This office memorandum details revisions to the Central Civil Services (Leave) Rules, 1972, in light of the Persons with Disabilities (Equal Opportunities, Protection of Rights and Full Participation) Act, 1995. It clarifies provisions regarding the continuation of service, adjustments to suitable posts, and protection of benefits for government employees who become disabled during their service. The memorandum emphasizes that leave or absence cases for such employees should be handled in accordance with Section 47 of the Disabilities Act, ensuring no termination or reduction in rank. It also addresses the acceptance of applications and medical certificates submitted by family members on behalf of disabled employees and outlines procedures for re-employment and adjustments. The circular also highlights that medical certificates based on disability should not be rejected without consulting the competent medical authority.
SOURCE PDF LINK :
Click to access 18017_1_2014-Estt.L-25022015-Hindi.pdf
Click to view full document content
संख्या 18017/1/2014-स्था.(छुट्टी)
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग
नोर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली,
दिनांक: 25 फरवरी, 2015
कार्यालय जापन
विषय: केंद्रीय सिविल सेवा (छुट्टी) नियमावली, 1972-नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995) में संशोधन के संबंध में।
नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995) जो दिनांक 7 फरवरी, 1996 को लागू हुआ, के फलस्वरूप, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की दिनांक 15/16 जनवरी,2004 की अधिसूचना सं. 13026/1/2002-स्था.(छुट्टी) के तहत केंद्रीय सिविल सेवा (छुट्टी) नियमावली, 1972 में संशोधन किया गया था।
- नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995 की धारा 47 यह प्रावधान करती है कि किसी भी कर्मचारी को उसकी सेवा के दौरान नि:शक्त होने की स्थिति में उसकी सेवाओं को न तो समाप्त किया जा सकता है और न ही उसकी रैंक को घटाया जा सकता है। धारा 47 का प्रथम परंतुक यह निर्धारित करता है कि यदि ऐसा कोई कर्मचारी जो उसके द्वारा धारित पद हेतु उपयुक्त नहीं रह गया हो तो उसे किसी अन्य पद पर स्थानांतरित किया जा सकता है। तथापि, उसके वेतन और सेवा लाभों का संरक्षण किया जाएगा। द्वितीय परंतुक यह व्यवस्था करता है कि यदि ऐसे किसी कर्मचारी को किसी अन्य पद के लिए समायोजित करना संभव नहीं है, तो उसे किसी उपयुक्त पद के उपलब्ध होने तक अथवा जब तक वह अधिवर्षिता की आयु प्राप्त करे, जो भी पहले हो तक किसी अधिसंख्य पद पर रखा जाएगा। इसके अलावा, धारा 47 का खण्ड (2) यह प्रावधान करता है कि किसी व्यक्ति को केवल उसकी नि:शक्तता के आधार पर पदोन्नति से वंचित नहीं किया जाएगा। कुणाल सिंह बनाम भारत संघ [2003] 4 एससीसी 524 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी की है कि नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995की धारा 47 का दायरा और विषयवस्तु अपनी अनिवार्य प्रकृति का स्पष्ट रूप से उल्लेख करते हैं।
