This document details revised guidelines for the allocation of personnel between Uttar Pradesh and Uttarakhand, following a court decision. It addresses employees who did not join their allocated state due to administrative or legal grounds. The guidelines cover eligibility criteria, ensuring fairness in allocation, and the process for employees to opt for reallocation. It also outlines principles for determining seniority and the creation of supernumerary posts if necessary. The document includes a timeline for implementing these revised guidelines, with key dates for finalization, notification, option submission, and central government approval.
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File No. 27(C)/33/2005-SRS
Government of India
Ministry of Personnel, PG and Pensions
Departmental of Personnel of Training
3 $3^{\text {rd }}$ Floor, Lok Nayak Bhawan, Khan Market, New Delhi – 110003 $27^{\text {th }}$ March 2015
To
- Shri Sanjeev Dubey, Pr. Secretary, UPRCD, UP Government, Lucknow, UP.
- Shri C.S. Napalchyal, Secretary-in-charge Reorganisation, Uttarakhand Government, Dehradoon, Uttarakhand.
Subject: WP (A) No. 3636 of 2005 Jagdish Narayan Doharey vs. State of UP \& Ors. Revised guidelines in pursuance of the decision taken in the meeting held on 01.09 .2014 – reg.
Sir,
I am directed to refer to this department’s letter of even number dated 27.02.2015 forwarding a copy of the draft guidelines in respect of those personnel who did not join the allocated State on administrative or legal ground after their final allocation. The guidelines were concurred by the UPRCD, Govt. of UP vide their letter No. जी0आइ0-09/28-1-2015-03 याचिका/2013 टी0सी0-I dated 04.03 .2015 and by the Uttarakhand Govt. vide their letter No. /XXXVII/15/2007/टी.सी. dated 17.03.2015.
2. The guidelines have been approved by the Competent Authority and are enclosed herewith for further necessary action as per the prescribed time schedule. Accordingly, the revised allocation of all such eligible employees, duly agreed by both the State Governments may be submitted as per the stipulated time line for consideration of the Advisory Committee. It is further requested that these guidelines may be circulated among all the concerned departments and also be placed on the web-site of the State Government for information of the concerned employees.
Yours faithfully,
Encl: As above.
Copy alongwith enclosures to:
- Shri Shashi Bhushan Lal Sushil, Special Secretary, UPRCD, UP Government, Secretariat, Lucknow.
- Shri Prem Singh Bisht, Dy. Secretary, Re-organisation-Deparmem, Uttarakhand Government, Dehradoon, Uttarakhand.## दिनांक 13.09.2000 को जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के बीच कार्मिक आबंटन के निमित्त दिशा-निर्देश
मामले की पृष्ठभूमि
नवम्बर, 2009 में, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड की राज्य सरकारें, उन पुलिस कर्मिकों के लिए प्रशासनिक कठिनाइयों के कारण अथवा अपने आबंटन के लिए संबंधित उच्च न्यायालयों से कर्मचारियों द्वारा स्थगन आदेश प्राप्त करने के कारण उत्तर प्रदेश से कार्यमुक्त नहीं किया जा सका था, के सापेक्ष उत्तराखंड को उनसे रिक्त पदों के स्थानांतरण के लिए सहमत हो गई थी। तदनन्तर उत्तर प्रदेश शासन के गृह विभाग द्वारा जब अनुपालन स्वरूप जारी किये गये दो शासनादेश केन्द्र सरकारी की जानकारी में आये तब राज्य सरकारों को कुछ सुझाव दिए गए थे तथा यह सुनिश्चित करने के लिए मुद्दे पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया था कि कर्मचारी-आबंटन संबंधी निर्णय सभी राज्यों के लिए निष्पक्ष एवं उचित हों। इस संबंध में प्राप्त हुए प्रस्तावों के विभिन्न पहलुओं पर बाद की बैठकों में तथा पत्राचार के माध्यम से विचार-विमर्श किया गया था। संयुक्त सचिव (एटी एवं ए), कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड दोनों राज्यों की सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ 01.09.2014 को हुई बैठक के दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अपने दिनांक 27.12.2011 के पत्र सं. 948/28-01-2011 द्वारा प्रस्तुत किए गए तथा उत्तराखंड सरकार द्वारा अपने दिनांक 28.11.2011 के पत्र सं. 305/XXXVII/11-23/2007 द्वारा समर्थन दिए गए प्रस्ताव पर जगदीश नारायण दोहरे (रिट याचिका सं. 3636/2005) के मामले में माननीय उच्च न्यायालय की दिनांक 10.01.2013 की टिप्पणियों के अनुसरण में विचार-विमर्श किया गया था। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड दोनों राज्यों की सरकारों ने क्रमशः दिनांक 28.01.2015 और 22.11.2014 के अपने पत्रों द्वारा प्रस्तावित सिद्धांतों की पुनः पुष्टि की है।
- दोनों राज्य सरकारों के मध्य सहमति के आधार पर, उन कर्मचारियों, जिन्हें प्रशासनिक अथवा कानूनी अडचनों के कारणों से कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जा सका था, के आबंटन के दिशा-निर्देशों में संशोधन के लिए निम्नलिखित सिद्धांतों का भारत सरकार द्वारा अनुमोदन किया गया है। ये दिशा-निर्देश दिनांक 13.9.2000 को अंतिम आबंटन के लिए जारी किए दिशा-निर्देशों तथा इस विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए संशोधनों/स्पष्टीकरणों के इस सीमा तक संशोधन के उपरान्त हैं।# आबंटन के सिद्धांत
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पात्रता
वे सभी कर्मचारी, जो प्रशासनिक एवं कानूनी बाधाओं के कारण उत्सर प्रदेश/उत्तराखंड में कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाए हैं, यह लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं। तथापि, कर्मचारियों की निम्नलिखित श्रेणियां इस लाभ के लिए हकदार नहीं होंगी:
(i) वे कर्मचारी जिनके विरुद्ध विभागीय जांच अथवा खुली सतर्कता जांच लंबित हो। तथापि, जांच के अंतिम परिणाम आने तक ऐसे कर्मचारियों को भी कार्यमुक्त नहीं किया जाएगा।
(ii) ऐसे कर्मचारी जिन्होंने, उन्हें आबंटित राज्य के संबंध में संशोधन करने के लिए पारस्परिक स्थानांतरण, दाम्पत्य नीति, चिकित्सकीय व्यथा, अ.जा./अ.ज.जा. नीति इत्यादि जैसे किसी विशेष प्रावधान का पहले ही उपयोग कर लिया हो।
(iii) पर्वतीय उप-संवर्ग के कर्मचारी तथा पर्वतीय क्षेत्र अथवा पर्वतीय क्षेत्र की परियोजनाओं में नियोजित कर्मचारी।
(iv) दिनांक 09.11.2000 को अथवा इसके पश्चात नियुक्त किए गए कर्मचारी।
2. पदों का स्थानांतरण
इस योजना के अंतर्गत जितने कर्मचारियों को उत्सर प्रदेश में रखा जाएगा उतनी ही संख्या में रिक्त पदों को उत्तराखंड राज्य में स्थानांतरित किया जाएगा, उत्तराखंड राज्य द्वारा भी इसी प्रकार की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। संबंधित राज्य इस प्रकार हस्तान्तरित किये गये इन पदों के लिए नए सिरे से भर्ती कर सकेंगे।
3. कर्मचारियों की सहमति
इस योजना के अंतर्गत पात्र कर्मचारियों को उनके द्वारा विकल्प दिए गए राज्य को स्वतः ही पुन: आबंटन/प्रत्यावर्तन नहीं किया जाएगा। संबंधित राज्य सरकार समयबद्ध रीति से लिखित रूप में संबंधित कर्मचारी की सहमति प्राप्त करेगी। यदि किसी कर्मचारी के अनुरोध को स्वीकार कर लिया जाता है तो संबंधित कर्मचारी अपने अदालती मामले को वापस लेगा तथा संबंधित प्राधिकारी के समक्ष उसे इस संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा।
4. वरिष्ठता का निर्धारण
पुन: आबंटित किए जाने के इच्छुक कार्मिकों को उनके द्वारा विकल्प दिए गए राज्य में वही वरिष्ठता प्राप्त होगी जो उनकी उत्तरवर्ती राज्य में नियुक्ति से तत्काल पूर्व अर्थात 09.11.2000 को उनके संवर्ग/बैच में थी। इस प्रयोजनार्थ उन्हें अपने विकल्प दिए गए राज्य को प्रत्यावर्तित किए जाने के पूर्व नियत तिथि की स्थिति के अनुसार नियमित आधार पर उनके द्वारा धारित पद को प्रत्यावर्तित किया जाएगा, जहां उपयुक्त समय के भीतर समीक्षा विभागीय पठोन्नतिसमिति (रिव्यू डीपीसी) की बैठकें आयोजित करके उनकी पदोन्नति, यदि पात्र पाए जाएँ, पर विचार किया जाएगा और उनको उनके ठीक नीचे के कनिष्ठों के समकक्ष ही रखे जाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
5. अधिसंख्य पदों का सृजन करना
इस योजना के अंतर्गत समायोजित किए गए कर्मचारियों को, जहां तक संभव होगा, उनकी श्रेणी जैसे कि (सामान्य, अ.जा., अ.ज.जा. एवं अ.पि.व.) के अंतर्गत् उपलब्ध रिक्तियों के लिए समायोजित किया जाएगा। तथापि, इस योजना के अंतर्गत् यदि पुनः आबंटित किसी कर्मचारी के लिए कोई पद उपलब्ध न हो तो उसे इस शर्त के साथ अधिसंख्य पद का सृजन करते हुए समायोजित किया जाएगा कि अधिसंख्य पद को परवर्ती वर्षो में उपलब्ध होने वाले नियमित पदों के सापेक्ष समायोजित किया जाएगा।
6. अनुमोदन का स्तर
अंतिम निर्णय भारत सरकार दवारा, उत्तर प्रदेश पुनर्गठन समन्वय विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, जो उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनिमय, 2000 के अंतर्गत कर्मचारियों के आबंटन संबंधी मामलों का समन्वय करने के लिए नोडल विभाग है, के माध्यम से प्राप्त हुई सूचनाओं के आधार पर लिया जाएगा।संशोधित दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन के लिए प्रस्तावित समय-सीमा
| क्र.सं. | कार्रवाई की प्रक्रिया | समय-सीमा |
| — | — | — |
| 1. | दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देना | 31.03.2015 (जो
माननीय उच्च
न्यायालय के अंतिम
आदेश के अधीन है) |
| 2. | दिशा-निर्देशों को अधिसूचित करना | 15.04 .2015 |
| 3. | विकल्प प्राप्त करने की अंतिम तिथि | 15.05 .2015 |
| 4. | विकल्पों की जांच करना | 29.05 .2015 |
| 5. | राज्य के एसआर प्रभाग द्वारा सलाहकार समिति को प्रस्ताव
सौंपना | 05.06 .2015 |
| 6. | सलाहकार समिति द्वारा सिफारिशों की जांच करना | 15.06 .2015 |
| 7. | कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को प्रस्ताव सौंपना | 22.06 .2015 |
| 8. | केन्द्र सरकार का अनुमोदन | 30.06 .2015 |