ‘तीसरे पक्ष’ की परिभाषा में लोक प्राधिकरण भी शामिल हैं । ‘तीसरे पक्ष’ की परिभाषा और धारा 11 से यह स्पष्ट है कि यदि कोई लोक प्राधिकारी ‘क्ष’ किसी दूसरे लोक प्राधिकरण ‘त्र’ से कोई ऐसी सूचना प्राप्त करता है जिसे कि उस लोक प्राधिकरण ने गोपनीय माना है, तो ‘क्ष’ तीसरा पक्ष ‘त्र’ के परामर्श के बिना और अधिनियम की धारा 11 में निर्धारित क्रियाविधि का अनुसरण किए बिना संबंधित सूचना का प्रकटन नहीं कर सकता । यह एक सांविधिक अपेक्षा है जिसका अनुपालन नहीं करने पर लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है ।


  1. लोक सूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय प्राधिकारियों को तीसरे पक्ष से संबंधित सूचना का प्रकटन करने के बारे में निर्णय लेते समय इस अधिनियम के प्रावधानों का सामान्य रूप से और यदि तीसरा पक्ष लोक प्राधिकरण है तो विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए ।
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निदेशक
दूरभाष : 23092158

प्रतिलिपि :-

  1. भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग ।

  2. संघ लोक सेवा आयोग/लोक सभा सचिवालय/राज्य सभा सचिवालय/मंत्रिमण्डल सचिवालय/ केन्द्रीय सतर्कता आयोग/ राष्ट्रपति सचिवालय/ उपराष्ट्रपति सचिवालय/ प्रधानमंत्री कार्यालय/योजना आयोग/चुनाव आयोग ।

  3. केन्द्रीय सूचना आयोग/राज्य सूचना आयोग ।
  4. कर्मचारी चयन आयोग, सी.जी.ओ. कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली ।
  5. भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, 10, बहादुर शाह जफ़र मार्ग, नई दिल्ली ।
  6. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग तथा पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के सभी अधिकारी/डेस्क/अनुभाग ।

प्रतिलिपि : सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्य सचिव ।