- ऐसे सरकारी सेवक जो सेवा के दौरान नि:शक्त हो जाते हैं,की छुट्टी अथवा अनुपस्थिति से संबंधित मामलों को नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995) की धारा 47 के प्रावधानों के मद्देनजर कार्रवाई की जानी अपेक्षित है। ऐसा नि:शक्त सरकारी सेवक जिसे कार्यभार वापस ग्रहण करने के लिए उपयुक्त घोषित किया जाए किंतु वह अपने द्वारा पूर्व धारित पद के दायित्व को निर्वहन करने में सक्षम न हो, के मामले पर नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995 की धारा 47 के प्रथम परंतुक के अनुसार कार्रवाई की जाए। द्वितीय परंतुक उस स्थिति में लागू होगा जब उसे किसी भी मौजूदा पट्टू के विरुद्ध समायोजित न किया जा सके। ऐसे सभी मामलों में, इस तरह से समायोजित सरकारी सेवक अपने द्वारा पूर्व धारित किए गए पद से संबद्ध वेतनमान और अन्य सेवा लाभों का पात्र होगा।
- ऐसा नि:शक्त सरकारी सेवक जो कार्यभार पुन: ग्रहण करने के हेतु योग्य नहीं है, उसे पुन: कार्यभार ग्रहण करने के लिए उपयुक्त घोषित होने तक अथवा अधिवर्षिता की आयु प्राप्त करने तक, जो
भी पहले हो, उसी वेतनमान और सेवा लाभों के साथ उपर्युक्त धारा 47 के दूवितीय परंतुक के अनुसार समायोजित किया जाएगा। कार्यभार पुनः ग्रहण करने के लिए उपयुक्त घोषित होने पर, ऐसे सरकारी सेवक, जो स्वयं द्वारा धारित पद हेतु उपयुक्त नहीं हो, को धारा 47 के प्रथम परंतुक के अनुसार समायोजित किया जाएगा। - नि:शक्तता आधारित चिकित्सा प्रमाणपत्र के आधार पर आवेदित, छुट्टी चिकित्सा प्राधिकारी जिसकी सलाह बाध्यकारी होगी, के संदर्भ के बिना खारिज या रद्द नहीं की जानी चाहिए। नियम 12 में निर्धारित अधिकतम अनुमेय छुट्टी की सीमा, नि:शक्तता के आधार पर आवेदित चिकित्सा प्रमाणपत्र पर लागू नहीं हो सकती। किसी सरकारी सेवक को अशक्त घोषित किए जाने के पश्चात की अवधि के लिए काटी गई कोई भी छुट्टी उसके छुट़ीखाते में वापिस जोड़नी होगी।
- ऐसा सरकारी सेवक जो नि:शक्तता के कारण आवेदन अथवा चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर पाने में असमर्थ है, के लिए उसके परिवार के सदस्य द्वारा प्रस्तुत किया गया आवेदन/चिकित्सा प्रमाणपत्र स्वीकार किया जाए। नि:शक्त सरकारी सेवक का मुआयना करने तथा ऐसे प्रमाणपत्र जारी करने के लिए सक्षम चिकित्सा प्राधिकारियों से संबंधित प्रावधान भी संशोधित किए जा रहे हैं।
- केंद्रीय सिविल सेवा (छुट्टी) नियमावली, 1972 के आवश्यक संशोधनों को अलग से अधिसूचित किया जा रहा है।
सेवा में,
- भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग
\qquad एन.आई.सी, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की बेबसाइट पर ओएम एवं आर्डर (स्थापना छुट्टी)और “नया क्या है” के अंतर्गत इस कार्यालय आदेश को अपलोड करने के लिए ।
प्रतिलिपि प्रेषित
- भारत के उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल।
- सचिव, संघ लोक सेवा आयोग/उच्चतम न्यायालय/लोक सभा सचिवालय/राज्य सभा सचिवालय/मंत्रीमंडल सचिवालय/केन्द्रीय सतर्कता आयोग/ राष्ट्रपति सचिवालय/ उपराष्ट्रपति सचिवालय/प्रधानमंत्री कार्यालय/नीति आयोग।
- भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का कार्यालय/महालेखा नियंत्रक, वित्त मंत्रालय
- कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (एआईएस प्रभाग)/जेसीए/प्रशा. अनुभाग।
- सभी राज्यों के राज्यपाल/संघ राज्य क्षेत्रों के उप राज्यपाल
- सचिव, राष्ट्रीय परिषद (कर्मचारी पक्ष), 13-सी फिरोजशाह रोड़ नई दिल्ली
- जेसीएम की राष्ट्रीय परिषद/विभागीय परिषद के कर्मचारी पक्ष के सभी सदस्य
- कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग/प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग/पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग/पीईएसबी के सभी अधिकारी/अनुभाग।
- संयुक्त सचिव (कार्मिक), वित्त मंत्रालय, व्यय विभाग।
- अपर सचिव (संघ राज्य क्षेत्र), गृह मंत्रालय।