This circular highlights a procedural gap where various ministries and departments, when dealing with cases involving the Administrative Tribunals Act, 1985, do not always inform the Department of Personnel and Training (DoPT). This can lead to delays in implementing court orders, as DoPT is the nodal ministry for administrative tribunals. The circular requests that all ministries and departments promptly inform DoPT of any matters where the Act is challenged or relevant court/tribunal directives are issued. This ensures timely action and avoids potential adverse remarks from tribunals. It also asks that this information be disseminated to all organizations falling under the purview of the Central Administrative Tribunal.
SOURCE PDF LINK :
Click to access A.11013_25_98-AT-Hindi.pdf
Click to view full document content
संख्या-ए-11013/25/98-ए. टो.
भारत-सरकार
कार्मिक, लोक-शिकायत तथा पेंशन-मंत्रालय
[कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग]
नई दिल्ली,
दिनांक नवम्बर 14, 1998
कार्यालय ज्ञापन
विषय : विभिन्न न्यायालयों/अधिकरणों में प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम, 1985 के उपबंधों को चुनौती देने तथा उनसे संबंधित मामलों की सूचना कार्मिक और प्रशिक्षण-विभाग को देने के संबंध में।
जैसा कि दूर-संचार विभाग आदि को विदित है कि सरकारी कर्मचारी सेवा संबंधी मामले विभिन्न न्यायालयों/अधिकरणों में दायर करते हैं, जिन में अन्य बातों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम, 1985 के उपबंधों को चुनौती देने वाले तथा/अथवा उनसे संबंधित मामले भी होते हैं, जैसे कि—अतिरिक्त न्यायपोर्टों की स्थापना तथा प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम 1985 आदि के अंतर्गत स्थापित विभिन्न अधिकरणों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा सदस्यों की रिक्तियों का भरा जाना। पाय: इन मामलों के संबंध में ऐसे न्यायालय/अधिकरणों द्वारा विदेश पाारत किए जाते हैं। चूँकि यह विभाग प्रशासनिक अधिनियम, 1985 के प्रशासन हेतु नोडल मंत्रालय है, अतः इस विभाग के निदेशों के बिना भारत सरकार का कोई अन्य मंत्रालय ऐसे निदेशों पर कार्रवाई करने की स्थिति में नहीं है।
- इस विभाग की जानकारी में यह बात आयी है कि ऐसे कुछ मामलों में जहां अन्य मंत्रालय/विभाग संघ भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा न्यायालयों/अधिकरणों द्वारा पारित ऐसे आदेशों का प्रभाव उपर्युक्त पहलुओं पर पड़ता है, इन आदेशों को इस मंत्रालय के ध्यान में नहीं लाया जाता है जिसके फलस्वरूप, ऐसे आदेश एक लम्बे समय तक क्रियान्वित नहीं हो पाते अथवा जब तक कि ये निदेश कतिपय अन्य स्रोतों के माध्यम से इस विभाग की जानकारी में नहीं लाए जाते। न्यायालय के निदेशों के अनुपालन में इस प्रकार के अनजाने में हुए विलंब से कभी-कभी न्यायालय/अधिकरण प्रतिकूल टिप्पणी देते हैं। यदि ऐसे निदेशों की सूचना [भारत-सरकारी की ओर से ] वादकारी विभाग, इस विभाग को शीघ्रातिशोध दे दें तो ऐसी स्थिति से बचा जा सकता है।
-
अतः मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध है कि प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम, 1985 के विशिष्ट उपबंधों के क्रियान्वयन से संबंधित किसी आवेदन आदि के मामले में जब कभी कोई निदेश न्यायालय/अधिकरण द्वारा दिए जातेहै अथवा जब अधिनियम के प्रावधानों को डिग्री न्यायाधिकारी/अधिकरण में चुनौती दी जाती है तो उसकी तृपना इस विभाग को दे दी जाए तथा आगे की कार्रवाई इस विभाग द्वारा दी गई सलाह के आधार पर की जाए। यह अनुरोध है कि इन निदेशों को केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण के अधिकार-क्षेत्र में आने वाले सभी संगठनों के ध्यान में भी ला दिया जाए।
(1) दल प्रकाश]
(2) निदेशक (1) ए.टी. (2)
सेवा के लिए भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग ।