This document details the minutes of the 190th meeting of the State Advisory Committee held on June 30, 2009. Key discussions included the allocation of personnel in the Advocate General’s office, with a decision to proceed based on suggestions from the Advocate Generals of Bihar and Jharkhand. The committee also deliberated on the division of staff in the Civil Aviation department between Bihar and Jharkhand, noting the complexity and the need for further clarification and departmental views. The allocation of staff in the Secondary Education Department was also a significant point of discussion, highlighting the challenges due to the absence of clear service rules and cadres. Finally, the committee reviewed pending personnel allocation cases for various departments, including Water Resources, Public Works, Labour, Planning, Secondary Education, Law, Industry, Mines & Geology, Agriculture, Health, Culture, and Rural Development, and made recommendations for their finalization. The document also notes the submission of revised proposals and the need for further information in some cases.
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दिनांक 30.06.2009 को अध्यक्ष, राज्य परामर्शदातृ समिति डॉ0 एस0 कं0 सरकार, संयुक्त सचिव, कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली की अध्यक्षता में 190 नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली में अवस्थित सभा-कक्ष में सम्पन्न समिति की बैठक की कार्यवाही
उपस्थिति:-
- डॉ0 एस0 कं0 सरकार, संयुक्त सचिव, अध्यक्ष
कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय,
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार,
नई दिल्ली
2. श्री गिरीश शंकर,
सदस्य-सचिव
3. श्री एन0 एन0 पाण्डेय, सचिव, कार्मिक, प्रशासनिक सुधार
तथा राजभाषा विभाग, झारखंड/ रांची ।
4. श्री पी० एन० राय, विशेष सचिव,
गृह विभाग, बिहार, पटना।
5. श्री भी० पेंद्वना, उप सचिव, एस० आर० (एस०) कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन
मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली।
6. श्री अतुल कुमार सिन्हा, उप सचिव,
कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग, बिहार, पटना ।
कार्यवाही-
दिनांक 20.11.2008 को सम्पन्न समिति की बैठक की कार्यवाही को सर्वसम्मति से संपुष्ट किया गया।
2. विधि (न्याय) विभाग के नियंत्रणाधीन महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों के अंतिम आवंटन पर विचार
2.1 विधि (न्याय) विभाग, बिहार के पत्रांक दिनांक 13.03.2001 एवं पत्रांक 3560 दिनांक 13.10.2001 द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों के लिए स्वीकृत पद एवं कर्मियों की सूची आवंटन हेतु समिति कार्यालय को भेजी गयी थी।
2.2 प्रशासी विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये पदों की विवरणी एवं कर्मियों की सूची के आधार पर पदों का विभाजन एवं कर्मियों का टेन्टेटिव अंतिम आवंटन $2: 1$ के अनुपात में समिति की बैठक में अनुमोदन के पश्चात् प्रचारित किया गया था।
2.3 कर्मियों के टेन्टेटिव आवंटन प्रचारित किये जाने के पश्चात विद्धान महाधिवक्ता, बिहार द्वारा अध्यक्ष, राज परामर्शदातृ समिति को चार पृष्ठ का एक पत्र पत्रांक-1854 दिनांक 13.03.2003 द्वारा भेजा गया। उक्त पत्र में समिति द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों के आवंटन पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए कार्यरत बल को आवश्यकता से कम बताते हुए पुनर्विचार का अनुरोध किया गया।
महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों द्वारा टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध कोई अध्यावेदन प्राप्त हुआ है या नहीं सूचना भी अप्राप्त है। इस हेतु विभाग को कई स्मार पत्र भी दिये गये।
महाधिवक्ता बिहार ने अपने पत्रांक 3609 दिनांक 24.06 .2008 द्वारा अपने सुझाव में कहा है कि जो कर्मी महाधिवक्ता झारखंड के कार्यालय में कार्यरत है उन्हें पद सहित झारखंड में आवंटित कर दिया जाए और जो महाधिवक्ता बिहार के कार्यालय में कार्यरत है उन्हें बिहार राज्य में पद सहित आवंटित किया जाए। इस प्रकार यह विचारणीय है कि वर्तमान स्थापना में और परिवर्तन (touch) नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह न तो न्यायालय के कार्यहित में होगा और न राज्य के ही कार्यहित में होगा।
2.6 दिनांक 27.06 .2008 को समिति के बैठक में निर्णय लिया गया की माधिवक्ता, बिहार के पत्र की प्रतिलिपि झारखंड सरकार को भेज कर महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों के आवंटन के संबंध में उनका मंतव्य प्राप्त कर लिया जाय ।
2.7 दिनांक 27.06 .2008 को समिति के निर्णय के आलोक में महाधिवक्ता, बिहार के पत्रांक 3609 दिनांक 24.06 .2008 की छायाप्रति तथा समिति के निर्णय से संबंधित अंश का उद्धरण संलग्न करते हुए मुख्य सचिव, झारखंड, रांची से पत्रांक 457 दिनांक 24.11 .2008 द्वारा मंतव्य की मांग की गई । पत्रांक 35 दिनांक 9.03 .2009 एवं पत्रांक 108 दिनांक 27.05 .2009 द्वारा स्मारित भी किया गया है । मंतव्य अप्राप्त है ।भारत सरकार के प्रतिनिधि ने बताया कि बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अन्तर्गत दिनांक 15.11.2000 को कार्यरत सभी राज्य स्तरीय कर्मियों का संवर्ग विभाजन किया जाना है । अतः समिति ने विचारोपरांत निर्णय लिया कि महाधिवक्ता कार्यालय के कर्मियों से उनके टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों को शीघ्र समिति कार्यालय को उपलब्ध कराने हेतु प्रशासी विभाग से अनुरोध किया जाय तथा उन पर समिति द्वारा निर्धारित सिद्धांतों के अन्तर्गत कार्रवाई करते हुए भारत सरकार को अनुशंसा भेजी जाय, साथ ही महाधिवक्ता, बिहार के पत्र पर झारखंड सरकार का मंतव्य भी प्राप्त किया जाय ।
3. सिविल विमानन विभाग के कर्मियों को दीनो उत्तरवर्ती राज्यों के बीच आवंटन पर विचार।
