Clarification on Section 5(4) and 5(5) of the Right to Information Act, 2005

C

This office memorandum clarifies the provisions of Section 5(4) and 5(5) of the Right to Information Act, 2005. It addresses the misuse of these sections by Public Information Officers (PIOs) who are transferring applications to other officers and directing them to provide information, effectively designating them as PIOs. The memo emphasizes that while PIOs can seek assistance from other officers for gathering information, they cannot delegate their responsibility of providing information or rejecting applications. If an officer fails to provide the requested assistance, the Information Commission can impose penalties on them, similar to how it would penalize a PIO. The content of this memorandum is to be brought to the notice of all concerned.

SOURCE PDF LINK :

Click to access 1_14_2008-IR_28072008(Hindi).pdf

Click to view full document content



सं०. 1/14/2008-आईआर
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेशन मंत्रालय
(कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग)
नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली,
दिनांक: ३8 जुलाई, 2008
कार्यालय ज्ञापन
विषय: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 5 की उप-धारा (4) और (5) के बारे में स्पष्टीकरण ।

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 5 की उप-धारा (4) और (5) के प्रावधान के अनुसार अपने कर्तव्यों के समुचित निर्वहन हेतु लोक सूचना अधिकारी किसी अन्य अधिकारी से सहायता मांग सकता है । जिस अधिकारी से इस तरह सहायता मांगी जाती है, उसे लोक सूचना अधिकारी को सहायता प्रदान करनी होगी और अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के संदर्भ में उसे लोक सूचना अधिकारी ही समझा जाएगा । इस विभाग के ध्यान में लाया गया है कि कई लोक सूचना अधिकारी अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधान का संदर्भ देते हुए सूचना के लिए प्राप्त आवेदन पत्रों को अन्य अधिकारियों के पास स्थानान्तरित कर देते हैं तथा उन्हें निर्देश देते है कि वे ही मानित लोक सूचना अधिकारी के रूप में आवेदनकर्ता को सूचना भेजें । इस प्रकार वे उपर्युक्त संदर्भित प्रावधान का प्रयोग अन्य अधिकारियों को लोक सूचना अधिकारी के रूप में पदनामित करने के लिए करते हैं ।
2. अधिनियम के अनुसार, सूचना प्रदान करने अथवा अधिनियम की धारा 8 और 9 में विनिर्दिष्ट किन्हीं कारणों से आवेदन पत्र को निरस्त करना उस अधिकारी का दायित्व है जिसे लोक प्राधिकरण ने लोक सूचना अधिकारी के रूप में पदनामित किया है । अधिनियम ने लोक सूचना अधिकारी को किसी अन्य अधिकारी से सहायता मांगने का प्रावधान इसलिए किया है ताकि वह आवश्यक सूचना सहज प्राप्त कर सके । किन्तु अधिनियम उसे किसी अन्य अधिकारी को लोक सूचना अधिकारी के रूप में पदनामित करने या आवेदनकर्ता को उत्तर भेजने हेतु निर्देशित करने का अधिकार नहीं प्रदान करता है । धारा 5 की उप-धारा (5) का अभिप्राय यह है कि यदि ऐसा अधिकारी जिससे लोक सूचना अधिकारी सहायता मांगता है , लोक सूचना अधिकारी को आवश्यक सहायता प्रदान नहीं करे तो सूचना आयोग ऐसे अधिकारी पर उसी तरह से शास्ति लगा सकता है अथवा उसके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की सिफारिश कर


सकता है जिस तरह से आयोग किसी लोक सूचना अधिकारी पर शास्ति लगा सकता है अथवा उसके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है ।
3. इस कार्यालय ज्ञापन की अन्तर्वस्तु को सभी संबंधितों के ध्यान में लाया जाए ।
img-0.jpeg
(के.जी. वर्मा)

निदेशक

  1. भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग.
  2. संघ लोक सेवा आयोग/लोक सभा सचिवालय/राज्य सभा सचिवालय/मंत्रिमंडल सचिवालय/केन्द्रीय सतर्कता आयोग/राष्ट्रपति सचिवालय/उपराष्ट्रपति सचिवालय/प्रधानमंत्री कार्यालय/योजना आयोग/चुनाव आयोग.
  3. केन्द्रीय सूचना आयोग/राज्य सूचना आयोग .
  4. कर्मचारी चयन आयोग, सी.जी.ओ. कोम्पलैक्स, नई दिल्ली.
  5. . भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक का कार्यालय, 10, बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्ली.
    6.. सभी अधिकारी/डैस्क/अनुभाग, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग और पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभागप्रति प्रेषित : सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्य सचिव ।