Guidelines for Proactive Disclosure under the RTI Act, 2005

G

This document reiterates the importance of proactive disclosure under Section 4 of the RTI Act, 2005. It emphasizes the need for public authorities to conduct third-party audits of their proactive disclosure packages annually, assessing compliance with guidelines and the adequacy of information disclosed. The audit should also identify any other information that can be proactively disclosed. This audit information is to be reported annually to the Central Information Commission (CIC) via their websites. The document highlights a low compliance rate among public authorities for these audits, as noted in the CIC’s 2020-21 annual report, and expresses concern from a parliamentary standing committee regarding the poor implementation of third-party audits for proactive disclosures. Timelines for submitting self-assessment forms and audit reports to the CIC portal are provided for the year 2021-22. Ministries and departments are urged to take immediate action and comply with the stipulated timelines and previously issued instructions regarding proactive disclosure and its audit. Furthermore, it is mandated that ministries and departments include a detailed chapter in their annual reports to Parliament on the compliance with proactive disclosure guidelines under the RTI Act. The document serves as a reminder and a directive for stricter adherence to these provisions.

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सं. 1/6/2011-आईआर
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग
नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली-110001
दिनांक 14 सितंबर, 2022

कार्यालय ज्ञापन

विषय: आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 4 के अंतर्गत स्वप्रेरणा से प्रकटीकरण के कार्यान्वयन पर दिशानिर्देशः अनुपालन के संबंध में।

अधोहस्ताक्षरी को इस विभाग के दिनांक 15.04.2013 के समसंख्यक कार्यालय ज्ञापन की ओर ध्यान आकृष्ट करने का निदेश हुआ है, जो आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 4 के अंतर्गत स्वप्रेरणा से प्रकटीकरण के लिए इसमें निहित दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन तथा संबंधित सरकारी प्रशिक्षण संस्थान द्वारा उनका तृतीय पक्ष ओडिट कराने से संबंधित है।

2 . दिनांक 07.11.2019 के उपर्युक्त दिशानिर्देशों के पैरा 4.4 में प्रावधान है कि प्रत्येक मंत्रालय/सार्वजनिक प्राधिकरण को अपने सक्रिय प्रकटीकरण पैकेज का हर साल तीसरे पक्ष द्वारा ओडिट करवाना चाहिए। ओडिट में सक्रिय प्रकटीकरण दिशानिर्देशों के अनुपालन के साथ-साथ पैकेज में शामिल वस्तुओं की पर्याप्तता को शामिल किया जाना चाहिए। ओडिट में यह जांच की जानी चाहिए कि क्या कोई अन्य प्रकार की जानकारी है जिसे सक्रिय रूप से प्रकट किया जा सकता है। इस तरह का ओडिट सालाना किया जाना चाहिए और केंद्रीय सूचना आयोग को उनकी अपनी वेबसाइटों पर प्रकाशन के माध्यम से सालाना सूचित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, पारदर्शिता ओडिट करने का कार्य प्रत्येक मंत्रालय/विभाग/सार्वजनिक प्राधिकरण और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अंतर्गत संबंधित प्रशिक्षण संस्थानों को दिया जा सकता है। हालाँकि, ऐसे मामलों में जहाँ मंत्रालयों/विभागों/सार्वजनिक प्राधिकरणों के अंतर्गत कोई प्रशिक्षण संस्थान मौजूद नहीं है, पारदर्शिता ओडिट करने का कार्य किसी भी सरकारी प्रशिक्षण संस्थान को दिया जा सकता है।
3. केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) की वर्ष 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट के संदर्भ में, यह पाया गया है कि सीआईसी के साथ पंजीकृत 2275 सार्वजनिक प्राधिकरण में से केवल 754 ने ही अपने सक्रिय प्रकटीकरण का सरकारी प्रशिक्षण संस्थान से ओडिट करवाया है, जिसे सरकार द्वारा गंभीरता से लिया गया है। यह मुद्दा विभाग संबंधित संसदीय स्थायी समिति के संज्ञान में आया है, जिसने सार्वजनिक प्राधिकरणों (पीए) द्वारा स्वप्रेरणा से प्रकटीकरण के तीसरे पक्ष द्वारा ओडिट के खराब कार्यान्वयन पर चिंता जताई।

