This resolution introduces significant amendments to a previous resolution concerning the Central Vigilance Commission (CVC). The primary changes focus on refining the terminology related to “designated authority” and clarifying procedures for handling disclosures and complaints. Specifically, the term “designated authority” will now be “designated authority or designated officer.” Furthermore, the requirement for “all details and supporting documents” in every disclosure or complaint has been removed to streamline the process. New paragraphs have been inserted to empower the CVC to direct ministries and departments to provide protection to whistleblowers or witnesses if deemed necessary, and to establish that the CVC will supervise and monitor complaints received by the designated authority. These amendments aim to enhance the effectiveness and clarity of the whistleblower protection mechanism.
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असाधारण EXTRAORDINARY भाग I—खण्ड 1 PART I—Section 1 प्राधिकार से प्रकाशित PUBLISHED BY AUTHORITY
सं. | 190] | नई दिल्ली, बृहस्पतिवार, अगस्त 29, 2013/भाद 7, 1935 |
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No. | 190] | NEW DELHI, THURSDAY, AUGUST 29, 2013/BHADRA 7, 1935 |
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग)
संकल्प
नई दिल्ली, 14 अगस्त, 2013
सं. 371/4/2013/एवीडी-III—भारत के असाधारण राजपत्र, भाग I, खण्ड 1 में प्रकाशित लोकहित प्रकटन तथा मुखविरों की सुरक्षा के अंतर्गत शिकायत प्रबंधन हेतु केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को मनोनीत अभिकरण के रूप में प्राधिकृत करने वाले, इस मंत्रालय के संकल्प संख्या 371/12/2002/एवीडी-III दिनांक 21 अप्रैल, 2004 में निम्नलिखित संशोधन किए जाते हैं, अर्थात्—
उक्त संकल्प में,—
(i) पैरा 2, 3, 4, 5, 6, 8, 9, 10 एवं 11 शब्द “मनोनीत अभिकरण” जहां कहीं भी प्रयोग में आए हों, को क्रमशः “मनोनीत अभिकरण अथवा मनोनीत प्राधिकरण” शब्दों से प्रतिस्थापित किया जाएगा;
(ii) पैरा 1 में शब्द “प्रकटीकरण अथवा शिकायत में यथासंभव सभी विवरण होंगे और इसमें समर्थक दस्तावेज अथवा अन्य सामग्री शामिल होगी” का लोप किया जाएगा;
(iii) पैरा 1 के बाद निम्नलिखित पैरा जोड़े जाएंगे, अर्थात्—
“1क. भारत सरकार के मंत्रालय अथवा विभागों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों को, उस मंत्रालय या विभाग, किसी केन्द्रीय अधिनियम के द्वारा या इसके अंतर्गत स्थापित किसी निगम अथवा केन्द्र सरकार के स्वामित्व या नियंत्रणाधीन सरकारी कंपनियों, संस्थाओं अथवा स्थानीय प्राधिकरणों जो उस मंत्रालय या विभाग के अधिकार क्षेत्र में आते हों, के किसी कर्मचारी पर भ्रष्टाचार अथवा पद के दुरुपयोग के किसी आरोप के संबंध में लिखित शिकायत या प्रकटन संबंधी शिकायत प्राप्त करने के लिए मनोनीत प्राधिकारी के रूप में भी प्राधिकृत किया गया है।
(iv) पैरा 7 के बाद, निम्नलिखित पैरा जोड़ा जाएगा, अर्थात्—
“7क. या तो शिकायतकर्ता के आवेदन पर या संग्रहित सूचना के आधार पर, यदि मनोनीत प्राधिकारी का मत हो कि शिकायतकर्ता या गवाह को संरक्षण की आवश्यकता है तो मनोनीत प्राधिकारी, संबंधित सरकारी प्राधिकारियों को समुचित दिशानिर्देश जारी करने के लिए इस मामले को केन्द्रीय सतर्कता आयोग के साथ उठाएगा।”
(v) पैरा 11 के बाद, निम्नलिखित पैरा जोड़ा जाएगा, अर्थात्—
“11क. केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) मनोनीत प्राधिकारी को प्राप्त शिकायतों का पर्यवेक्षण एवं निगरानी करेगा।”
दीप्ति उमाशंकर, संयुक्त सचिव