3.1 सिविल विमानन विभाग, बिहार के पत्रांक-578 दिनांक 17.09.2001 की कंडिका-5 में कहा गया कि :-
“सिविल विमानन विभाग में अब जो भी पद उपलब्ध है वे सभी राजकीय वायुयान संगठन एवं बिहार उड्डयन संस्थान के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के निषित ही है । राज्य सरकार के उच्च स्तर पर भी इस बिन्दु पर पूर्व में विचार किया गया है कि सिविल विमानन विभाग के कार्यहीन में वर्तमान में किसी भी पदधारक (माली-4 पद, स्वीपर-2 पद को छोर कर) की सेवा झारखंड राज्य को सुपुर्द करना उचित नहीं होगा ।”
3.2 विभाग द्वारा प्रेषित उपर्युक्त प्रतिवेदन के आलोक में दिनांक 30.11.2002 को समिति की बैठक में लिये गये निर्णय के आलोक में समिति की दिनांक 05.02.2003 की बैठक में सचिव, सिविल विमानन विभाग, बिहार को आमंत्रित किया गया । उक्त बैठक में उन्होंने उपस्थित होकर बताया कि राजकीय विमान संगठन को सुचारू रूप से कार्यरत रखने के लिये जो न्यूनतम आवश्यकता कुशल श्रेणी के कर्मचारी/पदधारक की है वे यहाँ रखे गये हैं । इसके अतिरिक्त उनके पास दो-चार तृतीय/चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों को छोड़कर और किन्हीं की सेवा उत्तरवर्ती राज्यों के विभाजन के लिये उपलब्ध नहीं है । बैठक में वायुयानों के बटवारा का भी बिन्दु उठा लेकिन अन्त में समिति ने अनुभव किया कि सम्पत्ति का बटवारा समिति के कार्य क्षेत्र के बाहर है, इसलिए इस पर कोई निष्कर्ष नहीं दिया जा सका । अर्थात इस विभाग के कर्मचारियों/पदाधिकारीयों के विभाजन पर कोई सहमति नहीं बन सकी ।
3.3 माननीय झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा डब्ल्यू० पी० (एच०) संख्या-1135/2005, राम चन्द्र साहू बनाम् झारखंड राज्य एवं अन्य में दिनांक 28.07.2005 को दिये गये न्याय निर्णय के आलोक में समिति के विचारार्थ दिनांक 12. 09.2005 की बैठक में पूरे मामले को प्रस्तुत किया गया। समिति ने विचारोपरान्त श्री साहू द्वारा उठाये गये बिन्दुओं पर बिहार एवं झारखंड सरकारों से मतंब्य सहित प्रतिवेदन प्राप्त करने का निर्णय लिया । समिति के निर्णय के आलोक में समिति कार्यालय के पत्रांक 743 दिनांक 26.10.2005 द्वारा वादी (श्री साहू) द्वारा उठाये गये बिन्दुओं पर अपने मंतव्य से शीघ्र अयगत कराने हेतु दोनों राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया । समिति कार्यालय के उक्त पत्र के आलोक में नागर विमानन विभाग, झारखंड रांची के पत्रांक 22 दिनांक जनवरी 2006 द्वारा प्रेषित प्रतिवेदन में कहा गया है कि :-
(क) सिविल विमानन विभाग, बिहार के पत्रांक 706 दिनांक 28.05.2005 जो महालेखाकार को सम्बोधित है द्वारा ग्लाईडर प्रशिक्षक के तीन स्वीकृत पदों का स्थानान्तरण झारखंड राज्य को किया जा चुका है एवं वर्त्तमान में ग्लाईडर शाखा से संबंधीत कोई भी स्थापना बिहार राज्य में अवस्थित नहीं है ।
(ख) दिनांक 05.02.2003 को समिति की बैठक में सचिव, सिविल विमानन विभाग बिहार द्वारा स्पष्ट किया गया है कि तृतीय/चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को छोड़ कर और किन्हीं की सेवा उत्तरवर्ती राज्यों में आवंटन करने के लिये उपलब्ध नहीं है । इस विषय पर राज्य परामर्शदातृ समिति को ही निर्णय लेना है ।
(ग) ग्लाईडिंग अनुभाग संबंधी कोई स्थापना बिहार राज्य में नहीं है और पूर्ववर्ती राज्य द्वारा ग्लाईडिंग अनुभाग को सभी परिसम्पत्ति के अधिन ही उपलब्ध है ।
3.4 नागर विमानन विभाग, झारखंड के पत्रांक 22 दिनांक जनवरी 2006 के आलोक में ग्लाईडर प्रशिक्षक के पद को झारखंड के लिये समिति की अनुमोदन की प्रत्याशा में आवंटित करते हुए समिति कार्यालय के पत्रांक 52 दिनांक 06.02.2006 द्वारा निम्नांकित बिन्दुओं पर दोनों राज्यों से प्रतिवेदन देने का अनुरोध किया गया :-
(क) सिविल विमानन विभाग बिहार के पत्रांक 578 दिनांक 17.09.2001 के साथ प्रपत्र-1 में पदों के संबंध में दी गयी विवरणी के प्रत्येक पद समूह में कितनी संख्या झारखंड के लिये अनुमान्य होगी ।
(ख) किस संवर्ग के कितने कर्मियों की सेवा झारखंड राज्य को सौंपी जा चुकी है उनके नाम एवं प्रपत्र-2 के क्रमांक सहित प्रतिवेदित करने की कृपा की जाय । अब जिन कर्मियों की सेवा झारखंड राज्य को पुन देने का विचार विभाग को है उनके नाम एवं क्रमांक भी प्रतिवेदित करने की कृपा की जाय ।
3.5 समिति कार्यालय के पत्रांक 52 दिनांक 06.02.2006 के आलोक में नागर विमानन विभाग झारखंड रांची द्वारा अपने पत्रांक 192 दिनांक 07.03.2006 से दिये गये प्रतिवेदन में कहा गया है कि :-(क) उड्डयन संस्थान के ग्लाईडिंग अनुभाग संबंधी कोई स्थापना बिहार राज्य में उपलब्ध नहीं है तथा पूर्ववर्ती राज्य द्वारा ग्लाईडिंक अनुभाग के सभी परिसम्पत्ति के साथ उपलब्ध सभी स्वीकृत झारखंड राज्य को उपलब्ध कराये गये है । वर्त्तमान में ग्लाईडिंग अनुभाग के संगठनात्मक ढांचा के अन्तर्गत ग्लाईडर प्रशिक्षक को छोर कर अन्य सभी तृतीय तथा चतुर्थ वर्गीय पद अधिकांशतः एकल ही हैं ।
(ख) बिहार राज्य से एक बैरन बी-55 विमान के साथ मात्र एक विमान चालक तथा एक माली की सेवा झारखंड राज्य को प्राप्त हुई है । राजकीय विमानन संगठन हेतु मात्र दो ही पद झारखंड राज्य को प्राप्त है । इस संगठन हेतु अन्य तकनीकि पदों का भी अंतिम आवंटन झारखंड राज्य को उपलब्ध कराने की कृपा की जाय ।
(ग) बिहार का कोई प्रतिवेदन प्राप्त नहीं है ।
3.6 स्मार पत्रों के बाद भी बिहार सरकार का कोई प्रतिवेदन प्राप्त नहीं होने पर अध्यक्ष महोदय की अध्यक्षता में विभागीय सचिव को बैठक हेतु आमंत्रित किया गया जिसमें विभागीय प्रतिनिधि द्वारा शीघ्र प्रतिवेदन देने का आश्वासन दिया गया । परन्तु कई स्मार पत्र के बाद भी अप्राप्त रहा ।
3.7 दिनांक 18.04.2007 की बैठक में पूरी स्थिति को समिति के समक्ष रखा गया । समिति द्वारा विचारोपरान्त बिहार सरकार का वांछित मंतव्य प्राप्त कर समिति के विचारार्थ रखने का निर्णय लिया गया । समिति के निर्णय के आलोक में समिति कार्यालय का पत्रांक 238 दिनांक 12.06 .2007 द्वारा पुनः वांछित प्रतिवेदन शीघ्र भेजने का अनुरोध किया गया ।
3.8 सिविल विमानन निदेशालय के पत्रांक 576 दिनांक 27.06 .2007 द्वारा पत्रांक 578 दिनांक 17.09 .2001 एवं उसके साथ संलग्न प्रपत्र-1 एवं 2 की छाया प्रति संलग्न कर भेजा गया है । समिति द्वारा किये गये पृख्य के संबंध में कुछ भी नही कहा गया है । प्रपत्र-1 एवं प्रपत्र-2 पूर्व से ही समिति कार्यालय को प्राप्त था परन्तु अग्रसारण पत्र में माली के चार एवं स्वीपर के दो पद को छोड़ कर झारखंड को सुपूर्द करने में असमर्थता व्यक्त की गयी थी ।
3.9 इस मामले को समिति के विचारार्थ दिनांक-22.02.2008 एवं 23.05.2008 की बैठक में उपस्थापित किया गया, परन्तु झारखंड सरकार के प्रतिनिधि के उपस्थित नहीं होने के कारण कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। दिनांक 23.05.2008 की बैठक में समिति ने अनुभव किया था कि इसमें शामिल तकनीकि पद एवं तकनीकी पदकर्मियों का विभाजन नहीं किया जा सकता है फिर भी बिहार तथा झारखंड राज्य से वांछित पूर्ण उत्तर आने पर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी।
3.10 विभागीय पत्रांक 459 दिनांक 25.06 .2008 के साथ सिविल विमानन विभाग के कर्मियों की सूची पुनः भेजी गयी है एवं पत्र में कहा गया है कि-
“पूर्व में ग्लाईडिंग शाखा का रोंची में अवस्थित होने के कारण उसमें कार्यरत कर्मियों को झारखंड राज्य के लिए पूर्व में ही विरमित कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त सिविल विमानन विभाग, बिहार में तीन संगठन यथा वायुयान संगठन, हेलिकॉप्टर संगठन एवं बिहार उड्डयन संस्थान अवस्थित है और तीनों के वायुयानो/हेलिकॉप्टर आदि के रख-रखाव हेतू तीन हैंगर भी है और प्रत्येक हैंगर की मान्यता के लिए D.G.C.A के (Civil Aviation Rules) नियमानुसार वांछित संख्या में दहों तकनीकी एवं गैरतकनीकी पदाधिकारी/कर्मचारियो का रहना आवश्यक है। बंटवारा की स्थिति में हैंगर की मान्यता रद्द भी हो सकती है, जबकि इसमें पूर्व से ही कर्मियों की संख्या काफी कम है। इस कारण ऐसे हैंगर से जूड़े कर्मियों का बंटवारा राज्यहीत/संस्थान के हित मे नहीं होगा । अतः ऐसे कर्मी जिन्हें पूर्व में ही झारखंड राज्य के लिए विरमित कर दिया गया है, को छोड़कर शेष कर्मियों को बिहार राज्य में ही रहने दिया जाय।”
3.11 दिनांक 27.06 .2008 की बैठक में उपरोक्त पूर्ण तथ्यों को समिति के विचारार्थ रखा गया। समिति द्वारा पूर्ण विचारोपरान्त सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया किड्स विभाग के सिर्फ चतुर्थवर्गीय कर्मियों का पद विभाजन करते हुए उनका अनुशंसित आवंटन सूची तैयार कर भारत सरकार से निर्गत अतिरिक्त मार्गदर्शन एवं स्पष्टीकरण के आलोक में अध्यक्ष महोदय के अनुमोदन प्राप्त कर अंतिम निर्णय हेतु भारत सरकार को भेज दी जाय । शेष कर्मियों के आवंटन पर विचार करने हेतु प्रस्ताव अगली बैठक में रखा जाय ।
3.12 इस बीच नागर विमानन विभाग, झारखंड, रांची के पत्रांक-265 दिनांक-01.07.2008 में कहा गया है कि नागर विमानन विभाग, झारखंड को कर्मियों के आवंटन के संबंध में किसी प्रकार की जानकारी अप्राप्त है । उन्होंने अनुरोध किया है कि पूर्ववर्ती बिहार में कुल स्वीकृत पद, कार्यरत बल, रिक्त पदों एवं उसमें से झारखंड राज्य हेतु आवंटित स्वीकृत पदों, पदो के विरूद्ध बलों की संख्या एवं झारखंड राज्य में कार्यरत पद के विरूद्ध बलों की संख्या विस्तृत (वायुयान संगठन एवं ग्लाइडर अनुभाग हेतु) जानकारी उपलब्ध करायी जाय।
उल्लेखनीय है कि राज्य परामर्शदात् समिति का गठन प्रशासी विभाग द्वारा दी गयी सूचनानुसार पदों एवं कर्मियों के अंतिम आवंटन के उद्देश्य से किया गया है । अभी तक इस विभाग के पदों एवं कर्मियों (चतुर्थवर्गीय को छोड़कर) का आवंटन नहीं किया जा सका है ।3.13 पुन: नागर विमानन विभाग, रांची के पत्रांक-359 दिनांक 04.08.2008 द्वारा कहा गया है कि राज्य विभाजन के बाद झारखंड राज्य को नगर विमानन विभाग के किसी राजपत्रित एवं अराजपत्रित पदाधिकारीयों के पद को हस्तांतरित नहीं किया गया है । जबकि अन्य विभागों की भाँति कुल पदों का एक तिहाई पद झारखंड राज्य को दिया जाना है । झारखंड राज्य को केवल बिहार उद्दडयन संस्थान, पटना के ग्लाइडिंग अनुभाग के 9 पदों के अलावा कोई पद हस्तांतरित नहीं किया गया है । राजकीय यायुयान संगठन एवं बिहार उद्दडयन संस्थान में कुल क्रमश: 87 एवं 50 पद स्वीकृत हैं, जिसमें क्रमश: 29 एवं 11 पद अभी झारखंड उद्दडयन संस्थान को हस्तांतरित किया जाना है ।
3.14 दिनांक 20.11.2008 की बैठक में निर्णय लिया गया की पद विभाजन का प्रारूप दोनों उत्तरवर्ती राज्यों को भेज कर उस पर उनका मंतव्य प्राप्त कर अग्रेतर कार्रवाई की जाय। समिति के उक्त निर्णय के आलोक में पद विभाजन का प्रारूप दोनों उत्तरवर्ती राज्यों को समिति के पत्रांक 31 दिनांक 9.03.2009 के द्वारा भेजते हुए मंतव्य की मांग की गई । इस हेतु पत्रांक 109 दिनांक 27.05.2009 द्वारा स्मारित भी किया गया । मंतव्य अज्ञात है ।
3.15 बिहार सरकार की ओर से बताया गया कि कुछ सेवाएँ – यथा ग्लाइडिंग रांची में स्थित है, अतः वैसी सेवाओं के पदों का विभाजन होने से उनकी उपयुक्तता बिहार में नहीं होगी ।
3.16 झारखंड के प्रतिनिधि श्री एन.एन. पाण्डेय ने आश्वासन दिया कि पूरे मामले पर झारखंड सरकार का मंतव्यय शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा ।
3.17 आज की बैठक में समिति ने निर्णय लिया की दोनों राज्य सरकारों से पद विभाजन प्रारूप पर शीघ्र मंतव्य उपलब्ध कराने हेतु समिति कार्यालय द्वारा कार्रवाई की जाय ।
4. माध्यमिक शिक्षा विभाग के नियंत्रणाधीन माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के पदों एवं कर्मियों के आवंटन के संबंध में
विभाग ।
4.1 माध्यमिक शिक्षा विभाग के पुझांक-2681 दिनांक-06.07.2001 द्वारा निम्नांकित कार्यालय के पदों की विवरणी (प्रपत्र-1 में) एवं कर्मियों की सूची (प्रपत्र-2 में) आवंटन हेतु भेजी गयी थी –
(i) बिहार माध्यमिक शिक्षा कार्यालय,
(ii) राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद,
(iii) संरक्षुत शिक्षा बोर्ड,
(iv) बिहार विद्यालय निरीक्षका कार्यालय,
(v) पुस्तकालय अवीक्षक कार्यालय,
(vi) सहायक निदेशक संरक्षुत शिक्षा कार्यालय,
(vii) बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड,
(क) विभाग ने उक्त पत्र में उल्लेख किया है कि माध्यमिक शिक्षा के कार्यालय के कर्मियों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में दायर सी0 डब्ल्यू0 जे0 सी0 संख्या-3061/88 में माननीय उच्च न्यायालय ने कर्मियों के सेवा शर्त का निर्धारण बिहार अराजकीय माध्यमिक विद्यालय, (प्रबंधन एवं नियंत्रण ग्रहण) विधेयक, 1981 के अन्तर्गत नियमावली बनाने का निदेश दिया गया है । माननीय उच्च न्यायालय के उक्त आदेश के आलोक में सेवा शर्त /संवर्ग नहीं होने के कारण कर्मियों की वरीयता सूची नहीं तैयार की जा सकी है । माध्यमिक शिक्षा कार्यालय में दो तरह के कर्मी कार्यरत हैं ।
- माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा नियुक्त कर्मी सरकार के आदेश संख्या-181 दिनांक 28.01.1981 द्वारा जब माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को माध्यमिक शिक्षा कार्यालय का दर्जा दिया गया और उसके कर्मी भी बिहार माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मी हो गये ।
2.(क) माध्यमिक शिक्षा कार्यालय द्वारा नियुक्त कर्मी इनकी नियुक्ति सरकार द्वारा माध्यमिक शिक्षा कार्यालय बनने के पश्चात की गई ।
(ख) विभाग ने उक्त पत्र में यह भी उल्लेख किया कि माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मियों को बिना संवर्ग निर्धारण के झारखंड एवं बिहार राज्य में अंतिम विभाजन में कठिनाई है ।
(ग) उपरोक्त क्रमांक-2 से 7 के कार्यालयों में केन्द्रीय संवर्ग के कार्यरत कर्मियों की वरीयता सूची नहीं रहने के कारण उनके योगदान के तिथि के अनुसार कार्यालयवार सूची तैयार कर भेजी जा रही है ।(घ). बाद में विभागीय पत्रांक-4646 दिनांक 07.12.2001 द्वारा मदरसा इस्लामियों शमशुल होदा के पदों की विवरणी (प्रपत्र-1 में) तथा कर्मियों की सूची (प्रपत्र-2 में) भेजी गयी ।
4.2. इसी बीच माध्यमिक शिक्षा विभाग के कर्मियों द्वारा अपने विभाजन पर आयाति व्यक्त करते हुए तत्कालिन अध्यक्ष, राज्य परामर्शदात् समिति को संयुक्त रूप से अध्यावेदन दिया गया । विभागीय पत्र में अंकित बिन्दुओं, पदों एवं कर्मियों की सूची तथा प्राप्त अध्यावेदन पर विचारोपरान्त अंतिम आवंटन के क्रम में संभावित कठिनाईयों की ओर निम्नांकित बिन्दुओं पर विभाग का ध्यान आकृष्ट करते हुए समिति कार्यालय के पत्रांक-58 दिनांक 19.03.2002 द्वारा अनुरोध किया गया कि-
(क). माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मियों को बिना संवर्ग निर्धारण के झारखंड/बिहार के बीच आवंटन में कठिनाई का बिन्दु स्पष्ट नहीं हो रहा है । कृपया सुस्पष्ट किया जाय ।
(ख). इस कार्यालय के कर्मियों द्वारा दिये गये अध्यावेदन में कहा गया है कि यह कार्यालय पूर्ण रूप से क्षेत्रीय स्तर का है । इस संबंध में स्थिति स्पष्ट की जाय ।
(ग). बोर्ड एवं सरकार द्वारा नियुक्त चालक का वेतनमान क्रमशः 3050-3900/- एवं 3050-4500 अंकित है ।
(घ). बिहार विद्यालय निरीक्षिका कार्यालय, पुस्तकालय अधीक्षक कार्यालय एवं सहायक निदेशक, संस्कृत शिक्षा कार्यालय के सभी कर्मियों का कोटि क्रमांक अप्राप्त है । पुस्तकालय अधीक्षक कार्यालय के लिपिकों के 9 कर्मियों की सूची में क्रमांक-4 के कर्मी का पदनाम आशुलिपिक है, जबकि दोनों संवर्ग अलग-अलग है ।
(ड). संस्कृत शिक्षा बोर्ड, बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड, राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद तथा मदरसा इस्लामियों शमशुल होदा के पदों एवं कर्मियों के विभाजन के बिन्दु पर विभागीय मंतव्य से अवगत कराया जाय ।
4.3. समिति कार्यालय के उक्त पत्र के आलोक में विभागीय पत्रांक-1169 दिनांक 09.04.2002 द्वारा दिये गये प्रतिवेदन में कहा गया कि-
(क). माननीय उच्च न्यायालय द्वारा बिहार अराजकीय माध्यमिक विद्यालय (प्रबंध एवं नियंत्रण) विधेयक 1981 के अन्तर्गत कर्मियों की सेवा शर्त निर्धारण हेतु नियमावली बनाने का निर्देश दिया गया, परन्तु न्यायादेश के आलोक में कर्मियों का सवर्ग का निर्धारण नहीं होने के कारण उनकी वरीयता सूची तैयार नहीं हो सकी है । इस कार्यालय में दो तरह के कर्मी कार्यरत हैं – 1). माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा नियुक्त, जो बोर्ड के विघटन के पश्चात् माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मी हो गये, 2). वैसे कर्मी, जो अन्य कार्यालयों से केन्द्रीय संवर्ग में स्थानान्तरित होकर आये, या क्षेत्रीय कार्यालयों से वरीयता खो कर इस कार्यालय में योगदान किये और कुछ सरकार द्वारा अनुकम्पा के आधार पर नियुक्त होकर कार्यरत हैं । संवर्ग के निर्धारण नहीं होने के कारण सभी कर्मियों को पूर्व से ही क्षेत्रीय कार्यालय के समान वेतन प्राप्त हो रहे हैं । बिना संवर्ग निर्धारण के इन कर्मियों का अगर अंतिम आवंटन उत्तरवर्ती राज्यों में होता है तो माननीय न्यायालय के आदेश के अनुरूप नहीं होगा ।
(ख). इस कार्यालय के कर्मियों द्वारा माननीय अध्यक्ष, राज्य परामर्शदात् समिति को दिये गये अध्यावेदन में माध्यमिक शिक्षा कार्यालय को पूर्णतः क्षेत्रीय कार्यालय कहना उचित नहीं है । माध्यमिक शिक्षा कार्यालय का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण अविभाजित बिहार राज्य है और राज्य स्तरीय कार्यालय के रूप में संचालित है । वदपि कर्मियों का संवर्ग निर्धारण नहीं हुआ है और वेतनमान क्षेत्रीय कार्यालयों के अनुरूप है, फिर भी इस कार्यालय का कार्यक्षेत्र और कर्मियों की नियुक्ति पदाधिकारी राज्य स्तर का होने के कारण तथा विभागाध्यक्ष के संलग्न कार्यालय के सूची में रहने के कारण विकास आयुक्त की अध्यक्षता में दिनांक 04.04.2001 को हुई बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार अंतिम बटवारे के लिये राज्य परामर्शदात् समिति को सूची भेजी गयी ।
(ग). बिहार विद्यालय निरीक्षिका कार्यालय, पुस्तकालय अधीक्षक कार्यालय और सहायक निदेशक, संस्कृत शिक्षा कार्यालय के कर्मी केन्द्रीय संवर्ग के हैं, जिनकी वरीयता सूची अध्यतन नहीं रहने के कारण कोटि क्रमांक अंकित नहीं है ।
(घ). संस्कृत शिक्षा बोर्ड, बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड, राज्य शिक्षा शोध प्रशिक्षण परिषद और राजकीय मदरसा इस्लामियों शमशुल होदा अविभाजित बिहार की एकल संस्था है
मदरसा शिक्षा बोर्ड एवं संस्कृत शिक्षा बोर्ड में कुछ कर्मी केन्द्रीय संवर्ग के हैं और कुछ बोर्ड के हैं । केवल वैसे पदों एवं कर्मियों की विवरणी भेजी गयी है जिनपर केन्द्रीय संवर्ग के कर्मी कार्यरत हैं ।(ह). राज्य शिक्षा शोध प्रशिक्षण परिषद, बिहार की स्थापना विद्यालीय शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में गुणात्मक विकास के उद्देश्य से की गयी है । परिषद में केन्द्रीय संवर्ग के कार्यरत कर्मियों की सूची और उनके पदों की विवरणी राज्य परामर्शदत् समिति को भेजी गयी है ।
राज्य परामर्शदात् समिति में निर्णय लेने की आवश्यकता है कि झारखंड राज्य में परिषद की स्थापना की जायेगी और उसमें केन्द्रीय संवर्ग के एक तीव्राई कर्मियों को लिया जायेगा।
(भ). राजकीय मदरसा इस्लामिया शमशुल होया बिहार राज्य का एक मात्र मदरसा है । इसमें कार्यरत केन्द्रीय संवर्ग के कर्मियों के विभाजन पर राज्य परामर्शदात् समिति में निर्णय लिया जा सकता है कि इस तरह के मदरसा की स्थापना झारखंड सरकार करते हुए कार्यरत कर्मियों के एक तिहाई लेना चाहेगी । संस्थान में कर्मी की आवश्यकतानुसार ही पदों की स्वीकृति होती है और उस पर कर्मचारी नियुक्त होते हैं ।
4.4. इस प्रकार केन्द्रीय संवर्ग के विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत कर्मियों की सूची अलग अलग भेजने और पदों की विवरणी भी अलग अलग भेजे जाने पर संतोषजनक उतार प्राप्त नहीं होने पर दिनांक 10.04.2002 को अध्यक्ष. राज्य परामर्शदात् समिति के कार्यालय में विभाग के साथ बैठक आहुत की गयी एवं इस ओर विभाग का ध्यान आकृष्ट किया गया । तत्पश्चात् विभागीय पत्रांक-2621 दिनांक 17.07.2002 द्वारा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा नियुक्त कर्मियों का नाम सूची से हटाते हुए शेष की योगदान कम्यनुसार समेकित सूची भेजी गयी एवं पत्रांक-2651 दिनांक 05.07.2001 द्वारा भेजी गयी अन्य सूचना यथावत रखने का अनुरोध किया गया ।
4.5. विभागीय प्रतिवेदन एवं कर्मियों की दी गयी समेकित सूची पर समिक्षोपरान्त समिति कार्यालय के पत्रांक-326 दिनांक 12.12.2002 द्वारा विभाग से निम्नांकित बिन्दुओं पर स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया गया :-
(क). सी0 डब्ल्यू0 जे0 सी0 संख्या-3051/88 में माननीय उच्च न्यायालय का क्या आदेश है और उस आदेश का संबंध सभी किस्म के कर्मियों से है या खास संवर्गों से या खास संस्थानों से ।
(ख) जिस तरह से कार्यरत कर्मियों की समेकित सूची भेजी गयी है, उसी प्रकार पदों की संख्या एक पदनाम वाले संवर्ग के लिये एक जगह समेकित रूप से विभाग के पास उपलब्ध है या देना संभव है तो यह जानकारी दी जाय । यदि ऐसा संभव नहीं हो तो कारण सहित आवगत करायी जाये ।
4.6. विभाग ने समिति कार्यालय के उक्त पत्र के आलोक में पत्रांक-450 दिनांक 07.03.2003 द्वारा दिये गये प्रतिवेदन में कहा गया कि :-
(क). कर्मियों ने क्षेत्रीय अपर शिक्षा निदेशक के कार्यालय में संनजित किये जाने के प्रस्ताव के विरुद्ध सी0 डब्ल्यू0 जे0 सी0 संख्या-3051/88 दायर की थी । माननीय न्यायालय ने अपने न्यायादेश में आवेदकों के सेवा शर्त का निर्धारण बिहार अराजकीय माध्यमिक विद्यालय (प्रबंध एवं नियंत्रण) अधिनियम-1981 के प्रावधान के तहत करने का निदेश दिया है । न्यायादेश में यह भी कहा गया है कि जबतक सेवा शर्त का निर्धारण नहीं होता है इनकी सेवा शर्त दिनांक-11.08.1980 को जो थी वही रहेगी । अगर इनकी सेवा स्थानान्तरणीय नहीं है तो इन्हें स्थानांतरित नहीं किया जाय । याचिका मूलतः बोर्ड द्वारा नियुक्त वर्ग-3 के कर्मियों द्वारा दायर किया गया था, जो उन्हीं पर प्रभावी है ।
(ख). राज्य मुख्यालय में अवस्थित राज्यस्तरीय कार्यालयों में पदों की स्वीकृति कार्यालयवार रहने के कारण पदों का एक जगह समेकित रूप में देना संभव नहीं है । कर्मियों की सूची एक साथ राज्यस्तरीय कार्यालय के कर्मियों की योगदान कम्यनुसार उपलब्ध करायी गयी है ।
4.7. दिनांक 04.05.2006 को समिति की बैठक में उपर्युक्त बिन्दुओं को उपस्थापित किया गया । समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि माननीय उच्च न्यायालय का सेवा शर्त निर्धारण का आदेश है और यह संभावना व्यक्त की गयी कि बिना सेवाशर्त निर्धारण के संवर्ग विभाजन से वैधानिक जटिलता उत्पन्न हो सकती है । विभाग से आवतन स्थिति की सूचना प्राप्त कर समिति की बैठक में रखा जाय ।
(क). समिति की बैठक में लिये गये निर्णय को संयुक्ति करते हुए आवतन स्थिति से अवगत कराने का अनुरोध समिति कार्यालय का पत्रांक-381 दिनांक 01.07.2006 द्वारा विभाग से किया गया ।
(ख). विभाग ने अपने पत्रांक-2366 दिनांक 31.07.2006 द्वारा सूचित किया कि पूर्व में दी गयी सूचना में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है । विभाग द्वारा दी गयी पूर्व सूचना के आलोक में ही अग्रेतर कार्रवाई की जाय ।4.8. इस बिन्दु पर विमर्श हेतु अध्यक्ष राज्य परामर्शदात् समिति द्वारा दिनांक 05.09.06 को अपने कार्यालय के कक्ष में विभाग के साथ बैठक आयोजित की गयी उक्त बैठक में भाग लेने आये विभागीय प्रतिनिधि उप निदेशक ने 15 दिनों में प्रतिवेदन भेजने का आश्वासन दिया । निर्धारित अवधि में प्रतिवेदन प्राप्त नहीं होने पर समिति कार्यालय का पत्रांक-626 दिनांक 11.11.2006 द्वारा स्मार पत्र दिया गया । तत्पश्चात् निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) बिहार द्वारा 129 लिपिकों की वरीयता सूची भेजी गयी जो समिति द्वारा निर्धारित प्रपत्र में नहीं है, जिसमें कर्मियों के विकल्प आदि की सूचना नहीं दी गयी है । इतना ही नहीं उक्त सूची में वर्ष 90 से पूर्व सेवा निवृत या मृत कर्मियों का नाम भी सम्मिलित है । इस सूची पर आवंटन की कार्रवाई संभव नहीं है साथ ही पदों की समेकित सूचना भी नहीं दी गयी है।
(क). पुनः निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) बिहार के पत्रांक-91 दिनांक 09.01.07 द्वारा सूचित किया गया कि माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कर्मियों के संवर्ग निर्धारण के संबंध में विभागीय ज्ञापांक-1011 दिनांक 29.11.2006 द्वारा एक समिति का गठन किया गया है । समिति का प्रतिवेदन प्राप्त होने के उपरान्त नियमानुसार संवर्ग का निर्धारण कर कर्मियों की सूची उपलब्ध करा दी जायेगी ।
(ख). समिति कार्यालय के पत्रांक-28 दिनांक 31.01.07, 80 स0 पत्रांक-222 दिनांक-16.05.08, पत्रांक-269 दिनांक 02.06.08 एवं 80 स0 पत्रांक-354 दिनांक 05.09.08 द्वारा विभाग को स्मार पत्र दिया गया है । परन्तु अभी तक आवंटन के योग्य पदों की विवरणी एंव कर्मियों की सूची विभाग से प्राप्त नहीं हो सकी है । साथ ही कर्मियों के संवर्ग निर्धारण की सूचना भी अप्राप्त है । यह मामला पिछले लगभग आठ वर्षों से विभागीय प्रतिवेदन/आवंटन योग्य सूची के अभाव में लंबित चला आ रहा है ।
4.9 समिति ने विचारोपरान्त यह निर्णय लिया कि पुनः विभाग से अनुरोध किया जाय कि वे वांछित सूचना शीघ्र भेजें तथा समिति की अगली बैठक में मामले के विचारार्थ विभागीय प्रतिनिधि को भी आमंत्रित किया जाय ।
5. बिहार पुनर्गठन अधिनियम-2000 के अन्तर्गत उत्तरवर्ती राज्यों में राज्य कर्मियों के अवशेष आवंटन के निष्पादन के संबंध विचार ।
5.1 भारत सरकार के सचिव, कार्मिक जन शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के अर्द्ध सरकारी पत्रांक $28 / 1 / 2000$ एस.आर.(एस.) दिनांक $21 / 22.12 .2000$ द्वारा राज्य परामर्शदात् समिति का गठन, अखिल भारतीय सेवा से भिन्न राज्यस्तरीय कार्मिकों के बटवारा हेतु केन्द्र सरकार के सहायतार्थ की गई थी ।
5.2 इस समिति के गठन के पश्चात् राज्य सरकार के विभिन्न प्रशासी विभागों द्वारा लगभग एक लाख से कुछ अधिक कर्मियों की सूची उत्तरवर्ती राज्यों में बँटवारा हेतु उपलब्ध करायी गई थी ।
5.3 समिति की अबतक संपन्न बैठकों में लगभग 1,12000 में 775 कर्मियों का अंतिम आवंटन अवशेष है । इसके अतिरिक्त शिविल विमानन एवं माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के कुल 187 कर्मियों का टेन्टेटिव अंतिम आवंटन किया जाना है ।
5.4 दिनांक 30.06.2009 की प्रस्तावित बैठक में लगभग 198 कर्मियों के अंतिम आवंटन की अनुशंसा प्रस्तावित है । इसके पश्चात् $577+187=764$ कर्मियों के आवंटन की कार्रवाई अवशेष रह जायेगी।
5.5 इन अवशेष कर्मियों के अंतिम आवंटन की कार्रवाई अबतक लंबित रहने का मुख्य कारण यह रहा है कि ठेठ आवंटन के पश्चात् अभ्यावेदकों के दावे की सम्पूष्टि हेतु प्रशासी विभागों को मामला प्रसंगित किए जाने पर प्रशासी विभागों द्वारा या तो उत्तर नहीं दिया जाता है या जो दिया जाता है वह मांगी गयी सूचना के अनुरूप नहीं रहता है । इसके निष्पादन हेतु समिति के अधक प्रयास यथा, विभागीय बैठक, अनेकों पत्राचारों अर्द्ध सरकारी पत्राचार, व्यक्तिगत अनुरोध, मुख्य सचिव, के स्तर पर बैठक इत्यादि के बावजूद आज तक अपेक्षित सूचना/मंतव्य एवं प्रतिवेदन समिति कार्यालय को उपलब्ध नहीं कराये जाने से अवशेष कर्मियों का अंतिम आवंटन नहीं हो सका है।
5.6 पूरे मामले पर विचारोपरांत समिति ने निर्णय लिया कि उत्तरवर्ती बिहार राज्य द्वारा अवशेष कर्मियों के संबंध में समिति को वांछित प्रतिवेदन/सूचना शीघ्र उपलब्ध करायी जाय ।
6. कुछ विभागों के संवर्ग के अवशेष कर्मियों के टेन्टेटिव आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अभ्यावेदनों /शून्य अभ्यावेदनों के निष्पादन एवं अंतिम आवंटन पर विचार :-
6-1 जल संसाधन विभाग के पत्रांक 7001 दिनांक 29.08.2003 द्वारा समिति कार्यालय को प्रस्ताव भेजा गया था कि विभिन्न कारणों से कनीय अभियंता (असैनिक) संवर्ग के 54 कर्मियों का नाम टेन्टेटिव आवंटन सूची से विलोपित किया जाय । इन 54 कर्मियों में से मूल पद पर प्रत्यावर्तित किये जाने के कारण टेन्टेटिव अंतिम आवंटन सूची से विलोपित होने योग्य आठ कनीय अभियंताओं के नाम भी शामिल थे । प्रशासी विभाग की इस अनुशंसा को स्वीकार्य करते हुए समिति की दिनांक 10.04.2004 की बैठक में कनीय अभियंता (असैनिक) संवर्ग के कर्मियों केअंतिम संवर्ग विभाजन का प्रस्ताव अनुमोदित हुआ तथा भारत सरकार को भेजी गई कनीय अभियंता (असैनिक) संवर्ग की अनुशंसित सूची में से अन्य कर्मियों के साथ इन प्रश्नगत आठ कर्मियों का नाम भी विलोपित कर दिया गया । समिति द्वारा प्रेषित अनुशंसा के आलोक में भारत सरकार द्वारा भी कनीय अभियंता (असैनिक) संवर्ग के कर्मियों का अंतिम आवंटन आदेश वर्ष 2004 में ही निर्गत कर दिया गया है ।
प्रश्नगत आठ कर्मियों के नाम कनीय अभियंता (असैनिक) संवर्ग से विलोपित किये जाने संबंधी विभागीय प्रस्ताव के साथ के साथ एक प्रस्ताव प्रशासी विभाग ने यह भी प्रेषित किया था कि 14 सर्वेयरों का नाम विभिन्न कारणों से विभाग द्वारा प्रेषित नहीं किये जाने के कारण सर्वेयर संवर्ग के टेन्टेटिव अंतिम आवंटन सूची में शामिल नहीं हो सका है जिसे शामिल करने की कार्रवाई की जाय। स्वीकृत पद संबंधी सूचना में त्रुटि होने के कारण यह मामला लंबित चला आ रहा था ।
(i) प्रशासी विभाग ने अन्ततः सचिव जल संसाधन विभाग के अर्ध सरकारी पत्रांक 7569 दिनांक 13.11.2008 एवं पत्रांक 8086 दिनांक 10.12 .2008 द्वारा प्रतिवेदित किया है कि उपर्युक्त वर्णित 14 सर्वेयर एल.पी.ए. संख्या-913/96, एल.पी.ए. संख्या-914/96, एल.पी.ए. संख्या-941/96 एवं एल.पी.ए. संख्या-1094/96 में माननीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में विभाग द्वारा पारित विभिन्न आदेशों द्वारा कनीय अभियंता के पद पर पुनर्वहाल हो गये हैं तथा नियत तिथि दिनांक 14.11 .2000 को कनीय अभियंता माने जायेंगे। समिति को अनुशंसा की गई है कि प्रश्नगत 14 कर्मियों को कनीय अभियंता मानते हुए कँडर विभाजन हेतु अग्रेसर कार्रवाई की जाय ।
(ii) उपर्युक्त वर्णित पत्र में प्रेषित प्रस्ताव में प्रशासी विभाग द्वारा यह भी लिखा गया है कि पूर्व में जिन आठ कनीय अभियंता (असैनिक) का नाम मूल पद पर प्रत्यावर्तित किये जाने के कारण टेन्टेटिव आवंटन सूची से विलोपित करने का प्रस्ताव भेजा गया है वे भी उपर्युक्त वर्णित न्याय निर्णयों के आलोक में कनीय अभियंता बन गये हैं, अतः इनका नाम विलोपित होने वाले कर्मियों से संबंधित पूर्व सूची से हटाया जाय । अर्थात अब $54-8=46$ कर्मियों के नाम ही विलोपित किये जाने हेतु अनंशंसित माना जाय ।
(i) विभाग से प्राप्त उपर्युक्त प्रस्ताव के फलस्वरूप समिति द्वारा कनीय अभियंता (असैनिक) संवर्ग के कर्मियों के संवर्ग विभाजन मामले पर पुनर्विचार किये जाने की आवश्यकता आ गई है । कनीय अभियंता (असैनिक) संवर्ग के मामले में समिति द्वारा यथोचित कार्रवाई वर्ष 2004 में ही संपन्न की जा चुकी है तथा भारत सरकार द्वारा भी वर्ष 2004 में ही अंतिम आदेश (Final Allocation Orders) निर्गत किया जा चुका है। समिति द्वारा दिनांक 7.12 . 2007 की बैठक में दिन्मय भी लिया जा चुका है कि प्रशासी विभाग द्वारा कर्मियों के बायोडटा इत्यादि के संबंध में प्रेषित संशोधित प्रस्ताव के फलस्वरूप यदि किसी अंतिम रूप से आवंटित कर्मी का मामला प्रभावित होता है तो मामले को Re-Open नहीं किया जाय ।
(ii) उपर्युक्त वर्णित कोंडिका 3 (i) एवं (ii) में प्रशासी विभाग द्वारा प्रेषित प्रस्ताव पर अगर समिति द्वारा अपनाये गये सिद्धांतों के अन्तर्गत कार्रवाई की जाती है तो कनीय अभियंता (असैनिक) संवर्ग के संवर्ग विभाजन मामले को Re-Open करना होगा, जो समिति द्वारा अनुमोदित सिद्धांत के विपरीत होगा तथा न्यायसंगत भी नहीं होगा क्योंकि मामले का निष्पादन वर्ष 2004 में ही हो चुका है । अतः उचित प्रतीत होता है कि प्रश्नगत 14+8=22 कर्मियों का मामला स्वतंत्र रूप से विचारित किया जाय तथा सिर्फ यह ध्यान रखा जाय कि प्रश्नगत 22 कर्मियों का मामला विचारित होने से मूल संवर्ग में कुल कार्यरत बल में 22 कर्मियों की वृद्धि होगी जिसके फलस्वरूप बिहार तथा झारखंड राज्य के लिए अनुमान्य कार्यरत बल में वृद्धि होगी इसी बिन्दु को ध्यान में रखते हुए निर्धारित सिद्धांतों के अन्तर्गत प्रश्नगत 22 कर्मियों के संवर्ग विभाजन का प्रस्ताव स्वतंत्र रूप से गठित किया गया है । प्रश्नगत 22 कर्मियों में से आठ कर्मी पूर्व से टेन्टेटिव रूप से आवंटित थे तथा टेन्टेटिव आवंटन के विरूद्ध इनका पूर्व में कोई अभ्यावेदन भी नहीं था, अतः इन आठ कर्मियों की अनुशंसित आवंटन सूची उनकें टेन्टेटिव आवंटन सूची के अनुरूप बनायी गयी है । इसकें फलस्वरूप 4 कर्मियों की बिहार अनुशंसित आवंटन सूची बनाई गई तथा इतने ही कर्मियों की झारखंड अनुशसित आवंटन सूची बनायी गई है । शेष 14 कर्मी पहली बार आवंटन प्रक्रिया में शामिल हो रहे हैं अतः इनकी टेन्टेटिव अंतिम आवंटन सूची बनाई गई है जिसमें से 12 कर्मी टेन्टेटिव रूप से बिहार आवंटित हो रहें हैं तथा शेष 2 कर्मी टेन्टेटिव रूप से झारखंड आवंटित हो रहे हैं ।
कनीय अभियंता (असैनिक) संवर्ग के कर्मियों के सवर्ग विभाजन के संबंध में समिति कार्यालय द्वारा जो उपर्युक्त प्रस्ताव उपस्थापित किया गया उससे उस संवर्ग में कुल स्वीकृत पद तथा कुल कार्यरत कर्मियों एवं उत्तरवर्ती राज्यों को आवंटित कर्मियों के संबंध में स्थिति स्पष्ट नही हो रही है । समिति द्वारा निदेश दिया गया कि कार्यवाही में इस संबंध में पूर्ण स्थिति का उल्लेख किया जाय । स्थिति निम्न प्रकार है :-
कुल स्वीकृत बल-7205, बिहार तथा झारखंड स्वीकृत क्रमशः 4876 तथा 2329 । प्रश्नगत 22 कर्मियों को जोड़ने पश्चात् कुल कार्यरत बल 6012, बिहार तथा झारखंड अनुमान्य क्रमशः 4069 तथा 1943 अबतक आवंटित (जिनकें संबंध भारत सरकार द्वारा अंतिम आदेश निर्गत हो चुका है) बिहार तथा झारखंड क्रमशः $3986+67=4053$ तथा1930 + 7 = 1937 प्रस्तावित आवंटन बिहार तथा झारखंड क्रमशः 4 तथा 4, बिहार के लिए नया टी० एफ० ए० एल०-12 तथा झारखंड के लिए नया टी० एफ० ए० एल०-2
6-5 कनीय अभियंता (योंत्रिक)
- इस संवर्ग के संवर्ग विभाजन प्रस्ताव का निर्माण वर्ष 2004 में करते समय पाया गया था कि एक कर्मी श्री कृष्ण चन्द्र बधेजा ने पत्नी के बिहार राज्य में कार्यरत होने का दावा किया था तथा अपने दावा के संबंध में साक्ष्य भी संलग्न किया था । प्रशासी विभाग से कर्मी द्वारा किये गये दावा को संपुष्ट करने का अनुरोध समिति कार्यालय द्वारा किया गया था । प्रशासी विभाग से वांछित प्रतिवेदन प्राप्त नहीं होने के कारण मामले को अनिर्णीत रखा गया था तथा अनिर्णीत को संतुलित रखने के लिए एक अन्य कर्मी शोभनाथ सिंह को भी परिणामी अनिर्णीत रखा गया था। विभागीय प्रतिवेदन के अभाव में मामला लंबित चला आ रहा था । प्रशासी विभाग के पत्रांक 8156 दिनांक 15.12 .2008 द्वारा प्रतिवेदित किया गया है कि पूर्व में भी प्रतिवेदित किया गया था कि क्षेत्रीय पदाधिकारियों से प्रमाण-पत्र की संपुष्टि संभव नहीं है तथा वर्तमान में भी दम्पति दावे पर स्पष्ट प्रतिवेदन देने में कठिनाई है । दम्पति दावा करने वाले श्री बधेजा दिनांक 31.05 .2004 को सेवानिवृत हो चुके हैं जबकि परिणामी अनिर्णीत कर्मी श्री शोभनाथ सिंह दिनांक 31.01 .2008 को सेवानिवृत हो गये हैं । प्रशासी विभाग द्वारा अनुशंसा की गई है कि उचित प्रतीत होता है कि दम्पति दावे को दर किनार करते हुए इनके मामले पर यथोचित निर्णय लिया जाय ।
प्रशासी विभाग से प्राप्त उपर्युक्त अनुशंसा के आलोक में इन कर्मियों से संबंधित प्रस्ताव में कार्यालय द्वारा गठित किया गया ।
6.6 समिति ने कनीय अभियंता (योंत्रिक) संवर्ग के उपर्युक्त उपस्थापित प्रस्ताव पर विचारोपरांत निर्णय लिया की संबंधित दोनों कर्मी बिहार राज्य से सेवानिवृत हो चुके हैं । किसी सेवानिवृत कर्मी को उनकें सेवानिवृति के राज्य से अलग राज्य में आवंटित करना युक्तिसंगत नहीं होगा। अतः दोनों संबंधित कर्मियों को बिहार राज्य में ही आवंटित करने का निर्णय लिया गया । फलस्वरूप समिति कार्यालय द्वारा उपस्थापित प्रस्ताव को इस हद तक संशोधित करते हुए श्री कृष्ण चन्द्र बधेजा को भी बिहार राज्य आवंटित किया गया ।
6.7 18 विभागो के विभिन्न सेवा संवर्गों के अवशेष मामलों के अंतिम आवंटन/टेप्टेटिव आवंटन पर विचार किया गया एवं विचारोपरांत कुल 220 कर्मियों में से जल संसाधन विभाग के कनीय अभियंता (यांत्रिक) संवर्ग के संबंध में लिये गये उपर्युक्त निर्णय तथा समिति कार्यालय द्वारा उपस्थापित प्रस्ताव के आधार पर बिहार 112 एवं झारखंड 86 का अंतिम आवंटन तथा नया टेप्टेटिव-20, अनिर्णीत-2 का अनुमोदन किया गया । विभागवार अनुमोदित कर्मियों की संख्या प्रशिष्ट-1 के रूप में संलग्न है ।
