Indian Forest Service (Pay) Second Amendment Rules, 1997, effective January 1, 1996

I

Good news for our dedicated forest service officers! The government has rolled out revised pay scales, bringing significant updates to their compensation structure. These changes are a direct result of the recommendations from the Fifth Central Pay Commission, aimed at modernizing remuneration across various public services. Notably, these revised scales are effective from January 1, 1996, meaning benefits will be applied retrospectively, ensuring our officers are compensated fairly for their past service under the new structure. The new pay bands span from junior to principal chief conservator levels, with substantial increments at each stage. For instance, the junior scale now starts at 8000-275-13500 rupees, while the top-tier principal chief conservator of forests will see scales up to 24050-650-26000 rupees. Comprehensive guidelines have been established for pay fixation, allowing officers to transition smoothly or even retain their previous pay scales under specific conditions before adopting the new structure. These guidelines ensure that current emoluments, including basic pay, dearness allowance, and interim relief, are factored into the new calculations, with provisions for additional increments based on an officer’s service history. Crucially, care has been taken to ensure that no officer will be adversely affected by these changes, with mechanisms in place to safeguard their existing benefits and career progression. This move underscores the government’s commitment to supporting the vital work of the Indian Forest Service.

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भारत के दिनांक 17.10.1997 के वसाधारण राजपत्र भाग 11 खंड 3 उपखंड १/१ में प्रकाशनार्थी

भारत सरकार कार्मिक, लोक-शिकायत तथा पेंशन-मंत्रालय कार्मिक और प्रशिक्षण-विभाग।

नई दिल्ली, दिनांक अक्टूबर / 7, 97

अधिसूचना

सगलकालीन . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .


1996 की पहली तारीख से 4 ,
1998 कोंनष्ठ पूशाम निक गेठ-12000-375-16500/रूपये 8 गैर-कार्यात्मक जनवरी, 1996 की पहली तारीख से 4 ,
कहते कि सेवा का कोई सदस्य भारतीय वन-सेवा 8 भर्ती 1 नियम, 1966 के नियम 6 क के उप नियम $2^{\circ}$ के उपर्य्यों के अध्यक्षीन, चार वर्ष की सेवा पूर्ण कर लेने पर वरिष्ठ सम्य-वेन्नमान में तथा नौ वर्ष की सेवा पूरी कर लेने पर कोंनष्ठ पूशाम निक गेठ में नियुक्त किया जाएगा ।
टिप्पणी :- इस नियम में चार वर्ष तथा नौ वर्ष की सेवा का आचलन, भारतीय वन-सेवा “वरिष्ठता-विनियमन” नियम, 1968 के विनियम 3 के अधीन, उसे किए गए बार्डटन के वर्ष से किया जाएगा ।
1999 क्यन गेठ-14300-400-18300/-रूपये 4 जनवरी, 1996 की पहली तारीख से 8 ,
अधिस म्य-वेतनमान-
1999 जनपाल-16400-450-20000/- रूपये 8 जनवरी, 1996 की पहली तारीख से 8
1998 अपर मुख्य जनपाल/मुख्य दनपाल-18400-500-22400/रूपये8 जनवरी, 1996 की पहली तारीख से 8
1919ध्वम्य-वेननमान से उच्चार वेतनमान-
1998 अपर प्रधान मुख्य जनपाल-22400-525-24500/रूपये 8 जनवरी, 1996 की पहली तारीख से 8
1998 प्रधान मुख्य जनपाल – 24050-650-26000/रूपये 8 जनवरी, 1996 की पहली तारीख से 8


बशर्ते कि सेवा का कोई सदस्य मौजूदा वेतनमान में अपनी अगली या किसी अनुवर्ती वृद्धि की तारीख तक, अथवा वह पद रिक्त करने तक अथवा उस वेतनमान में वेतन आहरण करना छोड़ने तक मौजूदा वेतनमान में वेतन प्राप्त करने का विकल्प चुन सकता है । उपर्युक्त विकल्प ऐसे आदेशों के अनुसार चुना जाएगा जो केन्द्रीय सरकार द्वारा इस बारे में जारी किए जाएँ ।

स्पष्टीकरण ।- इस नियम के परन्तुक के अंतर्गत मौजूदा वेतनमान रखने का विकल्प केवल एक मौजूदा वेतनमान के मामले में ग्राह्य होगा ।

स्पष्टीकरण 2- विकल्प । जनवरी, 1996 को अथवा उसके बाद सेवा में नियुक्त किसी भी चर्चा क्त के लिए लागू नहीं होगा तथा उसे केवल संशोधित वेतनमान में ही वेतन प्राप्त करने की अनुमति होगी ।

स्पष्टीकरण 3- जहाँ सेवा का कोई सदस्य अपने स्थानापन्न तथा निर्धारित पद पर कार्यरत रहते हुए अपने वर्तमान वेतनमान में ही बने रहने का विकल्प चुनता है तो उसका मूल वेतन वही माना जाएगा जो वह स्थाई नियुक्ति के तौर पर प्राप्त करता अथवा स्थानापन्न पद पर रहते हुए अगर उसका वेतन स्थाई नियुक्ति के वेतनमान से अधिक हो जाए तो इन दोनों में से उच्चतर वेतनमान ही उसका मूल वेतनमान माना जाएगा । 3. उक्त नियमों में, नियम 4 के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात् :-

“4ख. अधिकारी के वेतन का निर्धारण – इन नियमों के अनुसार, सेवा के किसी भी ऐसे सदस्य का आरम्भिक वेतन, जो जनवरी 01, 1996 से या उसके बाद की किसी तारीख से संशोधित वेतनमान में वेतन लेना चुने या उसके द्वारा


संशोधित वेतनमान में वेतन केन द्वारा क्या समझा जाए, उसके द्वारा ऐसा विकल्प चुने जाने को तारख्य से, स्थाई पद, जिसका उसे पुनर्ग्रहणा भ्रवार हो, के वेतनमान में, उसके मूल पद वेतन के संदर्भ में और स्थानापन्न आधार पर उसके द्वारा धारख्त पद के वेतनमान में उसके द्वारा लिए गए वेतन के संदर्भ में निम्नलिखित दूंग से प्रथम-प्रथम पुनर्निर्धारित किया जाएगा, अर्थात् :- 188 सेवा के सभी सदस्यों के मामले में :-
1/8 उनके वर्तमान वेतन का डार्कीस प्रचलित उनकी “मौजूदा परिलब्धियों” में जोड़ दिया जाएगा ;
2/18 इस प्रकार से बढ़ाई गई मौजूदा परिलब्धियों के बाद संशोधित वेतनमान में वेतन को इस प्रकार निर्धारित किया जाएगा जो इस बड़े वेतनमान से अपने दरण का वेतनमान होगा ।
ब्यतें कि –
1वां यदि संशोधित वेतनमान की न्यूनतम राशि, इस बड़े वेतनमान से ज़्यादा हो तो संशोधित वेतनमान के न्यूनतम पर दर्शवारों का नया वेतन निर्धारित होगा ;
2वां प्रार इस प्रकार बढ़ा वेतन संशोधित वेतनमान के प्रथिततम से प्रथित हो तो दर्शवारों का नया वेतन संशोधित वेतनमान के प्रथिततम पर निर्धारित होगा ।
ब्यतें कि –
सेवा के सदस्य के वेतन का निर्धारण करी समय आर उसे लगातार बार बार से प्रथित वर्तमान


