This document clarifies the scope of ‘information’ as defined under the Right to Information Act, 2005. It addresses common requests where individuals ask public information officers (PIOs) to search for information within documents or present it in a specific format. The clarification emphasizes that while Section 7(9) allows information to be provided in the format requested, it does not obligate the PIO to create new information or interpret existing data for the applicant. The Act defines ‘information’ as any material, and citizens have the right to access this material, which includes inspecting records, obtaining certified copies, taking notes, and receiving materials in formats like disks or floppies. PIOs are expected to provide the information as it exists within the public authority, not to derive conclusions or create summaries for the applicant. This directive is to be brought to the notice of all concerned officials and authorities.
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सं. 11/2/2008-आईआर
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग
नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली
दिनांक: 10 जुलाई, 2008.
कार्यालय ज्ञापन
विषय: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत ‘सूचना’ के स्वरूप के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण ।
यह देखा गया है कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत कुछ लोग लोक सूचना अधिकारियों से किसी दस्तावेज में से जानकारी ढूँढ कर उपलब्ध कराने का अनुरोध करते हैं । कुछ मामलों में, आवेदक लोक सूचना अधिकारी से अपेक्षा करते हैं कि उन्हें सूचना उनके द्वारा तैयार किए गए किसी विशेष प्रपत्र में दी जाए । ऐसी मांग को वे धारा 7 की उपधारा (9), जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि जानकारी सामान्यत: उस रूप में दी जाएगी जिस रूप में मांगी गई है, के आधार पर अपना अधिकार मानते हैं । यह नोट करना आवश्यक है कि उक्त प्रावधान का मतलब सिर्फ इतना भर है कि यदि जानकारी छायाप्रति के रूप में मांगी गई है तो यह छाया प्रति के रूप में मुहैया कराई जाए और यदि यह फ्लॉपी के रूप में मांगी जाती है तो अधिनियम में दी गई शर्तों के अधीन इसे फ्लॉपी के रूप में मुहैया कराया जाए इत्यादि । इसका अर्थ यह नहीं है कि लोक सूचना अधिकारी सूचना को नया रूप प्रदान कर उसे आवेदक को मुहैया कराएगा ।
2. अधिनियम की धारा 2(च) के अनुसार ‘सूचना’ का अर्थ ‘किसी भी रूप में कोई भी सामग्री’ है । उक्त अधिनियम के अंतर्गत नागरिक को लोक प्राधिकरण से ऐसी ‘सामग्री’ प्राप्त करने का अधिकार है जो उस लोक प्राधिकरण के नियंत्रणाधीन है । इस अधिकार में शामिल हैं – कार्य दस्तावेजों, अभिलेखों की जांच: नोट, उद्धरण अथवा दस्तावेजों या अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियां लेना: सामग्री के प्रमाणित नमूने लेना: डिस्केट,फ्लॉपी, टेप, वीडियो कैसेट अथवा किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक मोड अथवा प्रिंट आउट के रूप में जानकारी लेना बशर्ते कि वह जानकारी कम्प्यूटर अथवा किसी अन्य यंत्र में संग्रहीत हो । ‘सूचना’ और ‘सूचना का अधिकार’ की परिभाषा का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने से यह स्पष्ट होता है कि नागरिक को सामग्री प्राप्त करने, सामग्री का निरीक्षण करने, सामग्री से नोट लेने, सामग्री का उद्धरण अथवा प्रमाणित प्रतियां लेने, सामग्री के नमूने लेने, डिस्केट इत्यादि के रूप में सामग्री लेने का अधिकार है । लोक सूचना अधिकारी से यह अपेक्षित है कि वह आवेदक को ऐसी सामग्री भेजे जिसके लिए उसने अनुरोध किया हो । अधिनियम के अनुसार लोक सूचना अधिकारी से यह अपेक्षित नहीं है कि वह ‘सामग्री’ से कोई निष्कर्ष निकाले और इस प्रकार निकाले गए ‘निष्कर्ष’ को आवेदक को भेजे । लोक सूचना अधिकारी से यह अपेक्षित है कि वह आवेदक को ‘सामग्री’ उसी रूप में प्रदान करे जिस रूप में वह लोक प्राधिकरण के पास उपलब्ध है । सामग्री में से कुछ तथ्यों की खोज कर नागरिक को ऐसे खोजे गए तथ्यों को प्रदान करना लोक सूचना अधिकारी का काम नहीं है ।
3. इस कार्यालय जापन की विषयवस्तु सभी सम्बन्धित अधिकारियों/कार्यालयों के ध्यान में लाई जाए ।
(कृष्ण गोपाल वर्मा)
निदेशक
- भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग ।
- संघ लोक सेवा आयोग/लोक सभा सचिवालय/राज्य सभा सचिवालय/मंत्रिमण्डल सचिवालय/केन्द्रीय सतर्कता आयोग/राष्ट्रपति सचिवालय/उपराष्ट्रपति सचिवालय/प्रधानमंत्री कार्यालय/योजना आयोग/निर्वाचन आयोग ।
- केन्द्रीय सूचना आयोग/राज्य सूचना आयोग ।
- कर्मचारी चयन आयोग, सी.जी.ओ. कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली ।
- भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक का कार्यालय, 10, बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्ली ।
- कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग तथा पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के सभी अधिकारी/डेस्क/अनुभाग ।
प्रति: सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्य सचिव ।