Final Personnel Allocation to Uttarakhand Under Uttar Pradesh Reorganisation Act, 2000

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When a state undergoes a significant reorganisation, the administrative task of allocating its public servants to the newly formed or reconfigured entities is a complex but crucial process. Such reallocations are governed by specific legislation, ensuring fairness and adherence to established legal frameworks. These frameworks often detail how personnel who served in the undivided state will be assigned, taking into account their previous service and the operational needs of the new administrative structures.

However, these processes are not without their challenges. While overarching rules determine the bulk of allocations, individual cases can sometimes be impacted by personal circumstances. For instance, an advisory committee may be tasked with reviewing specific appeals. Even in such situations, strict compliance with administrative requirements is often paramount. If an individual fails to provide necessary documentation or comply with instructions, despite being given ample opportunity, their personal appeal might be overruled in favour of the general allocation policy. This structured approach, while sometimes appearing rigid, ensures that the overall administrative reorganisation proceeds efficiently and legally, maintaining the integrity of public service assignments.

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संख्या 27/02/2012-एस0 आर0 (एस0)
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय,
(कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग)

तीसरा तल, लोक नायक भवन,
खान मार्किट, नई दिल्ली – 110003
दिनांक 2.2 जून, 2012

आदेश 16(14) /2012

उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 की धारा 73 की उपधारा (2) के अधीन, प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केन्द्रीय सरकार, एतद् द्वारा यह निदेश देती है कि इस आदेश के संलग्नक में निर्दिष्ट व्यक्ति, जो 09.11. 2000 के ठीक पहले विद्यमान उत्तर प्रदेश राज्य के क्रियाकलापों के सम्बन्ध में सेवा कर रहा हो, एवं उपर्युक्त अधिनियम की धारा 73 की उपधारा (1) के अधीन, उत्तरवर्ती उत्तर प्रदेश राज्य या उत्तरांचल राज्य के क्रियाकलापों के सम्बन्ध में यथास्थिति, 09.11.2000 से ही अन्तिम रुप से सेवा कर रहा हो, को, उत्तरवर्ती उत्तराखण्ड राज्य यथास्थिति, 09. 11.2000 से सेवा के लिए अन्तिम रुप से आबन्टित समझे जायेंगे ।

परन्तु यदि उन्होंने न्यायालय से अंतरिम स्थगन आदेश प्राप्त किया हो, तो उनका अंतिम आबंटन, न्यायालय के स्थगन आदेश के रद्दद होने के बाद ही प्रभावी होगा अथवा जहाँ न्यायालय के द्वारा, इस सम्बन्ध में कोई निर्देश दिया गया हो, तो उनका आबंटन न्यायालय के अन्तिम आदेश के अधीन होगा ।

परन्तु यदि उन्होंने न्यायालय से आबंटन से मुक्त रहने का स्थगन आदेश प्राप्त किया हो, तो उनको न्यायालय के आदेश प्रभावी रहने तक आबन्टित नहीं समझा जायेगा ।

संलग्नक में निर्दिष्ट इस कार्मिक का अंतिम आबंटन परामर्शी समिति की दिनांक 09.02.2012 को हुई बैठक की संस्तुतियों पर आधारित है ।

(के. पी. के. नंबीशन)
उप. सचिव, उप.सचिव, उप.सचिव, उप सचिव/Deputy Secretary
संलग्नक: 1. अनुबंध (1 पृष्ठ में) उत्तराखंड राज्य में अन्तिम रुप से आवंटित गृह विभाग, संवर्ग के 1 कार्मिक की सूची ।गृह विभाग

| क०
सं० | नाम व
पदनाम/TF
AL | प्रत्यावेदन में
उल्लिखित
बिन्दु | विभागीय आख्या | चिकित्सा
परिषद की
संस्युति | समिति की संस्तुति |
| — | — | — | — | — | — |
| 1 | 2 | 3 | 5 | 4 | 6 |
| | श्री अजय
कुमार पाण्डे,
आरक्षी,
1804 | पत्नी हृदय एवं
शारीरिक रोग
से पीड़ित | श्री अजय कुमार पाण्डे, आरक्षी,
1804 के सम्बन्ध में प्रशासकीय
विभाग द्वारा अवगत कराया गया
कि उन्हें कई बार निर्देशित किये
जाने के पश्चात भी उनके द्वारा
अभी तक अपनी पत्नी को राज्य
चिकित्सा परिषद के सम्मुख
उपस्थित नही किया गया है। जबकि
राज्य चिकित्सा परिषद न जाने के
कारण उनका वेतन भी रोक दिया
गया है। | अप्राप्त | समिति द्वारा श्री अजय
कुमार पाण्डेय को कई
बार उनकी पत्नी को राज्य
चिकित्सा परिषद के
सम्मुख उपस्थित होने हेतु
अवसर प्रदान किया गया,
परन्तु श्री पाण्डेय जानबूझ
कर अपनी पत्नी को राज्य
चिकित्सा परिषद के
सम्मुख उपस्थित नही कर
रहे हैं। अतः समिति द्वारा
इनके प्रत्यावेदन को
अस्वीकार करते हुये
उत्तराखण्ड राज्य आवंटन
की संस्तुति की गई । |

क्‍ल्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर्‍डर