6.8 आज की बैठक में जिन संवर्ग/पदकर्मियों का टेप्टेटिव आवंटन/नया टेप्टेटिव आवंटन किया गया है, उसके लिए अभ्यावेदन देने की अंतिम तिथि 31.08 .2009 निर्धारित की गई।
7. पूर्व प्रक्रिया के अनुसार समिति कार्यालय द्वारा तैयार अनुशंसित अंतिम आवंटन से संबंधित कागजात यथा प्रपत्र-10, 11 एवं अनुशंसित सूची माननीय सदस्यों के समक्ष हस्ताक्षर हेतु उपस्थापित की गई । माननीय सदस्य श्री एन० एन० पाण्डेय द्वारा यह कहते हुए हस्ताक्षर करने से इंकार किया गया कि चुकि यह कार्यवाही का अंश है इस लिए प्रस्तुत कागजात पर हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं है ।
बैठक सघन्यवाद समाप्त हुई।
(डॉ० एस० के० सरकार)
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राज्य परामर्शदातृ समिति,
बेली रोड, पटना-23
राज्य परामर्शदातृ समिति का कार्यालय
सिंचाई आवास, बेली रोड, पटना-23
झापांक- काठको०-38/2001 –
पटना, दिनांक-
प्रतिलिपि, अध्यक्ष, राज्य परामर्शदातृ समिति / मुख्य सचिव, बिहार, पटना / मुख्य सचिव, झारखंड, रांची / सचिव, कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग, बिहार, पटना / सचिव, कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग, झारखंड, रांची / गृह सचिव, बिहार, पटना / श्री भी० पेद्द्न्ना, उप सचिव, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली को सूचनार्थ प्रेषित ।# i f if’ $k^{\prime \prime} V 61$
| उन संवर्गों के अंतिम अनुशंसित आवंटन सूची की विवरण, जिनमें कार्यरत कर्मियों से टेस्टेटिव आवंटन के विरुद्ध प्राप्त अध्यावेदनों/शून्य अध्यावेदनों की संपूर्ण की गई है अथवा एक/एकल कर्मों के मामले हैं । | | | | | | | |
| — | — | — | — | — | — | — | — |
| क्रमांक | विभाग का नाम | संवर्ग/पद | कर्मियों की कुल संख्या | बिहार आवंटित | झारखंड आवंटित | टी. एफ. ए. एल. | लंबित/ अनिर्णीत |
| 1. | जल संसाधन विभाग | (i) कनोय अभियंता (असैनिक) | 22 | 4 | 4 | 14 | |
| | | (ii) कनोय अभियंता (यांत्रिक) | 02 | 01 | 0 | 01 | |
| | | (iii) सर्वेयर | 31 | 23 | 8 | – | – |
| | | (iv) उप कनोय अभियंता | 6 | 3 | 1 | 2 | – |
| 2. | पथ निर्माण विभाग | दिनचर्या लिपिक | 15 | 7 | 8 | – | – |
| 3. | श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग | (i) श्रम अधीक्षक | 4 | 2 | 2 | – | – |
| | | (ii) नियोजन पदाधिकारी | 2 | 1 | 1 | – | – |
| | भोजशाला | (i) सहायक प्रबंधक | 2 | 1 | 1 | – | – |
| | | (ii) विपत्र लिपिक | 2 | 1 | 1 | – | – |
| | | (iii) भण्डारपाल | 1 | 1 | 0 | – | – |
| | | (iv) सहायक लेखापाल | 2 | 1 | 1 | – | – |
| | | (v) पेट्री लिपिक | 2 | 1 | 1 | – | – |
| | | (vi) चालक | 1 | 1 | 0 | – | – |
| | | (vii) बेकर | 1 | 1 | 0 | – | – |
| | | (viii) प्रधान रसोईया | 1 | 1 | 0 | – | – |
| | | (ix) टंकक-सह-लिपिक | 1 | 1 | 0 | – | – |
| 4. | निबंधन विभाग | अस्थायी लिपिक | 2 | 0 | 2 | – | – |
| 5. | गृह (आरक्षी) विभाग | (i) दिनचर्या लिपिक | 1 | 0 | 1 | – | – |
| | | (ii) आरक्षी अवर निरीक्षक (एम.) | 2 | 2 | 0 | – | – |
| 6. | कार्मिक एवं प्रात्सु0 विभाग | (i) सहायक | 3 | 1 | 1 | – | 1 |
| | | (ii) बिहार प्रशासनिक सेवा | 6 | 3 | 3 | | |
| 7. | कल्याण विभाग | (i) विपत्र लिपिक/लिपिक | 1 | 1 | 0 | – | – |
| | | (ii) चतुर्थवर्गीय कर्मों | 15 | 9 | 6 | – | – || | | (iii) तृतीय वर्गीय कर्मी | 7 | 3 | 4 | | |
| — | — | — | — | — | — | — | — |
| | | (iv) चालक | 1 | 1 | 0 | | |
| 8. | वित्त विभाग | चतुर्थवर्गीय
अभिलेखवाह | 3 | 3 | 0 | – | – |
| 9. | पशुपालन एवं मत्स्य विभाग | (i)दिनचर्या लिपिक | 1 | 0 | 1 | – | – |
| | | (ii) सांठ सहायक | 2 | 1 | 1 | – | – |
| 10. | योजना विभाग | प्रधान
टंकक/टंकक | 3 | 0 | 3 | – | – |
| 11. | माध्यमिक शिक्षा विभाग | (i) +2 व्याख्याता (रसायन) | 5 | 2 | 3 | | |
| | | (ii) +2 अनुदेशक कम्प्यूटर विज्ञान | 1 | 1 | 0 | | |
| | | (iii) +2 अनुदेशक
कॅमिकल लैब
टेकनिसियन | 2 | 1 | 1 | | |
| | | (iv) +2
प्रधानाध्यापक, राजकीयकृत उच्च विद्यालय | 1 | 0 | 1 | | |
| 12 | विधि विभाग | टंकक | 2 | 0 | 0 | 2 | |
| 13 | उद्योग विभाग | टंकक | 2 | 1 | 1 | | |
| 14 | खान एवं भूतत्व विभाग | (i)दिनचर्या लिपिक | 1 | 0 | 1 | | |
| 15 | कृषि विभाग | (ii) सठप्रठकार्यठ | 1 | 0 | 1 | | |
| | | (iii) पौठसंठपर्यठ | 1 | 0 | 1 | | |
| | | (iv) उद्यान सेवक | 2 | 1 | 1 | | |
| | | (v)पीकअप चालक | 1 | 0 | 1 | | |
| | | (vi) सांख्यिकी सहायक | 1 | 0 | 1 | | |
| | | (vii) लिपिक | 1 | 0 | 1 | | |
| | | (viii) मेट | 1 | 0 | 1 | | |
| | | (ix) प्रयोगशाला सहायक | 1 | 0 | 1 | | |
| | | (x) क्षेत्र सहायक | 3 | 1 | 1 | 1 | |
| 16 | स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग | (i) ट्यूटर (पी.एस. एम.) | 2 | 1 | 1 | | |
| | | (ii)आवासीय
चिकित्सक (स्त्री एवं प्रसव रोग) | 1 | 0 | 1 | | |
| | | (iii) आवासीय
चिकित्सक
(रेडियोलॉजी) | 2 | 2 | 0 | | |
| | | (iv) सहायक
मातृका | 8 | 7 | 1 | | |
| | | (v) काय
चिकित्सक | 12 | 7 | 4 | 0 | 1 || | | (vi) वी.सी.जी.
दलनायक | 1 | 0 | 1 | | |
| :–: | :–: | :–: | :–: | :–: | :–: | :–: | :–: |
| | | (vii) श्रेष्ठ क्षेत्रीय कार्यकर्त्ता | 14 | 7 | 7 | | |
| | | (viii) काइलेरिया
निरीक्षक | 1 | 1 | 0 | | |
| | | (ix) अभिकित्सा सहायक | 2 | 2 | 0 | | |
| | | (x) व्यवसायिक
चिकित्सक | 1 | 1 | 0 | | |
| | | (xi) प्रयोगशाला प्रावैधिकी (परा मेडिकल) | 1 | 0 | 1 | | |
| 17 | कला, संस्कृति एवं युवा विभाग | (i) कीड़ा प्रशिक्षक | 4 | 2 | 2 | | |
| | | (ii) लिपिक
एन.सी.सी. | 1 | 0 | 1 | | |
| 18 | ग्रामीण विकास
विभाग (पंचायती
राज निर्देशालय) | ग्राम पंचायत
पर्यवेक्षक | 2 | 1 | 1 | | |
| | | योगः- | 220 | 112 | 86 | 20 | 2 |