वेतनमान में सतहबह होना, पड़ा हो उभरत् उसे संशोधित वेतनमान में उस समय स्थाई होना पड़े जब उसने लगातार चार बार वर्तमान वेतनमान में वेतनवृद्धि अर्जित कर रखी हो तो उन्हें उस वेतनमान में तरक्की देकर निम्नवत तरीके से उस स्थान तक पहुंचाया जाएगा, जहाँ एका अगर सेवा के सदस्य ने वर्तमान वेतनमान में 5 से लेकर 8 वेतनवृद्धि हासिल की है तो उन्हें संशोधित वेतनमान की एक वेतनवृद्धि दी जाएगी; एका अगर सेवा के सदस्य ने वर्तमान वेतनमान में 9 से लेकर 12 वेतनवृद्धि हासिल की हो तो उसे संशोधित वेतनमान की 2 वेतनवृद्धि दी जाएगी; एका अगर सेवा के सदस्य ने वर्तमान वेतनमान में से 13 से लेकर 16 तक वेतनवृद्धि हासिल की हो तो उसे संशोधित वेतनमान की 3 वेतनवृद्धि दी जाएगी।

उपर्युक्त ढंग से वेतन में वृद्धि किए जाने से यदि किसी सेवा के सदस्य का वेतन संशोधन पूर्व वेतनमान के उस चरण पर निर्धारित हो जाता है जो कि अपने उच्च चरण उभरा चरणों वाले वेतनमान वाले सदस्यों को प्राप्त हो रहा है, तब ऐसी स्थिति में बाद वाले सदस्य का वेतन उसी सीमा तक बढ़ाया जाएगा जितनी कि वह पिछले नक्षत्रो के वेतन की तुलना में कम हो।

इस प्रकार से किया गया निर्धारण यह सुनिश्चित करेगा कि सेवा के प्रत्येक सदस्य को वर्तमान वेतनमान की प्रत्येक तीन वेतनवृद्धि पर निर्धारित वेतनवृद्धि वेतनवृद्धि साबित, यदि कोई कोई संशोधित वेतनमान की कम से कम एक वेतनवृद्धि प्राप्त हो।


स्पष्टीकरण – इस उप खण्ड के प्रयोजन के लिए “वर्तमान परिलीक्षितों” में शामिल होगा –

हैवई मौजूदा वेतनमान में मूल वेतन ;
हैवई सूचकांक औसत 1510$1960=100$ पर देय उपर्युक्त महंगाई भक्ता ; तथा
हैगई मौजूदा वेतनमान में मूल वेतन पर देय अंतरिम राहत की पहली तथा दूसरी किस्तें ।
हैवई सेवा के उस सदस्य, जो कि वर्तमान वेतनमान के अतिरिक्त किसी अन्य काम पद्धति के अंतर्गत विशेष वेतन घटक प्राप्त कर रहा है जैसे कि छोटे परिवार के मानकों को प्रोत्साहन देने के लिए व्यवस्थित वेतन, केन्द्रीय है कार्यकाल पर पुनर्निर्वाचित है भक्ता तथा जिसके मामले में इनके स्थान पर सादृश्य भक्ता अथवा वेतन के साथ संशोधित वेतनमान लागू कर दिए गए हैं, के मामले में संशोधित वेतनमान उपर्युक्त शर्त हैवई के प्रावधानों के अनुरूप निर्धारित होंगे । ऐसे मामलों में नए मस्तुत दर पर पुनरोधित वेतनमान पर वेतन के अतिरिक्त सिफ़ारिशों के यथानुसार भर्त्त प्राप्त होंगे ।
नोट 1- उस दशा में जबकि किसी सेवा के सदस्य की वेतनवृद्धि जनवरी, 1996 की पहली तारीख को हो रही है तो उसके पास वेतनवृद्धि को मौजूदा वेतनमान या संशोधित वेतनमान में प्राप्त करने का विकल्प रहेगा ।
नोट 2- जहां कि सेवा का सदस्य जनवरी, 1996 की पहली तारीख को छुट्टी पर हो तो वह संशोधित वेतनमान के लिए उसी दिन से अक्सर होगा जिस दिन वह छुट्टी पर वापस आएगा । सेवा के निर्वाचित सदस्य के मामले में वह मौजूदा वेतनमान पर निर्वाह


भक्ता पूरात्त करता रहेगा तथा संशोधित वेतनमान में उसका वेतन लींबत अनुशासनात्मक कार्यवांैद्यों पर चीतम निर्णय लिए जाने के अधीन होगा ।
नोट 3- खण्ड हैकथ्र अधवा हैखथ के अनुसार यदि सेवा के सदस्य की मौजूदा परिलीब्धयां संशोधित परिलीब्धयों से अधिक हो जाती है तो उस क्तर को भविष्य में वेतनवृद्धि के लिए व्यकक्तगत वेतन में समाहित कर लिया जाएगा ।
नोट 4- जहाँ इन नियमों के अधीन वेतन निर्धारण में सेवा का कोई सदस्य मौजूदा वेतनमान में । जनवरी, 1996 के तुरन्त पहले समान कैडर के किसी कनिष्ठ सदस्य की तुलना में अधिक वेतन पूरात्त कर रहा था तथा संशोधित वेतनमान में उसका वेतन एक ऐसी अवस्था पर निर्धारित हो जाता है जो कि उस कनिष्ठ से कम हो तब ऐसी स्थिति में उसका वेतन उसी संशोधित अवस्था तक बढ़ा दिया जाएगा ंज स्वस्था पर वह कनिष्ठ सदस्य हो ।
नोट 5- जहाँ सेवा का कोई सदस्य । जनवरी, 1996 को व्यकक्तगत वेतन पूरात्त कर रहा हो जो कि खण्ड हैकथ्र अधवा हैखथ, जैसा भी मामला हो, के अनुसार परिकलित होने पर उसकी मौजूदा परिलीब्धयों से जुड़ने पर संशोधित परिलीब्धयों से अधिक हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में औंध का वाले क्तर को भविष्य की दृष्टि से सेवा के सदस्य के व्यकक्तगत वेतन में समाहित कर, लिया जाएगा ।
नोट 6- जहाँ सेवा के किसी वरिष्ठ सदस्य की । जनवरी, 1996 के पहले किसी उच्चतर पद पर पदोन्नति हो जाती है तथा वह उस कनिष्ठ/सदस्य से कम वेतन पूरात्त कर रहा है जो कि । जनवरी, 1996 के बाद उच्च पद पर पदोन्नत किया गधा है, तब उस स्थिति में वरिष्ठ सदस्य की वेतन उसी मात्रा में बढ़ा दिया जाए जो कि उसके कनिष्ठ सदस्य को उच्च पद पर दिया जा रहा है । यह वृद्धि कनिष्ठ


सेवा के सदस्य की पदोन्नति की तिथि मे की जाएगी तथा वह निम्नलिखित शर्तों को पूर्ति के अधीन होगी, अर्थात् :-
१क\& सेवा के कनिष्ठ तथा वरिष्ठ सदस्य एक ही कैडर के हों तथा जिस पद पर वे पदोन्नत हुए है वह कैडर में समान पद हों ;
$₹ \in 1$ निम्नतर तथा उच्चतर पदों के संशोधन पूर्व तथा संशोधित वेतनमान जिनमें कि वे वेतन पाने के अधिकृत है, समान हों ;
$₹ \pi 1$ सेवा के वरिष्ठ सदस्य पदोन्नति के सम्य कनिष्ठ सदस्य के बराबर या उससे अधिक वेतन प्राप्त कर रहे हों ; तथा
$₹ \in 1$ विसंगति सीधे तौर पर इस उप नियम के प्रावधानों के उपयोग के कारण हुई हो । यदि कनिष्ठ पद पर भी कोई कनिष्ठ अधिकारी संशोधन पूर्व वेतनमान के अनुसार वरिष्ठ सदस्य की, तुलना में अग्रिम वेतनवृद्धि दिए जाने के कारण अधिक वेतन प्राप्त करता रहा है तो इस नोट के प्रावधानों को लागू करते हुए सेवा के वरिष्ठ अधिकारों के वेतन को बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है ।

उपर्युक्त प्रावधानों के अनुरूप सेवा के वरिष्ठ सदस्य का पुनर्निर्धारण संगत नियमों के अंतर्गत होगा तथा सेवा का वह अधिकारी अगली वेतनवृद्धि के लिए उसके वेतन पुनर्निर्धारण के सम्य आवश्यक हर्हक सेवा पूरा कर चुके हो ।
नोट 7- ५ उपनियम १। 1 के प्रावधानों के अधीन इस एक केवक 121 के तथ्य यदि स्थानापन्न पद पर नियत किया गया वेतन मून पद में नियत किए गए वेतन मे कम


है तो पूर्व को मूल वेतन के अगले चरण मे ऊपर निघ्न किया जाएगा।

नोट 8-सेवा के उस सदस्य के मामले में जो कि । जनवरी, 1996 के पूर्व “हिन्दी शिक्षण योजना” के अंतर्गत हिन्दी प्राच्य तथा इस प्रकार की अन्य परीक्षाएँ उत्तीर्ण करने के फलस्वरूप व्याक्तित वेतन प्राच्य कर रहा है, उसका यह व्याक्तित वेतन संशोधित वेतनमानों में मूल वेतन के निर्धारण के लिए शाक्ति नहं किया जाएगा, 1996 से या उसके आगे की उस अवधि के लिए उस व्याक्तित वेतन को प्राच्य करता रहेगा जो कि वह संशोधित वेतनमान का निर्धारण न होने की दशा में प्राच्य करता । ऐसा व्याक्तित वेतन, निर्धारण की तिथि में वेतनवृद्धि की उचित दर से उस अवधि तक के लिए दिया जाएगा, जिस अवधि तक सेवा का सदस्य उसे प्राच्य करना जारी रहेगा।

स्पष्टीकरण इस नोट के लिए “संशोधित वेतनमान में वेतनवृद्धि की उचित दर” का अर्थ होगा, संशोधित वेतनमान पर सेवा के सदस्य के वेतन निर्धारण के तुरन्त बाद उसे देय वेतनवृद्धि को राशि ।

1996 के बाद संशोधित वेतनमान में वेतन का निर्धारण-जहां सेवा का सदस्य मौजूदा वेतनमान में अपना वेतन देना जारी रहता है और जनवरी, 1996 के पहले दिन मे संशोधित वेतनमान में आने का विकल्प देता है तो बाद की तारीख से संशोधित वेतनमान में उसके वेतन का निर्धारण उन नियमों के तहत किया जाएगा और इस प्रारूप के लिए मौजूदा वेतनमान में उसके वेतन का अर्थ खण्ड 1996, अथवा 1997 के अनुसार वर्तमान परिस्थितियों के रूप में परिकल्पित अर्थ के समान हो होगा, तथा उन परिस्थितियों के परिष्कृत के संधि में किया गया मूल वेतन ही बाद की तिथि में उसका मूल वेतन होगा और जहां सेवा का सदस्य डिग्री वेतन प्राच्य करता हो ऐसे में उस पर वेतन संशोधित दरों पर इस प्रकार परिकल्पित परिस्थितियों में से उसके डिग्री वेतन के बराबर की राशि काटकर निर्धारित किया जाएगा।”

  1. उक्त नियमों के नियम 5 में उप – नियम 1396 के रूप पर निम्नलिखित प्राक्यांशित किया जाएगा, अर्थात्:-

” ३४२४ सेवा का कोई सदस्य जिसका वेतन नियम ३ और 4 ख के अनुसार संशोधित वेतनमान में नियत किया गया है तो उसकी अगली वेतनबुद्धि उसी तारीख को दी जाएगी जिस तारीख को उसने वर्तमान वेतनमान में जारी रहने की अवस्था में वेतनबुद्धि प्राप्त करनी थी ।

बशर्ते कि जहां सेवा के सदस्य का वेतन उप नियम 4 ख के द्वितीय परन्तुक या नोट 4 अथवा नोट 6 की शर्तों के अधीन बढाया गया हो तो ऐसे मामलों में अगली वेतनबुद्धि संशोधित सेवा में उदाई गई वेतन की तारीख से 12 माह की अर्हक सेवा पूरी करने के पश्चात् दी जाएगी ।

इसके अतिरिक्त यह भी कि अन्य मामलों में, सेवा के सदस्य की अगली वेतनबुद्धि, जिसका वेतन 1 जनवरी, 1996 को नियत किया गया हो, उसी कैडर में उससे कनिष्ठ सेवा के एक अन्य सदस्य जो मौजूदा वेतनमान में उससे निम्न स्तर का वेतन पा रहा हो, के समान उसी तारीख को प्रदान की जाएगी यदि उससे कनिष्ठ की वेतनबुद्धि की तारीख पहले पड़ती है ।

यह भी कि सेवा का ऐसा सदस्य जो 1 जनवरी, 1996 को मौजूदा वेतनमान का अधिकतम वेतन एक वर्ष से अधिक समय से पा रहा था, को प्रथम जनवरी, 1996 से संशोधित वेतनमान में अगली वेतनबुद्धि दी जाएगी ।”

उक्त नियमों के नियम 9 में उप नियम ४7४ में “7300-760080” अंकों तथा शब्दों और “760080” अंक तथा शब्द जहां कहीं आएं के स्थान पर “24050-650-2600080” अंक तथा शब्द प्रतिस्थापित किए जाएँगे ।


  1. उक्त नियमों में अनुसूची-11 में, “जनवरी, 1986 की पहली तारीख” शब्द और अंक जहां कहीं आये, उनके स्थान पर “जनवरी, 1996 की पहली तारीख” शब्द और अंक प्रतिस्थापित किए जाएँगे ।

उक्त नियमों में अनुसूची-111 में, भाग क और ग में, “8000रू0”, “7600रू0” “7300-100-7600रू0”, “5900-200-6700रू0” और “4500-150-5700रू0” अंक तथा शब्द जहाँ कहीं आएँ, उनके स्थान पर क्रमश: “26000रू0”, “24050-650-26000रू0”, “24050-650-26000रू0”, “18400-500-22400रू0” और “16400-450-20000रू0” अंक तथा शब्द प्रतिस्थापित किए जाएँगे ।


ब्याल्यात्मक ज्ञापन
केन्द्रीय सरकार ने ब्रॉडक भारतीय सेवाओं/डेटनमानों में संशोधन के संबंध में पांचवें केन्द्रीय डेटन आयोग द्वारा की गई सिफारिशों को जनवरी 01, 1996 से कार्यान्वित करने का निर्णय किया है । इन सिफारिशों को कार्यान्वित करने के लिए भारतीय वन सेवा प्रैवेटनर नियम, 1968 तदनुसार जनवरी 01, 1996 से संशोधित किए जा रहे हैं ।

यह प्रमाणित किया जाता है कि इन नियमों को भूतस्सी प्रभाव से लागू किए जाने से भारतीय वन सेवा के किसी भी सदस्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ना संशोधित नहीं है ।

8072872 76.10.97
ईए.के.सरकार
निदेशक

ईसं० 14021/2/97-30भाल्मे०-11-त


टिप्पणी :- मून नियमों को दिनांक 16 मार्च, 1968 को सा 0 आ 0 निः मं० 462 के रूप मे बधिसूचित किया गया था तथा बाद मे नीचे दिए गए संशोधन किए गए :-
img-0.jpeg


1 2 3
26. 445 1 06.07.76
27. 1285 01.10.77
28. 6321 05.10.77
29. 141 06.01.76
30. 696 03.06.78
31. 3611 13.07.78
32. 3621 13.07.78
33. 935 29.07.78
34. 4371 29.08.79
35. 773 09.06.79
36. 4871 25.08.80
37. 5631 30.09.80
38. 5661 01.10.80
39. 1075 13.10.80
40. 1035 01.11.80
41. 8271 03.11.80
42. 6321 04.11.80
43. 221 17.01.81
44. 321 23.01.81
45. 3611 23.05.81
46. 3771 02.06.81
47. 3871 09.06.81
48. 6011 16.11.81
49. 6061 17.11.81
50. 6541 14.12.81
51. 2951 01.04.82
52. 3551 26.04.82
53. 3571 27.04.82
54. 4391 31.05.82
55. 5311 20.08.82

1 2 3
56. 25 8 12.01.83
57. 479 8 09.06.83
58. 838 8 08.11.83
59. 32 21.01.84
60. 119 11.02.84
61. 94 8 19.02.85
62. 127 8 28.02.85
63. 309 8 26.03.85
64. 328 8 29.03.85
65. 490 8 22.06.85
66. 204 8 14.02.86
67. 267 12.04.86
68. 665 30.08.86
69. 764 20.09.86
70. 779 27.09.86
71. 797 27.09.86
72. 830 04.10.86
73. 838 04.10.86
74. 381 18.10.86
75. 165 14.03.87
76. 286 8 13.03.87
77. 408 30.06.87
78. 618 15.08.87
79. 801 31.10.87
80. 827 07.11.87
81. 837 14.10.87
82. 838 14.11.87
83. 433 6 06.04.88
84. 547 8 0.05.88
85. 835 8 03.08.88

1 2 3
$36 \cdot$ 3538 10.03.89
$87 \cdot$ 5538 16.05.89
$88 \cdot$ 455 01.07.89
$89 \cdot$ 833 11.11.89
$90 \cdot$ 917 16.12.89
$91 \cdot$ 934 30.12.89
$92 \cdot$ 265 05.05.90
$93 \cdot$ 589 20.09.90
$94 \cdot$ 604 29.09.90
$95 \cdot$ 727 08.12.90
$96 \cdot$ 729 08.12.90
$97 \cdot$ 1268 05.03.91
$98 \cdot$ 474 24.08.91
$99 \cdot$ 526 14.09.91
$100 \cdot$ 564 05.10.91
$101 \cdot$ 583 19.10.91
$102 \cdot$ 22 01.09.93
$103 \cdot$ 5398 06.08.93
$104 \cdot$ 5378 06.08.93
$105 \cdot$ 6368 04.11.93
$106 \cdot$ 6388 04.11.93
$107 \cdot$ 4388 09.05.94
$108 \cdot$ 384 30.07.94
$109 \cdot$ 515 22.10.94
$110 \cdot$ 593 03.12.94
$111 \cdot$ 265 03.06.95
$112 \cdot$ 277 10.06.95
$113 \cdot$ 340 22.07.95

1 2 3
$114 \cdot$ 359 $29 \cdot 07 \cdot 95$
$115 \cdot$ 376 $12 \cdot 08 \cdot 95$
$116 \cdot$ 481 $18 \cdot 11 \cdot 95$
$117 \cdot$ 504 $02 \cdot 12 \cdot 95$
$118 \cdot$ 505 $02 \cdot 12 \cdot 95$
$119 \cdot$ 551 $16 \cdot 12 \cdot 95$
$120 \cdot$ 768808 $05 \cdot 02 \cdot 96$
$121 \cdot$ 788808 $05 \cdot 02 \cdot 96$
$122 \cdot$ 5868808 $26 \cdot 12 \cdot 96$
$123 \cdot$ 5888808 $26 \cdot 12 \cdot 96$
$124 \cdot$ 5908808 $26 \cdot 12 \cdot 96$
$125 \cdot$ 188808 $17 \cdot 01 \cdot 97$

$$
2892277_{16.10 .97 .}
$$

$$
8 \text { 2.3. } \cdot \text { सरक्रा? }
$$

निदेशड

सेवा मे,
द्वबन्धन,
भारत लखार मुद्रणाल्य,
मायापुरी, रिग रोंड,
नई दिल्ली ।