4 . इसके अलावा, सीआईसी ने दिनांक 28.07.2022 के अपने अर्ध शा. पत्र सं. 6/1/2013/जेएस(एलएडब्ल्यू)/ सीआईसी-वी/ 2022/1316 और दिनांक 01.09.2022 के सं. 6/1/2013/ जेएस(एलएडब्ल्यू)/ सीआईसी-वी/ 2022 के माध्यम से सभी मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध किया था कि वे आवश्यक कदम उठाएं और आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के तहत अपनी स्वप्रेरणा से प्रकटीकरण की पारदर्शिता ऑडिट करने के लिए प्रशिक्षण संस्थान को नाभित करें। आयोग ने वर्ष 2021-22 के लिए तीसरे पक्ष द्वारा ऑडिट अभ्यास आयोजित करने की निम्नानुसार समयसीमा भी बताई है:
i. सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा सीआईसी के पोर्टल पर स्व-मूल्यांकन फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 15.09.2022 है।
ii. प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा सीआईसी के पोर्टल पर लेखापरीक्षित रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथि 27.09.2022 है।
iii. आयोग के उप पंजीयक द्वारा सिफारिशें/टिप्पणियां जमा करने की अंतिम तिथि 10.10.2022 है।

5 . उपरोक के मद्देनजर, यह वांछित है कि सभी मंत्रालय/विभाग और उनके प्रशासनिक नियंत्रणाधीन पीए, सीआईसी के दिनांक 28.07.2022 और 01.09.2022 के उपरोक डीओ पत्रों के संबंध में तत्काल उचित कार्रवाई करें तथा अपेक्षित विवरण प्रस्तुत करने के साथ ही उसमें दी गई समयसीमा का पालन करें।

6 . इसके अलावा, मंत्रालयों/विभागों को डीओपीटी के दिनांक 07.11.2019 के ऊपर उल्लिखित कार्यालय जापन [https://dopt.gov.in – अधिसूचनाएं – कार्यालय जापन और आदेश आरटीआई पर उपलब्ध] के अनुसार संसद में प्रस्तुत अपनी वार्षिक रिपोर्ट में आरटीआई अधिनियम के कार्यान्वयन के संबंध में एक अलग अध्याय के तहत सक्रिय प्रकटीकरण दिशानिर्देशों के अनुपालन के बारे में विवरण को अनिवार्य रूप से शामिल करने का निर्देश दिया गया था। यह देखा गया है कि बहुत कम मंत्रालय/विभाग इन दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं। उपरोक के मद्देनजर, मंत्रालयों/विभागों को फिर से ऊपर उल्लिखित दिशानिर्देशों का अक्षरशः पालन करने का निर्देश दिया जाता है।

हस्ता/
(वर्षा सिन्हा)
संयुक सचिव

दूरभाष 23092755

  1. भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग।
  2. संघ लोक सेवा आयोग/लोकसभा सचिवालय/राज्यसभा सचिवालय कैबिनेट सचिवालय/केन्द्रीय सतर्कता आयोग/राष्ट्रपति सचिवालय उप-राष्ट्रपति सचिवालय/प्रधानमंत्री कार्यालय/नीति आयोग/चुनाव आयोग।
  3. केंद्रीय सूचना आयोग, बाबा गंगनाथ मार्ग, मुनिरका, दिल्ली-110067
  4. कर्मचारी चयन आयोग, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली।5. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का कार्यालय, पॉकेट-9, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली-110124।
  5. नोडल सीपीआईओ, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग