This document details the minutes of a meeting of the State Advisory Committee held on November 20, 2008. The meeting, chaired by the committee’s chairman, addressed various issues including the approval of proceedings, compliance with court orders, and the allocation of employees to different states post-reorganization. Key discussions involved the review of court cases, appeals from employees regarding their state allocation based on factors like domicile and marital status, and proposals for cadre determination and final allocation. The committee also decided to seek further clarification from the central government on certain administrative matters. Furthermore, the minutes outline decisions regarding the delegation of authority for matters requiring the chairman’s approval and recommendations for the final allocation of employees from various departments to Bihar and Jharkhand. The document concludes with a summary of attendees and a list of actions to be taken.
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पत्रांक- रा० प० स०-04/2004…….. 496
राज्य परामर्शदातृ समिति का कार्यालय, सिंचाई आवास, बेली रोड, पटना-23
प्रेषक,
राम ईकबाल शर्मा
उप सचिव।
सेवा में,
श्री भी० पेद्दन्ना,
उप सचिव, एस० आर० (एस०)
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय
कार्मिक तथा प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार,
लोक नायक भवन, तृतीय तल, खान मार्केट,
नई दिल्ली-110003
पटना-23, दिनांक- 2912708
विषय:- दिनांक 20.11.2008 को अध्यक्ष, राज्य परामर्शदातृ समिति की अध्यक्षता में सिंचाई आवास, बेल। रोड, पटना-23 अवस्थित उनके कार्यालय-कक्ष में सम्पन्न समिति की बैतक की कार्यद.ी का अनुमोदन ।
महोदय,
निदेशानुसार विषयगत बैठक की कार्यवाही (Proceeding) सहित संबंधित संचिका संख्या- का० को० 38/2001 के पृष्ठ संख्या-72 पर सदस्य सचिव द्वारा अध्यक्ष महोदय को पृष्ठांकन सम्बन्धी टिप्पण पृष्ठ की प्रति संलग्न भेजते हुए अनुरोध है कि कार्यवाही एवं टिप्पण पृष्ठ पर अध्यक्ष महोदय का अनुमोदन प्राप्त कर लौटती डाक से समिति कार्यालय को उपलब्ध कराने की कृपा की जाय ।
कार्यवाही की प्रति ई-मेल द्वारा भी दिनांक 05.12 .2008 एवं 23.12 .2008 को भेजी गई है ।
अनुलग्नक- यथोक्त

विश्वासभाजन,

72-
205
विनीक्र १०, ११ २००१ को राज्य परामर्शदाता समिति
से बैठक का विश्लेषण एक बार १६६/५० पर अनलॉकनीय है।
उक्त बैठक से संबंधित कार्यकारी प्रारूप तैयार कर गवाह पर रखा गया है, जिस पर अनुमोदन प्राप्त किया जा सकता है।
प्रस्ताव
३० जून १९५१
३५४४३/१००००
१४० २०/११/०१ १११३२
१ १११ ११ ११११११/१११११
११ ११३ ११११११ १११११
११ ११११११ १११११
अनुसूचित
अनुसूचित
अनुसूचित
अनुसूचित
अनुसूचित
३/१५०१
दिनांक 20.11.2008 को अध्यक्ष, राज्य परामर्शदात् समिति की अध्यक्षता में सिंचाई आवास, बेली रोड, पटना-23 अवस्थित उनकें कार्यालय-कक्ष में सम्पन्न समिति की बैठक की कार्यवाही :-
उपस्थिति:-
- डॉ0 एस0 के0 सरकार, संयुक्त सचिव, अध्यक्ष
कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली
2. श्री गिरीश शंकर,
सदस्य-सचिव
3. श्री आमिर सुबहानी, सचिव,
कार्मिक एवं प्र० सु० विभाग, बिहार, पटना।
4. श्री पी० एन० राय, विशेष सचिव,
गृह विभाग, बिहार, पटना।
5. श्री भी० पेदन्ना, उप सचिव, एस0 आर० (एस०) कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली।
6. श्री रतन कुमार, उप सचिव, कार्मिक, प्रशासनिक सुधार
तथा राजभाषा विभाग, झारखंड, रांची ।
कार्यवाही:-
दिनांक 27.06.2008 को सम्पन्न समिति की बैठक की कार्यवाही जो इस कार्यालय के
2. सी० डब्लू० जे० सी० संख्या- 5054/2008 ललन प्रसाद बनाम बिहार राज्य व
अन्य में पारित न्यायादेश दिनांक 14.05 .2008 के अनुपालन पर विचार :-
2.1 वादी कृषि विभाग के नियंत्रणाधीन प्रखंड कृषि पदाधिकारी संवर्ग के कर्मी हैं । इन्हें विभाग द्वारा प्रतिवेदित अप्राप्त विकल्प के आधार पर झारखंड राज्य के लिये सा’ो की बैठक दिनांक 12.09 .05 में अनुशंसित किया गया था । समिति के अनुशंसा के आलोक में भारत सरकार के आदेश संख्या-53(झा0)/06 दिनांक 17.03.06(प्रखंड कृषि पदाधिकारी) के कमांक-414 पर इनका अंतिम आवंटन झारखंड राज्य के लिये किया गया ।
2.2 उक्त आवंटन के विरूद्ध वादी (ललन प्रसाद) द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, पटना में याचिका संख्या- सी0 डब्ल्यू0 जे0 सी0 संख्या-5054/08 दायर किया गया । माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 14.05 .08 द्वारा राज्य परामर्शदात् समिति को वादी के मामले को न्यायादेश/प्रशासी विभाग के पत्र के आलोक में पुनर्विचार किये जाने का निदेश दिया गया है एवं तीन माह के अन्दर अंतिम रूप से निष्पादित करने का निदेश दिया गया है ।
2.3 वादी द्वारा माननीय न्यायादेश के आलोक में प्रशासी विभाग (कृषि विभाग) को एक अभ्यावेदन समर्पित किया गया जिसे प्रशासी विभाग ने अपने पत्र संख्या-4797 दिनांक 08.67.08 द्वारा न्यायादेश की प्रति सहित आवश्यक कागजात संलग्न कर समिति कार्यालय को पुनर्विचार हेतु उपलब्ध कराया गया ।
2.4 वादी की पत्नी श्रीमती निर्मला सहाय, जयराम बजार, खगौल, अंचल दानापुर में सहायक शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं, के संबंध में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, दानापुर-2 के ज्ञापांक-42 दिनांक 07.03 .2008 द्वारा कन्या प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत रहने की पुष्टि की गयी है । समिति द्वारा अंतिम आवंटन के पूर्व यह मामला प्रशासी विभाग जे प्रसंगित किये जाने पर प्रशासी विभाग द्वारा वादी के पत्नी को सरकारी सेवा में कार्यरत रहने की सूचना का खंडन समिति को किये जाने के कारण वादी के दम्पति दाना पर विचार नहीं किया जा सका ।
2.5 इंझ संवर्ग में सामान्य आरक्षण कोटि में विकल्प अप्राप्त, गृह राज्य के विरूद्ध कनीयता कम में 279 कर्मियों में वादी का नाम कमांक-414 पर झारखंड हेतु अनुशंसित किया
गया । अंतिम आवंटन के पूर्व प्रशासी विभाग (कृषि विभाग) द्वारा यदि इनका दम्पति दावा सम्पुष्ट कर दिया गया होता तो विशेष मामला अन्तर्गत इन्हें बिहार आवंटन अनुमान्य होता ।
अतः ललन प्रसाद को झारखंड से बिहार अंतिम आवंटन हेतु पुनरीक्षित अनुशंसित आवंटन सूची समिति कार्यालय के पत्रांक-423 दिनांक 10.11.2008 द्वारा भारत सरकार को समिति के अनुमोदन के प्रत्याशा में भेज दी गयी है ।
2.6 समिति ने विचारोपरान्त केन्द्र सरकार को समिति द्वारा प्रेषित पुनरीक्षित अनुशंसित आवंटन का घटनोत्तर अनुमोदन किया ।

(8) (8) (8)
- सी० डब्लू० जे० सी० संख्या- 7324/2007 सुजीत नाथ मल्लिक बनाम बिहार राज्य व अन्य में पारित न्यायादेश दिनांक 24.07 .2007 के आलोक में वादी के अधिवक्ता से प्राप्त लीगल नोटिस पर विचार :-
3.1 सी० डब्लू० जे० सी० संख्या- 7324/2007 के वादी कृषि विभाग के पेस्ट एण्ड डिजीज रिपोर्टर संवर्ग के कर्मी हैं । उक्त याचिका में माननीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा पारित दिनांक 24.07 . 07 के न्यायादेश का अनुपालन समिति ज्ञापांक का0 को0 विधि-45/2007-364 दिनांक 24.08 . 07 के मुखर आदेश द्वारा किया जा चुका है, जिसकी प्रति वादी सहित दोनों उत्तरवर्ती राज्यों के प्रशासी विभाग एवं भारत सरकार को भी दी गयी थी । माननीय उच्च न्यायालय हा पारित न्यायादेश, वादी द्वारा ही समिति कार्यालय को मात्र उचित कार्रवाई हेतु उपलब्ध कराया गया था, जिसमें टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध उनके द्वारा दर्ज कराई गई आपत्ति अभ्यावेदन पर निर्णय एवं उचित कार्रवाई हेतु था ।
3.2 वादी ने दिनांक 24.07 .08 को हस्ताक्षरित एक आवेदन में विभिन्न अनुलग्नकों सहित समिति के मुखर आदेश को संलग्न करते हुए पूर्व में दी गयी आपत्ति पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है एवं पुनः अम्बरनाथ बनर्जी, अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय के द्वारा दिनांक-25.08.08 को हस्ताक्षरित लीगल नोटिस दिया गया है कि 15 दिनों के अन्दर वादी के मामले के संबंध में कार्रवाई नहीं की गयी तो समिति के अध्यक्ष के विरूद्ध समूचित कानूनी कार्रवाई किया जा सकता है । यह नोटिस भारत सरकार सहित बिहार सरकार के गृह विभाग को भी संबोधित है ।
3.3 इस लीगल नोटिस के पृष्ट-2 पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित न्यायादेश को भ्रामक टंग से पेश किया गया है- “The writ petition was heared on 02.07.2007 and disposed of with direction to reconsider the matter and pass a reasoned order taking into account the ground stated the representation of my client.”
3.4 उल्लेखनीय है कि माननीय न्यायादेश में ” reconsider the matter” का जिक्र कहीं भी नहीं है एवं माननीय न्यायादेश में पारित निर्णय का उल्लेख करते हुए जो मुखर आदेश समिति ज्ञापांक-364 दिनांक 24.08 .07 द्वारा जारी किया गया है उसमें वादी के आवंटन की पूरे गकिया एवं कार्रवाई का उल्लेख है ।
3.5 वादी द्वारा एक अवमानना वाद भी दायर की गई है, जिसमें न तो समिति कार्यालय को एवं न ही भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है, जिससे स्पष्ट है कि वादी समिति कार्यालय की कार्रवाई से संतुष्ट है । यह भी उल्लेखनीय है कि अंतिम आवंटन से पूर्व या अंतिम आवंटन के पश्चात् प्रशासी विभाग से इतर किसी भी माध्यम से प्राप्त आवेदन वा पत्रों पर समिति द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है । अतः वादी के संबंध में पूनर्विचार करने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है ।
3.6 समिति ने विचारोपरान्त यह निर्णय लिया कि वादी के विज्ञ अधिवक्ता को समिति द्वारा पूर्व में निर्गत मुलर आदेश को पुनः संसूचित कर दिया जाय ।

- गृह विभाग के वितन्तु संगठन के साक्षर आरक्षी संवर्ग के विभिन्न कर्मियों द्वारा आवंटन हेतु दायर विभिन्न याचिकाओं में माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा पारित न्यायादेश दिनांक 18.08.2008 के अनुपालन पर विचार :-
4.1 गृह विभाग के वितंतु संगठन के साक्षर आरक्षी संवर्ग का उत्तरवर्ती राज्यों में आवंटन हेतु कोई भी सूची या कागजात प्रशासी विभाग द्वारा समिति कार्यालय को उपलब्ध नहीं कराया गया था। अतः समिति कार्यालय में इस संवर्ग के कर्मियों के आवंटन का कोई भी प्रस्ताव लंबित नहीं है।
4.2 इस संवर्ग के विभिन्न कर्मियों द्वारा इस संवर्ग को राजस्तरीय संवर्ग बताते हुए उत्तरवर्ती राज्यों में आवंटन हेतु विभिन्न याचिकायें मा0 उच्च न्यायालय में दायर की गई एवं समिति द्वारा कोंडिका में वर्णित तथ्य का जिक्र करते हुए प्रतिशपथ पत्र भी दायर किया गया है।
4.3. मा0 उच्च न्यायालय पटना द्वारा दिनांक-18.8.08 को निम्नांकित याचिकाओं में अलग-अलग यह आदेश पारित किया है कि संबन्धित परिवादी, याचिकाकर्ता के आवेदन पर नियमों के आखक में न्यायादेश की प्राप्ति के अधिकतम आठ सप्ताह की अवधि में समुचित निर्णय ले लें।
1 CWJC सं0 11/2008-अनिल कुमार बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
2 CWJC सं0 526/2008-मोठ अजहर इमाम बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
3. CWJC सं0 375/2008-रविन्द त्रिपाठी बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
4. CWJC सं0 12173/2007-शिवनाथ प्रसाद बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
5. CWJC सं0 145/2008-शंभूनाथ मस्ताना बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
6. CWJC सं0 17091/2007-गीता कुमारी बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
7. CWJC सं0 17001/2007-अकबर अली बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
8. CWJC सं0 175/2008-अरबिन्द कुमार पाण्डेय बनाम विहार राज्य एवं अन्य
9. CWJC सं0 315/2008-विकात कुमार बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
4.4 उपर्युक्त कोंडिका-4.3 में वर्णित अनेक याचिकाकर्ताओं ने मा0 न्यायादेश की प्रति के साथ गृह विभाग आयुक्त,बिहार,पटना को सम्बोधित आवेदन की प्रति इस कार्यालय को आवश्यक कार्रवाई हेतु मात्र समर्पित किया है।
4.5 समिति ने इस मामले में विचारोपरान्त यह निर्णय लिया कि वादियों के पैतृक (गृह) विभाग से यह मंतव्य प्राप्त कर लिया जाय कि वादीयण राजास्तरीय संवर्ग के कर्मी हैं अथवा क्षेत्रीय (अर्थात गैर आवंटनीय) संवर्ग रु कर्मी हैं ।

5.1 इस वर्णित न्यायादेश में वादी को राज्य परामर्शदातृ समिति तथा दोनों राज्यों के गृह सचिव को न्यायादेश की तिथि के 4 सप्ताह के अन्दर अभ्यावेदन देने की छुट दी गयी है । ऐसा अभ्यावेदन समर्पित किये जाने की स्थिति में 6 सप्ताह के अन्दर सम्बद्ध प्राधिकार को विधि सम्मत आदेश, निर्गत किये जाने का निदेश है ।
5.2 गृह (आरक्षी) विभाग, बिहार पटना के पत्रांक-2951 दिनांक 26.03 .2008 द्वारा श्री सुनील कुमार, विद्वान अधिवक्ता, झारखंड उच्च न्यायालय, रांची का न्यायादेश की अभिप्रमाणित प्रति सहित एक आवेदन दिनांक 15.02 .2008 प्राप्त हुआ है, जिसमें उन्होंने न्यायादेश के आलोक में सहानुभूतिपूर्वक मानवता के आधार पर आवेदन को त्रिभारे जाने का आग्रह किया है । ज्ञवात् वादी ने अपने आवेदन दिनांक 13.06 .2008 द्वारा अपनी पत्नी के केन्द्र सरकार की सेवा में होने संबंधी पूर्ण सूचना प्रमाण सहित दे कर मामले को निष्पादित करने का आग्रह किया है ।
5.3 वादी का नाम प्रशासी (गृह) विभाग द्वारा विधि विज्ञान प्रयोगशाला के अन्तर्गत प्रविधिज्ञ के पदनाम में कमांक-5 पर वरीयता कमांक-5, गृह जिला-पूर्णियाँ आरक्षण कोटि सामान्य, विकल्प-अप्राप्त तथा पत्नी केन्द्रीय सेवा, घटना में की सूचना सहित प्रतिवेदित किया गया था । इस पदनाम के अन्तर्गत स्वीकृत पद-10 तथा कार्यरत बल-10 प्रतिवेदित था । कुल कार्यरत
बल-10 में 6 बिहार तथा 4 झारखंड आवंटन हेतु अनुमान्य हुआ । सामान्य में कार्यरत बल-5 था जिसमें बिहार-3 तथा झारखंड-2 आवंटन हेतु अनुमान्य हुआ । बिहार को अनुमान्य 3 कोटा के विरुद्ध एक कर्मी विकल्प के आधार पर विशेष मामलान्तर्गत (पत्नी श्रीमती रंजना कुमारी, उच्च वर्गीय लिपिक, तृतीय श्रेणी, नि.ति.-31.12.84, वे०-4000-6000, केन्द्रीय सेवा, पटना में गैर स्थानान्तरणीय पद) शेष कर्मी-2 का विकल्प के आधार पर तथा दूसरा वादी अप्राप्त विकल्प पर झारखंड आवंटित हुए । वादी की पत्नी के बारे में पूर्ण सूचना नहीं रहने के कारण दम्पति दावा अनुमान्य नहीं हुआ । यह स्थिति टेन्टेटिव आवंटन के समय की थी । टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध वादी का कोई अभ्यावेदन प्राप्त नहीं हुआ । कोई अभ्यावेदन न होने के कारण वादी के टेन्टेटिव आवंटन में परिवर्तन करने का कोई औचित्य नहीं था । अतः टेन्टेटिव आवंटन के अनुरूप झारखंड राज्य में अंतिम आवंटन किये जाने की अनुशंसा की गयी । भारत सरकार द्वारा तदनुसार उनका अंतिम आवंटन आदेश निर्गत किया गया ।
5.4 वादी की पत्नी के मामले में प्राप्त सूचना के आधार पर अर्थात पत्नी के गैर स्थानान्तरणीय पद के आधार पर कार्यरत रहने के आधार पर वादी का आवंटन बिहार राज्य में आवंटन अनुमान्य होता है । इसके परिणामस्वरूप बिहार आवंटित एक कर्मी को झारखंड राज्य में आवंटन किया जाना अपेक्षित होगा, जो केन्द्र सरकार द्वारा अंतिम रूप से बिहार राज्य में आवंटित है । समिति की बैठक दिनांक 07.12 .2007 में लिये गये निर्णयानुसार अंतिम आवंटित कर्मियों से आवंटन में संशोधन नहीं करना है अर्थात मामले को Re-open नहीं करना है । एक दूसरी तकनीकी कठिनाई यह हो रही है कि ऐसा करने से बिहार में अनुमान्य स्वीकृत बल से अनुमान्य कार्यरत बल 01 (एक) अधिक हो जाता है । चतुर्थवर्गीय कर्मियों के मामले में केन्द्र सरकार ने यथ स्पष्टीकरण दिया है कि ऐसी होने पर पदों का पुनर्निवतन/सूपरन्युमेरी पद निर्मित कर सामंजित किया जाना है ।
5.5 वादी चतुर्थवर्गीय श्रेणी के कर्मी नहीं है । उक्त स्थिति पर सामंजन किस प्रकार किया जाय, के बिन्दु पर केन्द्र सरकार का कोई मार्गदर्शन नहीं है । अतः माननीय उच्च न्यायालय के अयादेश के अनुपालन में समुचित मार्गदर्शन हेतु समिति पत्रांक-367 दिनांक 16.09.2008 द्वारा केन्द्र सरकार से अनुरोध किया गया है । स्मारोपरान्त वांछित मार्गदर्शन अबतक अप्राप्त है ।
5.6 समिति इस तथ्य से भी अवगत हुई कि इसी प्रकार का एक मामला जो गृह विभाग के आख्शी निरीक्षक (एम.) संवर्ग से संबंधित है, समिति के पत्रांक-513 दिनांक 25.08 .06 द्वारा केन्द्र सरकार को मार्ग-दर्शन हेतु सन्दर्भित है । वांछित मार्ग-दर्शन अबतक अप्राप्त है ।
5.7 समिति ने विचारोपरान्त यह निर्णय लिया कि दोनों प्रकार के मामलों से संबंधित पूर्व प्रेषित पत्रों को प्रसंगित करते हुए वांछित मार्गदर्शन हेतु केन्द्र सरकार को स्मारित किया जाय ।
6. ओम प्रकाश सिन्हा, सहायक, स्वास्थ्य विभाग के संबंध में पिछड़े वर्गों के लिये राज्य आयोग से प्राप्त सलाह पर विचार ।
6.1 श्री ओम प्रकाश सिन्हा, सहायक द्वारा माननीय पटना उच्च न्यायालय में दायर उक्त याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 23.07 .2008 को सुनवाई करते हुए वादी के काउन्सिल के इस अनुरोध पर कि वे मामले को पिछड़े वर्गों के लिये राज्य आयोग के पास वैकल्पिक समाधान के लिये ले जाना चाहते हैं, वापसी के रूप में याचिका खारिज की गई । न्यायादेश में यह भी अंकित है कि मामले के गुणावगुण को नहीं देखा गया है ।
6.2 (क) सदस्य सचिव, पिछड़े वर्गों के लिए राज्य आयोग से प्राप्त पत्रांक-195 दिनांक-04.08.2008 तथा 231 दिनांक-26.08.2008 में पिछड़े वर्गों के लिये राज्य आयोग (संशोधन) अधिनियम, 12, 1993 की धारा-10 का प्रयोग करते हुए यह निदेश दिया गया है कि श्री ओम प्रकाश सिन्हा ने मामले में यदि श्री उमेश कुमार के मामले में दी गई सलाहे से भिन्न राय रखते हों तो स्वर्ग अथवा अपने प्रतिनिधि के माध्यम से यथाशीघ (एक सप्ताह के अन्दर) साक्ष्य सहित अपना प्रतिवेदन/गंतव्य उपलब्ध करावें ताकि आयोग द्वारा अग्रतर कार्रवाई की जा सके । साथ ही यह भी निदेश है कि उपरोक्त प्रकियाधीन अवधि (आयोग द्वारा अन्तिम रूप से निर्णय लेने की तिथि)
तक श्री सिन्हा को झारखंड राज्य के लिए विरमित करने की कार्रवाई (यदि की जा रही हो) को स्थगित रखा जाय ।
(ख). पञ्चांक-231 दिनांक 26.06 .2008 में यह सलाह दिया है कि श्री ओम प्रकाश सिन्हा, सहायक, स्वास्थ्य, चिकित्सा-शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, बिहार, पटना के आरक्षण कोटि की सूची में गलत ढंग से मानकर जो झारखंड भेजने का निर्णय लिया गया है उसे रद्द करते हुए उन्हें बिहार राज्य में रखना नियमानुसार एवं न्यायोचित होगा ।
6.3 श्री उनेश कुमार का मामला आयोग द्वारा समिति को पूर्व में संदर्भित किया गया था । उस मामले पर समिति विमत बैठक दिनांक 27.06 .08 में विचार हुआ । समिति ने विषयवस्तु का अवलोकन करने के बाद इसरो भारत सरकार को भी अवगत करा देने का निर्णय लिया । तदनुसार समिति के पञ्चांक-452 दिनांक 19.11 .2008 द्वारा समिति की कार्यवाही के प्रासंगिक अंश का अवतरण अलग से भी भेज दिया गया है ।
6.4 उक्त दोनों कर्मियों की शिकायत यह है कि वे पिछड़ा वर्ग आरक्षण कोटि के हैं किन्तु उनकी नियुक्ति मेरिट पर सामान्य की रिक्तियों के विरूद्ध हुई है । उनका राज्य आवंटन पिछड़ा वर्ग के आधार पर किया गया है जो गलत है । सामान्य वर्ग मानकर उनका राज्य आवंटन किया जाना चाहिए ।
6.5 पिछड़े वर्गों के लिये राज्य आयोग ने उनकी शिकायत पर सुनवाई करने के बाद अपना सलाह दिया है कि उनकी शिकायत सही है । उनका राज्य आवंटन सामान्य वर्ग में ही मानकर किया जाना उचित है ।
6.6 उक्त दोनों कर्मियों की जो शिकायत है उक्त बिन्दु पर पूर्व में माननीय झारखंड उच्च न्यायालं। में कतिपय याचिकाएँ भी दाखिल की गईं थी और उस मामले पर समिति की बैठक दिनांक 30. 11.2002 में गहराई से विचार विमर्श भी किया गया था ।
6.7 समिति द्वारा लिये गये निर्णय के आलोक में प्रशासी विभाग द्वारा कर्मियों की प्राप्त सूची में कर्मियों के आरक्षण कोटि के बारे में दी गयी सूचना के आधार पर आरक्षण कोटिवार राज्य आवंटन का कार्य सम्पादित किया गया है ।
6.8 हाल ही में श्री भुवनेश्वर प्रसाद यादव, दिनचर्या लिपिक, राजस्व एवं भूमि सुधार विभ: द्वारा धायर सी. डब्ल्यू. जे. सी. संस्था-6424/2006 में पारित निर्णय दिनांक 23.03 .2007 में माननीय पटना उच्च न्यायालय का यह स्पष्ट निर्णय है कि नियुक्ति भले सामान्य मे हुई हो, किन्तु सेवा अभिलेख में दर्ज आरक्षण कोटि के आधार पर किये गये राज्य आवंटनु में कोई त्रुटि नहीं है । उ:षा न्यायादेश के विरूद्ध वादी द्वारा दायर अपील याचिका एल. पी. ए संक्या-470/2007 में पारित निर्णय दिनांक 13.05 .2008 में पुनः उसी निर्णय को सम्पुष्ट करते हुए वादी की अपील याचिका खारिज कर दी गयी है ।
6.9 समिति ने पूर्ण विचारोपरान्त उक्त कंडिका में वर्णित न्यायादेश के आलोक में आयोग की सलाह को अलीकृत करने का निर्णय लिया ।
$\otimes \otimes \otimes$
7. सिविल विमानं। विभाग के कर्मियों (चतुर्थवर्गीय कर्मों को छोड़कर) के अंतिम आवंटन पर विचार :-
7.1 इस मामरं पर विमत बैठक 27.06 .08 में भी विचार हुआ था तदनुसार उस विभाग के चतुर्थवर्गीय कर्मियों के अन्तिम आवंटन की अनुशंसा कर दी गई । शेष के बारे में यह निर्णय हुआ अं के उसके संबंध में प्रस्ताव तैयार कर अगली बैठक में रखा जाय ।
7.2 आज की बैठक में पद विभाजन के प्रारूप पर चर्चा हुई । निर्णय लिया गया 10 पद विभाजन प्रारूप द:रों उत्तरवर्ती राज्यों को भेजकर उस पर उनका मंराव्य प्राप्त कर अग्रेतर कार्रवाई की जाय ।
- चिकित्सकीय आधार पर एवं व्यक्तिगत/पारिवारिक कारणों से श्री सुप्रीव कुमार सिंह दिनचर्या लिपिक की सेवा बिहार से झारखंड राज्य में पुनः आवंटन करने के संबंध में ।
9.1 कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली के पत्रांक-28/41/2008 एस० आर० (एस०) दिनांक 20.10 .2008 द्वारा श्री सुप्रीव कुमार सिंह, दिनचर्या लिपिक, गृह (कारा) विभाग, झारखंड, रांची के आवेदन दिनांक 02.11. 2007 एवं कारा महानिरीक्षक कार्यालय के पत्रांक-2108 दिनांक 08.11 .2007 की प्रति संलग्न करते हुए राज्य परामशदात् समिति की बैठक में मंतव्य के साथ रखे जाने का अनुरोध किया गया है ।
8.2 इनके राज्य आवंटन के संबंध में वस्तुस्थिति इस प्रकार है :-
(क). प्रशासी विभाग द्वारा इनका नाम दिनचर्या लिपिक संवर्ग की सूची के कमांक-5 पर गृह जिला भोजपुर, वरीयता कमांक-5, आरक्षण कोटि-सामान्य, विकल्प-अप्राप्त की सूचना सहित प्रतिवेदित किया गया था । इस संवर्ग में कुल स्वीकृत बल-8, जिसमें बिहार तथा झारखंड हेतु कमशः 5 तथा 3 प्रतिवेदित था । मुख्यालय के कर्मियों का आवंटन $2: 1$ के अनुपात $?$ सम्पादित किया गया है । कुल कार्यरत बल आवंटन योग्य 7 प्रतिवेदित थे, जिसमें बिहार तथा झारखंड आवंटन हेतु अनुमान्य कमशः 5 तथा 2 हुआ । अनु० जाति में 02, जिसमें बिहार तथा झारखंड कमशः 1 तथा 1 होगा । पिछड़ा वर्ग में 2, जिसमें बिहार तथा झारखंड कमशः 1 तथा 1 होगा । सामान्य में 3, जिसमें बिहार तथा झारखंड अनुमान्य कमशः 2 तथा 1 लेता है, किन्तु अनु० जाति एवं पिछड़ा वर्ग के कर्मियों से ही झारखंड का कोटा पूरा हो जाने के कारण सामान्य के सभी तीन कर्मियों की अनुमान्यता बिहार में ही हुई । श्री सुप्रीव कुमार सिंह का आवंटन बिहार किया गया । यह स्थिति टेन्टेटिव आवंटन के समय की थी ।
(ख). बिहार टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध इनका अभ्यावेदन विहित रीति से समिति को प्राप्त हुआ । अपने अभ्यावेदन में पत्नी के मानसिक रोग से ग्रसित होने, चिकित्सा रांची में होने, अनुकम्पा के आधार पर नियुक्त होने, अप्राप्त विकल्पी को नियमतः झारखंड में आवंटित होना चाहिए, इसकारण विकल्प नहीं दिया था । औपबंधिक रूप से झारखंड में पदस्थापित आदि कारणों का उल्लेख करते हुए झारखंड राज्य में ही आवंटन किये जाने का अनुरोध किया था । इनके संवर्ग के टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों पर विचार एवं अंतिम आवंटन की अनुशंसा समिति की बैठक दिनांक-18.04.2007 में हुई । उसी आरक्षण कोटि में विपरीत दिशा का कोई अभ्यावेदक नहीं रहने के कारण उनका अभ्यावेदन अनुकूल अनुशंसा के योग्य न हो सका । अतः टेन्टेटिव आवंटन के अनुरूप बिहार राज्य में अंतिम आवंटन की अनुशंसा की गई । भारत सरकार के आदेश संख्या-22 (बि०) बिहार/07 दिनांक 12.10 .2007 द्वारा तद्नुसार वे अन्तिम रूप से बिहार राज्य में आवंटित किये गये ।
8.3 भारत सरकार के पत्र के साथ संलग्न श्री सिंह के आवेदन में वही तथ्य उल्लिखित है, जो टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध समिति में प्राप्त अभ्यावेदन में थे । कोई नवीन तथ्य नहीं है ।
8.4 इनका आवंटन भारत सरकार द्वारा निर्गत मार्गदर्शन एवं समिति द्वारा निर्मित सिद्धान्त एवं प्रकियान्तर्गत किया गया है, जिसमें कोई त्रुटि नहीं है ।
8.5 समिति ने विचारोपरान्त भारत सरकार के पत्र का औपचारिक उत्तर केन्द्र सरकार को भेज देने का निर्णय लिया ।
$\otimes \otimes \otimes$ - माध्यमिक शिक्षा विभाग के नियंत्रणाधीन माध्यमिक शिक्षा कार्यालंके पदों एवं कर्मियों के आवंटन के संबंध में विचार ।
9.1 माध्यमिक शिक्षा विभाग के पत्रांक-2551 दिनांक-05.07.2001 द्वारा निम्नांकित कार्यालय के पदों की विवरणी (प्रपत्र-1 में) एवं कर्मियों की सूची (प्रपत्र-2 में) आवंटन हेतु भेजी गयी थी :-
(i) बिहार माध्यमिक शिक्षा कार्यालय,
(ii) राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद,
(iii) संस्कृत शिक्षा बोर्ड,
(iv) बिहार विद्यालय निरीक्षका कार्यालय,
(v) पुस्तकालय अधीक्षक कार्यालय,
(vi) सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा कार्यालय,
(vii) बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड,
(क). विभाग ने उक्त पत्र में उल्लेख किया है कि माघ्यमिक शिक्षा के कार्यालय के कर्मियों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में दायर सी0 डब्ल्यू0 जे0 सी0 संस्था-3051/88 में माननीर उच्च न्यायालय ने कर्मियों के सेवा शर्त का निर्धारण बिहार अराजकीय माघ्यमिक विद्यालय, (प्रबंधन एवं नियंत्रण ग्रहण) विधेयक, 1981 के अन्तर्गत नियमावली बनाने का निदेश दिया गया है । माननीय उच्च न्यायालय के उक्त आदेश के आलोक में सेवा शर्त /संवर्ग नहीं होने के कारण कर्मियों की वरीयता सूची नहीं तैयार की जा सकी है । माघ्यमिक शिक्षा कार्यालय में दो तरह के कर्मी कार्यरत हैं ।
- माघ्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा नियुक्त कर्मी सरकार के आदेश संस्था-181 दिनांक 28.01. 1981 द्वारा जब माघ्यमिक शिक्षा बोर्ड को माघ्यमिक शिक्षा कार्यालय का दर्जा दिया गया और उसके कर्मी भी बिहार माघ्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मी हो गये ।
2.(क) माघ्यमिक शिक्षा कार्यालय द्वारा नियुक्त कर्मी इनकी नियुक्ति सरकार द्वारा माघ्यमिक शिक्षा कार्यालय बनने के पश्चात की गई ।
(ख). विभाग ने उक्त पत्र में यह भी उल्लेख किया कि माघ्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मियों को बिना संवर्ग निर्धारण के झारखंड एवं बिहार राज्य में अंतिम विभाजन में कठिनाई है ।
(ग). उपरोक्त कमांक-2 से 7 के कार्यालयों में केन्द्रीय संवर्ग के कार्यरत कर्मियों की वरीयता सूची नहीं रहने के कारण उनके योगदान के तिथि के अनुसार कार्यालयवार सूची तैयार कर भेजी जा रही है ।
(घ). बाद में विभागीय पत्रांक-4646 दिनांक 07.12 .2001 द्वारा मदरसा इसलामियों शमशुल होदा के पदों की विवरणी (प्रपत्र-1 में) तथा कर्मियों की सूची (प्रपत्र-2 में) भेजी गयी । - इसी बीच माघ्यमिक शिक्षा विभाग के कर्मियों द्वारा अपने विभाजन पर आपत्ति व्यक्त :ते हुए तत्कालिन अध्यक्ष, राज्य परामर्शदातृ समिति को संयुक्त रूप से अभ्यावेदन दिया गया । विभागीय पत्र में अंकित बिन्दुओं, पदों एवं कर्मियों की सूची तथा प्राप्त अभ्यावेदन पर विचारोपरान्त अंतिम आवंटन के कम में संभावित कठिनाईयों की ओर निम्नांकित बिन्दुओं पर विभाग का ध्यान आकृष्ट करते हुए समिति कार्यालय के पत्रांक-58 दिनांक 19.03.2002 द्वारा अनुरोध किया गया कि:-
(क). माघ्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मियों को बिना संवर्ग निर्धारण के झारखंड/बिहार के बीच आवंटन में कठिनाई का बिन्दु स्पष्ट नहीं हो रहा है । कृपया सुस्पष्ट किया जाय ।
(ख). इस कार्यालय के कर्मियों द्वारा दिये गये अभ्यावेदन में कहा गया है कि यह कार्यालय पूर्ण रूप से क्षेत्रीय स्तर का है । इस संबंध में स्थिति स्पष्ट की जाय ।
(ग). बोर्ड एवं सरकार द्वारा नियुक्त चालक का वेतनमान कमशः 3050-3900/- एवं 3050-4500 अंकित है ।
(घ). बिहार विद्यालय निरीक्षिका कार्यालय, पुस्तकालय अधीक्षक कार्यालय एवं सहायक निदेशक, संस्कृत शिक्षा कार्यालय के सभी कर्मियों का कोटि कमाक अप्राप्त है । पुस्तकालय अधीक्षक
कार्यालय के लिपिकों के 9 कर्मियों की सूची में कमांक-4 के कर्मों का पदनाम आशुलिपिक है, जबकि दोनों सवर्ग अलग-अलग हैं।
(क). संस्कृत शिक्षा बोर्ड, बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड, राज्य शिक्षा शोध एवं ‘शिक्षण परिषद तथा मदरसा इस्लामियों शमशुल होदा के पदों एवं कर्मियों के विभाजन के बिन्दु पर विभागीय मंतव्य से अवगत कराया जाय ।
9.3. समिति कार्यालय के उक्त पत्र के आलोक में विभागीय पत्रांक-1169 दिनांक 09.04.2002 द्वारा दिये गये प्रतिवेदन में कहा गया कि:-
(क). माननीय उच्च न्यायालय द्वारा बिहार अराजकीय माध्यमिक विद्यालय (प्रबंध एवं नियंत्रण) विधेयक 1981 के अन्तर्गत कर्मियों की सेवा शर्त निर्धारण हेतु नियमावली बनाने का निदेश दिया गया, परन्तु न्यायादेश के आलोक में कर्मियों का सवर्ग का निर्धारण नहीं होने के कारण उनकी वरीयता सूची तैयार नहीं हो सकी है । इस कार्यालय में दो तरह के कर्मी कार्यरत हैं – 1). माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा नियुक्त, जो बोर्ड के विघटन के पश्चात् माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मी हो गये, 2). वैसे कर्मी, जो अन्य कार्यालयों से केन्द्रीय संवर्ग में स्थानान्तरित होकर आये, या क्षेत्रीय कार्यालयों से वरीयता खो कर इस कार्यालय में योगदान किये और कुछ सरकार द्वारा अनुकम्पा के आधार पर नियुक्त होकर कार्यरत हैं । संवर्ग के निर्धारण नहीं होने के कारण सभी कर्मियों को पूर्व से ही क्षेत्रीय कार्यालय के समान वेतन प्राप्त हो रहे हैं । बिना संवर्ग निर्धारण के इन कर्मियों का अगर अंतिम आवंटन उत्तरवर्ती राज्यों में होता है तो माननीय न्यायालय के आदेश के अनुरूप नहीं होगा ।
(ख). इस कार्यालय के कर्मियों द्वारा माननीय अध्यक्ष, राज्य परामर्शदात् समिति को दिये गये अभ्यावेदन में माध्यमिक शिक्षा कार्यालय को पूर्णतः क्षेत्रीय कार्यालय कहना उचित नहीं है । माध्यमिक शिक्षा कार्यालय का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण अविभाजित बिहार राज्य है और राज्य स्तरीय कार्यालय के रूप में संचालित है । यदपि कर्मियों का संवर्ग निर्धारण नहीं हुआ है और वेतनमान क्षेत्रीय कार्यालयों के अनुरूप है, फिर भी इस कार्यालय का कार्यक्षेत्र और कर्मियों की नियुक्ति पदाधिकारी राज्य स्तर का होने के कारण तथा विभागाध्यक्ष के संलग्न कार्यालय के सूची में रहने के कारण विकास आयुक्त की अध्यक्षता में दिनांक 04.04.2001 को हुई बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार अंतिम बटवारे के लिये राज्य परामर्शदात् समिति को सूची भेजी गयी ।
(ग). बिहार विद्यालय निरीक्षिका कार्यालय, पुस्तकालय अधीक्षक कार्यालय और सहायक निदेशक, संस्कृत शिक्षा कार्यालय के कर्मी केन्द्रीय संवर्ग के हैं, जिनकी वरीयता सूची अध्यतन नहीं रहने के कारण कोटि कमांक अंकित नहीं है ।
(घ). संस्कृत शिक्षा बोर्ड, बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड, राज्य शिक्षा शोध प्रशिक्षण परिषद और राजकीय मदरसा इस्लामियों शमशुल होदा अविभाजित बिहार की एकल संस्था है
मदरसा शिक्षा बोर्ड एवं संस्कृत शिक्षा बोर्ड में कुछ कर्मी केन्द्रीय संवर्ग के हैं और कुछ बोर्ड के हैं । केवल वैसे पदों एवं कर्मियों की विवरणी भेजी गयी है जिनपर केन्द्रीय संवर्ग के कर्मी कार्यरत हैं ।
(ड). राज्य शिक्षा शोध प्रशिक्षण परिषद, बिहार की स्थापना विद्यालीय शिक्षा के विभिन्न दोसों में गुणात्मक विकास के उद्देश्य से की गयी है । परिषद में केन्द्रीय संवर्ग के कार्यरत कर्मियों की सूची और उनके पदों की विवरणी राज्य परामर्शदत् समिति को भेजी गयी है ।
राज्य परामर्शदात् समिति में निर्णय लेने की आवश्यकता है कि झारखंड राज्य में परिषद की स्थापना की जायेगी और उसमें केन्द्रीय संवर्ग के एक तीहाई कर्मियों को लिया जायेगा ।
(च). राजकीय मदरसा इस्लामिया शमशुल होदा बिहार राज्य का एक मात्र मदरसा है । इसमें कार्यरत केन्द्रीय संवर्ग के कर्मियों के विभाजन पर राज्य परामर्शदात् समिति में निर्णय लिया जा सकता है कि इस तरह के मदरसा की स्थापना झारखंड सरकार करते हुए कार्यरत कर्मियों के एक तिहाई लेना चाहेगी । संस्थान में कर्मी की आवश्यकतानुसार ही पदों की न्यूीकृति होती है और उस पर कर्मचारी नियुक्त होते हैं ।
9.4. इस प्रकार केन्द्रीय संवर्ग के विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत कर्मियों की सूची अलग अलग भेजने और पदों की विवरणी भी अलग अलग भेजे जाने पर संतोषजनक उत्सर प्राप्त नहीं होने पर दिनांक 10.04 .2002 को अध्यक्ष, राज्य परामर्शदात् समिति के कार्यालय में विभाग के साथ बैठक आहुत की गयी एवं इस ओर विभाग का ध्यान आकृष्ट किया गया । तत्पश्चात् विभागीय पत्रांक-2621 दिनांक 17.07 .2002 द्वारा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा नियुक्त कर्मियों का नाम सूची से हटाते हुए शेष की योगदान कमानुसार समेकित सूची भेजी गयी एवं पत्रांक-2551 दिनांक 05.07 .2001 द्वारा भेजी गयी अन्य सूचना यथावत रखने का अनुरोध किया गया ।
9.5. विभागीय प्रतिवेदन एवं कर्मियों की दी गयी समेकित सूची पर समिक्षोपरान्त समिति कार्यालय के पत्रांक-326 दिनांक 12.12 .2002 द्वारा विभाग से निम्नांकित. बिन्दुओं पर स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया गया :-
(क). सी0 डब्ल्यू0 जे0 सी0 संरू्या-3051/88 में माननीय उच्च न्यायालय का क्या आदेश है और उस आदेश का संबंध सभी किस्म के कर्मियों से है या खास संवर्गों से या खास संस्थानों से ।
(ख) जिस तरह से कार्यरत कर्मियों की समेकित सूची भेजी गयी है, उसी प्रकार “दों की संरू्या एक पदनाम वाले संवर्ग के लिये एक जमए समेकित रूप से विभाग के पास उपलब्ध है या देना संभव है तो यह जानकारी दी जाय । यदि ऐसा संभव नहीं हो तो कारण सहित आवगत करायी जाये ।
9.6. विभाग ने समिति कार्यालय के उक्त पत्र के आलोक में पत्रांक-450 दिनांक 07.03 .2003 द्वारा दिये गये प्रतिवेदन में कहा गया कि :-
(क). कर्मियों ने क्षेत्रीय अपर शिक्षा निदेशक के कार्यालय में संमजित किये जाने के प्रस्ताव के विरुद्ध सी0 डब्ल्यू0 जे० सी० संरू्या-3051/88 दायर की थी । माननीय न्यायालय ने अपने न्यायादेश में आवेदकों के सेवा शर्त का निर्धारण बिहार अराजकीय माध्यमिक विद्यालय (प्रबंध एवं नियंत्रण) अधिनियम-1981 के प्रावधान के तहत करने का निदेश दिया है । न्यायादेश में यह भी कहा गया है कि जबतक सेवा शर्त का निर्धारण नहीं होता है इनकी सेवा शर्त दिनांक-11.08.1980 को जो थी वही रहेगी । अगर इनकी सेवा स्थानान्तरणीय नहीं है तो इन्हें स्थानांतरित नहीं किया जाय । याचिका मूलतः बोर्ड द्वारा नियुक्त वर्ग-3 के कर्मियों द्वारा दायर किया गया था, जो उन्हीं पर प्रभावी है ।
(ख). राज्य मुख्यालय में अवस्थित राज्यस्तरीय कार्यालयों में पदों की स्वीकृति कार्यालयवार रहने के कारण पदों का एक जगह समेकित रूप में देना संभव नहीं है । कर्मियों की सूची एक साथ राज्यस्तरीय कार्यालय के कर्मियों की योगदान कमानुसार उपलब्ध करायी गयी है ।
9.7. दिनांक 04.05 .2006 को समिति की बैठक में उपर्युक्त बिन्दुओं को उपस्थापित किया गया । समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि माननीय उच्च न्यायालय का सेवा शर्त निर्धारण का आदेश
है और यह संभावना व्यक्त की गयी कि बिना सेवाशर्त निर्धारण के संवर्ग विभाजन से वैधानिक जटिलता उत्पन्न हो सकती है । विभाग से अध्यतन स्थिति की सूचना प्राप्त कर समिति की बैठक में रखा जाय ।
(क). समिति की बैठक में लिये गये निर्णय को संसूचित करते हुए अध्यतन स्थिति से अवगत कराने का अनुरोध समिति कार्यालय का पत्रांक-381 दिनांक 01.07 .2006 द्वारा विभाग से किया गया ।
(ख). विभाग ने अपने पत्रांक-2366 दिनांक 31.07 .2006 द्वारा सूचित किया कि पूर्व में दी गयी सूचना में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है । विभाग द्वारा दी गयी पूर्व सूचना के आलोक में ही अग्रेतर कार्रवाई की जाय ।
9.8. इस बिन्दु पर विमर्श हेतु अध्यक्ष राज्य परामर्शदातृ समिति द्वारा दिनांक 05.09 .06 को अपने कार्यालय के कक्ष में विभाग के साथ बैठक आयोजित की गयी उक्त बैठक में भाग लेने आये विभागीय प्रतिनिधि उप निदेशक ने 15 दिनों में प्रतिवेदन भेजने का आश्वासन दिया । निर्धारित अवधि में प्रतिवेदन प्राप्त नहीं होने पर समिति कार्यालय का पत्रांक-626 दिनांक 11. 11.2006 द्वारा स्मार पत्र दिया गया । तत्पश्चात् निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) बिहार द्वारा 129 लिपिकों की वरीयता सूची भेजी गयी जो समिति द्वारा निर्धारित प्रपत्र में नहीं है, जिसमें कर्मियों के विकल्प आदि की सूचना नहीं दी गयी है । इतना ही नहीं उक्त सूची में वर्ष 90 से पूर्व सेवा निवृत या मृत कर्मियों का नाम भी सम्मिलित है । इस सूची पर आवंटन की कार्रवाई संभव नहीं है साथ ही पदों का समेकित सूचना भी नहीं दी गयी है ।
(क). पुनः निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) बिहार के पत्रांक-91 दिनांक 09.01 .07 द्वारा सूचित किया गया कि माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मियों के संवर्ग निर्धारण के संबंध में विभागीय ज्ञापांक-1011 दिनांक 29.11 .2006 द्वारा एक समिति का गठन किया गया है । समिति का प्रतिवेदन प्राप्त होने के उपरान्त नियमान्तर्गत संवर्ग का निर्धारण कर कर्मियों की सूची, पलक्य करा दी जायेगी ।
(ख). समिति कार्यालय के पत्रांक-28 दिनांक 31.01 .07 , अ0 स0 पत्रांक-222 दिनांक-16.05.08, पत्रांक-269 दिनांक 02.06 .08 एवं अ0 स0 पत्रांक-354 दिनांक 05.09 .06 द्वारा विभाग को स्मार पत्र दिया गया है । परन्तु अभी तक आवंटन के योग्य पदों की विवरणी एंव कर्मियों की सूची विभाग से प्राप्त नहीं हो सकी है । साथ ही कर्मियों के संवर्ग निर्धारण की सूचना भी अप्राप्त है । यह मामला पिछले लगभग आठ वर्षों से विभागीय प्रतिवेदन/आवंटन योग्य सूची के अभाव में लंबित चला आ रहा है ।
9.9 समिति ने विचारोपरान्त यह निर्णय लिया कि पुनः विभाग से अनुरोध किया जाय कि वे वांछित सूचना शीघ्र भेजें एवं समिति की अगली बैठक में मामले के विचारार्थ विभागीय प्रतिनिधि को आमंत्रित किया जाय ।
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10. राज्य परामर्शदातृ समिति के अध्यक्ष का मुख्यालय पटना के बाहर होने की स्थिति में समिति के महत्त्वपूर्ण कार्यों में अध्यक्ष के पूर्वानुमोदन की व्यवस्था के संबंध में विचार ।
10.1 भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक एवं पेंशन मंत्रालय, नई गिली के मिसिल संख्या-28/1/2000 एस0 आर0 एस0 (भाग-1) दिनांक जूलाई 2008 द्वारा डॉ0 एस0 के0 सरकार, संयुक्त सचिव, भारत सरकार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है । इसकी पहली बैठक दिनांक 20.11 .2008 को आहूत की गयी ।
10.2 समिति कार्यालय की अनेकों महत्वपूर्ण संचिकाओं में तथा समिति में विचारार्थ रखे जाने वाले मामले (कार्यावली), माननीय उच्च न्यायालय से संबंधित मामले यथा तथ्य विवरणी का अनुमोदन सहित प्रतिशपथ-पत्र दायर करने एवं न्यायालीय आदेशों का अनुपालन के संबंध में मुखर आदेश निर्गत करने अथवा समिति के अनुमोदन की प्रत्याशा में पुनरीक्षित अनुशंसित अंतिम आवंटन आदेश केन्द्र सरकार को भेजने इत्यादि में संचिकाओं पर अध्यक्ष का पूर्वानुमोदन आवश्यक होता है ।
10.3 समिति ने विचारोपरान्त यह निर्णय लिया कि जिस मामले में अध्यक्ष महोदय का पूर्वानुमोदन आवश्यक हो, उसे डाक/ई-मेल से भेजकर अनुमोदन प्राप्त कर लिया जा सकता है ।
(1) (1) (1)
13. कुछ विभागों के संवर्ग के अवशेष कर्मियों के टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों /शून्य अभ्यावेदनों के निष्पादन एवं अंतिम आवंटन पर विचार :-
आज की बैठक में 17 विभिन्न विभागों के अवशेष मामलों मे से 292 कर्मियों के संबंध में विचारोपरान्त अंतिम आवंटन के संबंध में निम्नवत् अनुशंसा की गई ।
कुल कर्मी-292, बिहार-188, झारखंड-101, नया टेन्टेटिव आवंटन-01, अनिर्णीत-02
11.2 इनके संबंध में विवरणी परिशिष्ट-1 के रूप में संलग्न है ।
12. आज की बैठक में जिन संवर्ग/पदकर्मियों का टेन्टेटिव आवंटन/नया टेन्टेटिव आवंटन किया गया है, उसके लिए अभ्यावेदन देने की अंतिम तिथि 31.01.2009 निर्धारित की गई।
बैठक राधान्यताय रमणगत हुई।
(डॉ० एस० के० सरकार)
अध्यक्ष
राज्य परामर्शदातृ समिति
बिहार, पटना ।
राज्य परामर्शदातृ समिति का कार्यालय
सिंघाई आवास, केली रेल, पटना-२३
ज्ञापांक- काढको०-38/2001 –
पटना, दिनांक-
प्रतिलिपि, अध्यक्ष, राज्य परामर्शदातृ समिति / मुख्य सचिव, बिहार, पटना / मुख्य सचिव, झारखंड, रांची / सचिव, कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग, बिहार, पटना / सचिव, कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग, झारखंड, रांची / गृह सचिव, बिहार, पटना / श्री भी० पेद्द्न्ना, उप सचिव, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली को सूचनार्थ प्रेषित ।
(मिरीश शा. 🙂
सदस्य सचिव